संविधान में बजट का प्रावधान

– बजट संवैधानिक प्रावधान

– बजट शब्द फ्रेंच भाषा के शब्द बूजट से बना है इसका अर्थ होता है चमड़े का थैला ब्रिटिश प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री सर रोबोट वालपोल ने 1733 ईस्वी में ब्रिटिश संसद में वित्तीय प्रस्ताव से संबंधित कागज एक चमड़े के थैले से निकाले थे उसी पर व्यंग करते हुए एक पैंफलेट प्रकाशित हुआ बजट खोला गया उसी समय से सरकार के वार्षिक वित्तीय विवरण के लिए बजट शब्द का प्रयोग होने लगा भारत में ब्रिटिश राज में वायसराय लॉर्ड कैनिंग 1856 से 62 के कार्यकाल में 1860 में पहली बार नियुक्त विशेषज्ञ जेम्स विल्सन ने 1860 में वायसराय की परिषद में पहली बार बजट प्रस्तुत किया स्वतंत्र भारत में प्रथम संघीय बजट आरके षणमुखम शेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को प्रस्तुत किया परंपरा अनुसार 2016 तक रेलवे बजट रेलवे मंत्री द्वारा तथा सामान्य बजट वित्त मंत्री द्वारा द्वारा प्रस्तुत किया जाता रहा है|

भारत के वित्‍त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (Department of Economic Affairs) के तहत आने वाले ‘बजट विभाग’ की देखरेख में तैयार होता है। यही विभाग हर साल भारत का बजट तैयार करता है| लेकिन 2017 से यह दोनों बजट वित्त मंत्री द्वारा ही प्रस्तुत की जा रहे हैं सामान्य बजट 2016 तक 28 फरवरी को संसद में प्रस्तुत किया जाता था लेकिन 2017 से सामान्य और रेलवे बजट एक साथ 1 फरवरी को प्रस्तुत किया जा रहा है सुरेश प्रभु अंतिम रेलवे मंत्री हैं जिन्होंने अंतिम पृथक रेलवे बजट 2016 में संसद में प्रस्तुत किया और अरुण जेटली प्रथम वित्त मंत्री है जिन्होंने दोनों बजट एक साथ 1 फरवरी 2017 को संसद में प्रस्तुत किए 2019 में लोकसभा के निर्वाचन के कारण पूर्ण बजट प्रस्तुत नहीं किया जा सका इसके स्थान पर अंतरिम बजट वित्त मंत्री द्वारा पीयूष गोयल द्वारा 1 फरवरी 2019 को प्रस्तुत किया गया तथा पूर्ण बजट 5 जुलाई 2019 को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया गया। India Budget notes in Hindi

– संविधान में प्रावधान 

-भारत के संविधान में बजट शब्द का प्रावधान नहीं किया गया है संविधान के भाग 5 में अनुच्छेद 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण का वर्णन किया गया है इस वार्षिक विवरण को ही बजट कहा जाता है ।

-अनुच्छेद 112

वार्षिक वित्तीय विवरण राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार की वार्षिक प्राप्तियों और व्यय का विवरण रखवायेगा जो की वार्षिक वित्तीय विवरण कहलाता है वार्षिक वित्तीय विवरण या बजट सर्वप्रथम लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है वार्षिक वित्तीय विवरण या बजट में भारत की संचित निधि पर भारित व्यय के रूप में वर्णित व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियों तथा संचित निधि से किए जाने वाले अन्य खर्च की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियां पृथक पृथक दिखाई जाएंगी और राजस्व लेखे से होने वाले खर्च का अन्य खर्च से भेद किया जाएगा भारत की संचित निधि पर भारित व्यय निम्न है राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति और उपसभापति लोकसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष फेडरल न्यायालय के न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक का देय वेतन भत्ते और पेंशन तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को या उनके संबंध में दी जाने वाली पेंशन जो भारत के राज्य क्षेत्र के अंतर्गत किसी क्षेत्र के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करता है ऐसे ऋण भार जिन का दायित्व भारत सरकार पर है किसी न्यायालय या अधिकरण के निर्णय या पंचाट की संतुष्टि के लिए अपेक्षित धनराशि कोई अन्य व्यय जो संविधान द्वारा या संसद द्वारा विधि द्वारा इस प्रकार भारित घोषित किया जाता है इसी से अनुच्छेद 113 114 115 116 और 117 भी संबंधित है जिनका विवरण इस प्रकार है । India Budget notes in Hindi

