Lokpal GK से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न

लोकपाल और उसका इतिहास

– हाल ही में राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल नियुक्त किया गया है समसामयिक विषय होने के कारण रोजगार और निर्माण की इस अंक में लोकपाल के इतिहास महत्व और लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम 2013 की जानकारी का प्रकाशन किया जा रहा है  Lokpal GK

-क्या है लोकपाल

लोकपाल एक भ्रष्टाचारी विरोधी प्राधिकरण है जिसमें ओंबुद्समैन भी कहा जाता है यह भ्रष्टाचार और लोगों की शिकायतों के निवारण के लिए कार्य करता है भारत में केंद्र स्तर पर इस प्राधिकरण को लोकपाल तथा राज्य स्तर पर लोकायुक्त कहा जाता है विश्व के अधिकांश देशों में इस संस्था को ओंबुद्समैन कहा जाता है उसे हमारे देश में लोकपाल या लोकायुक्त के नाम से जाना जाता है लोकपाल शब्द को संस्कृत के शब्द लोक लोग तथा पाल रक्षक से लिया गया है इसका अर्थ लोगों का रक्षक होता है भारत में लोकपाल शब्द को 1963 में मशहूर कानून विद डॉक्टर सिंघवी ने दिया था भारत में लोकपाल की अवधारणा स्वीडन से ली गई है 1966 में मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में प्रशासनिक सुधारों पर गठित कमेटी ने लोकपाल और लोकायुक्त के गठन की सिफारिश की थी इस कमेटी का विचार था कि केंद्र में लोकपाल और प्रादेशिक स्तर पर लोकायुक्त होना चाहिए जिसका काम प्रशासन के कार्यों का मूल्यांकन करना और उस पर नजर रखना हो। Lokpal GK

इसके बाद कई राज्यो में लोकायुक्त नियुक्त किए गए लेकिन यह कानूनी रूप से 2013 में लागू हुआ जब संसद में लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक 2013 पारित हुआ

– देश के मुख्य न्यायाधीश की तरह ही को भी शपथ राष्ट्रपति द्वारा दिलाई जाती है

-लोकपाल समिति लोकायुक्त  अधिनियम 2013 के अनुसार लोकपाल समिति में निम्न सदस्य हो सकते हैं

-लोकपाल समिति में अध्यक्ष सहित अधिकतम 9 सदस्य हो सकते हैं

– इनमें से 50% सदस्य अर्थात 4 न्यायिक क्षेत्र के होंगे

-इसके अलावा 50% सदस्य एससी एसटी अन्य पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक तथा महिलाओं में से होने चाहिए

– लोकपाल समिति के अध्यक्ष को लोकपाल कहा जाता है समिति के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज हो सकते हैं। Lokpal GK

– निम्न में से कोई भी नहीं बन सकता लोकपाल समिति का सदस्य

– संसद सदस्य या किसी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के सदस्य लोकपाल के सदस्य नहीं बन सकते नैतिक भ्रष्टाचार में दोषी पाया गया कोई व्यक्ति

– किसी पंचायत या निगम का सदस्य

-45 साल से कम उम्र का व्यक्ति केंद्र या राज्य सरकार की नौकरी में बर्खास्त व्यक्ति आदि

– लोकपाल का अधिकार क्षेत्र लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में पूरा देश आएगा लोकपाल को सभी केंद्रीय मंत्रियों और दोनों सदनों के सदस्यों की जांच करने का अधिकार होगा समूह ए बी सी डी के अधिकारियों तथा सरकार के कर्मचारियों सहित सभी श्रेणियों के लोक सेवक लोकपाल के क्षेत्राधिकार में आएंगे सरकार से आर्थिक मदद लेने वाले ट्रस्ट सोसायटी और एनजीओ के निदेशक और सचिव भी लोकपाल की जांच के दायरे में आएंगे लोकपाल के पास कुछ मामलों में प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री की जांच करने का अधिकार होगा  Lokpal GK

-नोट न्यायपालिका और सेना  लोकपाल की जांच के दायरे में नहीं होंगी

– प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच के लिए प्रावधान प्रधानमंत्री के खिलाफ उन्हीं मामलों में जांच की जाएगी जो अंतरराष्ट्रीय मामलों आंतरिक और बाह्य सुरक्षा सार्वजनिक व्यवस्था अंतरिक्ष और परमाणु कार्यक्रम से जुड़े नहीं हो अर्थात इन विषय को छोड़कर अन्य सभी मामलों में प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच की जा सकती है प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच के लिए पूरी बैच की बैठक जरूरी होगी इस बैठक में दो तिहाई बहुमत से फैसला लेना अनिवार्य होगा इस प्रकार की कार्यवाही में पूरी गोपनीयता रखी जाएगी शिकायत नहीं पाई गई तो उसे सार्वजनिक नही किया जाएगा। Lokpal GK

– अन्य प्रावधान कोई भी व्यक्ति लोकपाल से शिकायत कर सकता है

-भ्र्ष्टाचार के मामले में लोकपाल खुद भी संज्ञान ले सकता है लोकपाल दोषी व्यक्ति के स्थानांतरण अनुशासनात्मक कार्यवाही के निलंबन का आदेश भी दे सकता है भ्रष्टाचार के मामले में 2 से 10 साल तक की सजा संभव है

-लोकपाल चयन समिति लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों का चयन समिति करती है इस समिति के सदस्य होते हैं

