संविधान सभा Notes

संविधान सभा Notes –

Constituent assembly Notes in Hindi

कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन जुलाई 1940 में हुआ 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की बैठक में कांग्रेस भी शामिल हुई यद्यपि वह उसकी कई धाराओं से असहमत थी संविधान सभा का पहला अधिवेशन डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में 9 दिसंबर 1940 को प्रारंभ हुआ सभा के सदस्यों में कांग्रेस के 5 भूतपूर्व सदस्य। प्रांतीय कांग्रेस समितियों के 11 अध्यक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम लीग कार्यसमिति के 8 सदस्य मुस्लिम लीग की प्रांतीय समिति के 2 अध्यक्ष प्रांतों के 8 मुख्यमंत्री 10 मंत्री 155 विधानसभा सदस्य हिंदू महासभा के तीन भूतपूर्व अध्यक्ष तथा उद्योगपति कुलपति पत्रकार लेखक थे । Constituent assembly Notes in Hindi

11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष बनाए गए 22 दिसंबर 1940 को पंडित जवाहरलाल नेहरू का द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव के साथ ही संविधान निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ 3 वर्ष की अवधि में संविधान सभा की बैठक मात्र 161 दिन हुई कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार गठित संविधान सभा की कई सीमाएं थी सभा का गठन ब्रिटिश सम्राट के निर्देशानुसार गवर्नर जनरल द्वारा किया गया था ।इस प्रक्रिया में संविधान सभा जो संविधान बनाती उसे ब्रिटिश संसद के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाता था। इधर ब्रिटेन द्वारा भारत में सुशासन के विकास की कल्पना स्पष्ट रूप से ब्रिटिश डोमिनियन के रूप में की गई थी लेकिन 15 अगस्त 1947 को भारत के स्वतंत्र होने पर सभी सीमाएं समाप्त हो गई ।  Constituent assembly Notes in Hindi



भारत और पाकिस्तान का दो राष्ट्रों में विभाजित हो जाने के कारण भारतीय संविधान सभा की संरचना को पुनः गठित करना पड़ा पहले इस की सदस्य संख्या में कमी की गई क्योंकि सिंध बलूचिस्तान उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत बंगाल पंजाब तथा असम के सिलहट जिले के प्रतिनिधि भारत की संविधान सभा के सदस्य नहीं रह गए पश्चिमी बंगाल और पूर्वी पंजाब के प्रांतों में नए निर्वाचन हुए ।संविधान सभा की बैठक जब 31 अक्टूबर 1947 को हुई तो सदन की सदस्यता घटकर 299 ही रह गयी।इनमें से 284 सदस्य ही 26 नवंबर 1949 को उपस्थित थे जिन्होंने अंतिम रूप से पारित संविधान पर अपने हस्ताक्षर किए । Constituent assembly Notes in Hindi

संविधान निर्माण प्रक्रिया में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य प्रारूप समिति ने किया जिसकी स्थापना 29 अगस्त 1947 को की गई प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर थे। प्रस्ताव को शामिल करते हुए भारतीय संविधान का प्रारूप प्रस्तुत किया इसे फरवरी 1948 में प्रकाशित किया गया संविधान के प्रारूप पर संविधान सभा द्वारा विचार करने की प्रक्रिया 17 अक्टूबर 1949 को पूर्ण हुई तृतीय वाचन हेतु संविधान सभा की बैठक 14 नवंबर 1949 को प्रारंभ हुई और यह वाचन 26 नवंबर 1949 को समाप्त हुआ ।सभा के सभापति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इसी तिथि को संविधान पर हस्ताक्षर करके उसे पारित घोषित कर दिया । Constituent assembly Notes in Hindi

लेकिन कोई भी संविधान केवल अपनी संविधान सभा के द्वारा नहीं बनता भारत की संविधान सभा इतनी विविधता पूर्ण थी कि वह सामान्य ढंग से काम ही नहीं कर सकती थी उसके पीछे उन सिद्धांतों पर आम सहमति ना होती जिन्हें संविधान में रखा जाना था ।इन सिद्धांतों पर स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सहमति बनी एक तरह से संविधान सभा केवल उन सिद्धांतों को मूर्त रूप और आकार दे रही थी जो उसने राष्ट्रीय आंदोलन से विरासत में प्राप्त किए थे इस तरह संविधान सभा द्वारा संविधान बना दिया गया जिसे 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत किया गया 26 जनवरी 1950 को औपचारिक रूप से इस संविधान को लागू किया गया ।

इस तरह संविधान निर्माताओं की बुद्धिमता और दूरदृष्टि का परिणाम है कि वे देश को ऐसे स्थान दे सके जिसमें जनता द्वारा मान्य आधारभूत मूल्य और सर्वोच्च आकांक्षाओं को स्थान दिया गया था यही वो कारण है जिसकी वजह से इतनी जटिलता से बनाया संविधान ना केवल अस्तित्व में है बल्कि एक जीवन सच्चाई भी है ।जबकि दुनिया के अन्य सभी संविधान कागजी पोथो मैं ही दबकर रह गए यद्यपि भारतीय संविधान में समय स्थान व परिस्थितियों में परिवर्तन के साथ साथ सामाजिक गतिशीलता को समायोजित करने हेतु 90 से अधिक संशोधन भी किए गए और अन्य संशोधन अपने संसदीय संविधान की प्रक्रिया की कतार में भी है ।