-अनुच्छेद 113

संसद में प्राक्कलन लेने के संबंध में प्रक्रिया जितने प्राक्कलन भारत की संचित निधि पर भारित व्यय से संबंधित है वह सदन में मतदान के लिए रखे जाएंगे लेकिन उन पर चर्चा को प्रतिबंधित नहीं किया गया है इन प्राक्कलन में जो प्राक्कलन अन्य खर्च से संबंधित है वह लोकसभा में अनुदान की मांगों के रूप में रखे जाएंगे किसी अनुदान की मांग राष्ट्रपति की सिफारिश पर की जा सकती है।

– अनुच्छेद 114

विनियोग विधेयक अनुच्छेद 113 के अधीन अनुदान के जाने के पश्चात यथाशीघ्र भारत की संचित निधि में से लोकसभा द्वारा इस प्रकार किए गए अनुदान की तथा भारत की संचित निधि पर भारित किंतु संसद के समक्ष दर्शित रकम से अनधिक व्यय की पूर्ति के लिए आवश्यक धनराशि की विनियोग के लिए विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा इस संबंध में कोई संशोधन नहीं लाया जाएगा तथा पीठासीन अधिकारी का इस संबंध में निर्णय अंतिम होगा अनुच्छेद 115,116 के उपबन्धों के अधीन रहते हुए भारत की संचित निधि में से इस अनुच्छेद के उपबन्धों के अनुसार पारित विधि द्वारा किए गए विनियोग के अधीन ही कोई धन निकाला जा सकता है अन्यथा नहीं । India Budget notes in Hindi

-अनुच्छेद 115

अनुपूरक अतिरिक्त या अधीन अनुदान यदि क अनुच्छेद 114 के उपबंध द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा किसी विशेष सेवा पर चालू वर्ष में उस पर खर्च की जाने वाली रकम अपर्याप्त पाई जाती है या किसी नई सेवा के लिए अतिरिक्त खर्च की आवश्यकता पड़ती है अथवा उस पर अधिक धन खर्च हो गया है तो राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों में खर्च का विवरण या मांग प्रस्तुत करवाएगा ऐसे किसी विवरण या मांग के संबंध में तथा भारत की संचित निधि में से ऐसे व्यय या ऐसी मांग से संबंधित अनुदान की पूर्ति के लिए अनुच्छेद 112 तथा 113 और 114 वैसे ही प्रभावी होंगी जैसे वार्षिक वित्तीय विवरण में।

– अनुच्छेद 116

लेखानुदान प्रत्ययअनुदान और अपवादानुदान लोकसभा को किसी वित्तीय वर्ष के भाग के लिए  प्राक्कलित व्यय संबंध में कोई अनुदान अग्रिम देने की भारत की संपत्ति स्त्रोतों पर अप्रत्याशित मांग की पूर्ति के लिए अनुदान करने की किसी वित्तीय वर्ष की चालू सेवा से भिन्न अनुदान करने की शक्ति होगी उक्त अनुदान के लिए भारत की संचित निधि में से धन निकालना विधि द्वारा प्राधिकृत करने की संसद को शक्ति होगी ।

-अनुच्छेद 117

वित्त विधेयकों के विषय में विशेष उपबंध अनुच्छेद 110 के खंड एक के उपखंड क से उपखंड च में विनिर्दिष्ट किसी विषय के लिए उपबंध करने वाला विधेयक या संशोधन राष्ट्रपति की पूर्व सिफारिश से प्रस्तावित किया जाएगा तथा यह राज्यसभा में प्रारंभ में प्रस्तुत नहीं किया जाएगा परंतु किसी कर को घटाने या समाप्त करने के लिए किसी संशोधन के प्रस्ताव के लिए इस खंड के अधीन राष्ट्रपति की सिफारिश आवश्यक नहीं है कोई विधेयक उक्त विषयों में से किसी के लिए उपबंध कराने वाला केवल इस कारण से नहीं समझा जाएगा कि वह जुर्माना के अधिरूपन या अनुज्ञप्तियों के लिए फीस की या उसके संकाय का उपबंध करता है अथवा स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा स्थानीय कार्यों के लिए कर के अधिरूपन उत्पादन परिहार परिवर्तन या विनियमन का प्रबंध करता है जिस विधेयक को अधिनियमित और परिवर्तित किए जाने पर भारत की संचित निधि में से खर्च करना पड़ेगा वह विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश की बिना संसद के किसी सदन द्वारा पारित नहीं किया जाएगा संविधान के अनुच्छेद 110 में धन विधेयक क्या है यह बताया गया है तथा अनुच्छेद 109 में धन विधेयक के लिए संसद में पारित होने के लिए विशेष प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है । India Budget notes in Hindi

