पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान सिविल सेवा मुख्य परीक्षा सिलेबस

      पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान

सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 

प्रश्‍न-पत्र-1

1. पशु पोषण :

1.1 पशु के अंदर खाद्य ऊर्जा का विभाजन । प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष उष्‍मामिति। कार्बन-नाइट्रोजन संतुलन एवं तुलनात्‍मक वध विधियां। रोमंथी पशुओं, सुअरों एवं कुक्‍कुटों में खाद्य का ऊर्जामान व्‍यक्‍त्‍ करने के सिद्धांत। अनुरक्षण, वृद्धि, सगर्भता , स्‍तन्‍य स्‍त्राव तथा अंडा, ऊन, एवं मांस उतपादन के लिए ऊर्जा आवश्‍यकताएं।
1.2 प्रोटीन पोषण में नवीनतम प्रगति। ऊर्जा-प्रोटीन सम्‍बन्‍ध। प्रोटीन गुणता का मूल्‍यांकन । रोमंथी आहार में NPN यौगिकों का प्रयोग। अनुरक्षण, वृद्धि, सगर्भता, सतन्‍य स्‍त्राव तथा अंडा, ऊन एवं मांस उत्‍पादन के लिए प्रोटीन आवश्‍यकताएं।

1.3 प्रमुख एवं लेश खनिज-उनके स्‍त्रोत, शरीर क्रियात्‍मक प्रकार्य एवं हीनता लक्षण। विषैले खनिज। खनिज अंत:क्रियाएं। शरीर में वसा-घुलनशील तथा ज्‍वलनशील खनिजों की भूमिका, उनके स्‍त्रोत एवं हीनता लक्षण।

1.4 आहार संयोजी-कीथेन संदमक, प्राबायोटिक, एन्‍जाइम, ऐन्टिबायोटिक्‍स , हार्मोन, ओलिगो शर्कराइड, ऐन्टिऑक्‍सडेंट, पयसीकारक, संच संदमक, उभयरोधी, इत्‍यादि । हार्मोन एवं ऐन्टिबायोटिक्‍स   जैसे वृद्धिवर्धकों का उपयोग एवं दुष्‍प्रयोग नवीनतम संकल्‍पनाएं।

15 चारा संरक्षण। आहार का भंडारण एवं आहार अवयव। आहार प्रौद्योगिकी एवं आहार प्रसंस्‍करण में अभिनव प्रगति। पशु आहार में उपस्थित पोषणरोधी एवं विषैले कारक। आहार विश्‍लेषण एवं गुण्‍ता नियंत्रण। पाचनीयता अभिप्रयोग-प्रत्‍यक्ष, , अप्रत्‍यक्ष एवं सूचक विधियां । चारण पशुओं में आहार ग्रहण प्रागूक्ति।

16 रोमंथी पोषण में हुई प्रगति। पोषक तत्‍व आवश्‍यकताएं। संतुलित राशन। बछडों, सगर्भा, कामकाजी पशुओं एवं प्रजनन सांडों का आहार । दुधारू पशुओं को स्‍तन्‍यस्राव चक्र की विभिन्‍न अवस्‍थाओं के दौरान आहार देने की युक्तियां। दुग्‍ध संयोजन आहार का प्रभाव। मांस एवं दुग्‍ध उत्‍पादन के लिए बकरीध्/बकरे का आहार। मांस एवं ऊन उत्‍पादन के लिए भेड का आहार ।
17  शूकर पोषण । पोषक आवश्‍यकताएं । विसर्पी, प्रवर्तक, विकासन एवं परिष्‍कारण राशन। बेचरबी मांस उत्‍पादन हेतु शूकर- आहार। शूकर के लिए कम लागत के राशन।

18 कुक्‍कुट पोषण। कुक्‍कुट पोषण के विशिष्‍ट लक्षण। मांस एवं अंडा उत्‍पादन हेतु पोषक आवश्‍यकताएं। अंडे देने वालों एवं ब्रौलरों की विभिन्‍न श्रेणियों के लिए राशन संरूपण।

Agriculture Science Civil Services Main Examination syllabus in Hindi

2   पशु शरीर क्रिया विज्ञान :

21  रक्‍त की कार्यिकी एवं इसका परिसंचरण, श्‍वसन :- उत्‍सर्जन। स्‍वास्‍थ्‍य एवं रोगों में अंत: स्रावी ग्रंथि।

22   रक्‍त के घटक- गुणधर्म एवं प्रकार्य- रक्‍त कोशिका रचना- हीमोग्‍लोबिन संश्‍लेषण एवं रसायनकी – प्‍लाज्‍मा प्रोटीन उत्‍पादन, वर्गीकरण एवं गुणधर्म, रक्‍त का स्‍कंदन :- रक्‍त स्रावी विकार- प्रतिस्‍कंदक रक्‍त समूह – रक्‍त मात्रा – प्‍लाज्‍मा विस्‍तारक – रक्त में उभयरोधी प्रणाली। जैव रासायनिक परीक्षण एवं रोग- निदान में उनका महत्‍व।

