20 फरवरी ‘विश्व सामाजिक न्याय दिवस’

20 फरवरी ‘विश्व सामाजिक न्याय दिवस’

(World Day of Social Justice)

समृद्धि और शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के लिए जरूरी है सामाजिक न्याय की स्थापना

– सामाजिक न्याय एक ऐसा लक्ष्य है जिसे प्राप्त करना एक सभ्य समाज के लिए अनिवार्य है इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न समाजिक रूढ़ियों तथा सामाजिक बहिष्कार अस्पृश्यता और जातिगत भेदभाव से छुटकारा पाना होगा । साथ ही बेरोजगारी गरीबी और विषमताओं से भी पार पाना होगा इस दिशा में व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर किए जा रहे वैश्विक प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए संपूर्ण विश्व में प्रतिवर्ष 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है इस अवसर पर विभिन्न संगठन जैसे संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन लोगों से सामाजिक न्याय हेतु अपील जारी करते हैं संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सामाजिक न्याय देशों के मध्य संबंध और शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के लिए अंतर्निहित सिद्धांत है । world day of social justice

सामाजिक न्याय का अर्थ है लिंग आयु धर्म तथा संस्कृति की भावना को भूलकर समान समाज की स्थापना करना सामाजिक न्याय के बिना समावेशी विकास का लक्ष्य भी अधूरा होता है विकास की अवधारणा ही आर्थिक समाजिक और वैचारिक स्तर पर सभी को समान अवसर प्रदान करने की भाव भूमि पर टिकी है । और इसे ही पारंपरिक तौर पर समाजिक न्याय की प्राथमिक जरूरत करार दिया जाता है विश्व में समाजिक न्याय के लिए अविकसित विकासशील और तीसरी दुनिया के देशों में भी सघन प्रयास किए जाते हैं ।

-2007 में पहली बार की नई पहल World Day of Social Justice

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2007 में पहली बार विश्व सामाजिक न्याय दिवस के आयोजन की पहल की गई थी संयुक्त राष्ट्र ने तब विश्व सामाजिक न्याय विकास सम्मेलन आयोजित करने तथा 24 वे महासभा सत्र का आह्वान करने की घोषणा की थी। इस अवसर पर यह घोषणा की गई कि 20 फरवरी को प्रतिवर्ष विश्व न्याय मनाया जाएगा प्रत्येक वर्ष विभिन्न क्रियाकलापों का आयोजन किया जाएगा। राष्ट्र ने कहा कि इस दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को गरीबी उन्मूलन के लिए कार्य करना चाहिए सभी स्थानों पर लोगों के लिए सभ्यकाम और रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए क्योंकि तब ही सामाजिक न्याय के लक्ष्य को प्राप्त करना संभव होगा । world day of social justice

समाज में फैले भेदभाव और असमानता की वजह से कई बार हालात इतने बुरे हो जाते हैं कि मानव अधिकारों का हनन भी होने लगता है इसी को ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र ने 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था वर्ष 2009 से इस दिवस को पूरे विश्व में समाजिक न्याय को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम के माध्यम से मनाया जाता है रोटी कपड़ा मकान सुरक्षा अशिक्षा गरीबी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से निपटने की जरूरत को पहचानने के लिए विश्व सामाजिक न्याय दिवस की शुरुआत की गई है । world day of social justice

बच्चों की शिक्षा में व्यवधान सामाजिक न्याय की राह में बड़ी रुकावट –

अंतर्राष्ट्रीय बाल कोष यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में तीन करोड़ बच्चे युद्ध या अन्य कारणों से पैदा होने वाले संकटों की वजह से शिक्षा नहीं ले पाते हैं हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार मध्य अफ्रीकी गणराज्य के लगभग एक तिहाई स्कूलें या नष्ट हो गए या सशस्त्र समहू द्वारा कब्जा कर लिया गया है यूनिसेफ के शिक्षा कार्यक्रम के प्रमुख जोसेफिन बोर्न ने कहा आपात स्थिति में रहने वाले बच्चों के लिए शिक्षा ही एक जीवन  रेखा है हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने बालिकाओं के बारे में कुछ चौंकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए इन आंकड़ों के अनुसार भारत की आबादी में बालिकाओं और महिलाओं की उपेक्षा चिंतनीय है । world day of social justice

बच्चों की भविष्य को सुरक्षित करने के क्षेत्र में हुआ सबसे ज्यादा काम –

सामाजिक न्याय की वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सबसे अधिक काम हुआ है दुनिया भर के बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के क्षेत्र में यूनेस्को के शिक्षा शांति पुरस्कार प्राप्त और गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में नामित वर्तमान में लगभग 50000 छात्र संख्या वाले सिटी मोंटेसरी स्कूल का लक्ष्य सामाजिक न्याय के तहत विश्व के 2 अरब से अधिक बच्चों को सुरक्षित भविष्य का अधिकार दिलाना है। जो कि संपूर्ण विश्व में एकता और शांति की स्थापना से ही संभव है न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में कई राष्ट्र प्रमुखों ने इस बात को मजबूती से रखा कि विश्व के 2 अरब से अधिक बच्चों को सुरक्षित भविष्य का अधिकार सभी सरकारों को प्राथमिकता होनी चाहिए ।

