Short answer questions ethics notes for UPSC

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General studies paper – 4 notes 
Part – 4

Topic – लघु उत्तरीय प्रश्न- सहिष्णुता के प्रमुख उपयोग, नैतिकता, इमानदारी और खुलापन, अभिप्रेरणा के उद्देश्य, संरक्षणता का सिद्धांत 


-सहिष्णुता के प्रमुख उपयोगों की चर्चा करें 

-सहिष्णुता दूसरों के प्रति आदर उदारता और समानता सम्मान की भावना है यह लोगों को आपस में समान भाव विकसित करने की प्रेरणा देती है सहिष्णुता के उपयोग को हम निम्न रूप में देख सकते हैं सामाजिक मूल्यों की जानकारी के द्वारा सहिष्णुता की भावना विकसित होती है इसके द्वारा व्यक्ति दूसरे के प्रति सहयोग को प्राथमिकता प्रदान करता है आपसी विचार आदान-प्रदान परामर्श और समन्वय को बढ़ावा मिलता है जो सभ्य नागरिक समाज हेतु महत्वपूर्ण है सहिष्णुता के कारण जनभागीदारी और प्रशासन के मध्य संबंध स्थापित होता है कुरीति और जटिल प्रवृत्तियों को शमन करने में सहिष्णुता प्रभावी भूमिका निभाती है मानवीय उदारता और निष्ठा को जन्म देती है जिससे राष्ट्र को प्रोत्साहन मिलता है तथा प्रशासन के प्रति विश्वास जागृत होता है । Short answer questions ethics notes for UPSC

-आम जीवन में नैतिकता की भूमिका के पक्ष क्या है ?

नैतिकता की नींव उत्तरदायित्व और जवाबदेही की धारणा से ही रखी जाती है आम जीवन में नैतिकता की भूमिका के अनेक पक्ष है जिसमें नैतिक मूल्यों की अभिव्यक्ति और कार्यवाही कि सुनिश्चितता शामिल है नैतिक व्यवहार के ढांचे में इन तत्वों को जरूर शामिल करना चाहिए नैतिक मानकों और व्यवहारों को संहिताबध करना जनहित और व्यक्तिगत लाभ के बीच संघर्ष से बचने के लिए व्यक्तिगत रूचि को अभिव्यक्त करना प्रासंगिक संहिताओं को प्रभावी बनाने के लिए उचित व्यवस्था बनाना किसी अधिकारी को अपने पद पर योग्य या अयोग्य करार दिए जाने के लिए मानक प्रदान करना। Short answer questions ethics notes for UPSC

– प्रशासनिक नैतिकता को बनाए रखने या नैतिकता स्तर को ऊंचा उठाने के उपाय प्रशासन में नैतिकता की मांग उनके स्तरों पर अनेक कारणों से की रही है इसलिए प्रशासन नैतिकता के मापदंड निश्चित करने के लिए व्यापक और कारगर प्रयासों की आवश्यकता है इस संबंध में निम्न कदम उठाए जा सकते हैं

-विश्वास और व्यावसायिक कार्यों में उत्तम सेवा का लक्ष्य प्रशासनिक नैतिकता के लिए सरकार को ऐसे नैतिक मापदंड स्थापित करने चाहिए जिससे कार्यों के निष्पादन में गतिशीलता और निष्पक्षता आए और सरकार के संगठन में संलग्न पदाधिकारियों में अहंकार का जन्म ना हो ।

 

-स्वार्थ की संकल्पना इसकी सदा आशा की जाती है कि लोक सेवक अपने निर्णय बिना किसी पक्षपात या पूर्वाग्रह के ले। Short answer questions ethics notes for UPSC

– तार्किकता और वस्तु निष्ठा की अवधारणा मामला चाहे पुरस्कार प्रदान करने का हो या दंड देने का पदाधिकारी योग्यता के आधार पर अपने विकल्पों के चुनाव के लिए उत्तरदाई है ।

-व्यवहारिक सत्यनिष्ठा लोक सेवकों को किसी वितीय या किसी अनुग्रह से कभी प्रभावित नहीं होना चाहिए।

