अजोला की खेती कैसे करे ?

-कृषि में एजोला उत्पादन और उसकी उपयोगिता

 एजोला एक छोटा जलीय फर्न है जिस की पंखुड़ियों में सूक्ष्म जीवाणु रहते हैं जो स्थिर पानी से ऊपर तैरता हुआ पाया जाता है यह तालाबों पोखरो झीलों दलदल भूमियों गड्ढों तथा धान के खेतों में उगता है। यह पानी के ऊपर वृद्धि कर मोटी हरी चटाई सी सतह बना लेता है इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन अमीनो एसिड विटामिन तथा खनिज पाए जाते हैं फर्न के जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन का योगिक करण करते हैं Azolla filiculoides article

– अजोला की कई प्रजातियां है

जैसे एजोला कैरोलिनियाना एसोला निलोटिका,एसोला फिलिकुलाइड्स, एजोला मेक्सिकाना ,एजोला माइक्रोफिला तथा अकोला पिन आटा आदि एजोला पिनाटा भारत में सबसे ज्यादा पाया जाता है।

-एजोला की पत्तियों बहुत छोटी तथा मोटर  में होती है इन पत्तियों के अंदर सहजीवी सायनोबैक्टीरिया ब्लू ग्रीन एलगी पाया जाता है जिसे एनाबीना एजोली कहते हैं जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करने में सहायक है एजोला शैवाल का गठबंधन अद्भुत है क्योंकि दोनों ही फोटोसिंथेटिक सहजीवी तथा नाइट्रोजन स्थिरीकरण में प्रभावी है एजोला में नाइट्रोजन स्थिरीकरण की ज्यादा क्षमता तेज वृद्धि ज्यादा जीवांश होने के कारण एक जैव उर्वरक बायोफर्टिलाइजर है एजोला 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर धान के खेत को उपलब्ध कराता है एजोला में औसतन 94% पानी 1% फास्फोरस पोटेशियम कैल्शियम मैंगनीज आयरन तथा 5% नाइट्रोजन होती है ।

-उत्पादन विधि

एजोला का उत्पादन छोटी-छोटी क्यारियों में धान के खेत तालाब फेब्रिकेटिड टैंको कंक्रीट सीमेंट टैंक पॉलीथिन लाइन पिट्स गड्ढो आदि में कर सकते हैं । Azolla filiculoides article

-हरे चारे के रूप में एजोला का उत्पादन एजोला उत्पादन के लिए 5 मीटर लंबा 1 मीटर चौड़ा तथा 8 से 10 इंच गहरा पक्का सीमेंट टैंक बना ले टैंक की लंबाई और चौड़ाई आवश्यकता अनुसार घटाई बढ़ाई जा सकती है सीमेंट टैंक के स्थान पर जमीन को समतल करके उस पर इंटो को बिछाकर एक आयताकार टेक्नो मा गड्ढा बना ले गड्ढे में 150 ग्राम मोटी यूबी उपचारित सिलपॉलिन सीट को गड्ढे में बिछाकर चारों तरफ के किनारे की दीवारों को सीट से ढक कर ईट आदि से दबा दें यह टैंक या गड्ढा छायादार स्थान पर होना चाहिए 

-टैंक में लगभग 40 किलोग्राम खेत की साफ-सुथरी छनी हुई मिट्टी को समान रूप से बिखेर दे

– लगभग 4 से 5 किलो ग्राम 2 दिन पुराने गोबर तथा 50 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट को 20 लीटर शुद्ध पानी में घोल बनाकर डाल दे 

– टैंक में 7 से 10 सेंटीमीटर पानी  भरदे तथा  एजोला के अच्छे उत्पादन के लिए इतना पानी हमेशा बना रहना चाहिए 

-एक से डेढ़ किलोग्राम शुद्ध मटर एजोला कल्चर को पानी के ऊपर गुबारे से पानी का छिड़काव तुरंत करें 

-10 से 12 दिन में एजोला पानी के ऊपर समान रूप से फेल कर मोटी चटाई दिखाई देने लगता है

