UPPSC नेगेटिव मार्किंग से कैसे निपटें

– UPPSC नेगेटिव मार्किंग से कैसे निपटें

– हाल के दिनों में UPPSC परीक्षा में संघ लोक सेवा आयोग की तर्ज पर व्यापक परिवर्तन किया गया प्रारंभिक परीक्षा में धोखेबाजी की प्रवृत्ति को रोकने के लिए प्रत्येक गलत उत्तर पर एक तिहाई अंक की नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान किया गया है अर्थात प्रश्न का उत्तर गलत होने पर 0.33% अंक काट लिए जाएंगे जिसके कारण प्रारंभिक परीक्षा में तुक्केबाजी द्वारा प्रश्नों को हल करना हानिकारक साबित हो सकता है । How to manage negative marking in uppsc exam

प्रारंभिक परीक्षा में 2 प्रश्न पत्र होते हैं सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्न पत्र जिसमें देश दुनिया से संबंधित सामान्य ज्ञान के प्रश्न पूछे जाते हैं जिसकी मेरिट के आधार पर प्रारंभिक परीक्षा में चयन होता है इसमें 150 प्रश्न 200 अंकों की पूछे जाते हैं सिलेक्शन हेतु कटऑफ का निर्धारण प्रश्नों के स्तर पर निर्भर करता है विगत वर्षों के ट्रेंड के अनुसार पर कहा जा सकता है कि कट ऑफ 70% के आसपास रहता है जबकि सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्न पत्र में सीसैट से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं जिसमें 100 प्रश्न 200 अंकों के होते हैं यह प्रश्न पत्र क्वालीफाइंग होता है इसमें 33% अंक प्राप्त करने अनिवार्य है। How to manage negative marking in uppsc exam

ऐसे में नेगेटिव मार्किंग प्रणाली योग्य और परीक्षा पर अच्छी पकड़ रखने वालों के लिए सहायक है तो दूसरी और कमजोर छात्रों के लिए बाधक बन सकती है अब आपका सिलेक्शन अथवा रिजेक्शन नेगेटिव मार्किंग की चुनौती से निपटने की रणनीति पर निर्भर करेगा अधिकांश छात्रों का मानना है कि नेगेटिव मार्किंग की स्थिति में उन्ही प्रश्नों को हल करना चाहिए जिनके उत्तर पर आप पूरी तरह से कन्फर्म है ऐसा तभी उचित है जब आपको 70% से अधिक प्रश्नों के सही उतर ज्ञात है अन्यथा ऐसे सोचना गलत है क्योंकि आप 70% से कम हल करते हैं तो आपके चयनित होने की संभावना बहुत कम है ऐसी स्थिति में आपको तुक्केबाजी का सहारा लेना होगा तो तुक्केबाजी की रणनीति प्रायिकता के सिद्धांत पर बनानी चाहिए जिनके बारे में आपको कुछ भी नहीं पता उन्हें कभी हल करने की कोशिश नहीं करें प्रत्येक प्रश्न के चार विकल्प होते हैं जिन प्रश्नों के एक या दो विकल्प के बारे में पता हो कि इनमें से कोई हो सकता है अथवा नहीं हो सकता है तब आपको तुक्केबाजी का जोखिम उठाना चाहिए इसे आप निरसन या स्वीकरण के सिद्धांत पर हल कर सकते हैं प्रायिकता सिद्धांत के अनुसार ऐसा करने पर आपको यदि लाभ नहीं होगा तो नुकसान भी नहीं होगा यदि आप 70% अंक के काफी करीब हैं तो इस प्रकार से चुनिंदा प्रश्नों को हल करें यदि लक्ष्य से दूर हैं तो अधिक प्रश्नों को हल करें ताकि आपके उत्तर का औसत 70% कट ऑफ के आसपास हो जाए परीक्षा कक्ष में पूरे प्रश्न पत्र को दो चरणों में पढ़े पहले चरण में जिन प्रश्नों के उत्तर आते हैं उन्हें हल करें दूसरे चरण में कठिन और ऐसे प्रश्नों को हल करें जिनकी सही उत्तर में कंफ्यूजन है इसके लिए असंगत विकल्पों को हटाकर सुसंगत विकल्पों में से किसी एक का चयन करें। How to manage negative marking in uppsc exam

अक्सर देखा गया है कि दिमाग जिस विकल्प को पहली बार में क्लिक करता है वह उत्तर सही होता है बाद में अन्य विकल्पों को देखकर कंफ्यूज होता है प्रश्न पत्रों को बहुत ही सावधानी से और एकाग्र चित्त होकर पढ़ना चाहिए साथ ही प्रश्न को अंत तक और सभी विकल्पों को अवश्य पढ़ना चाहिए अक्सर देखा जाता है कि जल्दबाजी में अधूरे प्रश्न को पढ़कर अथवा पहले या दूसरे विकल्प को देखकर छात्र उत्तर दे देते हैं जिसके कारण 5 से 6 आसान या आते हुए प्रश्न गलत हो जाते हैं परीक्षा कक्ष में टाइम मैनेजमेंट बहुत ही जरूरी है आपकी रीडिंग स्पीड और उत्तर पत्र पर गोला बनाने की स्पीड बहुत तेज होनी चाहिए इसके लिए परीक्षा से पूर्व निश्चित समय अवधि में मॉडल प्रश्न पत्र या पुराने वर्षों के प्रश्न पत्र को नियमित रूप से हल करने की प्रैक्टिस करनी चाहिए क्योंकि स्पीड कम होने की स्थिति में फंसने की संभावना रहती है प्रश्न हल करने के साथ-साथ उत्तर पत्रिका पर गोला करते रहे पूरे प्रश्न पत्र को हल करने का इंतजार नहीं करें अन्यथा किसी एक प्रश्न के छूट जाने या गड़बड़ हो जाने पर सभी उत्तर गलत हो सकते हैं आखिरी टाइम में जल्दबाजी के कारण कलर की संभावना रहती है अथवा कुछ उत्तर को गोला करने से वंचित रह सकते हैं साथ ही तैयारी करने की बजाय एक ही पुस्तक को कई बार पढ़ना चाहिए जिससे कांसेप्ट क्लियर हो जाए और परीक्षा हॉल में कंफ्यूजन नहीं हो डाटा वाले प्रश्न जैसे जनगणना संबंधी आंकड़े आर्थिक आंकड़े या इतिहास के तथ्यों को बार-बार पढ़कर याद करना चाहिए अन्यथा उत्तर गलत होने की संभावना रहती है परीक्षा भवन में घबराहट या तनाव बिल्कुल नहीं ले मन को शांत रखें अन्यथा फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है परीक्षा के दौरान की गई गलतियां और समस्याओं पर गौर करें जिससे आगामी परीक्षाओं में उसकी पुनरावृत्ति हो सके सकारात्मक दृष्टिकोण और दूरदर्शी नीति सफलता हासिल की जा सकती है नेगेटिव मार्किंग प्रणाली योग्य और पकड़ रखने वालों के लिए सहायक है तो दूसरी और कमजोर छात्रों के लिए बाधक भी है। How to manage negative marking in uppsc exam


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