आसियान क्या है?पृष्ठभूमि,स्थापना ,उद्देश्य,सम्मेलन Notes

आसियान दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन क्या है? आसियान एक पृष्ठभूमि-

Association of Southeast Asian Nations ASEAN notes in hindi

आसियान ( Association of Southeast Asian Nations )की स्थापना 8 अगस्त 1962 को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में हुई थी आरंभ में इसके पांच सदस्य थे थाईलैंड मलेशिया इंडोनेशिया सिंगापुर तथा फिलिपिंस बाद में इस संगठन का विस्तार किया गया वर्ष 1984 में ब्रूनेई ने 1995 में वियतनाम 1957 में लाओस और म्यांमार तथा 1999 में कंबोडिया ने आसियान की सदस्यता ग्रहण की। इस प्रकार वर्तमान में आसियान में 10 सदस्य राष्ट्र हैं आसियान का मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है आसियान ने 2007 में अपना चार्टर भी अंगीकार कर लिया है इसका मुख्य उद्देश्य दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र में आर्थिक सहयोग और विकास को प्रोत्साहन करना है। शीत युद्ध की राजनीति का शिकार होने के कारण इस काल में आसियान कोई प्रगति नहीं कर पाया लेकिन शीत युद्ध की समाप्ति के उपरांत आसियान ने क्षेत्रीय सहयोग और विकास की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है वर्तमान में क्षेत्रीय संगठन विश्व की उभरती हुई आर्थिक शक्ति बन गया है आसियान के 10 देशों का कुल क्षेत्रफल 4.46 मिलियन किलोमीटर है जो पृथ्वी के कुल क्षेत्रफल का 3% है 2018 में इस संगठन के सभी देशों की कुल जनसंख्या 651 मिलीयन है जो विश्व की कुल जनसंख्या का 8.8% है 2018 में आसियान देशों का कुल सकल घरेलू उत्पाद 3 ट्रिलियन डॉलर था तथा आसियान अर्थव्यवस्था विश्व की आठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है । Association of Southeast Asian Nations ASEAN notes in hindi

ASEAN के उद्देश्य-

-1967 में घोषित बैंकॉक घोषणा के अनुसार इस संगठन के निम्नलिखित उद्देश्य है 

-सदस्य राष्ट्रों में आर्थिक वृद्धि सामाजिक उन्नति तथा सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देना ।

-दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र में शांति तथा स्थिरता को सुनिश्चित करना आसियान के सदस्य राष्ट्रों को शांतिपूर्वक तरीकों से अपने मतभेदों पर चर्चा करने और समाधान का अवसर प्रदान करना।

– सदस्य राष्ट्रों में सामाजिक आर्थिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना

– आसियान देशों में शैक्षणिक व्यवसायिक तकनीकी तथा प्रशासनिक मामलों में प्रशिक्षण व सुविधाओं के लिए एक दूसरे को सहायता प्रदान करना 

-दक्षिण पूर्वी एशिया में विकास और सहयोग के लिए आवश्यक शोध और अध्ययन को उत्साहित करना ।

-समान उद्देश्य वाले विश्व के अन्य क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ घनिष्ठ व लाभकारी संबंध विकसित करना तथा उनके साथ सहयोग हेतु संभावनाओं का पता लगाना ।

-आसियान शैली आसियान देशों का पहला सम्मेलन फरवरी 1976 में इंडोनेशिया के बाली में संपन्न हुआ इस सम्मेलन में सदस्य राष्ट्रों के शीर्ष नेताओं ने दक्षिण पूर्व एशिया सद्भाव और कानकार्ड पर हस्ताक्षर किए। जिनका  स्थायित्व व आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना था। उल्लेखनीय है कि सद्भाव और सहयोग की संधि द्वारा कतिपय सिद्धांतों को निर्धारित किया गया जो आज भी आसियान की कार्यप्रणाली का आधार है तथा इन सिद्धांतों को आसियान शैली की संज्ञा दी जाती है ।

