भारत में राष्ट्रपति शासन ऐतिहासिक विवेचना

-भारत में राष्ट्रपति शासन ऐतिहासिक विवेचना

राष्ट्रपति शासन भारत में शासन के संदर्भ में उस समय प्रयोग किया जाने वाला एक परिभाषिक शब्द है जब किसी राज्य सरकार को भंग या निलंबित कर दिया जाता है और राज्य प्रत्यक्ष संघीय शासन के अधीन आ जाता है, किसी भी राज्य में जब राज्यपाल को लगता है कि कोई भी पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है तो वह राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करते हैं इसके अलावा यदि राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा दिए गए संवैधानिक निर्देशों का पालन नहीं करती है तो उस हालत में भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है राष्ट्रपति शासन को राज्य आपातकाल या संवैधानिक आपातकालीन कहते हैं स्वतंत्रता के बाद से अभी तक 126 मौके आए हैं जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया अभी तक जिन राज्यों में राष्ट्रपति शासन नहीं लगा है वह है छत्तीसगढ़ और तेलंगाना।

प्रधानमंत्रीकार्यकालराज्यों में कितनी बार राष्ट्रपति शासन लगा?
जवाहरलाल नेहरू15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964
लालबहादुर शास्त्री9 जून 1964 से 11 जनवरी 19662
इंदिरा गांधी24 जनवरी 1966 से 24 मार्च 197714 जनवरी 1980 से 31 अक्टूबर 198450
मोरारजी देसाई24 मार्च 1977 से 28 जुलाई 197916 
चरण सिंह28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 19804
राजीव गांधी31 अक्टूबर 1984 से 2 दिसंबर 19896
वीपी सिंह2 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990
चंद्रशेखर10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991
पीवी नरसिम्हा राव21 जून 1991 से 16 मई 199611
अटल बिहारी वाजपेयी16 मई 1996 से 1 जून 199619 मार्च 1998 से 22 मई 20044
एचडी देवेगौड़ा1 जून 1996 से 21 अप्रैल 19972
इंद्र कुमार गुजराल21 अप्रैल 1997 से 19 मार्च 19980
मनमोहन सिंह22 मई 2004 से 26 मई 201412
नरेंद्र मोदी26 मई 2014 से अब तक7
राष्ट्रपतिकार्यकालकितनी बार लगा?
राजेंद्र प्रसाद26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962 (तीन बार)7
सर्वपल्ली राधाकृष्णन13 मई 1962 से 13 मई 19674
जाकिर हुसैन13 मई 1967 से 3 मई 19695
वीवी गिरी24 अगस्त 1969 से 24 अगस्त 197419
फखरूद्दीन अली अहमद24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 19775
बीडी जट्टी (एक्टिंग)11 फरवरी 1977 से 25 जुलाई197710
नीलम संजीव रेड्डी25 जुलाई 1977 से 25 जुलाई 198220
जैल सिंह25 जुलाई 1982 से 25 जुलाई 19874
रामास्वामी वेंकटरमण25 जुलाई 1987 से 25 जुलाई 199213
शंकर दयाल शर्मा25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 199710
केआर नारायण25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 20024
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 20072
प्रतिभा पाटिल25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 20126
प्रणब मुखर्जी25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 20178
रामनाथ कोविंद25 जुलाई 2017 से अब तक7


राष्ट्रपति शासन से जुड़े संवैधानिक प्रावधान –

राष्ट्रपति शासन से जुड़े प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 365 और 356 में है अनुच्छेद 356 के मुताबिक राष्ट्रपति किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं यदि वे इस बात से संतुष्ट हो कि राज्य सरकार संविधान के विभिन्न प्रावधान के मुताबिक काम नहीं कर रही है ऐसा जरूरी नहीं है कि वह राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर ही करें राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के 2 महीनों के अंदर संसद के दोनों सदनों द्वारा इसका अनुमोदन किया जाना जरूरी है इस बीच लोकसभा भंग हो जाती है तो इसका राज्यसभा द्वारा अनुमोदन किए जाने के बाद नई लोकसभा द्वारा अपने गठन के 1 महीने के भीतर अनुमोदन किया जाना जरूरी है अनुच्छेद 365 के मुताबिक यदि राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं करती है तो उस हालत में भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है किसी भी राज्य में एक बार में अधिकतम 6 महीने के लिए ही राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है वही किसी भी राज्य में अधिकतम 3 वर्ष के लिए ही राष्ट्रपति शासन लगाने की व्यवस्था है इसके लिए भी हर 6 महीने में दोनों सदनों से अनुमोदन जरूरी है।


