आदर्श आचार संहिता का विकास

-भारत में आदर्श आचार संहिता का विकास

–  दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव को एक उत्सव जैसा माना जाता है जहां एक तरफ देश में चुनाव को लोकतंत्र का पर्व या त्योहार माना जाता है वहीं देश के लोकसभा चुनाव को महापर्व देश का महा त्योहार माना जाता है इस उत्सव में सभी राजनीतिक दल तथा मतदाता मिलकर उत्साह से हिस्सा लेते हैं इस दौरान सभी उम्मीदवार और सभी राजनीतिक दल मतदाताओं के बीच जाते हैं और अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करते हैं लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि उम्मीदवार वोटर्स को अपने पक्ष में करने के लिए गलत तरीके भी अपनाते हैं इन गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता बनाई गई है ,देश के आदर्श आचार संहिता और इसके विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी तथा देश के अब तक के मुख्य निर्वाचन आयुक्त प्रकाशित किए जा रहे हैं जो विभिन्न प्रतियोगिताओं की दृष्टि से उपयोगी होंगे । Adarsh aachar sanhita

-देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी भारत निर्वाचन आयोग की होती है स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र के आधार हैं इसमें मतदाताओं की नीतियां तथा कार्यक्रम को रखने के लिए सभी उम्मीदवारों तथा सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर पर बराबरी का स्तर प्रदान किया जाता है इस संदर्भ में आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य सभी राजनीतिक दलों के लिए बराबरी का समान स्तर उपलब्ध कराना प्रचार अभियानों निष्पक्षता को स्वस्थ रखना दलों के बीच झगड़ों तथा विवादों को टालना है इसका उद्देश्य केंद्रीय राज्यों की सत्ताधारी पार्टी को चुनाव में अनुचित लाभ लेने तथा सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने से रोकना है । Adarsh aachar sanhita

-आदर्श आचार संहिता

लोकतंत्र के लिए भारतीय निर्वाचन प्रणाली का प्रमुख योगदान है एमसीसी राजनीतिक दलों तथा विशेषकर उम्मीदवारों के लिए आचरण और व्यवहार का मानक चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है और नतीजे आने तक जारी रहती है आदर्श आचार संहिता को राजनीतिक दलों और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए आचरण और व्यवहार का पैरामीटर माना जाता है यह संस्था किसी क़ानून के तहत नहीं बनी है बल्कि यह दस्तावेज राजनीतिक दलों की सहमति से अस्तित्व में आया और विकसित हुआ। Adarsh aachar sanhita

– केरल विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ

आदर्श आचार संहिता का सफर सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के तहत बताया गया कि क्या करें और क्या ना करें 1962 के आम चुनाव लोकसभा में पहली बार चुनाव आयोग ने इस संहिता को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में वितरित किया इसके बाद 1967 के लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में पहली बार राज्य सरकार से आग्रह किया गया कि वे राजनीतिक दलों से इसका अनुपालन करने को कहे और ऐसा हुआ भी इसके बाद से लगभग सभी चुनाव में आदर्श आचार संहिता का पालन होता रहा है निर्वाचन आयोग समय-समय पर आदर्श आचार संहिता को लेकर राजनीतिक दलों से चर्चा करता रहता है इसमें सुधार की प्रक्रिया चलती रहे। Adarsh aachar sanhita

– 1968 में निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक की तथा स्वतंत्र निष्पक्ष चुनाव के लिए व्यवहार की न्यूनतम मानक के पालन संबंधी आचार संहिता का वितरण किया था 1974 में कुछ राज्यों की विधानसभा के आम चुनाव के समय उन राज्यों में आयोग ने राजनीतिक दलों को आचार संहिता जारी कि आयोग ने यह सुझाव भी दिया कि जिला स्तर पर जिला कलेक्टर के नेतृत्व में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को सदस्य के रूप में शामिल कर समितियां गठित की जाए ताकि आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों पर विचार किया जा सके तथा सभी दलों तथा उम्मीदवारों द्वारा संहिता के परिपालन को सूचित किया जा सके। Adarsh aachar sanhita