– वित्तीय जवाबदेही जन पदाधिकारी अपने निर्णय और कार्यों के लिए जनता के समक्ष उत्तरदाई होना चाहिए तथा अपने कार्यालय के लिए जो कोई भी समीक्षा उचित हो स्वयं प्रस्तुत करनी चाहिए।

– इमानदारी और खुलापन सार्वजनिक निर्णय एक खुले और इमानदार तरीके के लिए जाने चाहिए ये मानक संक्रामक है तथा पूरी व्यवस्था के साथ-साथ पुलिस में भी फैलाने चाहिए ।

-निष्पक्षता सरकारी कर्मचारियों में सर्वप्रथम निष्पक्षता तथा सरकारी कामकाज में सक्रियता की आशा की जाती है भ्रष्टाचार और पक्षपात से बचने के लिए सरकारी कर्मचारी का समग्र रूप से निष्पक्ष होना आवश्यक है उन्हें कानूनी नियम और नियमों में निर्धारित कार्यक्रम नीतियां अति सावधानी के साथ कार्यान्वित करनी चाहिए ।

-राजनीतिक तटस्थता राजनीतिक तटस्थता प्रजातांत्रिक ढांचे में प्रशासन की दक्षता और इमानदारी के लिए सरकारी सेवा का एक आवश्यक अंग है इसका अर्थ यह है कि सरकारी कर्मचारियों को सोच विचार के निष्पक्ष ढंग से स्वतंत्र और स्पष्ट परामर्श देते जाना चाहिए। Short answer questions ethics notes for UPSC

– आम जीवन में नैतिकता की भूमिका के पक्ष क्या है ?

नैतिकता की नीव उत्तरदायित्व और जवाबदेही की धारणा से ही रखी जाती है आम जीवन में नैतिकता की भूमिका के अनेक पक्ष है जिसमें नैतिक मूल्यों की अभिव्यक्ति और कार्यवाही की कोशिश शामिल है नैतिक  व्यवहार के ढांचे में इन तत्वों को जरूर शामिल होना चाहिए नैतिक मानकों और व्यवहारों को संहिताबध करना जनहित और व्यक्तिगत लाभ के बीच संघर्ष से बचने के लिए व्यक्तिगत रूचि को व्यक्त करना प्रासंगिक संहिताओं को प्रभावी बनाने के लिए उचित व्यवस्था बनाना किसी अधिकारी को अपने पद पर योग्य या अयोग्य करार दिए जाने के लिए मानक प्रदान करना। Short answer questions ethics notes for UPSC

 

– अभिप्रेरणा कोई भी भावना या इच्छा जो व्यक्ति की इच्छा को इस प्रकार बना लेती है कि वह इस कार्य को करने के लिए प्रेरित हो जाए तो वह अभी प्रेरणा कहलाती है अभी प्रेरणा व प्रक्रिया है जो मानव व्यवहार को लक्ष्य की दिशा में कार्य करने के लिए आंतरिक और बाह्य रूप से प्रेरित करती है अभिप्रेरणा की विशेषताएं अभिप्रेरणा एक प्रक्रिया है यह एक सतत और गतिशील प्रक्रिया है अभिप्रेरणा का संबंध मानवीय साधनों से है प्रत्येक व्यक्ति के अंदर ही उदय होती है संपूर्ण व्यक्ति अभी प्रेरित होता है उसका एक भाग नहीं है अभिप्रेरणा की विभिन्न विधियां हैं या मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि है अभी प्रेरणा मानवीय संतुष्टि का कारण और परिणाम दोनों ही है अभीप्रेरणा मनोबल से भिन्न है । Short answer questions ethics notes for UPSC

-अभिप्रेरणा के उद्देश्य संगठन के लक्ष्यों की प्राप्ति करना संगठन में कार्यरत कर्मचारियों का स्वैच्छिक सहयोग प्राप्त करना कर्मचारियों के मनोबल की स्थापना करना मधुर श्रम प्रबंध संबंधों की स्थापना करना कर्मचारियों की कार्य कुशलता में वृद्धि करना बाहर से थोपे गए नियंत्रण के स्थान पर कर्मचारियों में आत्म नियंत्रण की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना कर्मचारियों के मध्य परस्पर सहयोग की भावना में वृद्धि करना कर्मचारियों की आर्थिक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना।

