सुचेता कृपलानी जयंती 25 जून

-सुचेता कृपलानी जयंती 25 जून

– आजाद भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री बन रचा इतिहास

Sucheta kriplani Jayantiआज हर क्षेत्र में महिलाओं की सक्रिय उपस्थिति देख पा रहे हैं लेकिन देश की आजादी के पहले का दौर ऐसा नहीं था उस समय गिनी चुनी महिलाएं घर के बाहर की भूमिका में नजर आती थी और राजनीति में तो उनकी उपस्थिति बेहद ही कम थी ऐसे दौर में भी जिन महिलाओं ने इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया उनमें से एक सुचिता कृपलानी एक प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थी आजादी के बाद देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के चौथे मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपना पदभार संभाला तो उनका नाम आजाद भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री के रूप में दर्ज हो गया वे 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही उनके पति प्रसिद्ध समाजवादी नेता जे बी कृपलानी आचार्य कृपलानी के नाम से प्रसिद्ध थे सुचेता कृपलानी ने भारत के विभाजन के समय शरणार्थियों के पुनर्वास का कार्य भी किया उन्होंने कस्तूरबा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की संगठन सचिव और गांधी स्मारक की उपसभापति का दायित्व भी संभाला वे दिल्ली विश्वविद्यालय की सीनेट तथा मीरांडा हाउस और लेडी श्री राम कॉलेज की गवर्निंग काउंसिल की सदस्य और नवहिंद एजुकेशन सोसायटी की अध्यक्ष भी रहे । Sucheta kriplani Jayanti

-भारत छोड़ो आंदोलन सक्रिय भागीदारी

सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून 1908 को हरियाणा राज्य के अंबाला शहर में हुआ था उनके पिता एसएन मजमुदार यहां डॉक्टर थे उनकी उच्च शिक्षा लाहौर और दिल्ली में हुई थी वह बचपन से ही स्वतंत्र विचारधारा की थी और उनके पढ़ने की ललक थी उन्होंने उस समय के प्रतिष्ठित इंद्रप्रस्थ और सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़ाई की और फिर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में लेक्चरर हो गई गांधीजी के संपर्क में आने के बाद वे स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी करने लगी 1942 भारत छोड़ो आंदोलन में ऊषा मेहता का नाम ही सबसे ज्यादा चर्चा में रहा था 1946 में वह संविधान सभा की सदस्य चुनी गई इसमें सुचिता कृपलानी ने महिलाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए संविधान में उनके अधिकारों को लेकर सुखरता दिखाई वे एक अच्छी गायिका भी थी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जब आजादी के मौके पर अपना पहला भाषण ट्रस्ट विद डेस्टिनी दिया था तो इससे पहले सुचेता ने ही वंदे मातरम गाया था । Sucheta kriplani Jayanti