राष्ट्रपति शासन लगने का कारण –

राज्य में अनुच्छेद 356 के अंतर्गत दो प्रकार से राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है राज्य में संविधान के अनुसार प्रशासन नहीं चलाने पर राज्यपाल द्वारा राज्य सरकार की रिपोर्ट राष्ट्रपति को दी जाती है इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय राष्ट्रपति के द्वारा किया जाता है यदि कोई राज्य सरकार केंद्र द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं करती है तो उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है राष्ट्रपति शासन लगने की घोषणा होने के पश्चात इसके 2 महीने के अंदर संसद के दोनों सदनों से स्वीकृति लाना अनिवार्य है यह निर्णय सामान्य बहुमत से किया जाता है संसद के दोनों सदनों द्वारा इसकी स्वीकृति प्राप्त हो जाती है तो अगले 6 महीने तक राष्ट्रपति शासन चलता रहता है जिसको प्रत्येक 6-6 महीने के रूप में लगातार तीन वर्ष तक लगाया जा सकता है।


एसआर बोम्मई मामला 1994 में एसआर बोम्मई मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला बेहद अहम माना जाता है सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की सरकारों को बर्खास्त संबंधी अनुच्छेद की व्याख्या की थी और कहा था कि अनुच्छेद 356 के तहत यदि केंद्र सरकार राज्य में चुनी हुई सरकार को बर्खास्त करती है तो सुप्रीम कोर्ट सरकार बर्खास्त करने के कारणों की समीक्षा कर सकता है।
-90 के दशक तक ऐसा अक्सर देखा जाता था कि केंद्र की सरकारें राज्यपाल की मदद से ऐसी परिस्थितियां पैदा कर देती थी हालांकि सन 1994 में उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद इसका अनुचित इस्तेमाल कम हो गया।
-राष्ट्रपति शासन की अवधि संसद के दोनों सदनों द्वारा राष्ट्रपति शासन का अनुमोदन कर दिया जाता है तो राष्ट्रपति शासन छह माह तक चलता रहेगा इस प्रकार 6-6 माह कर 3 वर्ष तक आगे बढ़ाया जा सकता है।
-बहुमत मिलने पर हट सकता है राष्ट्रपति शासन, किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद अगर कोई राजनीतिक दल सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटें हासिल कर लेता है तो राष्ट्रपति शासन हटाया भी जा सकता है।


राष्ट्रपति शासन क्यों कहते हैं – इसे राष्ट्रपति शासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके द्वारा राज्य का नियंत्रण एक निर्वाचित मुख्यमंत्री की जगह सीधे भारत के राष्ट्रपति के अधीन आ जाता है लेकिन प्रशासनिक दृष्टि से राज्य के राज्यपाल को केंद्रीय सरकार द्वारा कार्यकारी अधिकार प्रदान किए जाते हैं प्रशासन में मदद करने के लिए सलाहकार की नियुक्ति होती है जो आमतौर पर सिविल सेवक होते हैं सामान्यता इस स्थिति में राज्य में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी की नीतियों का अनुसरण होता है।


-राष्ट्रपति शासन के समय होने वाले परिवर्तन

मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद को राष्ट्रपति द्वारा भंग कर दिया जाता है राज्य सरकार के सभी कार्य राष्ट्रपति द्वारा ले लिया जाते हैं उन कार्यों को राज्यपाल या फिर किसी अन्य अधिकारी के द्वारा किया जाता है राज्य का प्रशासन राज्यपाल के द्वारा राष्ट्रपति के नाम पर किया जाता है। राज्यपाल सलाहकारों की सहायता से राज्य का शासन चलाता है इसलिए अनुच्छेद 356 के माध्यम से की गई घोषणा को राष्ट्रपति शासन कहा जाता है।

राज्य विधायिका की शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति की घोषणा के बाद संसद द्वारा किया जा सकता है संसद उस राज्य की बजट और विधेयक को पारित करती है संसद को यह शक्ति प्राप्त होती है कि वह राज्य के लिए कानून बनाने का अधिकार किसे नामित अधिकारी को प्रदान कर सकती है संसद का सत्र ना चलने पर राष्ट्रपति अनुच्छेद 356 शासित राज्य के लिए अध्यादेश जारी कर सकता है।

पहली बार राष्ट्रपति शासन – सरकारी आंकड़ों के मुताबिक आजादी के बाद 1951 में पंजाब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था कांग्रेस में फूट की वजह से यहां 20 जून 1951 से 17 अप्रैल 1952 के बीच राष्ट्रपति शासन लगाया गया नेहरू की कैबिनेट ने पहली बार केरल की लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार को बर्खास्त किया था विधानसभा में नंबूदरीपाद सरकार को बहुमत था लेकिन राज्यपाल राम कृष्णा राव ने सूबे की सरकार को बर्खास्त करने की अनुशंसा की थी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में कुल 8 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया।


