लोकसभा की संपूर्ण जानकारी नोट्स

-लोकसभा लोकप्रिय प्रथम सदन

– भारत की केंद्रीय व्यवस्थापिका को संसद कहा जाता है संसद राष्ट्रपति लोकसभा और राज्यसभा से मिलकर बनती है राज्यसभा को द्वितीय सदन और लोकसभा को प्रथम सदन कहा जाता है राज्यसभा एक स्थाई सदन है जिसका विघटन नहीं होता इसके एक तिहाई सदस्य प्रत्येक दूसरे वर्ष के बाद 6 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर के सेवानिवृत्त हो जाते हैं तथा राज्यों की विधानसभाओं द्वारा नए सदस्य निर्वाचित कर दिया जाते हैं लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है तथा 5 वर्ष बाद जनता द्वारा इसके सदस्यों का निर्वाचन होता है ।

-17 वी लोकसभा प्रथम बैठक 17 जून 2019 प्रथम सत्र 17 जून से 26 जुलाई 2019 प्रोटेम स्पीकर वीरेंद्र कुमार भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश स्पीकर लोकसभा अध्यक्ष 19 जून 2019 ओम बिरला भारतीय जनता पार्टी कोटा राजस्थान सदन का नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी गुजरात भारतीय जनता पार्टी विपक्ष का नेता मान्यता प्राप्त कोई नहीं आवश्यक कुल सदस्य संख्या के 10 प्रतिशत सदस्य किसी विपक्षी राजनीतिक दल के पास नहीं सबसे बड़ा विपक्षी राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 52 सदस्य । Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

-लोकसभा

लोकसभा में जनता का प्रतिनिधित्व होता है इसके सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से गुप्त मतदान द्वारा चुने जाते हैं लोकसभा की कुल अधिकतम सदस्य संख्या 552 हो सकती है जिसमें राज्यों के 530 सदस्य तथा संघ राज्य क्षेत्रों से 20 सदस्य तथा 2 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा एंग्लो इंडियन समुदाय से निर्मित की जा सकते हैं वर्तमान में कुल 545 सदस्य हैं इसमें 543 निर्वाचित तथा 2 मनोनीत होते है इसमें सन 2026 तक कोई परिवर्तन नहीं हो सकता ।

Composition of Lok Sabha
Maximum Strength – 552 530 represent the States
20 are the representatives of Union Territories
2 are nominated by the President from Anglo-Indian Community
Current Strength – 545 530 represent States
13 represent Union Territories
2 are nominated from the President from Anglo-Indian Community

-आंग्ल भारतीय

आंग्ल भारतीय ऐसा व्यक्ति होता है जिसके पित्रों परंपरा में कोई पुरुष या पिता यूरोपीय मूल का है या था तथा जो भारत के राज्य क्षेत्र की सीमा में अधिवासी है साथ ही जो ऐसे माता-पिता से जन्मा या जन्मा था जो भारत में साधारणतया स्थाई निवासी रहे हैं । Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

-संविधान सभा तथा संसद

संविधान सभा का गठन 2 उद्देश्यों को लेकर किया गया था एक संविधान का निर्माण तथा दूसरा प्रथम संसद के चुनाव तक राष्ट्रीय व्यवस्थापिका के रूप में कार्य करना 17 नवंबर 1947 को संविधान सभा की बैठक की अध्यक्षता डॉ राजेंद्र प्रसाद ने की तथा इस दिन जीवी मावलंकर को निर्विरोध स्पीकर चुना गया जीवी मावलंकर ने इसी दिन पद धारण किया यह सभा राष्ट्रीय संसद के रूप में कार्य करने लगी 26 जनवरी 1950 से यही सभा पूरी तरह से अस्थाई संसद के रूप में कार्य करने लगी यह संविधान के तहत स्वतंत्र भारत की संसद के प्रथम चुनाव 1952 तक कार्य करती रही । Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

-लोकसभा का कार्यकाल

मूल रूप से लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है किंतु 42 वें संविधान संशोधन द्वारा लोकसभा का कार्यकाल 6 वर्ष कर दिया था लेकिन 44 वें संविधान संशोधन द्वारा लोकसभा का कार्यकाल दोबारा 5 वर्ष कर दिया गया है इसलिए अब लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है जिसे आपातकाल में संसद स्वयं द्वारा इस के कार्यकाल में एक बार में 1 वर्ष तक की वृद्धि कर सकती है 1976 लोकसभा का कार्यकाल 2 बार 1 वर्ष के लिए बढ़ाया गया था प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति लोकसभा को भंग कर सकता है  