– संरक्षणता का सिद्धांत गांधीजी व्यक्तिगत संपत्ति का अंत चाहते थे लेकिन व्यक्ति को अपनी संपत्ति से वंचित करने के लिए मार्क्सवादी पॉलीटेरियन कृति के पक्षपाती नहीं थे सत्य और अहिंसा द्वारा हृदय परिवर्तन प्रमुख अस्त्र था जिससे पूंजीपति जीवित रहते हुए भी मारे जा सकते हैं गांधीजी का मानना था कि आर्थिक विषमता की समस्या का हल संरक्षणता सिद्धांत पर चलने से ही संभव हो सकता है गांधीजी मानते थे कि संपत्ति कभी व्यक्ति की नहीं बल्कि सामूहिक समाज की हुआ करती है इसलिए वे चाहते थे कि पूंजीपति अपने को संपत्ति का स्वामी ना समझकर ट्रस्टी समझे खुले तौर पर उनकी इच्छा थी कि धनी अपनी संपत्ति अपने पास रखें और अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं को जितना उचित समझे उतना ही खर्च करें परंतु अवशिष्ट संपत्ति को समाज की धरोहर समझे इसके उपयोग समाज के लिए होता है । Short answer questions ethics notes for UPSC

-भावात्मक प्रज्ञता क्या होती है और यह लोगों में किस प्रकार विकसित की जा सकती है ?

किसी व्यक्ति विशेष को नैतिक निर्णय लेने में यह कैसे सहायक होती है भावात्मक प्रज्ञता या भावनात्मक बुद्धिमत्ता व्यक्ति की क्षमता है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने और दूसरों की भावनाओं को समझ और नियंत्रित कर सकता है इसके द्वारा व्यक्ति के गुणों को पहचान कर पाना और परिस्थितियों को समझना आसान होता है इसके द्वारा व्यक्ति अपने आचरण बातचीत करने के ढंग और संबंधों को मजबूत करने में श्रेष्ठता प्रदान कर सकता है किसी व्यक्ति को उसके स्वयं के तथा अपने कार्य क्षेत्र के वातावरण के मध्य अंतर संबंधों को विकसित करने में भावात्मक बुद्धिमत्ता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है भावात्मक बुद्धिमता या प्रज्ञता का विकास केवल अनुभव और व्यवहारिक ज्ञान से ही होता है इसके लिए परिस्थितियों को समझना और उनका विश्लेषण करना विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न व्यक्तियों की प्रतिक्रियाओं को समझना इस प्रकार का निर्णय लेने से पूर्व सभी संबंधित तथ्यों की पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेना आदि आवश्यक है भावात्मक प्रज्ञता के विकास के लिए व्यक्ति द्वारा आत्म संयम अपनी भावनाओं पर नियंत्रण और आत्म विश्लेषण भी सहायक होता है यदि व्यक्ति अपने कार्य अपने राष्ट्र और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का अनुभव करता है तथा अपने कार्यों से दूसरों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सचेत रहता है तो भी उसमें भावात्मक प्रज्ञता का विकास होता है भावात्मक बुद्धिमत्ता व्यक्ति को नैतिक निर्णय लेने में सहायक होती है क्योंकि ऐसे व्यक्ति का उसके कार्य क्षेत्र के वातावरण से सामंजस्य बेहतर होता है भावात्मक बुद्धिमता से युक्त व्यक्ति अपने निर्णय से अपने आसपास के वातावरण और अन्य व्यक्तियों पर उसका क्या प्रभाव पड़ेगा इस बात का विश्लेषण करने के बाद ही निर्णय करता है वह यह भी समझाने में सक्षम होता है कि अन्य लोग उससे क्या अपेक्षा करते हैं इसलिए भावात्मक बुद्धिमत्ता या प्रज्ञता से व्यक्ति नैतिक निर्णय लेने में अधिक सक्षम होता है। Short answer questions ethics notes for UPSC


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