इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन EVM कैसे काम करती है ?

-इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन कैसे काम करती है 

-अगर आप 18 वर्ष के हैं तो आपने वोट डालने के लिए ईवीएम मशीन का इस्तेमाल भी किया होगा भारत में इस मशीन का उपयोग आम चुनाव राज्य विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग का मार्ग प्रशस्त करने के लिए 1999 से किया जा रहा है पहले चुनाव मतपत्र से हुआ करते थे लेकिन अब पूरे भारत में बैलेट पेपर की जगह ईवीएम मशीन ने ले ली है ईवीएम मशीन में दो यूनिट होते हैं एक कंट्रोल यूनिट और दूसरा बैलटिंग यूनिट होता है यह दोनों यूनिट एक दूसरे के साथ 5 मीटर लंबे केबल से जुड़ी रहती है कंट्रोल यूनिट बैलेट यूनिट को कंट्रोल करती है और बैलेट यूनिट मतदाता को मतदान की सुविधा प्रदान करती है कंट्रोल यूनिट का इस्तेमाल मतदान अधिकारी करता है जबकि बैलटिंग यूनिट का इस्तेमाल मतदाता करता है जब तक मतदान अधिकारी कंट्रोल यूनिट का बटन नही  दबाएगा तब तक वोटर वोट नहीं सकता बैलटिंग यूनिट से वोट डालने के बाद मशीन अपने आप लॉक हो जाती है उसके बाद कोई बटन को कितना भी दबाए वह काम नहीं करती वह मतदान अधिकारी के कंट्रोल यूनिट बटन दबाने के बाद ही फिर से काम करेगी। how electronic voting machines work

– ईवीएम मशीन कैसे काम करती है

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन प्रत्येक उम्मीदवार के लिए एक अलग बटन प्रदान करती है मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार और पार्टी के बटन पर क्लिक करके वोट दे सकता है सबसे पहले मतदाता अपने उम्मीदवार के बटन को दबाता है मतदाता के बटन दबाते ही बीप की आवाज आती है इसका मतलब वोट हो गया इसके बाद वीवीपैट स्क्रीन पर उम्मीदवार का नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह प्रिंट होता है यह पर्ची 7 सेकंड तक मतदाता को वीवीपैट स्क्रीन पर दिखती है उसके बाद मशीन में सुरक्षित जमा हो जाती है पहले इसमें सिर्फ ईवीएम मशीन की दो इकाइयां कंट्रोल यूनिट और बैलट यूनिट इस्तेमाल होता था लेकिन ईवीएम मशीन सुरक्षा पर सवाल उठाए जाने के बाद से चुनाव आयोग वीवीपैट का भी इस्तेमाल करने लगा है वीवीपैट का मतलब होता है वोटर वेरीफाइड पेपर यूनिट ट्रेल जो यह दर्शाता है कि आपका वोट किस उम्मीदवार को गया है यह 7 सेकंड तक स्क्रीन पर पर्ची को दिखाता है जिससे मतदाता को स्पष्ट हो जाता है कि उसका वोट किसको गया है। how electronic voting machines work

– इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल कैसे करें ?

    1. ईवीएम मशीन से वोट डालना बहुत आसान है मशीन में बाएं तरफ सभी उम्मीदवारों का नाम और उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह छपा हुआ होता है।
    1. बैलट यूनिट में हर उम्मीदवार के नाम के आगे लाल लाइट और एक नीला बटन होता है। वोट डालने के लिए आप निम्न स्टेप फॉलो करें
    1. सबसे पहले ईवीएम मशीन में अपने पसंदीदा उम्मीदवार का नाम देखे।
    1. उसके बाद उसके नाम के आगे मौजूद नीला बटन दबाएं।
    1. आपके बटन दबाते ही रेड लाइट जल जाएगी और लंबी Peeeee जैसी आवाज आएगी इसका मतलब आपका वोट आपके पसंदीदा उम्मीदवार को चला गया है। 
  1. आपके वोट डालते ही मशीन लॉक हो जाती है दोबारा कोई ईवीएम मशीन का बटन दबाता है तो उसे रिकॉर्ड नहीं करेगी।

ईवीएम मशीन पूरी तरह से सुरक्षित है और उसमें कोई भी बदलाव नहीं कर सकते एक व्यक्ति सिर्फ एक बार ही वोट डाल सकता है एक बार बटन दबाने के बाद वह लॉक हो जाती है और दोबारा चाह कर भी कोई बदलाव या दिए गए वोट को हटाया नहीं जा सकता ईवीएम मशीन का इस्तेमाल सबसे पहले 1998 में हुआ था तब राजस्थान मध्य प्रदेश और दिल्ली के विधानसभा चुनाव ईवीएम मशीन के द्वारा ही करवाए गए थे। how electronic voting machines work

पहले ही चरण में प्रयोग सफल रहने के बाद लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में भी ईवीएम मशीन का इस्तेमाल किया जाने लगा तब से अब तक भारतीय चुनाव आयोग हर साल चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल करते हैं अभी भी कुछ पुरानी मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है लेकिन वीवीपैट को सिर्फ नई मशीनों ही जोड़ा जा सकता है इसलिए आगे होने वाले चुनाव में नई ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल होगा।

एक ईवीएम मशीन 6 वोल्ट की बैटरी की मदद से काम करती है ताकि किसी अन्य बाहरी पावर की जरूरत ना पड़े एक ईवीएम में 64 उम्मीदवारों के नाम और ज्यादा से ज्यादा 3840 वोट आ सकते हैं 64 उम्मीदवारों के नाम को इस तरह सूचीबद्ध किया जाता है की एक सूची में 16 नाम आते हैं और ऐसी चार सूची बनाई जाती है जो एक दूसरे से जुड़ी रहती है ईवीएम कई मायनों में परंपरागत मतदान से अच्छा और सुविधाजनक माना जाता है। how electronic voting machines work

    • एक व्यक्ति केवल एक ही वोट कर सकता है जिससे जाली वोटिंग जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है।
    • ईवीएम बैटरी से चलती है इसलिए इससे बिजली की बचत होती है यदि मतदान के दौरान बिजली ना हो तब भी कोई दिक्कत नहीं होती।
    • लाखों बैलट पेपर बैलट पेपर के ट्रांसपोर्ट का खर्चा गिनती का खर्चा आदि कम होने से काफी पैसे की बचत होती है ।
    • लाखो बैलट पेपर की जगह एक ईवीएम को एक जगह से दूसरी ले जाना सुविधाजनक होता है।
    • वोट की गिनती आसानी से होती है।
    • एक ईवीएम 15 साल तक काम कर सकती है।
  • अनपढ़ लोग भी ईवीएम का आसानी से उपयोग कर सकते हैं।

वोटिंग मशीन का इस्तेमाल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी किया जाता है भारत एक नहीं बल्कि कई सारे देशों में ईवीएम मशीनों का निर्यात करता है।

इसमें नेपाल भूटान केन्या फिजी और नामीबिया जैसे कई देश शामिल है नामीबिया द्वारा 2014 में संपन्न राष्ट्रपति चुनाव के लिए भारत से निर्मित 1700 कंट्रोल यूनिट और 3500 बैलट यूनिट का आयात किया गया था।

इन सब के अलावा कई और एशियाई और अफ्रीकी देश भारतीय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं। how electronic voting machines work


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