-प्रोटेम स्पीकर

लोक निर्वाचन के बाद लोकसभा की की पहली बैठक की अध्यक्षता करने के लिए एक अस्थाई अध्यक्ष प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति करता है तथा राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाता है इस अल्प स्थाई अध्यक्ष का कार्य नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाना और नए अध्यक्ष का निर्वाचन कराना है नए अध्यक्ष के निर्वाचित हो जाने के बाद यह स्वयं ही पद से हट जाता है परंपरा अनुसार अधिकांश लोकसभा में सर्वाधिक समय या काल तक सदस्य रहे सांसद को ही प्रोटेम स्पीकर किया जाता है। Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

– सदस्यों की अहर्ता संबंधी विवाद

यह प्रश्न राष्ट्रपति के समक्ष रखा जाता है राष्ट्रपति चुनाव आयोग से परामर्श करके अपना निर्णय देता है तथा उसका निर्णय अंतिम होता है यदि कोई सदस्य सदन की अनुमति के बिना 60 दिन की अवधि से अधिक समय तक अनुपस्थित रहता है तो उसका स्थान रिक्त घोषित कर सकता है संसद के सदनों की गणपूर्ति एक कुल सदस्यों का बटा 10 1 बटा 10 होती है । Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

-लोकसभा अध्यक्ष उपाध्यक्ष

अध्यक्ष का पद भारत में 1921 से चला आ रहा है जब मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार के अंतर्गत सर्वप्रथम केंद्रीय विधानसभा बनी 1947 तक यह पद सभापति कहलाता था सर्वप्रथम इस पद पर सर पैट्रिक व्हाइट को मनोनीत किया गया था भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 में लोकसभा के अध्यक्ष उपाध्यक्ष पदों की व्यवस्था की गई है लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रपति द्वारा निश्चित तिथि को लोकसभा सदस्यों द्वारा लोकसभा सदस्यों में से ही चुना जाता है इसी प्रकार उपाध्यक्ष का चुनाव भी अध्यक्ष द्वारा नियत किसी को लोकसभा सदस्यों में से लोकसभा सदस्यों द्वारा निर्वाचित किया जाता है अध्यक्ष उपाध्यक्ष के लिए प्रत्याशी राजनीतिक दल ही खड़ा करते हैं सर्वसम्मति से भी चुनाव हो सकता है लेकिन भारत में अब यह स्वस्थ परंपरा नहीं बन पाई है फिर भी प्रयास किया किया जाता है कि अध्यक्ष सत्तारूढ़ दल से तथा उपाध्यक्ष प्रमुख विपक्षी दल से संबंधित हो लेकिन किसी भी लोकसभा सदस्य के अध्यक्ष बन जाने के पश्चात उससे या आशा की जाती है कि वह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर निष्पक्ष रुप से पूरे सदन के विवेक प्रहरी की तरह कार्य करता है । Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

– लोकसभा अध्यक्ष का कार्यकाल

अध्यक्ष का कार्यकाल उसकी निर्वाचन से लेकर लोकसभा के विघटन के पश्चात नवनिर्वाचित लोक सभा की प्रथम बैठक के ठीक पूर्व तक होता है अध्यक्ष नवनिर्वाचित लोक सभा की प्रथम बैठक की अध्यक्षता नहीं करता उसकी अध्यक्षता लोकसभा का वरिष्ठ एवं सदस्य प्रोटेम स्पीकर करता है तथा नवनिर्वाचित सांसदों में से नया अध्यक्ष चुन लिया जाता है अध्यक्ष की बीमारी या अन्य कारण से अनुपस्थिति की स्थिति में उपाध्यक्ष अध्यक्ष का कार्य करता है यदि उपाध्यक्ष भी किसी कारणवश अनुपस्थित रहता है तो अध्यक्ष द्वारा बनाए गए लोकसभा सदस्यों के पैनल में से कोई भी सदस्य सदन की अध्यक्षता करता है तथा सभी अधिकारों का प्रयोग करता है अध्यक्ष उपाध्यक्ष को तथा उपाध्यक्ष अध्यक्ष को अपना त्यागपत्र देकर पद मुक्त हो सकता है ।

