यूरोपियन यूनियन व ब्रेक्जिट का परिचय

-यूरोपियन यूनियन में ब्रेक्जिट का संकट 

-द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व में जितने भी क्षेत्रीय सहयोग संगठन बने हैं उनमें यूरोपीय यूनियन को क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण का सफलतम उदाहरण माना जाता है यूरोपियन यूनियन ही एकमात्र क्षत्रिय संगठन है जिसे एक स्वतंत्र विधिक अस्तित्व प्राप्त है जिसके कारण यूरोपियन यूनियन किसी भी मंच और संगठन का किसी देश की भांति स्वतंत्र रूप से सदस्य भी बन सकता है इसी आधार पर यूरोपीय यूनियन वैश्विक संगठन जी-20 का सदस्य बना हुआ है यूरोपियन यूनियन अपनी तमाम सफलताओं के बीच कई तनाव का सामना कर रहा है पहला 2008 में आई वैश्विक मंदी के कारण इसके सदस्य में आर्थिक और वित्तीय संकटों के साथ ही उसके समाधान को लेकर मतभेद भी उभर आए थे दूसरा इसी तरह 2014 के यूरोपीय शरणार्थी संकट के समय में इसके सदस्यों में मतभेद सामने आया यह शरणार्थी मध्य पूर्व के देशों में आई राजनीतिक अस्थिरता के चलते यूरोप के देशों में पलायन कर रहे थे जहां यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी ने इस संबंध में उदारवादी नीति का समर्थन किया वहीं अधिकांश यूरोपीय देशों ने शरणार्थियों को रोकने के लिए उदारवादी नीतियों का अनुसरण किया तीसरा संकट ब्रेकजीट का संकट है ब्रेक्जिट अंग्रेजी भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है पहले दो अक्षर ब्रिटेन का संकेत है तथा बाद के चार अक्षर अर्थात एग्जिट ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से अलग होने की प्रक्रिया का संकेत देता है अर्थात ब्रेक्जिट का तात्पर्य यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने की प्रक्रिया से है । European union and brexit hindi

-ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से क्यों अलग होना चाहता है

वर्तमान में ब्रिटेन जर्मनी के बाद दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है सबसे अहम सवाल यह है कि जब यूरोपियन यूनियन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से ही यूरोप के विकास तथा आपसी सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है तो ब्रिटेन को उससे अलग होने की क्या आवश्यकता है वास्तव में ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन का समुदाय का संस्थापक देश नहीं है ब्रिटेन ने 1973 में यूरोपीयन समुदाय की सदस्यता ग्रहण की थी इस समय ब्रिटेन यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था लेकिन 1989 में जर्मनी के एकीकरण के बाद तेजी से विकास कर जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई इसी बीच फ्रांस ने भी अपनी अर्थव्यवस्था का विकास किया है तथा उसकी अर्थव्यवस्था का आकार ब्रिटेन के ही बराबर है तथा कभी भी वह ब्रिटेन को अपदस्थ कर यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान ग्रहण कर सकता है ब्रिटेन के नेताओं और जनता के मन में यह विश्वास उपज रहा है कि यूरोप के अन्य देशों के हितों की कीमत पर अपना विकास कर रहे हैं तथा यूरोपियन यूनियन में बने रहने से ब्रिटेन को फायदा नहीं हो पा रहा है उधर बदलते परिवेश में यूरोपियन यूनियन में जर्मनी और फ्रांस का महत्व अधिक बढ़ रहा है इन परिस्थितियों में ब्रिटेन में समय-समय पर यूरोपियन यूनियन छोड़ने की मांग उठती रहती है सबसे पहली बार 1973 में ब्रिटेन में समुदाय से अलग होने की मांग उठी थी लेकिन उसी वर्ष संपन्न हुए जनमत संग्रह में ब्रिटेन की जनता ने संगठन में बने रहने के पक्ष में मतदान किया था। European union and brexit hindi

