भारत छोड़ो आंदोलन दिवस 8 अगस्त 

-भारत छोड़ो आंदोलन दिवस 8 अगस्त 

-आजादी के इतिहास का अंतिम महत्वपूर्ण पड़ाव

भारत छोड़ो आंदोलन आज हम आजाद हिंदुस्तान में सांस ले रहे हैं उसकी वजह इस मुल्क में स्वाधीनता सेनानियों के संघर्ष क्रांतिकारियों की शहादत से लेकर हर वर्ग और मजहब के व्यक्ति द्वारा किया गया बलिदान है भारत की आजादी के इतिहास में ऐसी कई तारीखे हैं जिन्होंने भारत की आजादी 15 अगस्त 1947 को तय किया ऐसा ही एक दिन है 8 अगस्त 1942 जब भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ और तय हो गया कि अब अंग्रेजों की गुलामी से मुल्क को आजाद करा कर रहेंगे इसलिए बापू ने नारा भी दिया करो या मरो कहा भी गया है कि भारत की आजादी से सम्बन्धित इतिहास में दो पड़ाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण नजर आते हैं प्रथम 1857 का स्वतंत्रता संग्राम और द्वितीय 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन अहिंसा के इस आंदोलन में अंग्रेजी शासन की निर्ममता के चलते करीब 940 लोग मारे गए थे वहीं 1630 लोग घायल भी हो गए थे 60,000 से अधिक कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी भी दी अंग्रेजी हुकूमत के दस्तावेजों के मुताबिक अगस्त 1942 से दिसंबर 1942 तक पुलिस और सेना ने प्रदर्शनकारियों पर 538 बार गोलियां चलाई 1942 की अगस्त महीने में भारत में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत हो चुकी थी तो 1943 में एक फिल्म आई जिसमें मध्य प्रदेश के उज्जैन के बड़नगर में कवि प्रदीप की कलम से निकली एक गीत ने आजादी के सुर छेड दिए ये आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है दूर हटो दूर हटो ए दुनिया वालो हिंदुस्तान हमारा है यह गीत अंग्रेजी हुकूमत के दौरान लगातार लोगों में ऊर्जा भरता रहा इस वर्ष भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ मनाई जा रही है । Quit india movement in Hindi

-भारत छोड़ो आंदोलन के उदय के कारण

– क्रिप्स मिशन की असफलता

क्रिप्स मिशन की असफलता से यह स्पष्ट हो गया था कि अंग्रेजों का लक्ष्य भारत को स्वतंत्र करने का नहीं है विश्व जनमत को अपने पक्ष में लाने के लिए अंग्रेजों ने इस नाटकीय स्वांग का प्रदर्शन किया था प्रसिद्ध राजनीतिक विचारक लास्की ने भी स्पष्ट रूप से लिखा था कि चर्चिल की सरकार ने स्टेफोर्ड क्रिप्स को भारत की समस्या का हल करने के लिए सच्चे इरादे से नहीं भेजा था असली विचार भारत को स्वाधीनता देना नहीं बल्कि मित्र राष्ट्रों की आंखों में धूल झोंकना था। Quit india movement in Hindi

– जापान के आक्रमण का भय

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान की सेना निरंतर आगे बढ़ रही थी इससे भारत के प्रदेशों भी खतरा उत्पन्न हो गया था गांधी जी ने यह अनुभव किया कि हम भारत की सुरक्षा तभी कर सकते हैं जब अंग्रेज भारत छोड़ देंगे उनका कहना था कि अंग्रेजो भारत को जापान के लिए मत छोड़ो भारत को भारतीयों के लिए व्यवस्थित रूप में छोड़ जाओ ब्रिटिश सरकार जापान की सेनाओं का मुकाबला करने में असफल रही मलाया सिंगापुर वर्मा में अंग्रेजों की पराजय हुई भारतीयों को विश्वास हो गया कि ब्रिटेन भारत की रक्षा नहीं कर सकता । Quit india movement in Hindi

-आर्थिक असंतोष की स्थिति

देश की असंतोषजनक आर्थिक स्थिति में भी महात्मा गांधी को भारत छोड़ो आंदोलन चलाने के लिए बाध्य किया देश में महंगाई बहुत तेजी से बढ़ रही थी इसमें आम जनता का जीवन मुश्किल हो गया था देश की दयनीय स्थिति के लिए गांधीजी ने अंग्रेज सरकार को जिम्मेदार माना वर्धा में भारतीयों के साथ भेदभाव और बर्मा में रह रहे भारतीयों के साथ अंग्रेज दुर्व्यवहार करती थी वर्मा से आने वाले भारतीय शरणार्थियों के साथ पशु की तरह व्यवहार किया जा रहा था उनको पृथक तथा कष्टदायक रास्ते दिए गए थे गांधीजी ने 1942 में लिखा था भारतीय और यूरोपीय शरणार्थियों के व्यवहार में जो भेद किया जा रहा है और सेनाओं का जो व्यवहार है उसे अंग्रेजों की इरादों और घोषणाओं की तरफ अविश्वास बढ़ रहा है । Quit india movement in Hindi

-पूर्वी बंगाल में असंतोष की स्थिति

पूर्वी बंगाल में बहुत से लोगों को बिना मुआवजा दिए उनकी जमीनों से वंचित किया गया सेना के लिए किसानों के घर जबरदस्ती खाली करवाए गए जिससे भारतीयों में असंतोष फैल गया ।