-शपथ

लोकसभा का अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष पद धारण करते समय अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के रूप में कोई शपथ नहीं लेते यह केवल संसद सदस्य होने की शपथ लेते हैं ।

-पद से हटाना

14 दिन की पूर्व सूचना देकर एक संकल्प द्वारा अध्यक्ष को लोकसभा के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत द्वारा प्रस्ताव पारित करके पद से हटाया जा सकता है । 

-स्पीकर

लोकसभा अध्यक्ष सर्वप्रथम लोकसभा के प्रथम स्पीकर गणेश वासुदेव मावलंकर के विरुद्ध उन्हें पद से हटाने के लिए प्रस्ताव 18 दिसंबर 1954 को लाया गया था जो पारित नहीं हो सका m.a. आयंगर लोकसभा के प्रथम उपाध्यक्ष तथा बाद में अध्यक्ष रहे नीलम संजीव रेड्डी लोकसभा के स्पीकर रहे तथा बाद में भारत के राष्ट्रपति भी रहे स्पीकर जीएमसी बालयोगी की पद पर रहते हुए हेलीकॉप्टर दुर्घटना में 3 मार्च 2002 को मृत्यु हो गई श्रीमती मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष बनने वाली प्रथम दलित महिला है सुमित्रा महाजन मीरा कुमार के बाद लगातार दूसरी महिला लोकसभा अध्यक्ष बनी । Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

-अध्यक्ष के कार्य

अध्यक्ष के कार्य अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि संसद की संपूर्ण कार्यवाही का सफल संचालन उसी के द्वारा संपन्न होता है उसके कार्य अधिकांश संसदीय कार्यवाही और संचालन नियम तथा संविधान में लिखे हैं कुछ कार्य अध्यक्ष को अपने विवेक से भी संपन्न करने पड़ते हैं अध्यक्ष के महत्वपूर्ण कार्य निम्न है लोक सभा की बैठक की अध्यक्षता करता है लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष अधिकारी होता है लोकसभा अध्यक्ष यह निर्णय करता है कि प्रस्तुत विधेयक वित्तीय विधेयक है अथवा नहीं उसका निर्णय अंतिम होता है संसद के दोनों सदनों में मतभेद हो जाने की स्थिति में जब लोकसभा तथा राज्यसभा की संयुक्त बैठक बुलाई जाती है तो उसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है सदन में किसी विषय पर पक्ष तथा विपक्ष के मत सामान होते हैं तो अध्यक्ष पक्ष तथा विपक्ष में अपना मत देता है जिसे निर्णायक मत भी कहते हैं लोकसभा की बैठक स्थगित करने अथवा गणपूर्ति ना होने पर सदन की बैठक निलंबित कर सकता है अध्यक्ष किसी भी सदस्य को अपने विवेक के आधार पर उसे अपनी मातृभाषा में बोलने का अधिकार प्रदान कर सकता है। Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

अध्यक्ष सदन में राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करता है सदन के सदस्यों के लिए स्थान भी नियत कर सकता है दल बदल विरोधी अधिनियम का पालन करवाता है तथा स्वयं निर्णय लेता है लोकसभा की कार्यवाही का संचालन करता है सदन की कार्यवाही का समय नियत करता है अध्यक्ष सदस्यों को बोलने की अनुमति देता है तथा उनके लिए बोलने के लिए समय निर्धारित करता है लोकसभा में व्यवस्था बनाए रखने को उत्तरदायित्व लोकसभा अध्यक्ष का है इसके लिए वह निर्धारित नियमों के अंतर्गत कार्यवाही कर सकता है अध्यक्ष संकल्प तथा प्रस्ताव की ग्राह्यता का निर्णय करता है लोकसभा के प्रक्रिया नियमों का कड़ाई से पालन करवाता है अध्यक्ष सदन के विचार विमर्श के लिए प्रश्न और विषय प्रस्तावित करता है तथा उन्हें पटल पर निर्णय के लिए रखता है अध्यक्ष विधेयक तथा संकल्पों में प्रस्तावित संशोधन को पटल पर रखता है लोकसभा में याचिका प्रस्तुत करने से पूर्व अध्यक्ष की स्वीकृति आवश्यक है वह सदन के सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करता है सदन के नेता से परामर्श करके सदन का कार्यक्रम निश्चित करता है संसद की समितियों पर उसका पूर्ण नियंत्रण रहता है सदस्य और सभापति की नियुक्ति समिति के कार्य करने की प्रक्रिया तथा विशेष निर्देश दे सकता है। Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