संयुक्त राष्ट्र ने सिटी मोंटेसरी स्कूल को अपना ऑफिशियल NGO घोषित किया है और यह उपलब्धि अर्जित करने वाला सीएमएस विश्व का पहला विद्यालय है यह उपलब्धि सीएमएस के सामाजिक जागरूकता के प्रयासों का प्रमाण है इसका संपूर्ण श्रेय सीएमएस की लगभग 50000 छात्र और उनकी 3000 शिक्षक और कार्यकर्ताओं को जाता है।

सामाजिक न्याय के लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक है भारतीय संविधान –

सामाजिक न्याय के लक्ष्य को हासिल करने के संदर्भ में जब भी भारत की बात होती है तो हम पाते हैं कि हमारे संविधान की प्रस्तावना में और उसके अनेक प्रावधानों में भी सामाजिक न्याय व्यवस्था की सुनिश्चित करने के मुकम्मल प्रबंध है जाति प्रथा और उससे उत्पन्न होने वाला स्वार्थ पूर्ण भेदभाव ही सामाजिक न्याय के लक्ष्य को हासिल करने में एक बड़ी बाधा सिद्ध होता है। भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला और बाल विकास आयोग जैसे कई सरकारी तंत्र और लाखों स्वयंसेवी संगठन हमेशा इस बात की कोशिश करते हैं कि समाज में भेदभाव से किसी भी नागरिक को अन्याय का सामना ना करना पड़े आज भी कई लोग अपने कई मूल जरूरतों के लिए न्याय प्रक्रिया को नहीं जानते। जिसके अभाव में कई बार उनके मानव अधिकारों का हनन होता है और उन्हें अपने अधिकारों से वंचित रहना पड़ता है । world day of social justice

अशिक्षा गरीबी बेरोजगारी महंगाई और आर्थिक असमानता के कारण सामाजिक न्याय बेहद विचारणीय विषय हो गया है सामाजिक न्याय की लक्ष्य को हासिल करने वाले कारकों तथा समाज में सभी को रोजगार के समान अवसर प्रदान करना सामाजिक सुरक्षा के व्यापक प्रबंध करना सामाजिक संवाद की स्थितियों का निर्माण करना और कार्यस्थल पर बुनियादी सिद्धांत और बुनियादी अधिकारों की इंतजाम करना भारतीय संविधान में इन सभी कारकों के बारे में समुचित प्रावधान है जिससे भारत में सामाजिक न्याय प्रदान करना एक बड़ी उपलब्धि है ।

-संयुक्त राष्ट्र की मजबूती से आसान होगी सामाजिक न्याय की राह –

वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में संयुक्त राष्ट्र को और मजबूत किए जाने की आवश्यकता है जिससे यह संस्था युद्ध को रोकने अंतर्राष्ट्रीय विवादों का निपटारा करने आतंकवाद को रोकने नाभिकीय हथियारों की समाप्ति और पर्यावरण सरक्षण आदि तमाम वैश्विक समस्याओं को प्रभावशाली ढंग से सुलझाने में सक्षम हो सके क्योंकि तभी विश्व में शांति और एकता की स्थापना संभव हो सकेगी और सामाजिक न्याय की राह आसान होगी विश्व एकता और विश्व शांति के प्रयासों के तहत ही सिटी मोंटेसरी स्कूल विगत 14 वर्षों से लगातार प्रतिवर्ष मुख्य न्यायाधीशों का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करता आ रहा है जिसमें अभी तक दुनिया के दो तिहाई से अधिक देशों की भागीदारी हो चुकी है । इसके अलावा 30 अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक समारोह के माध्यम से विवाह संस्था विश्व के बच्चों को एक मंच पर एकत्रित करके विश्व एकता और शांति का संदेश देती है । world day of social justice

इसके अलावा सीएमएस विभिन्न सामाजिक जागरूकता के कार्यक्रमों जैसे पर्यावरण बालिकाओं की शिक्षा किशोरों और युवाओं के चारित्रिक उत्थान आदि अनेक मुद्दों पर भी अपनी आवाज उठाता रहा है क्योंकि यह स्पष्ट है कि संपूर्ण शिक्षा पद्धति का मूल यही है कि सभी को सामाजिक न्याय आसानी से मिल सके मानव अधिकारों का संरक्षण हो भावी पीढ़ी को संपूर्ण मानव जाति की सेवा के लिए तैयार किया जा सके इसी प्रकार सामाजिक न्याय के लिए कानून को न्यायालय की चारदीवारी से बाहर लाना होगा जो व्यक्ति और शिक्षा आर्थिक अभाव या किसी भी अन्य कारणों से न्यायालय नहीं पहुंच पाता है उसे भी न्याय मिले इस बात को सभी को मिलकर सुनिश्चित करना है। सामाजिक न्याय के लक्ष्य को प्राप्त किए बिना कोई भी राष्ट्र समावेशी विकास के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकता है और इसी दिशा में किए जा रहे प्रयत्नों को हम विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाकर जांच सकते हैं। world day of social justice


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