शंघाई सहयोग संगठन : संपूर्ण जानकारी

☼ शंघाई सहयोग संगठन और भारत 

-SCO अर्थात शंघाई सहयोग संगठन चीन के नेतृत्व वाला 8 सदस्य आर्थिक और सुरक्षा समूह है इसमें भारत और पाकिस्तान को 2017 में शामिल किया गया था लेकिन इसमें संतुलन स्थापित करने के लिए चीन ने पाकिस्तान की सदस्यता का समर्थन किया था यद्यपि भारत और पाकिस्तान को शामिल करने से शंघाई सहयोग संगठन को व्यापक क्षेत्रीय आधार प्राप्त होगा लेकिन दोनों देशों के मतभेदों के कारण शंघाई सहयोग संगठन की गतिविधियां भी प्रभावित हो सकती है। इस संगठन का भारत के लिए सामरिक महत्व है प्रथम भारत की इस सम्मेलन में मुख्य रुचि सुरक्षा तथा आतंकवाद को लेकर है पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान तो आतंकवाद से सीधे तौर पर प्रभावित हैं लेकिन मध्य एशिया के देशों में भी इस्लामिक कट्टरवाद की प्रवृतियां विद्यमान है इसके अलावा यह क्षेत्र हथियारों तथा नशीली दवाओं के अवैध व्यापार से भी ग्रसित है यदि कभी अफगानिस्तान में आतंकवाद का विस्तार हुआ तो उसकी जड़े आवश्यक रूप से मध्य एशिया में फैल जाएंगी वैसे भी शंघाई सहयोग संगठन मूल रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा का संगठन के सदस्य राष्ट्रों ने सुरक्षा के साथ – साथ सहयोग के दायरे में आर्थिक मामलों को भी शामिल कर लिया भारत संगठन के माध्यम से आतंकवाद और सुरक्षा की चुनौतियों के समाधान में इच्छुक है। Shanghai cooperation organisation

☼ दूसरा मध्य एशिया

प्राकृतिक संसाधन जैसे तेल और गैस संयुक्त क्षेत्र है उदाहरण के लिए जहां कजाकिस्तान में तेल का भंडार है वही तुर्कमेनिस्तान में प्राकृतिक गैस प्रचुर मात्रा में पाई जाती है यह प्राकृतिक संसाधन भारत की ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है वर्तमान में भारत की संस्था ओएनजीसी विदेश कजाकिस्तान में तेल की खोज कर रही है तथा भारत तापी गैस परियोजना को क्रियान्वित करने का प्रयास कर रहा है । Shanghai cooperation organisation

-तीसरा यह क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से विकासशील है तथा इस क्षेत्र में भारत के लिए व्यापार तथा निवेश की संभावनाएं भी मौजूद है ।

☼ शंघाई सहयोग संगठन

शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 1996 में शंघाई फाइव के नाम से की गई थी क्योंकि इसकी स्थापना चीन के शहर शंघाई में की गई थी इसलिए आरंभ में इसका नाम रखा गया था तब इस संगठन में 5 सदस्य थे रूस, चीन, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान तथा तजाकिस्तान 2001 में शिखर सम्मेलन में उज्बेकिस्तान भी इस संगठन में शामिल हो गया तथा इसका नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन कर दिया था। सेंट पीटर्सबर्ग रूस में 2002 के शिखर सम्मेलन में ही शंघाई सहयोग संगठन का चार्टर स्वीकृत किया गया था मध्य एशिया के 5 देशों में केवल किर्गिस्तान ही शंघाई सहयोग संगठन का सदस्य नहीं है 2017 में भारत तथा पाकिस्तान को शंघाई सहयोग संगठन की स्थाई सदस्यता प्रदान कर दी गई है इसी के साथ शंघाई सहयोग संगठन की स्थाई सदस्यता बढ़कर 8 हो गई है।

शंघाई सहयोग संगठन के उद्देश्य 

सदस्य देशों के मध्य आपसी विश्वास तथा अच्छे पड़ोस के संबंधों को मजबूत बनाना।

देशों के मध्य राजनीति व्यापार तथा अर्थव्यवस्था, विज्ञान तथा तकनीकी, संस्कृति, शिक्षा, यातायात, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण तथा अन्य क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना।

मध्य एशिया क्षेत्र में शांति स्थिरता तथा सुरक्षा को बनाए रखने तथा सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना।

एक नई लोकतांत्रिक, न्याय संगत और विवेकपूर्ण अंतरराष्ट्रीय राजनीति और आर्थिक व्यवस्था की स्थापना की और अग्रसर होना।

उल्लेखनीय है कि आरंभ में शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना स्थायित्व को ध्यान में रखकर की गई थी लेकिन बाद में इसकी गतिविधियों का दायरा बढ़कर इस में आर्थिक सहयोग को भी शामिल कर लिया गया है। Shanghai cooperation organisation

☼ संगठनात्मक ढांचा

शंघाई सहयोग संगठन मुख्य रूप से 4 संस्थाएं इसके कार्यों का निष्पादन करती है

शीर्ष स्तर पर सदस्य देशों के राज्य अध्यक्ष की परिषद है जो इसकी सबसे नीति निर्माता संस्था है प्रतिवर्ष संपन्न होने वाले इस के सम्मेलनों को ही शिखर सम्मेलन की संज्ञा दी जाती है।

दूसरे स्तर पर सदस्य देशों के शासन अध्यक्षों की परिषद है जिसकी बैठकें वार्षिक आधार पर संपन्न होती है यह परिषद बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करती है तथा संगठन का बजट पारित करती है।