संविधान सभा की समितियां –

प्रथम भारतीय संविधान सभा का गठन 1946 में कैबिनेट मिशन लॉर्ड पैथिक लोरेंस सर स्टेपड़े क्रिप्स व एबी एलेग्जेंडर की अनुशंसा पर किया गया था। संविधान बनाने के लिए संविधान सभा ने सबसे पहले 13 समितियों का गठन किया इन समितियों ने अगस्त 1947 तक अपनी अपनी रिपोर्ट पेश की और उसके पश्चात उन रिपोर्ट पर संविधान सभा ने विचार किया। उसके बाद बी एन राव ने संविधान सभा द्वारा किए गए निर्णय के आधार पर संविधान का पहला प्रारूप तैयार किया । इसी तैयार करने में सर बीएन राव ने लगभग 3 महीने लगाए संविधान के प्रथम प्रारूप में 240 अनुच्छेद तथा 13 अनुसूचियां थी । Constituent assembly Notes in Hindi

जिनमें निम्न समितियां अत्यधिक महत्वपूर्ण थी –

  • संघीय शक्ति समिति -इस 9 सदस्य समिति के अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू थे 
  • प्रांतीय संविधान समिति- इस 25 सदस्य समिति के अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल थे 
  • संघीय संविधान समिति -इस 15 सदस्य समिति के अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू थे 

संचालन समिति -डॉ के एम मुंशी की अध्यक्षता में श्री गोपाल स्वामी आयंगर व श्री विश्वनाथ दास जैसे सदस्यों से निर्मित 3 सदस्य समिति थी मौलिक अधिकार व अल्पसंख्यक संबंधी समिति यह सरदार वल्लभभाई पटेल की अध्यक्षता वाली 54 सदस्य समिति थी समितियों में सबसे महत्वपूर्ण प्रारूप समिति थी। के सभापति डॉक्टर अंबेडकर थे वह इस समिति का मुख्य कार्य संविधान को अंतिम रूप प्रदान करना था । Constituent assembly Notes in Hindi

प्रारूप समिति- संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार डॉ बी एन राव द्वारा तैयार किए गए संविधान के प्रारूप पर विचार करने के लिए संविधान सभा ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को किया जिसके निम्न सदस्य थे अध्यक्ष डॉ बी आर अंबेडकर Constituent assembly Notes in Hindi



संविधान सभा की आलोचना –

  • 1.यह प्रतिनिधि निकाय नहीं थी-आलोचकों ने दलील दी है कि संविधान सभा प्रतिनिधि सभा नहीं थी क्योंकि इसके सदस्यों का चुनाव भारत के लोगों द्वारा वयस्कमताधिकार के आधार पर नहीं हुआ था । Constituent assembly Notes in Hindi
  • 2.संप्रभुता का अभाव आलोचकों का कहना है कि संविधान सभा एक संप्रभु निकाय नहीं थी क्योंकि इसका निर्माण ब्रिटिश सरकार के प्रस्ताव के आधार पर हुआ यह भी कहा जाता है कि संविधान सभा अपनी बेठको से पहले ब्रिटिश सरकार से इजाजत लेती थी ।
  • 3.समय की बर्बादी आलोचकों के अनुसार संविधान सभा ने इसके निर्माण में जरूरत से कहीं ज्यादा समय ले लिया उन्होंने कहा कि अमेरिका के संविधान निर्माताओं ने मात्र 4 माह में अपना काम पूरा कर लिया था ।
  • 4.कांग्रेस का प्रभुत्व आलोचकों का आरोप है कि संविधान सभा में कांग्रेसियों का प्रभुत्व था ब्रिटेन के संविधान विशेषज्ञ ग्रैनविल ऑस्टिन ने टिप्पणी की संविधान सभा एक दलीय देश का एक दलीय निकाय है सभा ही कांग्रेस है और कांग्रेसी भारत है ।
  • 5.वकीलों और राजनीतिज्ञों का प्रभुत्व- यह भी कहा जाता है कि संविधान सभा में वकीलों और नेताओं का बोलबाला था उन्होंने कहा कि समाज के अन्य वर्गों को प्रर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला। उनके अनुसार संविधान के आकार और उसकी जटिल भाषा के पीछे भी यही मुख्य कारण था। Constituent assembly Notes in Hindi
  • 6. हिंदुओं का प्रभुत्व कुछ आलोचकों के अनुसार संविधान सभा में हिंदुओं का वर्चस्व था। लॉर्ड विस्काउंट ने उसे हिंदुओं का निकाय कहा इसी प्रकार वेस्टर्न चर्चिल ने टिप्पणी की की संविधान सभा ने भारत के केवल एक बड़े समुदाय का प्रतिनिधित्व किया ।

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