जरूरी नहीं है घर को पुस्तकालय बनाने की
प्रशासनिक शक्ति, प्रभाव एवं नियंत्रण के कारण सिविल सेवकों का समाज में बहुत अधिक सम्मान है। सामाजिक सम्मान एवं मान्यता के साथ-साथ अच्छा वेतन एवं अन्य सुविधाओं के साथ ही कैरियर की सुरक्षा लोकसेवक बनने की अभिलाषाओं को और हवा दे देती है। भारतीय युवाओं एवं युवतियों पर टीएनशेषन और किरण बेदी का प्रभाव आज भी बरकरार है। वर्तमान में अपने चार्मिंग करियर के कारण आज यह सेवा सभी युवाओं को आकर्षित करता है। चाहे डॉक्टर हो, इंजीनियर हो या फिर वकील ही क्यों न हो, हर किसी की अभिलाषा रहती है कि सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईएस या आईपीएस बने। लेकिन इस परीक्षा में किसी भी छात्र की सफलता उसकी बनायी गई रणनीति और अध्ययन शैली पर निर्भर करती है।
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र, इस परीक्षा को ध्यान में रखकर लिखी गई सैकड़ों पुस्तकों के कारण भ्रम की स्थिति में रहते हैं कि किन पुस्तकों का अध्ययन करें और किसे छोड़े। इस अध्ययन की रूपरेखा तय करने में विद्यार्थी को स्वविवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। सिविल सेवा परीक्षा में अभ्यार्थियों से किसी भी विषय पर गहन जानकारी की उम्मीद की जाती है, और इसके लिए यह आवश्यक नहीं कि छात्र एक ही विषय पर कई पुस्तकों का अध्ययन करें, बल्कि आवश्यकता यह है कि वे विषय को समझे और किसी मानक पुस्तक से पढ़कर उस पर अपना स्वयं का विचार प्रस्तुत करें, क्योंकि मौलिक लेखन और मौलिक चिंतन दोंनो ही सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने का मूल सूत्र है।
सामान्यत: सिविल सेवा परीक्षा में जो प्रश्न पूछे जाते हैं उसके अध्ययन से यह स्पष्ट है कि कोई भी प्रश्न किसी खास पुस्तक से नहीं पूछे जाते हैं। और न ही छात्र किसी विशेष पुस्तक से पढ़े विषयों को सीधे-सीधे अपने उत्तर में लिख सकते हैं। अत: आवश्यकता है कि स्वयं के विचारों को सरल एवं सहज भाषा में अपने उत्तर में प्रस्तुत किया जाए, तभी सफलता प्राप्त होगी। कई छात्र एक ही विषय पर कई लेखकों की पुस्तकों को खरीद लेतें है। वे शायद इस भ्रम में रहते हैं कि अमुक पुस्तक को पढ़ने से शायद वो प्रश्न का उत्तर ज्यादा बेहतर तरीके से लिख पाएगें, जबकि वास्तविकता इससे काफी परे होती है। इस विषय को हम इस उदाहरण से बड़े आसानी से समझ सकते हैं, कि अगर हमें अपने घर से किसी निश्चित स्थान के लिए जाना है, और वहां तक पहुँचने के एक से अधिक रास्ते हैं, तो हमें सदा एक ही और छोटे मार्ग को चुनना चाहिए ताकि हम आसानी से अपनी मंजिल तक पहुँच सके। अगर हम निरंतर मार्ग में बदलाव करेंगें तो हो सकता है, हम अपने लक्ष्य तक देरी से पहुँचे और अगर मार्ग ज्यादा तंग एवं संकीर्ण गलियों वाला होगा तो हो सकता है हम पहुँच ही न पाएं। इसलिए सदा वैसे मार्ग को चुनना चाहिए जो हमें आसानी से मंजिल तक पहुँचा दे।
सिविल सेवा में आमतौर पर छात्र पुस्तकों की इन्ही तंग एवं संकीर्ण गलियों में फंस जाते हैं और अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। तैयारी के दौरान छात्रों को विषय से संबंधित उन्हीं मानक पुस्तकों एवं नोट्स का अध्ययन करना चाहिए जिनके तथ्य प्रमाणिक हो और जिनमें विशेषनात्मक तरीकों से विषयों को लिखा गया हो। बाजारीकरण के इस दौर में आज बाजार में हर ओर सस्ती और अप्रमाणिक चीजों को अत्याधिक आकर्षक बनाकर प्रस्तुत किया जा रहा है। पुस्तक बाजार भी इससे अछूता नहीं हैं। जिस प्रकार की पुस्तक आज बाजार में उपलब्ध हैं उसको देखने से यह प्रतीत होता है कि छात्रों को इसके चयन में ज्यादा सावधानी रखनी होगी। क्योंकि बाजारवाद के इस दौर में अगर छात्र भ्रमित हों जाते हैं जिनमें आपके पूर्व ज्ञान की परख नहीं की जाती है वरन् गद्यांश के लेखक के विचारों को समझना होता है। और यह तभी समझ सकते हैं जब आपने अधिकाधिक अध्ययन का अभ्यास डाला है। इस रणनीति के माध्यम से आप गद्यांश के अधिकाधिक प्रश्नों को हल कर सकते हैं।
निर्णयन तो बस आपकी योग्यता परीक्षण है।