तीसरे स्तर पर सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की परिषद की होती है यह परिषद अंतर्राष्ट्रीय स्थिति की समीक्षा करती है तथा अन्य वैश्विक संगठनों के साथ विचार-विमर्श करती है।

चौथे स्तर पर राष्ट्रीय समन्वय परिषद है जिसका मुख्य दायित्व सदस्य देशों के सहयोग के कार्यक्रमों में समन्वय स्थापित करना है।

☼ शंघाई सहयोग संगठन की दो अन्य संस्थाएं भी है

प्रथम संगठन का सचिवालय चीन की राजधानी बीजिंग में स्थित है तथा संगठन की प्रशासनिक दायित्व का निर्वहन करता है। दूसरी संस्था उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में स्थित है आतंकवाद तथा अन्य संबंधित अपराधों की चुनौती का सामना करने के लिए सदस्यों की क्षमता का विस्तार करना है संगठन का प्रमुख कार्य है,  इस संगठन की स्थापना 2004  में की गई थी। Shanghai cooperation organisation

-बिश्केक शिखर सम्मेलन

2019 किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक ने शंघाई सहयोग संगठन की शासन अध्यक्षों का सम्मेलन 13,14 जून 2019 में संपन्न हुआ इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना ही आतंकवाद की चुनौती को प्रमुखता से उठाया था

इस मुद्दे को घोषणा पत्र में प्रमुखता से स्थान दिया गया है प्रधानमंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जो लोग आतंकवाद को पनाह देते हैं उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि समाज को आतंक से मुक्त करना जरूरी है इसके लिए मानवतावादी ताकतों को एकजुट होना होगा इसके साथ ही उन्होंने कहा कि SCO देशों को मिलकर आतंक के खिलाफ लड़ना होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन बुलाया जाना आवश्यक है उन्होंने सम्मेलन में अफगानिस्तान का भी जिक्र करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में शांति जरूरी है और इसके लिए भारत अफगानिस्तान के साथ खड़ा है इसके साथ ही उन्होंने देशों की क्षेत्रीय अखंडता को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र में संपर्कता के विकास को आवश्यक बताया शंघाई सहयोग संगठन के 8 में से 7 सदस्य देशों ने चीन की ओबोर योजना में सहयोग का वचन दिया लेकिन भारत ने ओबोर योजना का समर्थन नहीं किया शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हमारा लक्ष्य स्वस्थ सहयोग को मजबूत करना है उन्होंने इसके लिए एक नया विचार HEALTH प्रस्तुत किया जिसका विस्तार है H- स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग E- आर्थिक सहयोग A- वैकल्पिक ऊर्जा l-साहित्य संस्कृति T- आतंकवाद मुक्त समाज H-मानवी सहयोग सदस्य देशों ने 14 जून 2019 को बिश्केक घोषणा पर हस्ताक्षर किए।

जिसके मुख्य बिंदु निम्न है

घोषणा में आतंकवाद तथा सुरक्षा की समस्या को प्रमुखता से उठाया गया है सदस्यों ने आतंकवाद की आलोचना करते हुए विश्व समुदाय से आवाहन किया है कि वह दोहरा मापदंड अपनाए बिना संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों के आधार पर आतंकवाद के विरुद्ध विशेष सहयोग को मजबूत बनाने का प्रयास करें।

घोषणा में संयुक्त राष्ट्र में लंबित आतंकवाद पर व्यापक अंतरराष्ट्रीय अभीसमय को स्वीकार करने की आवश्यकता बताई गई यह भी निश्चय किया गया कि मध्य एशिया परमाणु हथियार मुक्त संधि के प्रोटोकॉल को शीघ्र अंतिम रूप दिया जाएगा। जिसमें सदस्य देशों की सुरक्षा की गारंटी की व्यवस्था होगी घोषणा में अफगानिस्तान की सरकार और जनता के शांति स्थापना के प्रयास को समर्थन देने की बात कही गई। सीरिया में अस्थिरता तथा गृह युद्ध की समस्या का समाधान बातचीत तथा राजनीतिक उपाय से किया जाना चाहिए।

सदस्यों ने व्यापार वित्त निवेश एनर्जी यातायात कृषि नवाचार तथा नई तकनीकी क्षेत्र में सदस्य देशों के मध्य सहयोग बढ़ाने पर बल दिया गया सदस्य देशों के आपसी लेन-देन में इन देशों की राष्ट्रीय मुद्राओं के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा भ्रष्टाचार को दूर करने में भी देश की एक दूसरे के बीच सहयोग को बढ़ाएंगे।

मध्य एशिया में औद्योगिक विकास का माहौल बनाने के लिए टेक्नोलॉजी पार्क तथा व्यापारिक केंद्र की स्थापना की जाएगी सदस्यों ने अंतरिक्ष को हथियारों से मुक्त रखने की अपील की सदस्यों ने क्षेत्र में नकली दवाओं के उत्पादन तथा वितरण पर रोक लगाने की आवश्यकता पर बल दिया सम्मेलन के दौरान सदस्यों ने आपसी सहयोग के लिए 14 स्वास्थ्य पर्यावरण खेलकूद संस्कृति आदि में सहयोग के समझौते शामिल सदस्य द्वारा तय किया गया कि शंघाई सहयोग संगठन का अगला शिखर सम्मेलन 2022 में उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) के समरकंद (Samarkand) में 15-16 सितंबर आयोजित किया जाएगा।

भारत सितंबर 2023 तक एक साल के लिए समूह की अध्यक्षता करेगा

error: Content is protected !!
Don`t copy text!