– ब्रेक्जिट की वर्तमान प्रक्रिया

इसी तरह वर्तमान में भी यूरोपियन यूनियन छोड़ने की मांग जोर पकड़ती रही है इसी के चलते 2013 में ब्रिटेन के तत्कालीन रूढ़ीवादी पार्टी के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने यूरोपियन यूनियन छोड़ने के प्रश्न पर जनमत संग्रह कराने का आश्वासन दिया था उन्होंने 2 वर्ष तक इस प्रश्न को टालने का प्रयास किया अंत में 23 जून 2016 को इस प्रश्न पर ब्रिटेन में जनमत संग्रह कराया गया जनमत संग्रह में 52% जनता ने यूरोपियन यूनियन छोड़ने के पक्ष में अपना मत किया तथा 48% लोगों ने इसके विरोध में अपना मत दिया इस मतदान संग्रह में प्रधानमंत्री कैमरन ने यूरोपियन यूनियन में बने रहने के पक्ष में अपना समर्थन और प्रचार किया था परिणामत जनमत संग्रह में अपनी हार के कारण उन्होंने 24 जून को ही अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था उनके स्थान पर रूढ़िवादी पार्टी की दूसरी नेता थेरेसा में को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया यूरोपियन यूनियन के नियमों के अनुसार किसी भी सदस्य को अपनी सदस्यता समाप्त करने के लिए कम से कम 2 साल पहले छोड़ने की इच्छा की अधिकारिक सूचना यूरोपियन यूनियन के कार्यकारी अंग यूनियन काउंसिल को देनी होती है उसके बाद सदस्य देश और यूरोपियन यूनियन के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर होते हैं नोटिस देने के 2 महीने के अंदर उस देश को सदस्यता छोड़नी पड़ती है इस समझौते में छोड़ने वाले सदस्य देश और यूरोपियन यूनियन के बीच भविष्य के संबंधों का उल्लेख होता है European union and brexit hindi

इस प्रक्रिया के अंतर्गत ब्रिटेन ने यूरोपियन यूनियन की सदस्यता छोड़ने के लिए 30 मार्च 2017 को नोटिस दे दिया था इसके बाद यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन के बीच 25 नवंबर को सदस्यता छोड़ने पर हस्ताक्षर भी हो गए थे 585 पेज के इस समझौते को ब्रेकजीट डील के नाम से जाना जाता है लेकिन ब्रिटेन द्वारा इस समझौते को लागू करने के लिए अपनी संसद की स्वीकृति की आवश्यकता थी नियमानुसार यह कार्य नोटिस की अवधि के 2 वर्ष के अंदर अर्थात 29 मार्च 2019 तक किया जाना था हालांकि यूरोपीयन यूनियन इस अंतिम अवधि को 2 बार पहली बार 12 अप्रैल 2019 तक तथा दूसरी बार 31 अक्टूबर 2019 तक बढ़ा चुका है ब्रेकजीट की असली चुनौती यही सामने आए क्योंकि ब्रिटेन की संसद इस समझौते को स्वीकृत नहीं कर पा रही है इसका कारण है कि समझौते के स्वरूप और शर्तों को लेकर सत्ताधारी रूढ़ीवादी पार्टी और विपक्षी लेबर पार्टी के बीच गहरे मतभेद हैं इतना ही नहीं सत्ताधारी पार्टी के अंदर भी इन शर्तों को लेकर लेकर मतभेद है लेकिन यूरोपीय यूनियन स्पष्ट कर चुकी है कि वह समझौते की शर्तों में कोई बदलाव नहीं करेगी। European union and brexit hindi

 -यूरोपियन यूनियन एक परिचय

– द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में आर्थिक एकीकरण और सहयोग की प्रक्रिया का आरंभ हुआ इस क्रम में सबसे पहले 1950 में यूरोप के 6 देशों बेल्जियम इटली फ्रांस पश्चिमी जर्मनी लक्जमबर्ग और नीदरलैंड्स द्वारा यूरोपियन कोयला और स्टील समुदाय की स्थापना की गई इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के राष्ट्रीय कोयला और स्टील उद्योगों पर केंद्रीकृत नियंत्रण की व्यवस्था करना था इसके बाद 1957 में रोम की संधि के द्वारा यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना की गई इस संगठन का मुख्य उद्देश्य इसके सदस्य देशों के मध्य व्यापार तथा अन्य आर्थिक कार्यों में सहयोग को पढ़ाना था रोम संधि के द्वारा ही कस्टम यूनियन तथा आण्विक ऊर्जा के विकास में सहयोग हेतु यूरोपीय आणविक ऊर्जा समुदाय की स्थापना की गई इसके बाद यूरोपीय एकीकरण की प्रक्रिया का विकास 2 दिशाओं में हुआ इस प्रक्रिया में शामिल देशों की संख्या का विस्तार तथा एकीकरण के ढांचे में बदलाव तथा परिस्थितियों के अनुसार उसका विस्तार इसके लाभों से प्रेरित होकर अन्य यूरोपीय देशों ने भी इसकी सदस्यता ग्रहण की 1973 में ब्रिटेन डेनमार्क तथा आयरलैंड ने यूरोपीय आर्थिक समुदाय की सदस्यता ग्रहण की वास्तव में यूरोपीय आर्थिक समुदाय की सदस्यता में सर्वाधिक विस्तार शीत युद्ध की समाप्ति के बाद हुआ सोवियत साम्यवादी व्यवस्था की समाप्ति के बाद पूर्वी यूरोप के देशों तथा सोवियत संघ से टूट कर आए नए गणराज्य देशों को उसमें शामिल किया गया इसके परिणाम स्वरूप यूरोपीय संघ के सदस्य बनने के बाद इसकी कुल सदस्य संख्या 28 हो गई वर्तमान में 28 देश इसके सदस्य हैं संगठन में बदलाव की दृष्टि से 1993 में लागू की गई मॉस्ट्रिक्ट सन्धि सर्वाधिक महत्वपूर्ण है इस संधि के द्वारा यूरोपीय आर्थिक समुदाय का नाम बदल दिया गया इसमें से आर्थिक शब्द को हटाकर इसका नाम केवल यूरोपीय समुदाय कर दिया गया इसके बाद 1997 में लागू की गई एमस्टरडम संधि था। European union and brexit hindi