न सिर्फ प्रशासन व प्रबंधन में बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में भी निर्णयन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कभी-कभी आपने, लोगों को कहते सुना होगा कि ‘अगर मैंने तब ये निर्णय न लिया होता तो आज ये नौबत न आती’ यह सब कहने की जरूरत तब पड़ती है जब सही निर्णय न लिया गया हो। इसलिए चाहे जिन्दगी हो प्रशासन या प्रबंधन, सही व शीघ्र निर्णयन होना जरूरी है। विद्वान हर्बर्ट साइमन ने निर्णयन की महत्ता को समझते हुए इसे ‘प्रशासन के ह्दय’ की संज्ञा दी है।
सामान्यत: निर्णयन के तीन चरण होते हैं-
- प्रथम: इस चरण में समस्या का निर्धारण किया जाता है।
- द्वितीय: इस चरण में समस्या के समाधान के लिए विकल्पों को विकास किया जाता है।
- तृतीय: इस चरण में सबसे अच्छे विकल्प को निर्णयन के रूप में चुन लिया जाता है।
सिविल सेवा प्रा. परीक्षा में आपसे परिस्थितिजन्य प्रश्न पूछे जाते हैं, जैसे कि ‘आप एक जिले के कलेक्टर हो, आप सुबह ऑफिस पहुंचे और आपको पता चला कि जिले में दो सम्प्रदायों के बीच साम्प्रदायिक तनाव पैदा हो गया है तो इस स्थिति में आप क्या करेंगे
- आप तुरन्त संघर्ष स्थल पर पहुंचकर दोनों समुदायों के नेताओं से भेंट करेंगे।
- आप इस मामले में गौश्र करने के लिए जिले के एस.पी. को निर्देश देंगे।
- आप संभागीय आयुक्त को सूचित कर, उनके निर्देशों का इन्तजार करेंगे।
- आप स्थिति का जायजा और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए एसपी. व वरिष्ठ अधिकारियों की मीटिंग बुलायेंगे।
प्रश्न के रूप में आपके पास समस्या है तथा चार विकल्प हैं। इन चार विकल्पों में से सर्वोत्तम विकल्प आपको समस्या समाधान हेतु चुनना है। विकल्प तर्क आधारित तथा अधिकतम कल्याणकारी होना चाहिए।
चूंकि एक सिविल सेवक से अपेक्षा होती है कि वह तर्क पर आधारित शीघ्र व कल्याणकारी निर्णय लेगा। अत: इसलिए निर्णयन से संबंधित प्रश्नों द्वारा अभ्र्यथी की निर्णयन संवंधी क्षमताओं के साथ ही अभ्यर्थी की र्इमानदारी, मूल्यों व सत्यनिष्ठा का परीक्षण किया जाता है। आधुनिक प्रशासनिक समस्याओं को तर्क और सामान्य बुद्धि का प्रयोग करके, हल करने की क्षमता का भी परीक्षण किया जाता है।
सिविल सेवाप प्रा. परीक्षा में लगभग 6 प्रश्न निर्णयन से पूछे जाते हैं। निर्णयन से संबंधित प्रश्नों के लिए नेगेटिव मार्किंग नहीं की जाती। अत: आप बिना किसी दवाब व तनाव के धैर्यपूर्वक इन प्रश्नों को हल कर सकते हैं। इसके द्वारा आपकी प्रशासनिक योग्यता का परीक्षण किया जाता है कि आप निर्णयन में तर्कपूर्ण व्यवहार का आचरण करते हो कि नहीं। निर्णयन व्यवहारिक ज्ञान का पहलू है अत: परीक्षा में समय तर्क व व्यवहारिक ज्ञान का प्रयोग करते हुए निर्णयन के प्रश्नों को हल करना चाहिए।
Important Books for IAS |
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Topics | Author’s Name |
INDIAN ECONOMY | NCERT’s (old, 11th & 12th stds.) |
S.N. Lal’s | |
Mishra & Puri/ Dutt & Sundaram | |
MODERN HISTORY | Old NCERT’s (11th& 12th stds. ) |
Bipin Chandra’s book | |
Sumit Sarkar’s book | |
WORLD HISTORY | Deenanath Verma’s |
Akhil Murthy’s | |
INDIAN ART & CULTURE | Spectrum Publications |
SOCIAL ISSUES | NCERT’S books (11th & 12th stds. Books) |
Ram Ahuja’s | |
INDIAN GEOGRAPHY | Oxford School Atlas |
Orient Longman | |
K.Siddharatha’s Map book | |
NCERT’s (11th & 12th books) | |
Mahesh Barnwal | |
WORLD GEOGRAPHY | Above Atlas |
Mahesh Barnwal book | |
Khullar’s (‘Indian Geography’) | |
INDIAN POLITY & GOVERNANCE | 9TH TO 12 th NCERT’s books (old & new) |
M.Luxmikant’s | |
Braj Kishore Sharma’s | |
Bare Acts | |
D.D. Basu’s | |
SOCIAL JUSTICE | Chronicle (special issues) |
Related Ministries’ Annual Reports | |
Planning Commission’s documents | |
INDIA YEAR BOOK | |
INDIA & WORLD and INTERNATIONAL RELATIONS | Pushpesh Pant’s |
Tapan Biswal’s | |
B.P.Dutt’s | |
‘World Focus’ magazine | |
SCIENCE & TECHNOLOGY | ‘Vivas Panorama’ (basics updated) |
Magazines | |
BIODIVERSITY | NCERT’s |
IGNOU- 2 issues | |
DISASTER MANAGEMENT | Savinder Singh’s |
INTERNAL SECURITY | Chronicle (special issues) |
GENERAL SCIENCE | 6TH-12TH stds. NCERT’s |
ETHICS, INTEGRITY and APTITUDE: | Drishti’s notes |
Subba Rao and Roy Chowdhury | |
Ramesh Arora | |
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