आसियान शैली की विशेषताएं है 

-सभी राष्ट्र की स्वतंत्रता समानता क्षेत्रीय अखंडता तथा राष्ट्रीय पहचान को पारस्परिक सम्मान प्रदान करना बाहरी हस्तक्षेप तथा धमकी के बिना प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को अपना स्वतंत्र राष्ट्रीय अस्तित्व बनाए रखने का अधिकार।

– एक दूसरे के आंतरिक मामलों में अहस्तक्षेप 

-आपसी विवादों का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान करना ।

-सदस्य राष्ट्र द्वारा दूसरे सदस्यों के विरुद्ध शक्ति के प्रयोग या उसकी धमकी से दूर रहना।

– सदस्य राष्ट्रों के बीच प्रभावी सहयोग को सुनिश्चित करना।

 आसियान शैली के सिद्धांतों का परिणाम यह हुआ कि आसियान विपक्षी राजनीतिक व सैनिक विवादों म उलझेें बिना आर्थिक प्रगति और सहयोग के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में सफल रहा है।

भारत तथा आसियान बहुआयामी साझेदारी 

-उत्तर शीत युद्ध काल में भारत की विदेश नीति में 2 क्रांतिकारी बदलाव दिखाई देते हैं पहला अमेरिका के साथ कनिष्ठ सामरिक संबंधों का विकास तथा दूसरा पूर्वी एशिया के देशों के साथ बहुआयामी साझेदारी का प्रयास इन्हें क्रांतिकारी बदलाव इसलिए कहा जाता है क्योंकि शीत काल में इस तरह के बदलाव की कल्पना नहीं की जा सकती थी पूर्वी एशिया के देशों के साथ भारत की ऐतिहासिक धार्मिक तथा सांस्कृतिक संबंध रहे हैं साथ ही इस क्षेत्र में किसी देश के साथ भारत के द्विपक्षीय विवाद और अन्य मतभेद भी नहीं है इसी कारण पिछले 25 वर्षों में भारत और आसियान के संबंध तेजी से विकसित हुए हैं ।यह संबंध भारत की पूर्व की ओर देखो की नीति के अंतर्गत विकसित हुए हैं तथा समकालीन संदर्भ में भारत की इस नीति को भारत की सर्वाधिक सफल नीति माना जा सकता है शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भारत द्वारा 1991 में पूर्व की ओर देखो की नीति की घोषणा की गई इसके अंतर्गत 1992 में ही भारतीय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा की 1992 में ही भारत को आसियान में आंशिक वार्ताकार के रूप में शामिल किया गया। 1996 में भारत को आसियान में पूर्ण वार्ताकार राष्ट्र के रूप में भागीदारी का अवसर प्राप्त हो गया इसी वर्ष संबंधों को सुदृढ़ बनाने के लिए आसियान भारत संयुक्त सहयोग परिषद की स्थापना की गई इसका उद्देश्य दोनों के मध्य सहयोग के क्षेत्र और उपायों का पता लगाना था। उसी वर्ष दोनों पक्षों के व्यापारिक समूह के मध्य सहयोग के लिए आसियान भारत व्यवसाय परिषद की स्थापना की गई दोनों ने पारस्परिक सहयोग की तीन क्षेत्रों विकास विज्ञान और तकनीकी तथा व्यापार और निवेश में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए तीन अलग-अलग कार्य दलों का गठन किया ।इस समय भारत के प्रति आसियान के आकर्षण का प्रमुख कारण था कि आसियान के देश आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे थे तथा उन्हें भारत में उपलब्ध बड़ा बाजार तकनीकी क्षमता तथा भारत की निरंतर आर्थिक प्रगति आपसी सहयोग के लिए प्रेरित कर रही थी ।