सदन के नेता से विचार-विमर्श करके बजट आदि विधेयक पर विचार करने के लिए तिथि और समय निश्चित करता है राष्ट्रपति तथा संसद के संपूर्ण पत्र व्यवहार अध्यक्ष द्वारा ही होता है किसी भी सार्वजनिक विषय पर प्रस्तुत कार्य स्थगन प्रस्ताव उसकी अनुमति मिलने पर ही सदन में प्रस्तुत किए जा सकते हैं लोकसभा नियमों के अनुसार अध्यक्ष पारित विधेयक की प्रत्यक्ष गलतियों को प्रस्तावित संशोधन के अनुरूप शुद्ध करता है संसद द्वारा विधेयक पारित हो जाने के पश्चात राष्ट्रपति की अनुमति के लिए प्रेषित किए जाने से पूर्व अध्यक्ष उस विधेयक को हस्ताक्षर करके प्रमाणित करता है लोकसभा सचिवालय लोकसभा अध्यक्ष के अधीन कार्य करता है लोकसभा के समस्त कर्मचारी लोकसभा परिसर तथा सुरक्षा के सम्बन्ध में उसे पूर्ण अधिकार मिले हुए हैं लोकसभा प्रक्रिया और नियम से संबंधित मामलों में अध्यक्ष को पूर्ण अधिकार मिले हुए हैं अपने आसन पर बैठकर किए गए कार्य और कर्तव्यों के लिए सार्वजनिक रूप से वाद-विवाद में नहीं पड़ता अध्यक्ष सदन में निधन के लिए निर्देश देता है अध्यक्ष राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय विषय पर भी समय-समय पर अपने विचार व्यक्त कर सकता है अध्यक्ष को पूछे गए प्रश्नों के संबंध में भी अधिकार प्राप्त है प्रश्नों की ग्राहता में अध्यक्ष का अधिकार अंतिम है ।

-संसद का संयुक्त अधिवेशन

यदि किसी विधेयक  को लेकर दोनों सदनों में मतभेद उत्पन्न हो जाए तो राष्ट्रपति दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुला सकता है संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोकसभा का अध्यक्ष करता है यदि वह अनुपस्थित हो तो लोकसभा का उपाध्यक्ष अध्यक्षता करता है यदि वह भी अनुपस्थित हो तो राज्यसभा का उपसभापति इसकी अध्यक्षता करता है यदि वह भी अनुपस्थित हो तो उस समय उपस्थित किसी वरिष्ठ सदस्य अथवा बनाए गए नामों के पैनल में से किसी व्यक्ति को उसका पीठासीन अधिकारी बनाया जा सकता है संयुक्त अधिवेशन में विवादास्पद विधेयक को रखा जाता है तथा मतदान होता है जो भी निर्णय मतदान द्वारा हो जाता है वह मान लिया जाता है कि उसे पारित कर दिया है संविधान संशोधन विधेयक पर दोनों सदनों का सयुक्त अधिवेशन बुलाने प्रावधान नहीं है संयुक्त अधिवेशन के लिए गणपूर्ति सदनों के सदस्यों की समस्त संख्या का दसवां भाग होगी किसी संयुक्त बैठक में सभा की प्रक्रिया ऐसे रूप भेदों तथा परिवर्तन के साथ लागू होगी जिन्हें अध्यक्ष आवश्यक या उचित समझें महासचिव प्रत्येक संयुक्त बैठक की कार्यवाही का पूरा वृतांत तैयार करवाएगा और उसे यथाशीघ्र से रूप में ऐसी नीति से प्रकाशित करेगा जैसा कि अध्यक्ष समय-समय पर निर्देश दें । Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