– प्रधानमंत्री चयन समिति का अध्यक्ष होता है

-लोकसभा अध्यक्ष सदस्य

– लोकसभा में विपक्ष के नेता सदस्य

– भारत के प्रधान न्यायाधीश या भारत के प्रधान न्यायाधीश द्वारा मनोनीत उच्चतम न्यायालय का कोई वर्तमान न्यायाधीश

-भारत के राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत प्रख्यात न्यायविद

 इस समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति लोकपाल की नियुक्ति करता है ।

 

-लोकपाल विधेयक का इतिहास

पहली बार 1968 में लोकपाल विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था इसके बाद 1971 1977 1985 1989 1998 और 2001 में भी लोकसभा में पेश किया गया इसके बाद अगस्त 2011 में एक लोकपाल बिल लोकसभा में एक नया बिल पेश किया गया इसके बाद 22 दिसंबर 2011 को लोकपाल और लोकायुक्त बिल 2011 के नाम से एक लोकसभा में पेश किया गया Lokpal GK

-यह बिल दिसंबर 2011 की लोकसभा में पारित हुआ मई 2012 में सेलेक्ट कमेटी को भेजा था इसके बाद सिलेक्ट कमिटी ने नवंबर 2012 में अपनी रिपोर्ट राज्य सभा के सामने रखी इस रिपोर्ट में कमेटी ने सरकार को 16 सुझाव दिए थे जिसमें से सरकार ने 14 सुझाव को मान लिया

– 17 दिसंबर 2013 को राज्यसभा से यह बिल कुछ संशोधनों के साथ पारित हो गया राज्यसभा के इन संशोधनों को लोकसभा ने भी माना इसके बाद 18 दिसंबर को लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक 2013 लोकसभा में पास हो गया।

-1 जनवरी 2014 को राष्ट्रपति ने इसे अपनी मंजूरी दे दी

-लोकपाल और लोकायुक्त में अंतर जिस तरह केंद्र में लोकपाल होता है उसी तरह हर राज्य में लोकायुक्त होता है

– लोकायुक्त के कार्य किसी राज्य का लोकायुक्त आयकर विभाग और भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो के साथ मिलकर कार्य करता है यह सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच करता है लोकायुक्त 5 साल से ज्यादा पुराने मामलों की जांच नहीं करता है।

– लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र प्रदेश के सभी मंत्री विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य सरकार के सभी अधिकारी स्थानीय प्रशासन के अधिकारी राज्य सरकार के उपक्रम राज्य सरकार की 50 फ़ीसदी हिस्सेदारी वाली कंपनियां राज्य सरकार में रजिस्टर्ड सोसायटी आदि। Lokpal GK

– लोकायुक्त नियुक्ति समिति

-प्रदेश का मुख्यमंत्री

– हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश

– विधानसभा अध्यक्ष

-विधान परिषद के अध्यक्ष

-विपक्ष के नेता

इस समिति की अनुशंसा पर राज्यपाल द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति की जाती है

-वर्तमान लोकपाल और लोकपाल समिति के सदस्यों के बारे में पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष को लोकपाल समिति का अध्यक्ष अर्थात लोकपाल नियुक्त किया गया जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष 66 साल के हैं उनका जन्म 1952 में हुआ था वह मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य रहे वे कोलकाता और आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं लोकपाल समिति में अध्यक्ष के अलावा चार न्यायिक और 4 गैर न्यायिक सदस्य भी हैं Lokpal GK

– न्यायिक सदस्य जस्टिस दिलीप भोसले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं

-जस्टिस प्रदीप मोहंती झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं

-न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी मणिपुर उच्च न्यायालय की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रही वर्तमान में गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष हैं

-जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे ।

-गैर न्यायिक सदस्य अर्चना राम सुंदरम सशस्त्र सीमा बल की पूर्व मुख्य रही है 1980 बैच की तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं

-दिनेश कुमार जैन महाराष्ट्र के मुख्य सचिव रह चुके हैं 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं

– महेंद्र सिंह 1981 बैच के भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं

-इंद्रजीत प्रसाद गौतम 1986 बैच के आईएएस अधिकारी हैं

-विश्व में लोकपाल का इतिहास

लोकपाल या ओंबड्समैन संस्था ने प्रशासन के प्रहरी बने रहने में अंतरराष्ट्रीय सफलता प्राप्त की है इसका प्रारंभिक श्रेय स्वीडन को जाता है जहां सर्वप्रथम इस संस्था की अवधारणा की कल्पना की गई थी सर्वप्रथम स्वीडन में वर्ष 1809 में ओंबड्समैन नामक अधिकारी की नियुक्ति की गई यह अधिकारी विधायिका की ओर से जनता की शिकायतों की सुनवाई करता है और उनका निराकरण करता है स्वीडन के बाद धीरे-धीरे ऑस्ट्रिया डेनमार्क अफ्रीका एशिया ऑस्ट्रेलिया अमेरिका और यूरोप के कई देशों में भी ओंबड्समैन के कार्यालय स्थापित हुए फिनलैंड में वर्ष 1919 में डेनमार्क में 1954 में नार्वे में 1961 में ब्रिटेन में 1967 में भ्रष्टाचार समाप्त करने के उद्देश्य से ओंबुद्समैन की स्थापना की गई अलग-अलग देशों में इसे अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे ब्रिटेन डेनमार्क और न्यूजीलैंड में पार्लियामेंट्री कमिश्नर फ्रांस में प्रशासनिक न्यायालय भारत में लोकपाल आदि। Lokpal GK


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