– टैंक में गोबर और खनिज से पोषक तत्व एजोला द्वारा अवशोषित हो जाते हैं इसलिए सप्ताह में एक बार दोबारा गोबर और खनिज का घोल टैंक में अवश्य मिला दे 

-मवेशी के उपयोग हेतु निकाले गए अजोला को दो से तीन बार शुद्ध पानी से अच्छी तरह से धो लें जिससे गोबर की गंद एजोला से निकल जाए  Azolla filiculoides article

-कार्बनिक खाद के रूप में अजोला का उत्पादन

धान की रोपाई से पहले खेत को एजोला

 उत्पादन हेतु प्रयोग कर सकते हैं

– खेत को अच्छी तरह से समतल कर 20 मीटर * 20 मीटर की क्यारी बनाकर ऊंची मेड और सिंचाई हेतु नाली बना ले 

-इन क्यारियों में 10 सेंटीमीटर पानी भर देता 10 किलोग्राम गोबर को 20 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति क्यारी में डालें 

-चार चार दिन के अंतराल पर सौ सौ ग्राम सुपर फास्फेट को 3 बार में प्रत्येक क्यारी में डालें 

-8 किलो ग्राम शुद्ध मदर एजोला कल्चर को प्रति क्यारी के हिसाब से छिड़काव करें 

-लगभग 7 दिन बाद 100 ग्राम कार्बोफ़्यूरान को प्रति क्यारी के हिसाब से कीड़े मकोड़ों को रोकने के लिए छिड़काव करें इस तरह से 15 दिन बाद लगभग 100 किलोग्राम अजोला कल्चर प्रति क्यारी प्राप्त किया जा सकता है।

आवश्यकता अनुसार दोबारा उपयुक्त विधि द्वारा उत्पादन किया जा सकता है 

-प्रयोग विधि Azolla filiculoides article

एजोला का प्रयोग खेतों में दो तरह से किया जा सकता है जैसे एजोला का प्रयोग हरी खाद के रूप में –

-जहां धान की रोपाई से पहले खेत में पानी उपलब्ध रहता है वहां एजोला का प्रयोग सही खाद के रूप में किया जा सकता है

– 1 टन एजोला कल्चर प्रति हेक्टेयर की दर से जिस खेत में धान लगाया जाना है उस खेत मे 5 से 10 सेंटीमीटर पानी भरकर छिड़क दें 25 से 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से सुपर फास्फेट का दो से तीन बार में तथा 2 से 3 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से कार्बोफ़्यूरान का प्रयोग कीटनाशक के रूप में करें 

-2 से 3 सप्ताह बाद खेत में एजोला की मोटी परत चटाई बन जाने पर एजोला को जुताई कर मिट्टी में मिला लें और धान की रोपाई करें 

-10 से 20 टन एजोला हरी खाद के रूप में तथा 20 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन उपलब्ध कराता है ।

-एजोला का प्रयोग इसके अतिरिक्त निम्न प्रकार से भी धान के खेत में किया जा सकता है

– धान की रोपाई के लगभग 1 सप्ताह बाद खेत में पानी भरकर एजोला कल्चर को 0.5-1.0 टन प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें ।

-सुपर फास्फेट को 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से धान के खेत में दो से तीन बार उपयोग करें 

-15 से 20 दिन बाद खेत में एजोला की मोटी परत बन जाने पर एजोला को मिट्टी में मिला लें।

– एजोला 8 से 10 दिन में पूरी तरह से सड़क गल जाता है और 35 दिनों में  67% नाइट्रोजन उपलब्ध कराता है।

– एजोला प्रयोग से लाभ 

-धान की खेती में प्रयोग से लाभ धान के क्षेत्र में एजोला का प्रयोग करने से लगभग 40 से 80 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर स्थिरीकरण करता है जिससे 40 से 80 किलोग्राम नाइट्रोजन की बचत होती है तथा धान की औसत उपज में 15 से 20% की वृद्धि होती है । Azolla filiculoides article

