आर्थिक आधार पर आरक्षण 3.0

-आर्थिक आधार पर आरक्षण 3.0

– दो शताब्दी से अधिक समय तक विदेशी दासता से 15 अगस्त 1947 को मुक्ति पाने के साथ भारत के सामाजिक आर्थिक राजनीतिक ताने-बाने को समावेशी रूप से विकसित करने के लिए भारतीय संविधान की रचना की गई इसके अंतर्गत शताब्दियों से दबे कुचले उत्पीड़ित शोषित पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए मौलिक अधिकार और राज्य के नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत सकारात्मक भेदभाव के सिद्धांत को अपनाया गया प्रारंभिक स्तर पर अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए विधायिका लोकसभा और राज्य विधानसभाओं कार्यपालिका तथा शिक्षक संस्थानों में सीटों का आरक्षण प्रदान किया गया 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने आरक्षण की व्यवस्था को मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करके अन्य पिछड़ी जातियों के लिए भी लागू करा दिया गया। अब 12 जनवरी 2019 को संविधान एक संशोधन अधिनियम 2019 को 103 वा संशोधन अधिसूचित करके आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों को भी आरक्षण में ले आया गया है । Reservation for upper caste

-आरक्षण 3.0

-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक दृष्टि से पिछड़े सभी धर्मों की जातियों के लिए सार्वजनिक और निजी सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त लेकिन अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त संस्थाओं को छोड़कर शिक्षण संस्थाओं तथा केंद्र सरकार और राज्य सरकार की नौकरियों में 10% का आरक्षण कोटा प्रदान करने संबंधी 103 वां संशोधन विधेयक 12 जनवरी 2019 को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर कर दिए जाने के बाद कानून बन गया है। गुजरात देश का पहला राज्य हो गया है जिसने इस आरक्षण व्यवस्था को लागू भी कर दिया है भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में मौलिक रूप से केवल सामाजिक दृष्टि से पिछड़ी जातियों अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए सकारात्मक भेदभाव के सिद्धांत को अपनाते हुए विधायिका शिक्षण संस्थाओं तथा सरकारी नौकरी में आरक्षण प्रदान की जाने की शक्ति कार्यपालिका के पास थी यह व्यवस्था संविधान लागू होने के बाद 10 वर्ष तक की अवधि के लिए की गई थी लेकिन राजनीतिक अवसरवादीता के चलते 10 वर्षों के लिए आगे बढ़ाया जाता रहा है 1989 में राजनीतिक लाभ लेने के लिए ही विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने की घोषणा करके अन्य पिछड़ी जातियों को 27% आरक्षण की व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त किया स्वर्ण जातियों के लिए 10% आरक्षण सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित 50% की अधिकतम सीमा के अतिरिक्त है इस प्रकार अब आरक्षित कोटा 60% हो गया है

10% आरक्षण पाने के लिए निम्न अहर्ताए जरूरी है 

-8 लाख वार्षिक से कम आय प्राप्त करने वाले आर्थिक दृष्टि से पिछड़े माने गए हैं 

-ऐसे परिवार जिनके पास 5 एकड़ भूमि हो 

-ऐसे परिवार जिनके पास शहरी क्षेत्रों में 1000 वर्ग फुट से कम आकार का मकान हो

– ऐसे परिवार जिनके पास किसी अधिसूचित म्युनिसिपल क्षेत्र में 109 वर्ग गज का प्लॉट या गैर अधिसूचित म्युनिसिपल क्षेत्र में 209 वर्ग गज से कम आकार का प्लॉट हो।

 सितंबर 2018 में जारी 2015 16 की कृषि जनगणना के आंकड़ों के अनुसार देश में 99858 हजार जोतो का आकार एक से 2 हेक्टेयर तक है इस प्रकार 125635 हजार जोतो का आकार 2 हेक्टेयर से कम है जो कुल जोतो का 86.2% हो जाता है इस प्रकार 86.2% परिवार 10% का आरक्षण का लाभ लेने के लिए पात्र है नाबार्ड द्वारा 2018 में जारी अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण के अनुसार ग्रामीण परिवारों की औसत आय 66666 है इसका सीधा सा अर्थ है कि ग्रामीण क्षेत्र के सभी परिवार 10% आरक्षण का लाभ पाने के लिए योग्य है ।

सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011 के अनुसार अभी सभी ग्रामीण परिवार 10% आरक्षण पाने के लिए योग्य है केवल 8.25% ग्रामीण परिवार ही ऐसे हैं जिनकी मासिक आय एक लाख से अधिक है भारत में जातिगत आरक्षण को चुनाव में जातियों को अपने पक्ष में करने के लिए अचूक अस्त्र माना जाने लगा है यही कारण है कि संविधान संशोधन विधेयक 2019 पर लोकसभा और राज्यसभा में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन के सांसदों को छोड़कर अन्य सभी दलों के सांसदों ने सरकार के निर्णय की तीखी आलोचना तो की लेकिन इसे पारित कराने में सरकार का पूरा सहयोग किया। क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल 2019 में लोकसभा चुनाव में अपने ऊपर कलंक का टीका नहीं लगा सकता था कि वह स्वर्ण जातियों के आर्थिक दृष्टि से पिछड़ों को आरक्षण का विरोध करता है यह कोई नई या अभिनव पहल नहीं है नरसिंह राव सरकार ने 1991 में इसी प्रकार की पहल की थी जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने असंवैधानिक करार दे दिया संविधान 103 वे संशोधन अधिनियम 2019 को भी सर्वोच्च न्यायालय में यूथ फॉर इक्वलिटी ऑर्गेनाइजेशन और कौशल कांत मिश्रा द्वारा इस आधार पर चुनौती दी गई है कि आर्थिक कसोटी आरक्षण का एकमात्र आधार नहीं हो सकती दायर याचिका के अनुसार यह कानून संविधान की बुनियादी संरचना का उल्लंघन करता है तथा आरक्षण की 50% की सीमा को पार नहीं किया जा सकता है । Reservation for upper caste

-सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ों के लिए आरक्षण की पहल-

 आरक्षण पहल -आरक्षण 1.0 अनुसूचित जाति और जनजातियों के लोगों को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं सार्वजनिक क्षेत्र की शैक्षणिक संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में 15%, 7% आरक्षण 

-आरक्षण 2.0 अन्य पिछड़ी जातियों को सार्वजनिक शैक्षणिक संस्थानों तथा सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण कोटा 

-आरक्षण 3.0 आर्थिक दृष्टि से पिछड़ी तथाकथित ऊंची जातियों को सार्वजनिक और निजी शिक्षण संस्थाओं अल्पसंख्यक संस्थाओं को छोड़कर तथा सरकारी नौकरी में 10% आरक्षण कोटा ।


विभिन्न वर्गों द्वारा दी गई मांग और आंदोलनों के आगे झुकते हुए राज्य सरकार ने तुष्टीकरण की नीति अपनाकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कुल 50% आरक्षण के स्तर से ज्यादा भी आरक्षण अनुपात के लिए पहल की है जिसका लेखा जोखा इस प्रकार हैं-  Reservation for upper caste

 तमिलनाडु में 69% पद स्थान आरक्षित वर्ग में तथा इससे संबंधित कानून भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल है ज्ञात है कि नौवीं अनुसूची में शामिल कानून न्याय पुनरीक्षण के दायरे में नहीं आते इसी आधार पर 2018 में सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 69% कर दिए जाने से संबंधित एक याचिका पर स्थगन आदेश जारी करने से मना कर दिया था हालांकि सर्वोच्च न्यायालय में इस प्रकरण से संबंधित अनेक जनहित याचिकाएं विचाराधीन है ।संविधान की 103 वे संशोधन लागू हो जाने के बाद तमिलनाडु में आरक्षण का स्तर 79% हो जाएगा। Reservation for upper caste

– महाराष्ट्र– भारतीय जनता पार्टी शिवसेना गठबंधन सरकार ने मराठा द्वारा चलाए गए आरक्षण समर्थक आंदोलन के आगे झुकते हुए मराठों के लिए 16% पद आरक्षित करने की व्यवस्था की इससे महाराष्ट्र में आरक्षण का स्तर 52% से बढ़कर 68% हो गया यदि यह व्यवस्था क्रियान्वित हो जाती है तथा 103 वे संविधान संशोधन अधिनियम लागू हो जाने के बाद महाराष्ट्र में आरक्षण का स्तर 78% हो जाएगा तथा राज्य दूसरे स्थान पर होगा।

– आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने कायु समुदाय को 50% के स्तर से ऊपर 5% आरक्षण दिया है इसलिए सरकार चाहती है कि इस कानून को भारतीय संविधान की नौवीं सूची में डाल दिया जाए राज्य में प्रभावी आरक्षण स्तर 65% हो जाएगा। Reservation for upper caste

– तेलंगाना की सरकार ने 2017 में एक विधेयक पारित कराकर आरक्षण के स्तर को बढ़ाकर 62% कर दिया मुसलमानों के लिए 12% पद 50% के स्तर से आरक्षित कर दिए अब राज्य सरकार इस कानून को भारतीय संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करना चाहती है 103 वे संविधान संशोधन कानून के लागू हो जाने पर तेलंगाना में आरक्षण का कोटा 72 प्रतिशत हो जाएगा। Reservation for upper caste