-संसद के संयुक्त अधिवेशन देश के संसदीय इतिहास में विवादित विधेयक को पारित कराने के लिए तीन बार सयुक्त अधिवेशन किया गया पहला अधिवेशन 1961 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री कि काल में दहेज विरोधी अधिनियम को पारित करने के लिए तथा दूसरी बार मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री के काल में 1978 में बैंकिंग सेवा आयोग विधेयक पर विचार हेतु किया गया था इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय है कि पहले दोनों संयुक्त अधिवेशन विवादित विधेयक में कुछ एक मतभेदों के चलते ही आहूत किए गए थे पहली बार 1961 में जब दहेज विरोधी विधेयक को संयुक्त अधिवेशन में लाया गया था उस समय कांग्रेस को दोनों ही सदनों में स्पष्ट बहुमत भी प्राप्त था तीसरी बार 26 मार्च 2002 को संसद के संयुक्त अधिवेशन में बहुविवादित आतंक विरोधी विधेयक 2002 पारित किया गया देश के संसदीय इतिहास में पहली बार हुआ जब किसी समूचे विधेयक पर दोनों सदनों में स्पष्ट मतभेद होते हुए भी इसे संयुक्त अधिवेशन में पारित कराया गया है प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई इससे पहले सांसद हैं जिन्होंने स्वतंत्र भारत के इतिहास में अब तक हुए तीनों संयुक्त अधिवेशन में मतदान किया है।

– प्रश्न प्रक्रिया प्रश्नकाल

संसद की कार्यवाही में एक समय संसद सदस्यों द्वारा संबंधित मंत्री से प्रश्न पूछने के लिए निर्धारित किया जाता है यही समय प्रश्नकाल कहलाता है दोनों सदनों में प्रत्येक बैठक के पहले घंटे के समय को प्रश्नकाल कहा जाता है जिसमें प्रश्न पूछे जाते हैं तथा उनका उत्तर दिया जाता है प्रश्न मंत्रियों अर्थात सरकारी सदस्यों से ही पूछे जाते हैं कभी-कभी गैर सरकारी सदस्यों से भी प्रश्न पूछे जा सकते हैं यदि उनका विषय किसी भी ऐसे भी देख संकल्प या अन्य किसी विषय से संबंधित हो जिसके लिए वह सदस्य उत्तरदाई हो प्रश्नों के प्रकार प्रश्न निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं तारांकित अतारांकित अल्प सूचना प्रश्न । Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

-तारांकित प्रश्न

यदि सदन में कोई संसद सदस्य अपने किसी प्रश्न का उत्तर मौखिक रूप से चाहता है तो वह अपने प्रश्न को * लगाकर विशेष अंकित करता है ऐसे प्रश्न तारांकित प्रश्न कहे जाते हैं तारांकित प्रश्नों का उत्तर दिए जाने के समय सदस्यों द्वारा उससे संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

-अतारांकित प्रश्न

जो प्रश्न तारांक द्वारा विशेष अंकित नहीं होते तारांकित प्रश्न कहलाते हैं यह वह प्रश्न होते हैं जिनका उत्तर सदस्य लिखित रूप में चाहता है सदन में इनका उत्तर मौखिक रूप से नहीं दिया जाता इसलिए इसमें कोई पूरक प्रश्न भी नहीं पूछा जा सकता इसका उत्तर लिखित में टेबल पर छोड़ दिया जाता है।

– अल्प सूचना प्रश्न

अल्प सूचना प्रश्न किसी लोक मतों के विषय से संबंधित होता है जिसे सामान्य प्रश्न के लिए निर्धारित 10 दिन पूर्व की सूचना दिए जाने की कम अवधि में सूचना देकर पूछा जा सकता है और यदि अध्यक्ष की राय में प्रश्न का उत्तर तत्काल देना आवश्यक हो तो वह निर्देश दे सकेगा कि संबंधित मंत्री से पूछताछ की जाए की उत्तर देने की स्थिति में है या नहीं और यदि है तो किस तिथि को यदि संबंधित मंत्री उत्तर देने के लिए सहमत हो जाए तो ऐसे प्रश्न का उत्तर उनके द्वारा निश्चित तिथि को दिया जाता है ऐसा प्रश्न उस दिन मौखिक  उत्तर के लिए प्रश्न सूची में दिए गए प्रश्नों के निपटाए जाने के तुरंत बाद पुकारा जाता है यदि मंत्री अल्प सूचना प्रश्न पर प्रश्न का उत्तर देने में असमर्थ हो और अध्यक्ष की राय में प्रश्न पर्याप्त लोक महत्व का है तथा उसका उत्तर मौखिक कर दिया जाना चाहिए तो वह निर्देश दे सकेगा कि प्रश्न उस दिन की प्रश्न सूची में प्रथम प्रश्न के रूप में रखा जाए तथा 10 दिन की कम सूचना पर उत्तर दिए जाने वाले नियम के अंतर्गत उसका उत्तर दिया जाए किसी एक दिन की प्रश्न सूची में ऐसे 1 से अधिक प्रश्नों की पूर्ववर्तीता प्रदान नहीं की जाएगी जब दो या दो से अधिक सदस्य एक ही विषय पर अल्प सूचना प्रश्न रखते हैं तो यह सूचना केवल प्रथम हस्ताक्षर करता द्वारा ही दी गई मानी जाएगी एक विषय के प्रश्नों को मिलाकर एक समेकित प्रश्न बनाया जा सकता है जिसका उत्तर मंत्री देता है अन्य प्रकरण में अल्प सूचना प्रश्नों के लिए प्रक्रिया ऐसे रूप भेदों के साथ जो अध्यक्ष आवश्यक है सुविधाजनक समझे वही होगी जो मौखिक उत्तर के लिए साधारण प्रश्नों के लिए होती है । Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