इंदिरा गांधी के शासन में राष्ट्रपति शासन – देश में सबसे ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन इंदिरा गांधी के दौर में लगा उनकी 11 वर्ष और 59 दिन के कार्यकाल में 50 बार राष्ट्रपति शासन लगा 1977 तक के पहले कार्यकाल में 35 और 1980 से 84 तक के कार्यकाल में 15 बार राष्ट्रपति शासन लगा जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद 1980 में इंदिरा गांधी चौथी बार प्रधानमंत्री बने और 17 फरवरी को एक साथ 9 राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था।


आपातकाल के बाद राष्ट्रपति शासन – आपातकाल के बाद 24 मार्च 1977 को मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने उन्होंने 30 अप्रैल 1970 को 9 राज्यों में एक साथ राष्ट्रपति शासन लगा दिया। सबसे ज्यादा दूसरी बार राष्ट्रपति शासन मोरारजी देसाई के कार्यकाल में लगा था 2 वर्ष 126 दिन के कार्यकाल में 16 बार राष्ट्रपति शासन राज्य में लगाया गया इस दौरान मोरारजी देसाई के अलावा चरण सिंह भी करीब 6 महीने के लिए कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने इनमें 12 बार मोरारजी देसाई और 4 बार चरण सिंह के कार्यकाल में राष्ट्रपति शासन लगा था।


– खराब कानून व्यवस्था की स्थिति के कारण राष्ट्रपति शासन

पंजाब में 80 के दशक में उग्रवादी गतिविधियों के चलते 1987 से 92 के बीच लगातार 5 वर्ष तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा यह पहला मौका था जब किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रखने की अधिकतम सीमा 3 साल से ज्यादा दिन तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा पंजाब में इसे 3 से 5 वर्ष करने पर संविधान में इसका उल्लेख भी किया गया 1993 से 94 नागा कुकी संघर्षों के कारण राष्ट्रपति शासन लगा जम्मू कश्मीर में -1990-1996 के बीच आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने और संवैधानिक व्यवस्था की असफल रहने के कारण लगातार 6 वर्ष तक राष्ट्रपति शासन लगाया गया यह दूसरी बात है जब संविधान के अनुसार राष्ट्रपति शासन की अधिकतम सीमा को बढ़ाया गया मणिपुर में 1972 में राज्य के पुनर्गठन 1979 से 80 के दौरान कानून व्यवस्था बिगड़ने के चलते राष्ट्रपति शासन लगा आंध्र प्रदेश में 1973 में अलग राज्य बनाने की मांग के लिए हुए हिंसक आंदोलन से राज्य सरकार निपटने में असफल रही इसके बाद यहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया जो करीब 11 महीने तक लागू रहा उत्तर प्रदेश में 1973 में पुलिस विद्रोह के कारण 5 महीने तक और 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद भड़के दंगों के चलते पूरे 1 वर्ष तक राष्ट्रपति शासन लगाया गया तमिलनाडु में 1976 में राज्यपाल की सिफारिश पर केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजा राज्य में भ्रष्टाचार को इसका कारण बताया गया।


राजीव गांधी के शासन में राष्ट्रपति शासन – राजीव गांधी के 5 साल 32 दिनों की कार्यकाल में कुल 6 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया।


1989 से 1999 के बीच राष्ट्रपति शासन – 1989 से लेकर 1999 तक 7 प्रधानमंत्री बने इस दौरान 20 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया प्रधानमंत्री वीपी सिंह के दौरान दिसंबर 1989 से नवंबर 1990 तक राष्ट्रपति शासन लगा प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सरकार के समय नवंबर 1990 से जून 1991 तक एच डी देवगौड़ा के वक्त जून 1996 से अप्रैल 1997 तक राष्ट्रपति शासन लागू हुआ।

अटल बिहारी वाजपेई की शासन में राष्ट्रपति शासन – प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में मार्च 1999 से मई 2004 तक प्रधानमंत्री रहने वाले अटल बिहारी वाजपेई ने 5 बार इस प्रावधान का इस्तेमाल किया अटल बिहारी वाजपेई तीन बार प्रधानमंत्री बने।


मनमोहन सिंह सरकार के दौरान राष्ट्रपति शासन – तीसरी सबसे ज्यादा राष्ट्रपति शासन मनमोहन सिंह के कार्यकाल 2000 से 2014 में लगा था 10 वर्ष और 4 दिन के उनके कार्यकाल में 12 बार राष्ट्रपति शासन लगा ।