-धन विधेयक

धन विधेयक का तात्पर्य उस विधेयक से है जिसके द्वारा कोई कर लगाया या हटाया जाता है भारत की संचित निधि या आकस्मिक निधि से धन निकासी वार्षिक बजट से संबंधित होती है कोई भी विधेयक धन विधेयक है या नहीं इसका अंतिम निर्णय लोकसभा अध्यक्ष करता है तथा उसका यह निर्णय चुनौती योग्य या वाद योग्य नहीं होता संविधान के अनुच्छेद 110 में धन विधेयक की परिभाषा दी गई है धन विधेयक पारित करने संबंधी मुख्य बातें निम्न है धन विधेयक प्रस्तुत करने से पहले उस विधेयक को प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रपति की अनुमति लेनी आवश्यक है धन विधेयक केवल लोकसभा में प्रस्तुत की जा सकते हैं राज्यसभा में नहीं कोई भी धन विधेयक दोनों सदनों लोकसभा तथा राज्यसभा की किसी संयुक्त संसदीय समिति को नहीं सौंपा जाता है लोकसभा द्वारा पारित किए जाने के पश्चात धन विधेयक राज्यसभा को प्रेषित किया जाता है राज्यसभा से आशा की जाती है कि वह लोकसभा द्वारा पारित धन विधेयक को अपनी सिफारिश के साथ 14 दिन के अंदर लोकसभा को वापस कर देगा यदि राज्यसभा द्वारा निर्धारित 14 दिन की अवधि के अंदर वापस लोकसभा को नहीं लौटती है तो वह धन विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित समझा जाता है राज्यसभा 14 दिन की अवधि में अपनी संस्तुतियों सहित धन विधेयक को लोकसभा को लौटा सकती है लेकिन उसमें कोई संशोधन अथवा कटौती नहीं कर सकती लोक सभा राज्य सभा द्वारा की गई संस्तुतियों को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है अर्थात वह संस्तुतियों को स्वीकार भी कर सकता है तथा अस्वीकार भी कर सकता है लोक सभा राज्य सभा द्वारा की गई संस्तुतियों को स्वीकार कर लेती है तो वह धन विधेयक सिफारिशों सहित पारित समझ आता है यदि लोक सभा राज्य सभा द्वारा की गई संस्तुतियों को स्वीकार नहीं करती तो वह धन विधेयक उसी रूप में पारित समझा जाता है जिस रूप में लोकसभा ने पारित किया था धन विधेयक को राष्ट्रपति सामान्य विधेयकों की भांति संसद को वापस पुनर्विचार के लिए नहीं भेज सकता संसद द्वारा पारित होने के पश्चात राष्ट्रपति उस पर हस्ताक्षर करके उसे अनुमति प्रदान कर देता है । India Budget notes in Hindi

-संसद में बजट

बजट वित्त मंत्री द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है जिसकी प्रमाणित और प्रकाशित प्रति दोनों सदनों में रखी जाती है लोकसभा में बजट विवरण के साथ प्रस्तुत की गई अनुदान की मांगों पर उस सभा में चर्चा की जाती है तथा उन पर मत लिया जाता है इस अवधि के दौरान राज्यसभा में थोड़े समय के लिए अवकाश रखा जाता है लोकसभा द्वारा अनुदान को स्वीकृति दिए जाने के बाद वहां भारत की संचित निधि पर प्रभावित किए जाने वाले खर्च की पूर्ति के लिए तथा सभा द्वारा स्वीकृत किए गए अनुदान की मांग को पूरा करने के लिए अपेक्षित सभी धन राशियों के भारत की संचित निधि से विनियोग का उपबन्ध करने हेतु एक विधेयक पुरस्थापित किया जाता है यह विधेयक लोकसभा द्वारा पारित किए जाने के बाद राज्यसभा को विनियोग विधेयक के रूप में भेज दिया जाता है तथा लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा उसे धन विधेयक के रूप में प्रमाणित किया जाता है राज्य सभा में इस विधेयक पर 3 या 4 दिन चर्चा होती है और इसके बाद उसे लोकसभा को लौटा दिया जाता है इसी प्रकार वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किए जाने के तुरंत पश्चात लोकसभा में पुरस्थापित किया किया गटा वित्त विधेयक लोकसभा द्वारा पारित किया जाता है और विनियोग विधेयक के पारित किए जाने के पश्चात इसे राज्यसभा को भेज दिया जाता है इस विधेयक को भी धन विधेयक के रूप में प्रमाणित किया जाता है राज्यसभा को ऐसे विधेयक में संशोधन की सिफारिश करने की शक्ति प्राप्त है परंतु यह लोकसभा पर निर्भर करता है कि वह स्वीकार करें या ना करें तथा एक ही वित्तीय वर्ष के दौरान 1 से अधिक वित्त विधेयक पुरस्थापित किए जा सकते हैं जब धन विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित कर दिया जाता है तब लोकसभा सचिवालय उस पर राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त करता है। India Budget notes in Hindi


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