2001 में प्रभावी नाइस संधि द्वारा इसके अंगों के आपसी अधिकार क्षेत्र में बदलाव किया गया यूरोपीय एकीकरण के ढांचे में बदलाव की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण संधि 2007 में हस्ताक्षरित लिस्बन संधि है 1 दिसम्बर 2009 को अस्तित्व में आई तथा इस संधि के अस्तित्व में आते ही पूर्व की सभी सन्धियाँ समाप्त हो गई इस संधि के द्वारा सबसे महत्वपूर्ण बदलाव था कि समुदाय का नाम बदलकर यूरोपीय संघ कर दिया गया था उसे एक स्वतंत्र कानूनी व्यक्तित्व प्रदान किया गया इस संधि ने देशों के सहयोग से संबंधित विषय के अधिकार क्षेत्र को तीन भागों में विभाजित कर दिया गया पहले भाग में यूरोपीय संघ के एकमात्र अधिकार क्षेत्र में आने वाले पांच विषयों को शामिल किया गया कस्टम यूनियन सदस्य देशों के आंतरिक बाजार के संचालन हेतु आवश्यक प्रतियोगिता नियमों का निर्धारण करना उन सदस्य देशों की मौद्रिक नीति का निर्धारण सामान्य मछली उत्पादन नीति के अंतर्गत समुद्री जैविक संसाधनों के संरक्षण के मामले तथा सदस्य देशों के लिए सामान्य व्यवसायिक नीति इस भाग में उन मामलों को शामिल किया गया है जिन पर यूरोपीय संघ तथा सदस्य राष्ट्रों को साझा अधिकार क्षेत्र प्राप्त हैं सदस्य देशों के आंतरिक व सामाजिक नीति आर्थिक सामाजिक एकता समुद्री जैविक संसाधनों को लेकर कृषि उत्पादन पर्यावरण उपभोक्ता संरक्षण यातायात यूरोपीय नेटवर्क स्वतंत्रता तथा न्याय के क्षेत्र तथा जन स्वास्थ्य सुरक्षा के मामले तीसरे भाग में वे मामले शामिल हैं जिनके बारे में सदस्य राज्यों को सहयोग देने के लिए उनकी मांग के अनुसार उनकी पहल पर कार्यवाही कर सकता है मानवीय स्वास्थ्य का सुधार और उद्योग सरंक्षण शिक्षा युवा खेल कूद और व्यावसायिक प्रशिक्षण नागरिक सुरक्षा तथा प्रशासनिक सहयोग वर्तमान में यूरोपियन यूनियन का यही स्वरूप लागू है। European union and brexit hindi

-मतभेद किन बिंदुओं पर है

– ब्रिटेन में विभिन्न दलों और संसद सदस्यों के मध्य निम्न बिंदुओं को लेकर गहरे मतभेद हैं।

– विदेशी नागरिकों के अधिकार जब ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन में शामिल था तो बड़ी संख्या में दूसरे सदस्य देशों के नागरिक ब्रिटेन में बस गए हैं तथा इसी प्रकार ब्रिटेन के नागरिक दूसरे सदस्य देशों में बस गए हैं इन नागरिकों को प्रत्येक स्थान पर सदस्य देशों में समान अधिकार और सुविधाएं प्राप्त हैं अब जब ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग हो रहा है तो इस बात की व्यवस्था होनी आवश्यक है कि भविष्य में इन नागरिकों की सुविधाओं की क्या स्थिति होगी प्रस्तावित समझौते में ब्रिटेन में रह रहे दूसरे देशों के नागरिकों को वहां स्थाई रूप से निवास करने का और काम करने का अधिकार दिया गया है लेकिन ब्रिटेन के संसद सदस्य इस शर्त को मानने के लिए तैयार नहीं है ।

