अरूणा आसफ अली जयंती 16 जुलाई

-अरूणा आसफ अली जयंती 16 जुलाई 

-भारत छोड़ो आंदोलन की नायिका अरूणा आसफ अली

एक बार दिल्ली में यात्रियों से भरी बस में एक उम्रदराज महिला सवार थी कोई भी जगह बैठने के लिए खाली नहीं थी उसी बस में आधुनिक जीवन शैली की युवा महिला सवार थी इसी दौरान एक व्यक्ति अपनी सीट से उठकर खड़ा हो गया और उस युवा महिला को अपनी सीट दे दी लेकिन उसने शिष्टाचार के कारण यह सीट उम्रदराज महिला को दे दी ऐसा करने पर वह व्यक्ति बुरा मान गया और युवा महिला से बोला यह सीट तो मैंने आपके लिए खाली की थी बहन यह सुनकर वह बुजुर्ग महिला तुरंत बोली बेटा कभी ना भूलना क्योंकि मां का अधिकार बहन से पहले होता है उन कि इस बात से वो व्यक्ति बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने महिला से माफी मांगी यह वाकया जुड़ा हुआ है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और दिल्ली की पहली महिला महापौर स्वर्गीय अरूणा आसफ अली को पूरी जिंदगी संघर्ष के साथ अपना जीवन गुजारने वाली अरुणा उम्र के आठवें दशक में भी सार्वजनिक परिवहन से सफर करने से परहेज नहीं करती थी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाली क्रांतिकारी जुझारू नेता श्रीमती अरूणा आसफ अली का नाम इतिहास में दर्ज है उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। Aruna and asaf ali hindi article

1942 में अंग्रेजों के खिलाफ हुए भारत छोड़ो आंदोलन

1942 में अंग्रेजों के खिलाफ हुए भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका के कारण उन्हें द ग्रैंड ओल्ड लेडी और हिरोइन जैसी उपमा दी गई है देश को आजाद कराने के लिए कई वर्षो तक निरन्तर संघर्ष करती रही कहते है कि विवाह के बाद महिलाओं की जिंदगी में बदलाव आता है लेकिन अरुण जी के मामले में तो जहां बदलाव बेहद क्रांतिकारी ही था एक आम युवती का जीवन बिता रही अरूणा गांगुली जब दिल्ली के विख्यात वकील और नेता आसिफ अली से मिली तो उनके जीवन में उथल-पुथल मच गई अरुणा का जन्म बंगाली ब्राह्मण  परिवार में 16 जुलाई 1909 को तत्कालीन पंजाब के कालका नामक स्थान में हुआ था अरुणा जी ने स्कूली शिक्षा नैनीताल से प्राप्त की थी जहां उनके पिता उपेंद्रनाथ गांगुली का होटल था बचपन से ही उन्होंने अपनी बुद्धिमता और चतुरता की धाक जमा दी थी लाहौर के स्क्रेड हार्ट कॉन्वेंट कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद व शिक्षिका बन गई और कोलकाता के गोखले मेमोरियल कॉलेज में अध्ययन कार्य करने लगी इसी दौरान वे नेता आसफ अली के संपर्क में आए और उन्होंने विवाह का निर्णय लिया इस विवाह ने अरुणा के जीवन की दिशा बदल दी और शादी के बाद अरूणा आसफ अली बन गई और इसी नाम से मशहूर हुई वह भारतीय राजनीति में रुचि लेने लगी और राष्ट्रीय आंदोलनों में भी बढ़-चढ़कर भागीदारी करने लगी । Aruna and asaf ali hindi article

-कई स्थानों पर किया नमक आंदोलन का नेतृत्व

अंग्रेजों के राज में हो रही भारत की दुर्दशा ने उन्हें विचलित कर दिया था देश की आजादी की उत्कंठा उनके मन में हिलोरे लेने लगी और उन्होंने महात्मा गांधी और मौलाना अबुल कलाम आजाद सहित विभिन्न वरिष्ठ नेताओं की सभाओं में भाग लेना शुरू किया और अरूणा जी ने 1930 1932 और 1941 के व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय जेल सजाएं भोगी 1930 में जो गांधी जी ने नमक आंदोलन शुरू किया तो अरुणा पहली बार इस आंदोलन में शामिल हुई और कई स्थानों पर इस आंदोलन का नेतृत्व किया जिसके लिए अरुणा आसफ अली   को गिरफ्तार किया ज्ञायर एक साल की सजा सुनाई गई जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने हिम्मत नही हारी और फिर से आंदोलन  में भाग लेने लगी जिसकी वजह से उन्हें दोबारा जेल की हवा खानी पड़ी थी इस बार अरुणा ने जेल के अंदर मुजरिमों के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार के लिए भूख हड़ताल भी की थी जिसके चलते अंग्रेजी हुकूमत को जेल के हालात सुधारने को मजबूर होना पड़ा सन 1931 में गांधी इरविन समझौते के तहत सभी राजनीतिक बंदियों को छोड़ दिया गया लेकिन अरूणा आसफ अली को नहीं छोड़ा गया इस पर महिला केदियो में उनकी रिहाई ना होने तक जेल परिसर छोड़ने से इनकार कर दिया माहौल बिगड़ते देख अंग्रेजों को अरुणा को भी रिहा करना पड़ा 1942 में अब भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ तो यह आजादी की लड़ाई में एक नायिका के रूप में उभर कर सामने आई इस आंदोलन में उन्होंने अंग्रेजों की जेल में बंद होने के बदले भूमिगत रहकर अपने अन्य साथियों के साथ आंदोलन का नेतृत्व करना उचित समझा गांधी जी और अन्य वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी के तुरंत बाद मुंबई में विरोध सभा आयोजित कर के विदेशी सरकार को खुली चुनौती देने का साहस करने वाली अरुणा ही थी। Aruna and asaf ali hindi article