– 1979 में निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों से विचार-विमर्श कर आचार संहिता का दायरा बढ़ाते हुए एक नया भाग जोड़ा जिसमें सत्तारूढ़ दल पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान हुआ ताकि सत्ताधारी दल अन्य पार्टी उम्मीदवारों की अपेक्षा अधिक लाभ उठाने के लिए शक्ति का दुरुपयोग ना करें । Adarsh aachar sanhita

-वर्तमान में आचार संहिता में राजनीतिक दलों तथा उम्मीदवारों के सामान्य आचरण के लिए दिशानिर्देश निजी जीवन पर कोई हमला नहीं सांप्रदायिक भावनाओं वाली कोई अपील नहीं बैठकों में अनुशासन और शिष्टाचार जुलूस सत्तारूढ़ दल के लिए दिशा निर्देश सरकारी मशीनरी तथा सुविधाओं का उपयोग चुनाव के लिए नहीं किया जाएगा मंत्रियों तथा अन्य अधिकारियों द्वारा अनुदान योजना वादे की घोषणा पर प्रतिबंध है मंत्रियों तथा सरकारी पद पर आसीन लोगों को सरकारी यात्रा के साथ चुनाव यात्रा को जोड़ने की अनुमति नहीं है सार्वजनिक कोष की कीमत पर विज्ञापनों के जारी करने पर पाबंदी अनुदानो नई योजनाओं परियोजनाओं की घोषणा नहीं की जा सकती आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले घोषित ऐसी योजनाएं जिनका क्रियान्वयन आरंभ नहीं हो रहा है उन्हें लंबित स्थिति में रखने की आवश्यकता। Adarsh aachar sanhita

– ऐसी प्रतिबंधों के माध्यम से सत्ता में रहने के लाभ को रोका जाता है तथा बराबरी के आधार पर चुनाव लड़ने का अवसर उम्मीदवारों को प्रदान किया जाता है ।

-आदर्श आचार संहिता को देश के विशेष न्यायालय से न्यायिक मान्यता मिली है आदर्श आचार संहिता के प्रभाव में आने की तिथि को लेकर उत्पन्न विवाद पर भारत संघ बनाम हरबंस सिंह जलाल तथा अन्य में 26.04- 2001 को उच्चतम न्यायालय ने निर्णय लिया है कि चुनाव तिथियों की घोषणा संबंधी निर्वाचन आयोग की प्रेस विज्ञप्ति का इस संबंध में वास्तवीक अधिसूचना जारी होने की तिथि से आदर्श आचार संहिता लागू होगी उच्चतम न्यायालय ने निर्णय लिया कि आयोग द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी करने के समय से आदर्श आचार संहिता लागू होगी प्रेस विज्ञप्ति जारी होने के 2 सप्ताह बाद अधिसूचना जारी की जाती है उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय से आदर्श आचार संहिता के लागू होने की तिथि से जुड़ा विवाद हमेशा के लिए समाप्त हो गया इस तरह आदर्श आचार संहिता चुनाव घोषणा की तिथि से चुनाव पूरे होने तक प्रभावी रहती है चुनाव आयोग आदर्श आचार संहिता तथा अन्य उपायों के जरिए चुनाव को निष्पक्ष बनाने के प्रयास लगातार करता रहता है और इसके लिए उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा भी गया है।

-आधुनिक तकनीकों से भी मिल रही है आदर्श आचार संहिता को मजबूती

– आज की आधुनिक और डिजिटल दौर में निर्वाचन आयोग भी तकनीकों का इस्तेमाल कर रहा है आदर्श आचार संहिता को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए पिछले वर्ष चुनाव आयोग ने सीविजन ऐप लॉन्च किया तथा कुछ समय पहले तेलंगाना छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश मिजोरम और राजस्थान के संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में इसका इस्तेमाल लोगों द्वारा किया गया। Adarsh aachar sanhita

– चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट करने में नागरिकों को सक्षम बनाने के लिए तत्कालीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत ने 3 जुलाई 2018 को श्री सुनील अरोड़ा तथा श्री अशोक लवासा के साथ ऐप लॉन्च किया था। Adarsh aachar sanhita

-सिविल चुनाव वाले राज्यों में किसी भी व्यक्ति को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट करने की अनुमति देता है यह अनुमति निर्वाचन घोषणा की तिथि से प्रभावी होती है और मतदान के 1 दिन बाद तक बनी रहती है नागरिक इस ऐप का इस्तेमाल करके कदाचार की घटना देखने की मिनट भर में घटना की रिपोर्ट कर सकते हैं और नागरिकों को शिकायत दर्ज कराने के लिए पीठासीन अधिकारी के कार्यालय की दौड़ नहीं लगानी पड़ती है सिविजल के जरिए चुनाव वाले राज्यों में कोई भी आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की रिपोर्ट कर सकता है इसके लिए उल्लंघन के दृश्य वाली केवल एक फोटो या अधिकतम 2 मिनट की अवधि का वीडियो रिकॉर्ड करके अपलोड करना होता है उलंघन हुआ है इसकी जानकारी जीपीएस के जरिए ऑटोमेटिकली संबंधित अधिकारियों को मिल जाती है। Adarsh aachar sanhita

-देश में अब तक के मुख्य निर्वाचन आयुक्त

नाम कार्यकाल
सुकुमार सेन 21 मार्च 1950 – 19 दिसंबर 1958
के. वी. के. सुंदरम 20 दिसंबर 1958 – 30 सितंबर 1967
एस. पी. सेन वर्मा 01 अक्टूबर 1967 – 30 सितंबर 1972
डॉ. नागेंद्र सिंह 01 अक्टूबर 1972 – 6 फरवरी 1973
टी. स्वामीनाथन 07 फरवरी 1973 – 17 जून 1977
एस.एल. शकधर 18 जून 1977 – 17 जून 1982
आर. के. त्रिवेदी 18 जून 1982 – 31 दिसंबर 1985
आर. वी. एस. पेरिशास्त्री 01 जनवरी 1986 – 25 नवंबर 1990
श्रीमती वी. एस. रमा देवी 26 नवंबर 1990 – 11 दिसंबर 1990
टी. एन. शेषन 12 दिसंबर 1990 – 11 दिसंबर 1996
एम. एस. गिल 12 दिसंबर 1996 – 13 जून 2001
जे. एम. लिंगदोह 14 जून 2001 – 7 फरवरी 2004
टी. एस. कृष्णमूर्ति 08 फरवरी 2004 – 15 मई 2005
बी. बी. टंडन 16 मई 2005 – 29 जून 2006
एन. गोपालस्वामी 30 जून 2006 – 20 अप्रैल 2009
नवीन चावला 21 अप्रैल 2009 से 29 जुलाई 2010
एस. वाई. कुरैशी 30 जुलाई 2010 – 10 जून 2012
वी. एस संपत 11 जून 2012 – 15 जनवरी 2015
एच. एस. ब्राह्मा 16 जनवरी 2015 – 18 अप्रैल 2015
डॉ. नसीम जैदी 19 अप्रैल 2015 – 05 जुलाई, 2017
श्री ए.के. जोति 06 जुलाई, 2017 – 22 जनवरी 2018
श्री ओम प्रकाश रावत 23 जनवरी 2018 – 01 दिसंबर 2018
श्री सुनील अरोड़ा 02 दिसंबर 2018 – अब तक

Related Post :-

भारतीय संविधान में संशोधन कैसे किए जाते हैं?

अनुच्छेद 35A संविधान का एक अदृश्य हिस्सा

भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं Notes

World Aids Day| विश्व एड्स दिवस : 1 दिसंबर

Lokpal GK से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न

error: Content is protected !!
Don`t copy text!