प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध – कारण, महत्त्व और परिणाम Notes

Hello दोस्तों, एक बार फिर से स्वागत है आपका Upsc Ias Guru .Com वेबसाइट पर आज की पोस्ट में हम आपको 18 वीं शताब्दी में भारत की राजनीतिक स्थिति और उपनिवेशवाद आक्रमण- 5 (प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध) के बारे में बताएंगे, तो चलिए शुरू करते हैं आज की पोस्ट

अंग्रेजों का मराठों पर आक्रमण


18 वीं शताब्दी में मराठा शक्ति भारत में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित हो चुकी थी। अंग्रेजों का शिवाजी के राज्यरोहण के समय से, पेशवाओं के दरबार में लगातार आवागमन चलता रहा। प्रारम्भ में शक्तिशाली मराठों से टक्कर लेने का साहस अंगेजो में नही था। 14 जनवरी 1761 को पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की पराजय से उनकी शक्ति को करारा आघात लगा। अंग्रेज अवसर की तलाश में थे क्योंकि मराठा शक्ति ही उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी।


1772 ई. में पेशवा माधवराव की मृत्यु के पश्चात उसका भाई नारायण राव पेशवा बना, किन्तु चाचा रघुनाथ राव (राघोबा) जो पेशवा का अंगरक्षक भी था, ने नारायण राव की हत्या कर 1773 में पेशवा बन गया। मराठा नेताओं द्वारा राघोबा के अनैतिक काम का विरोध किया गया और मराठा सरदारों की सभा ने नाना फड़नवीस के संरक्षण में नारायण राव के नवजात बच्चे को माधवराव द्वितीय के नाम से पेशवा बना दिया। पेशवा पद प्राप्त करने के लिए अपदस्थ राघोबा ने बम्बई की कम्पनी सरकार से सहायता मांगी और सूरत की संधि कर ली। संधि के अनुसार:


• अंग्रेज पेशवा बनने में सहयोग करेंगे और 1500 ब्रिटिश सैनिक पेशवा की रक्षा के लिए पूना में रखे जायेंगे।

• रघुनाथ राव अंग्रेजों को बम्बई के पास बेसिन, साल्सिट, भडोच व सूरत के लगान का आधा हिस्सा देगा।

• कम्पनी की अनुमति के बिना किसी से न तो संधि करेगा, न ही किसी यूरोपियन को नौकरी पर रखेगा।

प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-1782) first anglo maratha war hindi

संघर्ष के कारण –


रघुनाथ राव के पेशवा बनने की महत्वाकांक्षा और अंगेजों द्वारा की गई उसके साथ सूरत की संधि ने संघर्ष को आवश्यक बना दिया।

मराठा चुनौती ने अब तक अंग्रेजों की महत्त्वाकांक्षा को रोक रखा था लेकिन पानीपत के तृतीय युद्ध (1761) में मराठों की पराजय से ये स्थिति बदल गई।
मराठा सरदारों की आपसी फूट ने भी अंग्रेजों को मराठों के विरूद्ध आक्रमण का अवसर प्रदान किया।

बम्बई सरकार के गर्वनर हार्नवे की साल्सिट तथा बेसिन का प्रदेश प्राप्त करने की लालसा ने मराठा राजनीति में हस्तक्षेप
को प्रोत्साहित किया।

अपदस्थ पेशवा राघोबा के साथ अंग्रेजों द्वारा की गई सूरत की संधि इस युद्ध का कारण बनी।

राघोबा ने सैनिक व्यय के लिए बम्बई सरकार को 6 लाख रूपये दिये और बम्बई सरकार ने कर्नल कीटिंग के नेतृत्व में पेशवा के विरूद्ध सेना भेज दी। इस सेना ने “अर्रा” के युद्ध में मराठों को पराजित कर दिया। लेकिन इसी समय गर्वनर जनरल वारेन हेस्टिगंज ने सूरत की संधि को अवैध घोषित कर पेशवा से पुरन्दर की संधि (1 मार्च 1776) कर ली। लेकिन कम्पनी संचालकों ने बम्बई की संधि को मान्यता दी। परिस्थितियों को देख वारेन हेस्टिगं ने सूरत की संधि का अन्मादन कर आघोबा को सहायता देने का निश्चय किया। first anglo maratha war hindi

पुनः युद्ध का आरम्भ – 1778 में संगठित मराठा सेना ने कर्नल इंगटन की अंग्रेज सेना को पराजित कर दिया। अतः 29 जनवरी 1779 को मराठा और अंग्रेजों के मध्य बड़ागांव की अपमानजनक संधि हुई जिसमें यह तय हुआ –


• अंग्रेजों द्वारा मराठों के विजित क्षेत्र पुनः मराठों को लौटा देंगे।

• हर्जाने के रूप में अंग्रेज मराठों को 41000 रूपये देंगे।

• राघोबा को पेशवा को सौंप दिया जाएगा।

• भडोच जिले की आय सिन्धिया को दी जाएगी।

• बन्धक के रूप में दो अंग्रेज अधिकारी (फारमर और स्टीवर्ट) मराठों के पास रहेंगे।


यह संधि संगठित मराठा शक्ति की सफलता थी और अंग्रेजों के लिए अपमानजनक घूंट था। वे मराठों से बदला लेने के लिए आतुर थे। वारेन हेस्टिंग्स ने संधि को अस्वीकार करते हुए कहा था “संधि की शर्तों को पढ़ते ही मैं शर्म से डूब गया” और 1780-81 में पुनः संघर्ष आरम्भ हो गया। अंग्रेजों सेनापति गोडार्ड ने पेशवा के विरूद्ध पूना पर आक्रमण किया, लेकिन पराजित हुआ टेस्टिस की दूसरी सेना जो पोफम के नेतृत्व में थी उसने सिन्धिया को पराजित किया। सीपरी में सिन्धिया पुनः कर्नल कामक की अंग्रेज सेना से पराजित हुआ। सिन्धिया ने पेशवा और अंग्रेजों के मध्य सालबाई (1782) को संधि करवा दी। इस सन्धि के साथ ही प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध समाप्त हुआ। first anglo maratha war hindi

यह तो थी 18 वीं शताब्दी में भारत की राजनीतिक स्थिति और उपनिवेशवाद आक्रमण- 5 (प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध) की जानकारी के नोट्स अगली पोस्ट में हम आपको द्वितीय आंग्ल -मराठा युद्ध – कारण, महत्त्व और परिणाम के बारे में जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂

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