-प्रश्नों के संबंध में सामान्य प्रक्रिया

जब तक अध्यक्ष कोई निर्देश नहीं देता तब तक प्रत्येक बैठक का प्रथम घंटा प्रश्न पूछने के लिए तथा उनके उत्तर देने के लिए उपलब्ध रहेगा जब अध्यक्ष कोई निर्देश ना दे सामान्य प्रश्न पूछने के लिए कम से कम 10 दिन और अधिक से अधिक 21 दिन की सूचना देना आवश्यक है प्रश्न पूछने की सूचना महासचिव को लिखित रूप में दी जाती है जब किसी सूचना पर एक से अधिक सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हो तो वह सूचना केवल प्रथम हस्ताक्षर करता द्वारा ही दी गई मानी जाएगी महासचिव द्वारा प्रश्न की सूचना मंत्री को दिए जाने के कम से कम 5 दिन पश्चात उत्तर के लिए प्रश्न सूची में रखा जाता है अध्यक्ष प्रश्नों की विषय में निर्णय लेता है अध्यक्ष यह निश्चित करता है कि प्रश्न तारांकित माना जाए या अतरंकित किसी दिन के लिखित उत्तर के लिए प्रश्न सूची में एक सदस्य के 5 से अधिक तथा कुल 230 से अधिक प्रश्न शामिल नहीं किए जाएंगे लेकिन यह कुल संख्या सीमा राष्ट्रपति शासन के अधीन राज्य अथवा राज्यो से सम्बंधित प्रश्न संख्या जो अधिक से अधिक 25 होगी के अनुसार बढ़ सकती है मौखिक उत्तर के लिए किसी एक दिन को प्रश्न सूची में एक ही सदस्य का एक तारा लगाकर विभेद किया एक प्रश्न का कुल मिलाकर 20 प्रश्न शामिल किए जा सकते हैं यदि कोई प्रश्न स्थगित हो जाता है तो एक सदस्य के 1 से अधिक प्रश्न  किए जा सकते हैं ।

-आधे घंटे की चर्चा

संसद सदस्य किसी लोक महत्व के प्रश्न पर मंत्री से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं अध्यक्ष सप्ताह में 3 दिन या 3 बैठकों में आधा घंटा ऐसे पर्याप्त लोक महत्व के विषय पर चर्चा उठाने के लिए निश्चित कर सकता है जो हाल ही में किसी मौखिक या लिखित प्रश्न का विषय रह चुका है और जिसके उत्तर का किसी तथ्य विषय के संबंध में स्पष्टीकरण आवश्यक है जो सदस्य किसी विषय को उठाना चाहता है वह उस तिथि से जिस दिन की यह विशेष उठाना चाहता है उस से 3 दिन पहले महासचिव को लिखित सूचना देता है तथा संक्षेप में विषय को उठाया जाने के कारणों को भी बताता है अध्यक्ष यह निश्चित करता है कि वह विषय पर्याप्त लोक महत्व का है या नहीं यदि विषय सरकारी नीति में परिवर्तन के उद्देश्य से उठाया गया है तो अध्यक्ष सभापति उसे अस्वीकार कर सकता है आधे घंटे की चर्चा में सभा के सामने ना तो कोई औपचारिक प्रस्ताव रखा जाता है और ना ही किसी प्रकार का मतदान होता है जिस सदस्य ने सूचना दी है वह संक्षिप्त वक्तव्य दे सकता है जो समुदाय प्रश्न पूछना चाहता है वह जिस दिन चर्चा हो उस दिन बैठक के प्रारंभ में होने से पूर्व इसके लिए लिखित रूप से प्रार्थना करके अनुमति लेता है उसके पश्चात मंत्री संक्षेप में उसके एक प्रश्न का उत्तर देता है । Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