जम्मू कश्मीर में राज्यपाल और राष्ट्रपति शासन –
अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा हासिल था जिसके तहत राज्य में किसी भी तरह की राजनीतिक स्थिरता या बिगड़ती कानून व्यवस्था से निपटने के लिए राज्यपाल शासन लगाया जा सकता था राज्यपाल सिफारिश करते थे तो वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाता था हालांकि अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया है जिसके बाद वहां राष्ट्रपति शासन ही लगेगा 1990 में राज्य में आतंकवाद अपने चरम पर था और उस वक्त तक वहां पर राष्ट्रपति शासन लगाया गया था जम्मू कश्मीर में अब तक 8 बार राज्यपाल और 3 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है।


नरेंद्र मोदी सरकार में राष्ट्रपति शासन – केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद अब तक (16-8-2020) 7 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है जो कि देश के 4 राज्यों में लगा है इसमें महाराष्ट्र, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर भी शामिल है पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में दो बार राष्ट्रपति शासन लग गया था पहले 25 दिन और 19 दिन के लिए  पहले कांग्रेस में फूट पड़ने के बाद और दूसरी बार मई में एक बार फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ मोदी सरकार में ही अरुणाचल प्रदेश वर्ष 2016 में 26 दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन लगा था कांग्रेस की 21 विधायकों ने 11 बीजेपी और दो निर्दलीय विधायकों के साथ हाथ मिला लिया था इसके चलते राज्य सरकार अल्पमत में आ गई थी जिसके चलते राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।

हालांकि राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और कोर्ट ने अपने फैसले में कांग्रेस सरकार को बहाल कर दिया था जम्मू कश्मीर में जून 2018 में बीजेपी ने पीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था इसके चलते महबूबा मुफ्ती ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था राष्ट्रपति शासन के दौरान ही राज्य में आर्टिकल 370 को रद्द कर दिया गया और राज्य से विशेष राज्य का दर्जा भी वापस ले लिया गया है हालांकि इससे पहले भी वर्ष 2015 में विधानसभा चुनाव में खंडित फैसले के बाद सरकार गठन में विफलता के चलते जम्मू कश्मीर में केंद्रीय शासन राज्य में लागू किया गया था।

महाराष्ट्र में चुनाव नतीजे आने के 19 दिन के बाद भी सरकार बनने की संभावना नहीं दिखने पर वहां 12 नवंबर 2019 को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया महाराष्ट्र में 12 नवंबर 2019 से पहले तक दो बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है अब यह तीसरी बार लागू किया गया है महाराष्ट्र के इतिहास में यह तीसरा मौका है जब राष्ट्रपति शासन लगाया गया है पहली बार 17 फरवरी से 9 जून 1980 तक और दूसरी बार 2014 में 32 दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया था महाराष्ट्र राज्य के 59 वर्ष के इतिहास में पहली ऐसी घटना है जब विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक दलों की सरकार नहीं बना पाने के चलते अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल किया गया वर्तमान का महाराष्ट्र एक मई 1960 को अस्तित्व में आया थ।


राष्ट्रपति शासन से संबंधित प्रमुख – मणिपुर में में सबसे ज्यादा 10 बार और उत्तर प्रदेश 9 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया सबसे ज्यादा दिन तक राष्ट्रपति शासन लागू रहने के मामले में पंजाब सबसे आगे हैं वहीं अलग-अलग मौकों पर 3510 दिन यानी लगभग 10 वर्ष राष्ट्रपति शासन रहा दूसरे नंबर पर जम्मू कश्मीर है जहां तीन बार राष्ट्रपति शासन लगा और जहां कुल 2375 दिन लागू रहा जम्मू कश्मीर में 8 बार राज्यपाल और तीन बार राष्ट्रपति शासन लगा जम्मू कश्मीर में पहले राज्यपाल शासन लगाया जाता रहा है इसके बाद राष्ट्रपति शासन की सिफारिश हुई न्यूनतम राष्ट्रपति शासन कर्नाटक राज्य में 7 दिनों के लिए चला है अभी तक जिन राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं लगा है वह छत्तीसगढ़ और तेलंगाना है देश के 27 राज्यों में कम से कम एक बार राष्ट्रपति शासन लगा देश में सबसे ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन इंदिरा गांधी के दौर में सबसे ज्यादा दूसरी बार राष्ट्रपति शासन मोरारजी देसाई के कार्यकाल में लगा था तीसरी बार सबसे ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन मनमोहन सिंह के कार्यकाल में लगा था चौथी बार सबसे ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में लगा था आमतौर पर राष्ट्रपति शासन उन राज्यों में लगाया जाता है जहां केंद्र में विराजमान पार्टी सत्ता में नहीं होती लेकिन दो ऐसे मौके भी आए हैं जब इंदिरा गांधी सरकार ने कांग्रेस शासित राज्यों में भी राष्ट्रपति शासन लगा दिया था पंजाब में सन 1983 और आंध्र प्रदेश में 1973 में ऐसा हुआ था।

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