23   परिसंचरण– हृदय की कार्यिकी, अभिहृदय चक्र, हृदयध्‍वनि, हृदस्‍पंद, इलेक्‍ट्रोकार्डियोग्राम। हृदय का कार्य और दक्षता – हृदय प्रकार्य में आयनों का प्रभाव- अभिहृद पेशी का उपापचय, हृदय का तंत्रिका – नियमन एवं रासा‍यनिक नियम, हृदय पर ताप एवं तनाव का प्रभाव, रक्‍त दाब एवं अतिरिक्‍त दाब, परासरण नियमन, धमनी स्‍पंद, परिसंचरण का वाहिका प्रेरक नियमन, स्‍तब्‍धता। हृद एवं फुप्‍फुस परिसंचरण, रक्‍त मस्तिष्‍क रोध – मस्तिष्‍क तरल- पक्षियों में परिसंचरण।

24   श्‍वसन- श्‍वसन क्रिया विधि, गैसों का परिवहन एवं विनिमय- श्रवसन का तंत्रिका नियंत्रण, रसोग्राही, अल्‍पआक्‍सीयता, पक्षियों में श्‍वसन।

25  उत्‍सर्जन- वृक्‍क की संरचना एवं प्रकाय्र – मूत्र निर्माण- वृक्‍क प्रकार्य अध्‍ययन विधियां – वृक्‍कीय- अम्‍ल – क्षार संतुलन नियमन: मूत्र के शरीरक्रियात्‍मक घटक – वृक्‍क पात- निश्‍चेष्‍ट शिरा रक्‍ताधि क्‍य – चूजों में मू- स्रवण – स्‍वेदग्रंथ्यिां एवं उनके प्रकार्य । मूत्रीय दुष्क्रिया के लिए जैवरासायनिक परीक्षण।

26 अंत: स्रावी ग्रंथियों – प्रकार्यात्‍मक दुष्क्रिया उनके लक्षण एवं निदान। हार्मोनो का संश्‍लेषण, स्रवण की क्रियाविधि एवं नियंत्रण – हार्मो‍नीय – ग्राही- वर्गीकरण एवं प्रकार्य।

27  वृद्धि एवं पशु उत्‍पादन – प्रसव पूर्व एवं प्रसव पश्‍चात् वृद्धि , परिपक्‍वता, वृद्धिवक्र, वृद्धि के माप, वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक, कान्‍फार्मेशन, शारीरिक गठन, मांस गुणता ।
28  दुग्‍ध उत्‍पाद की कार्यिकी/ जनन एवं पाचन- स्‍तन विकास के हार्मोनीय नियंत्रण की वर्तमान स्थिति, दुग्‍ध स्‍त्रवन एवं दुग्‍ध निष्‍कासन, नर एवं मादा जनन अंग, उनके अवयव एवं प्रकार्य । पाचन अंग एवं उनके प्रकार्य।

29 पर्यावरण कार्यिकी- शरीर क्रियात्‍मक सम्‍बन्‍ध एवं उनका नियमन, अनुकूलन की क्रिया विधि, पशु व्‍यवहार में शामिल पर्यावरणीय कारक एवं नियात्‍मक क्रियाविधियां, जलवायु विज्ञान- विभिन्‍न प्राचल एवं उनका महत्‍व । पशु पारिस्थितिकी। व्‍यवहार की कार्यिकी। स्‍वास्‍थ्‍य एवं उत्‍पादन पर तनाव का प्रभाव।

3    पशु जनन :

वीर्य गुण्‍ता संरक्षण एवं कृत्रिम वीर्यरोचन- वीर्य के घटक , स्‍पर्मेटाजोआ की रचना, स्‍खलित वीर्य का भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म, जीवे एवं पात्रे वीर्य को प्रभावित करने वाले कारक। वीर्य उत्‍पादन एवं गुणता को प्रभावित करने वाले कारक। संरक्षण, तनुकारकों की रचना, शुक्राणु संक्रेद्रण, तनुकृत वीर्य का परिवहन। गायों, भेडों, बकरों, शूकरों एवं कुक्‍कुटों में गहन प्रशीतन क्रिया – विधि यां । स्‍त्रीमद की पहचान तथा बेहतर गर्भाधान हेतु वीर्यसेचन का समय। अमद अवस्‍था एवं पुनरावर्ती प्रजनन।