-प्रथम भारत आसियान शिखर सम्मेलन

आसियान और भारत के सहयोग के दूसरे चरण की शुरुआत तब हुई जब 2001 में दोनों ने आपसी सहयोग को उच्च स्तर पर गति प्रदान करने के लिए नियमित वार्षिक शिखर सम्मेलन के आयोजन का निर्णय लिया इसके परिणाम स्वरूप वर्ष 2002 में कंबोडिया के शहर नाम पेन्ह में में प्रथम भारत आसियान शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया तब से लेकर अब तक प्रतिवर्ष भारत आसियान शिखर सम्मेलन नियमित रूप से संपन्न हो रहे हैं भारत आसियान शिखर सम्मेलन 2017 में फिलीपींस की राजधानी मनीला में आयोजित किया गया था जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था मोदी ने आसियान के सभी देशों को 26 जनवरी 2018 को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित किया है इसके पहले भी भारत ने दिसंबर 2012 में संबंधों की वर्षगांठ के अवसर पर भारत में भारत आसियान शिखर सम्मेलन का आयोजन किया था। 2014 में इन देशों के साथ साझेदारी के कार्यक्रम में अधिक सक्रियता लाने के लिए इस नीति का नाम बदलकर एक्ट ईस्ट कर दिया क्योंकि इन देशों की शिकायत थी कि भारत द्वारा साझेदारी के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में देरी की जाती है। पूर्व की ओर देखो के अंतर्गत इन देशों के साथ व्यापारिक संबंधों पर विशेष ध्यान दिया गया लेकिन बाद में संबंधों को भी प्रमुखता प्रदान की गई शिखर सम्मेलन दोनों की शुरुआत की वर्षगांठ पर 20 दिसंबर 2012 को भारत और आसियान का विशेष शिखर सम्मेलन दिल्ली में आयोजित किया गया जिसमें आसियान सदस्यों के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया इस शिखर सम्मेलन की थीम थी शांति तथा सहभागी संपन्नता में भागीदारी ।

इस सम्मेलन में दोनों पक्षों ने अपने संबंधों को सामरिक समझदारी के सहमति व्यक्त की इसी क्रम में भारत ने आसियान देशों के सभी शासनअध्यक्षों ने 26 जनवरी 2018 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया इस अवसर पर दिल्ली में ही आसियान भारत रजत जयंती स्मारक शिखर सम्मेलन का आयोजित किया गया ।इस शिखर सम्मेलन की मुख्य थीम थी साझे मूल्य समान भविष्य।

 भारत आसियान सामरिक साझेदारी- भारत आसियान सामरिक साझेदारी के बहुआयामी तथा पारस्परिक रूप से लाभकारी है इसकी मुख्य बिंदु निम्न है Association of Southeast Asian Nations ASEAN notes in hindi

– ASEAN आर्थिक सहयोग

आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में मुख्य रूप से व्यापार और निवेश से संबंधित सहयोग को शामिल किया जाता है पिछले 2 वर्षों में दोनों के मध्य व्यापार में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है 1990 में दोनों के मध्य कुल व्यापार 22.2 मिलीयन डॉलर था जो कि 2009 में बढ़कर 40 मिलियन डॉलर हो गया तथा वर्ष 2017 में भारत आसियान व्यापार बढ़कर 74 बिलियन डॉलर हो गया दोनों पक्षों ने 2020 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक ले जाने का निर्णय लिया है 1980 में भारत के कुल निर्यात में आसियान का हिस्सा 3.6% था जबकि वर्तमान में यह बढ़कर 6% हो गया है ।व्यापार के क्षेत्र में दोनों के मध्य सहयोग की महत्वपूर्ण उपलब्धि दोनों पक्षों द्वारा अगस्त 2009 में

भारत आसियान मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया जाना है इस समझौते में दोनों पक्षों ने व्यापार की जाने वाली 4000 वस्तुओं पर व्यापार शुल्क को न्यूनतम स्तर पर करने का फैसला लिया है। भारत और आसियान के बीच 2012 में सेवा क्षेत्र में भी एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं यह समझौता 2015 में प्रभाव में आया है इस समझौते से दोनों पक्षों के बीच सेवा क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा मिल सकेगा आसियान के साथ आर्थिक सहयोग का दूसरा पहलू एक दूसरे के यहां पूंजी निवेश से संबंधित है 1991 में पूंजी निवेश कम थी वर्तमान में आसियान देशों और भारत के बीच द्विपक्षीय पूंजी निवेश तेजी से बढ़ रहा है। Association of Southeast Asian Nations ASEAN notes in hindi