-मजबूत इच्छाशक्ति ने दिया चुनौतियों से जूझने का साहस

उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री रही सुचिता कृपलानी की जिंदगी के विविध पहलू उन्हें ऐसी महिला की पहचान देते हैं जिसमें अपनत्व और जुझारू पन कूट-कूट कर भरा था एक शख्सियत के कई रूप गुणों वाले राजनेता अब शायद ही मिले उन्होंने जो भी काम किया दिल से किया भारत छोड़ो आंदोलन में लड़कियों को ड्रिल और लाठी चलाना सिखा कर जहां उन्होंने महिलाओं को एहसास कराया कि वह भी किसी से कम नहीं है वही नोआखली के दंगा पीड़ित इलाकों में गांधी जी के साथ चलते हुए पीड़ित महिलाओं की मदद कर उन्हें सांत्वना देने भी वे पीछे नहीं रही भारत छोड़ो आंदोलन में जब सारे पुरुष नेता जेल चले गए तो सुचिता कृपलानी ने अलग रास्ते पर चलने का फैसला किया उन्होंने कहा कि बाकियों की तरह मैं भी जेल चली गई तो आंदोलन को मार्ग कौन बनाएगा वह भूमिगत हो गई और पुलिस से छुट्टी छुपाते 2 साल तक आंदोलन भी चलाया इसके लिए अंडरग्राउंड वॉलिंटियर फ़ोर्स बनाई लड़कियों को ड्रिल लाठी चलाना प्राथमिक चिकित्सा और संकट में घिर जाने पर आत्म रक्षा के लिए हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी राजनीतिक कैदियों में परिवार को राहत देने का जिम्मा भी उठाती रही दंगों के समय महिलाओं को राहत पहुंचाने चीन हमले के बाद भारत आए तिब्बती शरणार्थियों के पुनर्वास या फिर से किसी को मिलाने पर उसका दर्द पूछ कर उसका हल तलाशने की कोशिश हमेशा करती रही 1963 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से पहले लगातार दो बार लोकसभा के लिए चुनी गई सुचिता दिल की कोमल थी लेकिन प्रशासनिक फैसले लेते समय वह दिल नहीं दिमाग की सुनती थी उनके मुख्यमंत्री काल के दौरान विभिन्न चुनौतियों का उन्होंने डटकर सामना किया। Sucheta kriplani Jayanti

– पारिवारिक जीवन भी रहा सुर्ख़ियों में

उनके सुचिता मजमुदार से सुचिता कृपलानी बनाने का सफर भी रोमांच से भरा हुआ है सुचिता ने जेबी कृपलानी से शादी की थी एमजीआर उनकी शादी आसान नहीं थी घरवालों के साथ ही महात्मा गांधी ने भी सुचिता कृपलानी की शादी का विरोध किया था जीवन राम भगवान दास कृपलानी और सुचेता मजमुदार को मिलाने में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की बड़ी भूमिका थी दोनों में एक साम्य  यह भी थी किए बीएचयू में इतिहास के प्रोफेसर रहे थे बाद में महात्मा गांधी के साथ काम करते हुए दोनों नजदीक आते गए कृपलानी सिंध के हैदराबाद में पैदा हुए थे असाधारण तौर पर बेहद कुशाग्र और कुछ अलग तरह के सोचने वाले शख्स थे ऐसा माना जाने लगा कि वह विवाह शब्द उनकी डिक्शनरी में नहीं है कृपलानी लंबे कद के सुदर्शन व्यक्तित्व के धनी थे तो सुचिता साधारण कद काठी वाली थी लेकिन कुछ तो था उनके व्यक्तित्व में जिसने कृपलानी जैसे शख्सियत को उनके प्यार में बांध लिया था असल में दोनों एक जैसे ही थे जुनूनी और देश के लिए मर मिट जाने वाले दोनों इतने गंभीर और आत्मविश्वासी थे कि उन्हें उनके अटल निश्चय से हिला पाना मुश्किल था घर वालों की विरोध के बावजूद दोनों ने शादी करने का मन बना लिया । Sucheta kriplani Jayanti