-नियम 184

लोकसभा की नियमावली का अध्याय 14 सदन में लाए जाने वाले प्रस्ताव से संबंधित है इस अध्याय में नियम 184 से लेकर नियम 192 तक का उल्लेख है लोकसभा में किसी भी विषय पर चर्चा प्रारंभ करने से पहले सदन के अध्यक्ष के सामने नियम 184 के तहत प्रस्ताव लाया जाता है यानी नियम 184 के अंतर्गत अध्यक्ष से प्रस्ताव पर चर्चा के लिए अनुमति लेने की बात कही गई है जबकि मतदान नियम 191 के तहत होता है ना कि नियम 184 के तहत इस नियमावली के अध्याय 15 के नियम 193 से नियम 195 तक मैं लोकसभा के विषय पर प्रस्ताव लाकर बहस हो सकती है यह नियम नियम 184 का अपवाद है इसमें सदन के सामने कोई प्रस्ताव नहीं होता केवल बहस की अनुमति होती है किसी प्रस्ताव को सदन में लाने के लिए क्या नियम है यह व्यवस्था नियम 146 में है ।

-शून्यकाल

संसद में दोनों सदनों में प्रश्नकाल के तत्काल बाद का समय शून्यकाल कहलाता है शून्य काल के पश्चात दोपहर के भोजन का समय हो जाता है शून्यकाल में ऐसे मामलों को उठाया जा सकता है जिनकी कोई पूर्व सूचना नहीं दी जाती तथा जिनका अभिलंबनीय महत्त्व होता है शून्यकाल में उठाए गए मामलों के संबंध में नियमों का कोई विशेष उपबंध नहीं है शून्यकाल में व्यवस्था बनाए रखी जाती है तथा एक-एक सदस्य को बोलने का समय दिया जाता है ।

-अल्पकालीन चर्चा

इसके द्वारा सदन के सदस्य लोक महत्व के मामलों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हैं जिन्हें टाला नहीं जा सकता है अल्पकालीन चर्चाओं के लिए सप्ताह में दो बैठकें निर्धारित कर सकता है कार्य मंत्रणा समिति चर्चा के लिए विषय का चयन करती है तथा समय निर्धारित करती है अपवाद स्थिति को छोड़कर यह चर्चा मंगलवार व वीरवार के दिन की जाती है । Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi

-स्थगन प्रस्ताव

इस प्रस्ताव द्वारा ऐसे गम्भीर मामलो पर सदन का ध्यान आकर्षित किया जाता है जिस विषय या मामले पर शीघ्र विचार ना होने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं इसलिए सामान्य कार्य को रोक कर उन मामलों पर विचार करना आवश्यक माना जाता है ऐसे प्रस्ताव द्वारा सरकार की असफलता की ओर संकेत किया जाता है स्थगन प्रस्ताव को शाम के 4:00 बजे विचार के लिए लाया जाता है लोकसभा अध्यक्ष स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करने के बाद उस दिन तक सभा को स्थगित नहीं कर सकता जब तक कि स्थगन प्रस्ताव का निपटारा ना हो जाए जब स्थगन प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है तब सभा स्वयं ही स्थगित हो जाती है स्थगन प्रस्ताव की स्वीकृति के लिए न्यूनतम 50 सदस्यों की सहमति आवश्यक है ।

-ध्यानाकर्षण प्रस्ताव

सदन का सदस्य अभिलंबनीय लोक महत्व के विषय की ओर ध्यान आकर्षित कर सकता है इस हेतु सदन की पूर्व आज्ञा आवश्यक है मंत्री उस विषय पर उसी दिन सदन में वक्तव्य सकता है या बाद में वक्तव्य देने का समय मांग सकता है ध्यानाकर्षण प्रस्ताव की सूची लिखित रूप में महासचिव को संबोधित की जाती है और उसकी प्रतियां अध्यक्ष और संबंधित मंत्री को भेजी जाती हैं। Lok Sabha – Indian Polity Notes in hindi


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