– ASEAN सामरिक सहयोग

सामरिक सहयोग आसियान के साथ भारत के सहयोग का एक उभरता हुआ पहलू सुरक्षा संबंधी मामलों में सहयोग है आसियान द्वारा इस क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श हेतु 1994 में आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना की गई थी वर्तमान में आसियान क्षेत्र में सुरक्षा की मुख्य समस्याएं मलक्का की खाड़ी में समुद्री डकैती की बढ़ती घटनाएं हथियारों और नशीली दवाओं की तस्करी तथा समुद्री मार्गों की सुरक्षा और आतंकवाद है इन क्षेत्रों में भारत और आसियान के मध्य सहयोग की संभावनाएं मौजूद है 15 वे भारत आसियान शिखर सम्मेलन 2017 के दौरान अपने संबोधन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र के सुरक्षा ढांचे में आसियान की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित किया था। दक्षिण चीन सागर में एक तरफ चीन तथा दूसरी तरफ उसके पड़ोसियों तथा अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के कारण क्षेत्र का सामरिक महत्व बढ़ गया है भारत ने अभी तक इस मामले में अमेरिका के पक्ष का समर्थन किया है तथा दक्षिण चीन सागर में सभी देशों को नौ वाहन की स्वतंत्रता का समर्थन किया है। Association of Southeast Asian Nations ASEAN notes in hindi

 मनीला में आयोजित 15 वे भारत आसियान शिखर सम्मेलन 2017 के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने इस क्षेत्र में 4 देशों में भारत ऑस्ट्रेलिया जापान तथा अमेरिका के बीच सामरिक सहयोग बढ़ाने की है जिसका चीन ने विरोध किया है सहयोग की इस पहल को क्वॉड के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसमें चार देश शामिल है वास्तव में चीन इस क्षेत्र में भारत की भूमिका का समर्थक है जबकि अमेरिका तथा आसियान के देश भारत की बड़ी भूमिका के पक्षधर है ।कुल मिलाकर भारत की पूर्व की ओर देखो नीति महत्वपूर्ण हो गया है Association of Southeast Asian Nations ASEAN notes in hindi

– ASEAN सहयोग के अन्य क्षेत्र

पिछले 25 वर्षों में भारत और आसियान के बीच साझेदारी का विकास हुआ है वर्तमान में दोनों पक्ष संपर्ककता आपदा प्रबंधन शिक्षा संस्कृति विकास आदि क्षेत्रों में विकास को आगे बढ़ा रहे हैं तथा भारत और आसियान के बीच ऐतिहासिक सांस्कृतिक संबंध रहे हैं भारतीय बौद्ध धर्म और संस्कृति आसियान देशों में आज भी लोकप्रिय है आसियान के सहयोग से ही  भारत के बिहार राज्य में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है ।भारत इन देशों की सांस्कृतिक धरोहरों के सरंक्षण में भी सहयोग कर रहा है ।आसियान के कम विकसित सदस्यों को सीएलएमवी के नाम से जाना जाता है जिनमें चार देश कंबोडिया लाओस म्यांमार तथा वियतनाम शामिल है भारत ने इन देशों के साथ विकास साझेदारी को मजबूत करने का प्रयास किया है इसके अंतर्गत मानव संसाधन विकास कौशल विकास तथा क्षमता विकास के कार्यक्रम को क्रियान्वित किया जा रहा है ।

-निष्कर्ष

नवंबर 2018 में सिंगापुर में संपन्न हुए 16 वे भारत आसियान शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया तथा आर्थिक सहयोग के साथ साथ सामरिक संबंधों को मजबूत बनाने पर बल दिया। आसियान के साथ ही भारत इसके सहयोगी उपक्रम पूर्वी एशिया सम्मेलन तथा इसकी सुरक्षा व्यवस्था आसियान क्षेत्रीय मंच में भी सक्रिय सहभागिता कर रहा है ।पिछले 25 वर्षों में भारत और आसियान देशों के साथ व्यापारिक आर्थिक विकास साझेदारी सांस्कृतिक आदि क्षेत्रों में व्यापक सहयोग को बढ़ाने में सफलता मिली है ।वर्तमान में भारत आसियान की बढ़ती हुई बहुआयामी साझेदारी भारत की पूर्व की ओर देखो नीति की सफलता द्योतक है। Association of Southeast Asian Nations ASEAN notes in hindi

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