-उत्तरी आयरलैंड की बैकस्टॉप व्यवस्था उल्लेखनीय है कि उत्तरी आयरलैंड ब्रिटेन के अधीन है जबकि इसका दक्षिणी हिस्सा अर्थात दक्षिणी इंग्लैंड आयरलैंड एक स्वतंत्र देश है उत्तरी आयरलैंड के नागरिक ब्रिटेन से स्वतंत्र होकर दक्षिण आर्यलैंड के साथ एकीकरण की मांग करते रहते हैं 1998 में ब्रिटेन की सरकार दक्षिणी आयरलैंड तथा उत्तरी आयरलैंड के प्रतिनिधियों के बीच एक समझौता हुआ जिसमें दोनों आयरलैंड के बीच खुले बॉर्डर को रखने की व्यवस्था की गई थी जब  ब्रिटेन तथा दक्षिण आयरलैंड दोनों ही यूनियन के सदस्य हैं तो खुला बॉर्डर की समस्या नहीं आती लेकिन ब्रिटेन के यूनियन से अलग होने के बाद दोनों के बीच बॉर्डर बनाए रखना कठिन होगा इस बात को लेकर संसद के सदस्यों में गंभीर मतभेद हैं यदि ब्रिटेन खुला बॉर्डर को समाप्त करने की बात उठाता हैं तो 1998 के समझौते का उल्लंघन माना जाएगा तथा यदि खुला बार्डर बनाएे रखता है तो उससे तस्करी था अवैध आवाजाही की समस्या उत्पन्न हो सकती है । European union and brexit hindi

-वित्तीय जवाबदेही ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से अलग होने के बाद समझौते के अंतर्गत दोनों ओर से वित्तीय जवाबदेही भी निर्धारित की गई है लेकिन ब्रिटेन की संसद के सदस्य इस जवाबदेही को कम करने की मांग कर रहे हैं तथा यूरोपीय यूनियन इसके लिए तैयार नहीं है ।

-ब्रिटिश संसद में ब्रेक्जिट उक्त विवादास्पद बिंदुओं के कारण ब्रेक्जिट समझौता ब्रिटेन की संसद में पारित नहीं हो पा रहा है 2017 के चुनाव में रूढ़िवादी पार्टी की नेता ने जनमत के साथ दोबारा सत्ता में आई थी लेकिन विभिन्न दल और सदस्यों के बीच इन बिंदुओं पर चल रही गंभीर मतभेदों के कारण ब्रिटेन की संसद में तीन बार 15 जनवरी 2019 12 मार्च 2019 29 मार्च 2019 को ब्रेकजीट समझोते को अस्वीकार किया जा चुका है 23 जुलाई 2019 को अपनी असफलता स्वीकार कर थेरेसा में ने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था उसी दिन रूढ़िवादी पार्टी के दूसरे नेता बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने लेकिन बोरिस जॉनसन के सामने भी पुरानी चुनौती बरकरार है ब्रिटेन की संसद इस तरह विभाजित है कि किसी भी एक विकल्प पर उसका बहुमत प्राप्त नहीं है।

निष्कर्ष

ब्रेक्जिट ब्रिटेन के लिए एक जटिल समस्या बन गया है 2016 से अब तक दो प्रधानमंत्री अपना पद गंवा चुके हैं वर्तमान प्रधानमंत्री जॉनसन भी संसद में ब्रेक्जिट के विषय पर कोई एकमत तैयार नहीं कर सकते हैं वर्तमान में बड़ी हुई समय सीमा के अनुसार ब्रिटेन को 31 अक्टूबर 2019 तक संसद की अनुमति प्राप्त करनी है अन्यथा की स्थिति में बिना किसी समझौते के ही ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग हो जाएगा तथा ऐसी स्थिति में ब्रिटेन के संबंधों की यूनियन के साथ विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अंतर्गत संचालित होंगे ब्रिटेन को तमाम आर्थिक और राजनीतिक कठिनाई का सामना भी करना पड़ेगा जहां एक और यूरोपियन यूनियन समझौता की शर्तों को बदलने के लिए तैयार नहीं है वही ब्रिटिश नेतृत्व ना तो समझौते को स्वीकार कर पा रहा है ना ही बिना समझौते के यूरोपियन यूनियन से अलग होने के लिए तैयार हैं द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक ब्रिटेन ने कभी भी इतनी बड़ी अनिश्चितता का सामना नहीं किया है। European union and brexit hindi


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