आईएएस की तैयारी हिंदी माध्यम से कैसे करें ?

IAS preparation in hindi medium

हिंदी माध्यम से आईएएस परीक्षा की तैयारी 

-कुछ लोग हैं जो वक्त के सांचे में ढल गए कुछ लोग हैं जो वक्त के सांचे बदल गए 

जबसे IAS 2017 परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ है और यह आंकड़ा सामने आया है कि सिविल सेवा की 2017 की परीक्षा में कुल चयनित उम्मीदवारों में से मात्र 2.6% ने हिंदी माध्यम से ही इस परीक्षा को क्वालीफाई किया है, तब से हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों में घोर निराशा फैल गई है जबकि देश की 41% से अधिक जनसंख्या की मातृभाषा हिंदी है यदि इस दृष्टि से देखे तो अत्यंत निराशाजनक तस्वीर दिखाई देती है लेकिन आवश्यकता है यह जानने की वाकई हिंदी माध्यम के साथ किसी प्रकार का भेदभाव हो रहा है क्या सिर्फ दुष्प्रचार है ।

आइए आंकड़ों के माध्यम से वास्तविकता जानने का प्रयास करते हैं सिविल सेवा की 2012 की परीक्षा में कुल 82 हिंदी माध्यम की अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए जो कुल का लगभग 17% थे। सिविल सेवा की 2013 की परीक्षा में हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों की संख्या 1169 में से मात्र 22 रही जो की कुल के 2% से भी कम है 2014 की सिविल सेवा परीक्षा में लगभग 4.25% परीक्षार्थी हिंदी माध्यम से उत्तीर्ण हुए। 2015 की सिविल सेवा परीक्षा में लगभग 3.45% परीक्षार्थी हिंदी माध्यम से उत्तीर्ण हुए । 2016 की सिविल सेवा परीक्षा में लगभग 4% परीक्षार्थी हिंदी माध्यम से पास हुए 2016 की सिविल सेवा परीक्षा में टॉप 50 में से 3 हिंदी माध्यम से थे जबकि टॉप 100 में से 8 हिंदी माध्यम से थे सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि 2016 में वंदना शिवा ने हिंदी माध्यम से 8वीं रैंक हासिल की वह भी अपने पहले प्रयास में और मात्र 24 वर्ष की अवस्था में । सहारनपुर के नसरुल्लागढ की वंदना शिवा ने अपनी मेहनत लगन जुनून और समर्पण से हिंदी माध्यम से टॉप ना कर पाने का मिथक तोड़ा। 2016 में गौरव कुमार ने हिंदी माध्यम से 31वीं और भारतपुर के शैलेंद्र इंदोरिया ने 38 वी रैंक हासिल की लेकिन 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में 990 में से मात्र 35 उम्मीदवार ही हिंदी माध्यम से उत्तीर्ण हुए हिंदी माध्यम से इस बार सर्वोच्च रैंक 140 वी अनिरुद्ध सिंह की रही।

2017 की सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम से उत्तीर्ण होने वाले उम्मीदवारों की कम संख्या और टॉप 100 में कोई भी हिंदी माध्यम से सफलता प्राप्त ना हो पाने के कारण वर्तमान में उम्मीदवारों में यह आम धारणा बन गई है कि हिंदी माध्यम से इस परीक्षा को पास बहुत मुश्किल है और टॉप करना तो लगभग नामुमकिन सा है ।

निराशा के इस माहौल में हमें वंदना शिवा को प्रेरणा स्त्रोत के रूप में लेना होगा जिन्होंने अत्यंत विपरीत परिस्थितियों में अपने पहले ही साहस प्रयास में 8वीं रैंक हासिल कर यह मिसाल कायम की कि हिंदी माध्यम से टॉप भी किया जा सकता है । हिंदी माध्यम से सफलता में गिरावट का क्रम तब शुरू हुआ जब 2011 में प्रारंभिक परीक्षा में सीसैट सिविल सर्विस एप्टिट्यूड टेस्ट शामिल हुआ हालांकि 2013 की परीक्षा से सीसैट क्वालीफाई नेचर का हो गया है फिर भी हिंदी माध्यम से प्रारंभिक परीक्षा को ही क्वालीफाई करने वालों की संख्या ही बहुत कम है हिंदी माध्यम के उम्मीदवार अंग्रेजी कंप्रीहेंशन में ही फंस जाते हैं अंग्रेजी से भय और अंग्रेजी कंप्रीहेंशन की अंग्रेजी का उच्च स्तर इन कारणों से अधिकांश उम्मीदवार पहला पड़ाव ही पार नहीं कर पाते, दूसरी सबसे बड़ी समस्या मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन के चार पेपर हो जाने पर उच्च स्तरीय पुस्तकों के अभाव में भी समस्या को बढ़ाया है । लेकिन मेरा मानना है कि यदि सब कारण यदि सत्य भी हो तो भी यह सदैव स्मरण करना चाहिए कि यह भारत की ये भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा है जो आप से अपार धैर्य मेहनत और सटीक रणनीति की मांग करती है वंदना शिवा इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि अपार धैर्य परिश्रम और जुनून से हर नामुमकिन सा दिखने वाला कार्य भी संभव किया जा सकता है ।

आखिर आप सांचो में ढलने आए हैं या सांचे बदलने यह अब आपको तय करना है ।

कवि दुष्यंत जी की यह पंक्तियां यही संदेश दे रही है कि कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो । देश की 41% जनसंख्या की भाषा हिंदी है ऐसे में आवश्यकता यह जानने की है कि वाकई हिंदी माध्यम के साथ किसी प्रकार का भेदभाव हो रहा है या सिर्फ दुष्प्रचार।


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