-गांधी जी ने आपत्ति के बावजूद दी विवाह की अनुमति

जब गांधी को उनके प्यार और विवाह की बात की भनक लगी तो वह हैरान रह गए कि उनके आश्रम में इन दोनों का प्यार फुला फला और उन्हें इस बात का पता ही नहीं चला उन्होंने इस शादी पर यह कहते हुए आपत्ति जताई कि मैं अपने गंभीर और दिल साथी को नहीं खोना चाहता यानी गांधी जी को लगा कि शादी के बाद उनका ध्यान शायद आंदोलन से हट जाए लेकिन सुचिता कृपलानी के जुनून के देखते हुए उन्होंने इस शादी को अपनी अनुमति दे दी 1936 में गांधी जी ने सुचिता और आचार्य कृपलानी को बुलावा भेजा गांधी जी ने उनसे कहा कि उन्हें उसकी शादी से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन वह उन्हें आशीर्वाद नहीं दे सकेंगे उनके लिए प्रार्थना करेंगे अप्रैल 1936 में सुचिता और आचार्य कृपलानी ने शादी कर ली उस समय कृपलानी 48 साल के थे तो सुचेता मात्र 28 साल की थी शादी के बाद कुछ नहीं बदला सुचेता और जेबी दोनों ने गांधी के दो हाथ बनकर सत्याग्रह से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन में उनका साथ दिया साल 1940 में सुचेता नर ऑल इंडिया महिला कांग्रेस का गठन किया सुचेता ने अपनी किताब सुचिता अनफिनिश्ड ऑटोबायोग्राफी में लिखा कि गांधीजी ने विवाह का विरोध किया था उन्हें लगता था कि परिवारिक जिम्मेदारिया उन्हें आजादी की लड़ाई से विमुख कर देगी गांधी जी ने कृपलानी से कहा अगर तुम उससे शादी करोगे तो मेरा दाया हाथ तोड़ दोगी तब सुचिता ने उनसे कहा वह ऐसा क्यों सोचते हैं बल्कि उन्हें तो यह सोचना चाहिए कि उन्हें आजादी की लड़ाई में एक की बजाय दो कार्यकर्ता मिल जाएंगे । Sucheta kriplani Jayanti

-पति पत्नी विरोधी दलों में होकर भी साथ साथ रहे आजादी की लड़ाई में तो सुचिता और जेबी ने कदम से कदम मिलाकर काम किया लेकिन बाद में हालात ने ऐसी करवट ली कि दोनों विरोधी दलों में शामिल हो गए दोनों पति-पत्नी तो थे ही लेकिन उनमें दोस्ती का रिश्ता भी बहुत गहरा था सुचेता 1962 कानपुर से उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य चुनी सन 1963 में उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया और करीब 3 साल 162 दिन तक वह मुख्यमंत्री पद पर बनी रहे उनके कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में जो मामला था वह  कर्मचारियों की हड़ताल थी इस हड़ताल का सुचिता ने बखूबी सामना किया सुचिता में एक बेहद ही मंझे हुए नेता की खूबी थी वर्ष 1971 में राजनीति से रिटायर होने के बाद वह आचार्य कृपलानी के साथ दिल्ली में रहने लगी एक पत्नी के नाते उन्होंने अपने पति का पूरा ख्याल रखा 1 दिसंबर 1974 को उनकी मृत्यु हो गई इस मौके पर अपने शोक संदेश में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने कहा था कि सुचेता जी ऐसे दुर्लभ साहस और चरित्र की महिला थी जिनसे भारतीय महिलाओं को सम्मान मिलता है। Sucheta kriplani Jayanti

– सुचेता कृपलानी का राजनीतिक सफर

1939 में बीएचयू की नौकरी छोड़कर राजनीति में आई 1940 में आजादी के लिए व्यक्तिगत सत्याग्रह किया और गिरफ्तार हुई 1942 से 44 तक निरंतर सफलता पूर्वक भूमिगत आंदोलन चलाया फिर 1944 में गिरफ्तार किया गया 1946 में केंद्रीय विधानसभा की सदस्य चुनी गई साथ ही संविधान सभा की सदस्य और फिर उसकी प्रारूप समिति के सदस्य चुनी गई 1948 में पहली बार विधानसभा के लिए चुनी गई  1959 से1952 तक प्रोविजनल लोकसभा सदस्य रहे 1949 में संयुक्त राष्ट्र महासभा अधिवेशन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में अमरीका गई 1952 और 57 में नई दिल्ली से लोकसभा के लिए निर्वाचित इस दौरान लघु उद्योग मंत्रालय में राज्यमंत्री रही 1954 तथा 1957 में उनके नेतृत्व में संसदीय प्रतिनिधिमंडल तुर्किस्तान गया 1962 से 67 उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित 2 अक्टूबर 1963 से 13 मार्च तक उत्तर प्रदेश की सीएम के रूप में काम किया 1967 में गोंडा से लोकसभा के लिए चुनी गई 1971 में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। Sucheta kriplani Jayanti


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