-एजोला धान के पौधों को नाइट्रोजन तथा अन्य पोषक तत्व उपलब्ध कराता है यह भूमि में ऑर्गेनिक कार्बन नाइट्रोजन फास्फोरस तथा अन्य कई पोषक तत्वों की मात्रा में वृद्धि करता है यह धान के खेत में उपलब्ध सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे आयरन मैग्नीज तथा जिंक को घुलनशील अवस्था में लाकर वृद्धि करता है एजोला में कार्बोहाइड्रेट तथा वसा ना होने के कारण इसका मानव द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है।

-एजोला की मोटी परत खरपतवार को उगने से रोक देती है इसकी कंपोस्ट खाद बनाई जा सकती है जिसे साग सब्जी की फसलों में प्रयोग कर सकते हैं

-एजोला मिट्टी के भौतिक तथा रासायनिक गुणों में वृद्धि करता है अजोला बेड की 6 माह बाद 2 किलोग्राम मिट्टी लगभग 1 किलो रासायनिक एनपीके फर्टिलाइजर के बराबर कार्य करती है ।

-मवेशियों के चारे के रूप में उपयोग करने से लाभ- एजोला को दूध देने वाली पालतू मवेशियों को चारे के रूप में खिलाने से दूध की मात्रा और गुणवत्ता में वृद्धि होती है ताजे शुद्ध एजोला को व्यावसायिक चारे में बराबर मात्रा में मिलाकर दूध देने वाले मवेशियों को प्रतिदिन खिलाने से 15 से 20% दूध के उत्पादन में अतिरिक्त वृद्धि होती है तथा 20 से 50% व्यवसाय में खपत होती है ।

-एजोला को मुर्गी बत्तख सूअर तथा मछली पालन में चारे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है

– एजोला पोल्ट्री बर्ड्स को खिलाने से पोल्ट्री बर्ड्स का बहुत तेजी से विकास होता है 10 से 12% वजन अन्य साधारण चारा खाने वाली चिड़ियों से अधिक बढ़ जाता है एजोला खाने वाली चिड़ियों के अंडे के आकार और गुणवत्ता में वृद्धि होती है । Azolla filiculoides article

-एजोला के उत्पादन में सावधानियां

एजोला में मुख्यतः पाई निमपुला तथा किरोनोमास प्रजाति की बीमारी लगती है इनको रोकने के लिए कार्बोफ़्यूरान 50 ग्राम प्रति 100 किलोग्राम शुद्ध नीम केक नीम ऑयल 200 पीपीएम प्रयोग करें

-राएजोक्टोनिया सोलानी फ्यूजेरियन स्क्लेरोटियम राईजोपस द्वारा कवक बीमारियों से अजोला उत्पादन में बहुत बड़ी समस्या हो जाती है इसकी रोकथाम के लिए फफूंद नाशक के रूप में बाउस्टिंन को 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में इस्तेमाल कर सकते हैं ।

-निष्कर्ष उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि एजोला पानी में रहने वाला एक फर्न है जो पानी संग्रहित दलदली भूमि में पैदा होता है इसकी पंखुड़ियों में पाए जाने वाले जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन का योगीकरण कर धान जैसी फसलों की उपज बढ़ाकर जैव उर्वरक की अहम भूमिका निभाता है देश की धान राज्य जैसे धान का कटोरा छत्तीसगढ़ राज्य उड़ीसा पश्चिम बंगाल बिहार आदि हेतु एजोला जैव उर्वरक के रूप में प्रयोग कर धान का उत्पादन बढ़ाया जाता है जिसकी 21वीं सदी में एक महत्वपूर्ण आवश्यकता भी है यद्यपि केन्द्रीय धान अनुसन्धान कटक  उड़ीसा के निदेशक डॉक्टर हिमांशु पाठक धान की खेती में उर्वरक के प्रयोग और प्रसार पर भी विशेष ध्यान रखते हैं देश में वर्ष 2017-2018 में 4th AE में धान का उत्पादन 11.29 करोड टन हुआ। Azolla filiculoides article


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