– गुजरात सरकार सरकारी नौकरियों में आरक्षण हेतु पाटीदार आंदोलन के बाद आर्थिक दृष्टि से पिछड़े जिनमें पाटीदार भी शामिल है के लिए 10% का अतिरिक्त आरक्षण दिया जिससे राज्य में आरक्षण का स्तर 49.5% से बढ़कर 59.5% हो गया गुजरात उच्च न्यायालय ने इस अध्यादेश को रद्द कर दिया इसे स्वीकार कर लिया होता तो आर्थिक दृष्टि से पिछड़ों के लिए 10% आरक्षण को मिलाकर प्रभावी आरक्षण 69.5% हो जाता।

– राजस्थान में गुर्जर जाति के लोग स्वयं को अन्य पिछड़ा वर्ग से निकाल कर अनुसूचित जनजाति संवर्ग में शामिल करना चाहते हैं वसुंधरा राजे की सरकार ने 2017 में अन्य पिछड़ा वर्ग का कोटा 21% से बढ़ाकर 26% कर दिया लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया। Reservation for upper caste

– हरियाणवी जाट समुदाय के लोग आरक्षण हेतु आंदोलन चला चुके हैं भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 2016 में जाट सहित अन्य जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करके अन्य पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण में 10% की वृद्धि करने का विधेयक पारित किया न्यायालय ने इसे अन्य पिछड़ा वर्ग जातियों के राष्ट्रीय आयोग को संदर्भित कर दिया। Reservation for upper caste

 आरक्षण की वर्तमान पहल से देश के 95% से अधिक परिवार अब किसी ना किसी प्रकार के आरक्षण का लाभ पाने के लिए योग्य हैं भारत जैसे देश में जहां आयकर सीमा मात्र 2.5 लाख वर्ष है 8 लाख तक की वार्षिक आय वालों को आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा माना गया है यदि सभी परिवार आयकर विवरण दाखिल करने लगे तो वे 20% की आयकर वर्ग में होंगे इस स्तर पर इस 10% आरक्षण का लाभ अग्रणी जनजातियों के साधन संपन्न लोगों के परिवारों के पाले में जाएंगे क्योंकि वे अपने ही वर्ग के नीचे आय वालों की तुलना में बेहतर शिक्षा प्राप्त कर रहे होंगे।

 अ्गणी जातियों के अति निर्धन और वंचित लोगों के पालो के लिए सरकारी नौकरी पाना अब भी एक दिवास्वपन ही होगा।

 10% आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था पहले से जातिगत आधार पर आरक्षण की सुविधा ले रही अनुसूचित जातियों अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़ी जातियों के लिए भी घाटे का सौदा होगी इन वर्गों के ऐसे लोग जो आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग में नहीं आते उन्हें अब 10% कम अवसर प्राप्त होंगे उदाहरण अन्य पिछड़ी जातियों के लोगों को गैर आरक्षित वर्ग के 50.5% तथा अपने वर्ग के 27.0% कोटा 77.5% का लाभ मिलता था जो अब घटकर 67.5% 27प्रतिशत ओबीसी के लिए आरक्षित 40.5% अनारक्षित रह गया है।

ऊंची जातियों के मध्यम वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए स्थान प्रतिशत से घटकर 40% ही रह गए हैं आर्थिक दृष्टि से पिछड़ों के लिए 10% का आरक्षण कर देने से अन्य जातियों में उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की मांग अधिक प्रबल होगी समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने आरक्षण विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान अन्य पिछड़ी जातियों का कोटा उनकी जनसंख्या के अनुपात में 27% से बढ़ाकर 54 प्रतिशत किए जाने की मांग की अन्य पिछड़ी जातियों की अधिकाधिक मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए एक नया हथियार होगा । साथ विभिन्न राज्यों में सच्चर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर मुसलमानों के लिए आरक्षण कोटा निर्धारित करने की मांग भी उठेगी आर्थिक सुधार और उदारीकरण के दौर में जहां एक और सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरियों के अवसर कम होते जा रहे हैं वहीं दूसरी और राजनीतिक अवसरवादीता के तहत राजनीतिक दल विभिन्न जातियों को आरक्षण का झुनझुना थमा दिए जा रहे हैं आरक्षण की व्यवस्था से और कोई हानि हो या ना हो इसके चलते देश की प्रतिभा संपन्न युवा शक्ति की क्षमता पर तो कुठाघात होता ही है आरक्षण की व्यवस्था सामाजिक न्याय की दृष्टि से कितनी अच्छी क्यों ना हो नैसर्गिक न्याय की दृष्टि से आत्मघाती है लेकिन राजनीतिज्ञ कभी भी भविष्य की चिंता नहीं करते वे तो बस वर्तमान में जीते हुए अपनी राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं।Reservation for upper caste

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