अरुणा ने मुंबई में ग्वालिया टैंक मैदान में तिरंगा फैलाकर अपनी बहादुरी का परिचय दिया और अंग्रेजों को खुली चुनौती दी थी कहा जाता है कि इस दिलेरी की वजह से अंग्रेजों ने अरुणा की गिरफ्तारी पर ₹5000 का इनाम भी घोषित कर दिया था हालांकि अरुणा को इस घटना के लिए अंग्रेज गिरफ्तार करने में नाकाम रहे उनकी साहस की चर्चा कई दिनों तक रही थी उन्होंने भूमिगत रहते हुए गुप्त रूप से उन लोगों का पथ प्रदर्शन किया जो किसी तरह जेल से बाहर रह सके थे उन्होंने पुलिस की नजरों से बचते हुए मुंबई कोलकाता दिल्ली आदि शहरों में घूम-घूम कर लोगों में नवजगरुक्ता लाने का प्रयास किया 1942-46  में जब उनके नाम का वारंट रद्द हुआ तभी वे प्रकट हुई सारी संपत्ति जप्त करने पर भी उन्होंने आत्मसमर्पण ना किया इसके बाद देश में उनका भव्य स्वागत हुआ कोलकाता दिल्ली में अरुणा ने अपने स्वागत में आयोजित सभाओं में ऐतिहासिक भाषण दिए दिल्ली में उन्होंने कहा भारत की स्वतंत्रता के संबंध में  ब्रिटेन से कोई समझौता नहीं हो सकता  भारत और अपनी स्वतंत्रता  छीनकर ग्रहण करेगा  समझौते के दिन बीत गए हम तो स्वतंत्रता के लिए युद्ध क्षेत्र में ब्रिटेन से मोर्चा लेंगे शत्रु  से  पराजित हो जाने के बाद ही समझौता हो सकता है हिंदुओं और मुस्लिमों को संयुक्त मार्ग के समक्ष ब्रिटिश साम्राज्यवाद को झुकना पड़ेगा हम भारत की स्वतंत्रता की भीख मांगने नही जाएंगे। Aruna and asaf ali hindi article

-दिल्ली नगर निगम की प्रथम महिला महापौर

-दिल्ली नगर निगम की प्रथम महिला महापौर बन सुधारी कार्य प्रणाली अरुणा की भूमिका सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम तक ही सीमित नही रही बल्कि विभिन्न सामाजिक संगठनों से साथ जुड़कर उन्हें सारी दीक्षा देने का कार्य भी किया वे आजाद भारत में वर्ष 1958 में दिल्ली नगर निगम के प्रथम महापौर चुनी गई महापौर बनकर उन्होंने दिल्ली के विकास कार्य सफाई और स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा कार्य किया और इंडो सोवियत कल्चरल सोसायटी आल इंडिया पीस कॉउंसिल तथा नेशनल फेडरेशन ऑफ पीस से जुड़ी रही दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी इरविन कॉलेज की स्थापना भी अरुणा के प्रयासों से ही हुई अरूणा आसफ अली ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की उपाध्यक्ष और दैनिक अंग्रेजी समाचार पत्र पैट्रियोट और सप्ताहिक पत्रिका लिंक की संस्थापक अध्यक्ष भी रहे भूमिगत रहने के दौरान अरुणा ने राम मनोहर लोहिया के साथ मिलकर मासिक पत्रिका इंकलाब का संपादन किया श्रीमती अरूणा अली को सन 1964 में लेनिन शांति पुरस्कार सन 1991 में जवाहरलाल नेहरु अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार 1992 में पदम् विभूषण और इंदिरा गांधी पुरस्कार राष्ट्रीय एकता से सम्मानित किया गया 29 जुलाई 1996 को करीब 80 वर्ष की आयु में अरुणा ने इस दुनिया से अलविदा कह दिया इनकी मृत्यु के बाद इन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया 1998 से इनके नाम पर एक डाक टिकट भी जारी किया गया साथ ही उनके सम्मान में नई दिल्ली की एक सड़क का नाम अरूणा आसफ अली मार्ग रखा गया। Aruna and asaf ali hindi article


Related Post :-

नेल्सन मंडेला अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस – 18 जुलाई 

दादाभाई नौरोजी : ग्रैंड ओल्ड मैन

सुचेता कृपलानी जयंती 25 जून

कस्तूरबा गांधी जयंती 11 अप्रैल

20 फरवरी ‘विश्व सामाजिक न्याय दिवस’

error: Content is protected !!
Don`t copy text!