-ब्रिटिश के विरुद्ध वातावरण

देश का तत्कालीन वातावरण अंग्रेजों के विरुद्ध 27 जुलाई 1942 को अंग्रेजी सरकार ने लंदन की एक ब्रॉडकास्ट में यह घोषित किया कि भारत को युद्ध का आधार बनाया जाएगा और इसके लिए सभी संभव व आवश्यक कार्यवाही की जाएगी इससे अंग्रेजों का ध्येय और स्पष्ट हो गया महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन आरंभ करने का निश्चय किया गया 14 जुलाई 1942 में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की वर्धा बैठक में गांधीजी के विचार को पूर्ण समर्थन मिला कि भारत में संवैधानिक गतिरोध तभी दूर हो सकता है जब अंग्रेज भारत से चले जाएं वर्धा में कांग्रेस कार्यसमिति ने अंग्रेजों भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया आंदोलन की सार्वजनिक घोषणा से पूर्व 1 अगस्त 1942 को इलाहाबाद में तिलक दिवस मनाया गया आंदोलन के दौरान 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस की बैठक मुंबई की ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक में हुई गांधीजी के ऐतिहासिक भारत छोड़ो प्रस्ताव को कांग्रेस कार्यसमिति ने कुछ संशोधनों के बाद 8 अगस्त 1942 को स्वीकार कर लिया युद्ध की तैयारी में सहयोग देने के प्रस्ताव के साथ-साथ सरकार को तत्काल कदम उठाने की चुनौती दी गई कहा गया कि भारत की स्वतंत्रता की घोषणा के साथ एक स्थाई सरकार गठित हो जाएगी और स्वतंत्र भारत संयुक्त राष्ट्र का एक मित्र बनेगा मुस्लिम लीग से वादा किया गया कि ऐसा संविधान बनेगा जिसमें संघ में शामिल होने वाली इकाइयों को अधिक से अधिक स्वायत्तता मिलेगी और बचे हुए अधिकार उसी के पास रहेंगे प्रस्ताव का अंतिम अंश था देश में साम्राज्यवादी सरकार के विरुद्ध अपनी इच्छा जाहिर कर दी है अब उसे उस बिंदु से लौट आने का बिल्कुल औचित्य नहीं है अतः समिति अहिंसक ढंग से व्यापक धरातल पर गांधी जी के नेतृत्व में जन संघर्ष शुरू करने का प्रस्ताव स्वीकार करती है । Quit india movement in Hindi

-मूल मंत्र करो या मरो

काँग्रेस के इस ऐतिहासिक सम्मेलन में महात्मा गांधी ने लगभग 70 मिनट तक भाषण दिया अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि मैं आपको एक मंत्र देता हूं करो या मरो जिसका अर्थ था भारत की जनता देश की आजादी के लिए हर ढंग का प्रयत्न करें गांधीजी के बारे में भोगराजू पट्टाभी सीतारमय्या ने लिखा है कि वास्तव में गांधीजी उस दिन अवतार और पैगंबर की प्रेरक शक्ति से प्रेरित होकर भाषण दे रहे थे वह लोग जो कुर्बानी देना नहीं चाहते थे आजादी प्राप्त नहीं कर सकते भारत छोड़ो आंदोलन का मूल भी इसी भावना से प्रेरित था गांधी जी वैसे तो अहिंसावादी थे मगर देश को आजाद करवाने के लिए उन्होंने करो या मरो का मूल मंत्र दिया अंग्रेजी शासकों की दमनकारी आर्थिक लूट विस्तारवादी और मुसलवादी नीतियों के विरुद्ध उन्होंने लोगों को क्रमबद्ध करने के लिए भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ा था गांधी जी ने कहा था कि एक देश तब तक आजाद नहीं हो सकता जब तक कि उसमें रहने वाले लोग एक दूसरे पर भरोसा नहीं करते गांधी जी के इन शब्दों ने भारत की जनता पर जादू सा असर डाला और वे नए जोश और साहस और नए विकल्प आस्था दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े देश के कोने-कोने में करो या मरो का नारा गूंज गया अगस्त 1942 के विद्रोह के बाद प्रशन सिर्फ यह तय करना था कि स्वतंत्रता के बाद सरकार का स्वरूप क्या हो 1942 के आंदोलन की विशालता को देखते हुए अंग्रेजों को विश्वास हो गया था कि उन्होंने शासन का वैध अधिकार खो दिया है इस आंदोलन ने विश्व के कई देशों को भारतीय जनमानस के साथ खड़ा कर दिया चीन के तत्कालीन मार्शल च्यांग काईशेक ने 25 जुलाई 1942 को संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट को पत्र में लिखा अंग्रेजों के लिए सबसे श्रेष्ठ नीति यह है कि वे भारत को पूर्ण स्वतंत्रता दे दे रूजवेल्ट ने भी इसका समर्थन किया सरदार वल्लभभाई पटेल ने आंदोलन की बारे लिखा भारत में ब्रिटिश राज के इतिहास में ऐसा विप्लव कभी नहीं हुआ जैसा कि पिछले 3 वर्षों में हुआ लोगों की प्रतिक्रिया पर हमें गर्व है अगस्त में हुई इस क्रांति का असर यह हुआ कि 5 साल बाद 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत खत्म हुई और आजाद भारत में तिरंगा लहराया। Quit india movement in Hindi


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