4   पशुधन उत्‍पादन एवं प्रबंध : वाणिज्यिक डेरी फार्मिंग-उन्‍नत देशों के साथ भारत की डेरी फार्मिंग की तुलना। मिश्रित कृषि के अधीन एवं विशिष्‍ट कृषि के रूप में डेरी उद्योग। आर्थिक डेरी फार्मिंग। डेरी फार्म शुरू करना, पूंजी एवं भूमि आवश्‍यकताएं, डेरी फार्म का संगठन । डेरी फार्मिंग में अवसर, डेरी पशु की दक्षता को निर्धारित करने वाले कारक। यूथ अभिलेखन, बजटन, दुग्‍ध उत्‍पादन की लागत, कीमत निर्धारण नीति कार्मिक प्रबंध। डेरी गोपशुओं के लिए व्‍यवहारिक एवं किफायती राशन विकसित करना: वर्ष भर हरे चारे की पूर्ति, डेरी फार्म हेतु आहार एवं चारे की आवश्‍यकताएं। छोटे पशुओं एवं सांडों, बछियों एवं प्रजनन पशुओं के लिए आहार प्रवृत्तियां: छोटें एवं वयस्‍क पशुधन आहार की नई प्रवृत्तियां, आहार अभिलेख।

4.2 वाणिज्यिक मांस, अंडा एवं ऊन उत्‍पादन-भेंड़, बकरी, शूकर, खरगोश एवं कुक्‍कुट के लिए  व्‍यावहारिक एवं किफायती राशन विकसित करना। चारे, हरे चारे की पूर्ति, छोटे एवं परिपक्‍व पशुधन के लिए आहार प्रवृत्तियां। उत्‍पादन बढ़ाने एवं प्रबंधन की नई प्रवृत्तियां। पूंजी एवं भूमि आवश्‍यकताएं एवं सामाजिक आर्थिक संकल्‍पना।
4.3 सूखा, बाढ़ एवं अनय नैसर्गिंक आपदाओं से ग्रस्‍त पशुओं का आहार एवं उनका प्रबंध।

  1. अनुवांशिकी एवं पशु-प्रजनन-

पशु अनुवांशिकी का इतिहास। सूत्री विभाजन एवं अर्धसूत्री विभाजन; मेंडल की वंशागति; मेंडल की आनुवांशिकी से विचलन; जीन की  अभिव्‍यक्ति; सहलग्‍नता एवं जीन-‍विनियमन; लिंग निर्धारण, लिंग प्रभावित एवं लिंग सीमित लक्षण; रक्‍त समूह एवं बहुरूपणता; गुणसूत्र विपथन; कोशिकाद्रव्‍य वंशागति। जीन एवं इसकी संरचना; आनुवांशिकी पदार्थ के रूप में DNA ; अनुवांशिकी कूट एवं प्रोटीन संश्‍लेषण; पुर्नर्योगज DNA प्रौद्योगिकी। उत्‍परिवर्तन, उत्‍परिवर्तन के  प्रकार, उत्‍परिवर्तन एवं उत्‍परिवर्तन दर को पहचानने की विधियां। पारजनन।

5.1 पशुप्रजनन पर अनुप्रयुक्‍त समष्टि आनुवांशिकी-मात्रात्‍मक और इसकी तुलना में गुणात्‍मक विशेषक; हार्डी वीनबर्गनियम; समष्टि और इसकी तुलना  में व्‍यष्टि; जीन एवं जीन प्ररूप बारंबारता; जीन बांरबारता को परिवर्तित करने वाले बल; यादृच्छिक अपसरण एवं लघु समष्टियां; पथ गुणांक का सिद्धांत; अंत:प्रजनन गुणांक आकलन की विधियां, अंत:प्रजनन प्रणालियां, प्रभावी समष्टि आकार; विभिन्‍नता संवितरण; जीन प्रारूप पर्यावरण सहसंबंध एवं जीन प्ररूप पर्यावरण अंत:क्रिया एवं बहु मापों की भूमिका; संबधियों के बीच समरूपता।

5.2 प्रजनन तंत्र पशुधन एवं कुक्‍कटों की नस्‍लें। वंशा‍गतित्‍व, पुनरावर्तनीयता एवं आनुवांशिकत एवं समलक्षणीय सहसंबंध, उनकी आकलन, विधि एवं आकलन, परिशुद्धि; वरण के साधन एवं उनकी संगत योग्‍यताएं; व्‍यष्टि, वंशावली, कुल एवं कुलांतर्गत वरण; संतति परीक्षण, वरण विधियां, वरण विधियों द्वारा अनुवांशिक लब्धियों का तुलनात्‍मक मूल्‍यांकन; अप्रत्‍यक्ष वरण एवं सहसंबधित अनुक्रिया; अंत:प्रजनन, बहि:प्रजनन लाइनों का वाणिज्यिक प्रयोजनों हेतु संकरण: सामान्‍य एवं विशिष्‍ट संयोजन योग्‍यता हेतु वरण: देहली लक्षणों के लिए प्रजनन। सायर इंडेक्‍स।

विस्‍तार- विस्‍तार का आधारभूत दर्शन, उद्येश्‍य, संकल्‍पना एवं सिद्धांत। किसानों को ग्रामीणों दशाओं में शिक्षित करने की विभिन्‍न विधियां। प्रौद्योगिकी अंतरण में समस्‍याएं एवं कठिनाइयां। ग्रामीण विकास हेतु पशुपालन कार्यक्रम।

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