बक्सर का युद्ध – कारण, महत्त्व और परिणाम Notes

Hello दोस्तों, एक बार फिर से स्वागत है आपका Upsc Ias Guru .Com वेबसाइट पर आज की पोस्ट में हम आपको 18 वीं शताब्दी में भारत की राजनीतिक स्थिति और उपनिवेशवाद आक्रमण- 4 (बक्सर का युद्ध) के बारे में बताएंगे, तो चलिए शुरू करते हैं आज की पोस्ट

बक्सर का युद्ध- (22 अक्टूबर 1764) Battle of Buxar in Hindi

बगाल में कम्पनी एक कठपतली शासक चाहती थी जो समादार और भीरु हो, जो उनके हितों को पूरा करता हो। मीर कासिम अंग्रेजों की शक्ति को अधिक बढ़ने से और अपनी शक्ति को कम होने से रोकना चाहता था। इसके लिए उसने प्रशासानिक पुनर्गठन का प्रयास किया लेकिन भ्रष्टाचार और ब्रिटिश हस्तक्षेप के कारण वह सफल नहीं हुआ। अब आर्थिक मामलों वह विभिन्न सुविधाओं को लेकर दोनों में मतभेद बढ़ने लगे जिसका परिणाम बक्सर के युद्ध के रूप में निकला।

बक्सर युद्ध के कारण

नवाब की सम्प्रभुता की चाह अंग्रेजों को पसन्द नहीं आई, नवाब की राजधानी मुर्शिदाबाद से मुंगेर ले जाना, सेना को
युरोपियन विशेषताओं से प्रशिक्षित कराना, शस्त्र निर्माण व गोला बारूद के कारखाने खोलने जैसे कार्यों ने अंग्रेज और नवाब के मतभेद बढा दिए। Battle of Buxar in Hindi

मुगल सम्राट शाहआलम को अंग्रेजो द्वारा नवाब को नजराने के रूप में 12 लाख रूपये देने के लिए विवश करने को नवाब ने अपनी स्वतन्त्रता का आघात माना।

कम्पनी व उसके अधिकारी बंगाल में मिली व्यापारिक सुविधाओं का दुरूपयोग कर रहे थे। इससे नवाब को राजकोष हानि
हो रही थी। नवाब ने भारतीय व्यापारियों को भी यह छूट दे दी। इससे अंग्रेज नवाब से नाराज हो गए।

1760 की संधि में सैनिक व्यय के लिए कम्पनी को मिले तीन जिले बर्दवान, मिदनापुर व चटगांव उनसे वसुले गये राजस्व
को नवाब द्वारा लौटाने की माँग की गई, क्योंकि सेना का प्रयोग नवाब के विरूद्व किया जा रहा था।

मीर कासिम व अंग्रेज के मध्य संघर्ष –

कलकत्ता काउंसिल व नवाब के मध्य समझौते के प्रयास असफल रहे दोनों के मध्य युद्ध छिड़ गया। जून 1763 में मेंजर ऐंडमज को मीर कासिम के विरूद्ध युद्ध करने के लिये भेजा गया। नवाब की सेनाओं के साथ बहुत सी लड़ाईयाँ लड़ी गई तथा इनमें सबसे प्रसिद्ध लड़ाई कटवाह, गिरिआ, सूती तथा उदयनाला की थी। जब मीर कासिम का पक्ष दुर्बल पड़ गया, तो वह पटना की ओर चला गाया। अंग्रेजों ने मीर जाफर को पुनः नवाब बनाया। Battle of Buxar in Hindi

गठबन्धन का निर्माण –

मीर कासिम पराजित होने के बाद बचकर अवध के नवाब शुजाउद्दौला के पास सहायता के लिए पहुंचा। इस समय मुगल सम्राट शाह आलम भी अवध मे था। तीनों ने मिलकर अंग्रेजों को बंगाल से बाहर निकालने की योजना बनाई।


बक्सर का युद्ध – 22 अक्टूबर 1764 को बक्सर में अंग्रेजों और तीनों की सम्मिलित सेना (बंगाल का नवाब मीन कासिम, अवध का नवाब शुजाउद्वौला व मुगल सम्राट शाह आलम) के मध्य हुआ। इस युद्ध में अंग्रेज विजयी हुए।


महत्व – इस युद्ध ने प्लासी के निर्णयों पर पक्की मोहर लगा दी। राजनैतिक व सैनिक दृष्टि से इसका महत्व ज्यादा है। भारत में अब अंग्रेजों को चुनौती देने वाला कोई दूसरा नहीं रह गया था। अब नया नवाब इनकी कठपुतली था तो अवध का नवाब उनका आभारी तथा मुगल सम्राट उनका पेन्शनर था। स्मिथ के शब्दों में ‘बक्सर के युद्ध ने प्लासी के अधुरे कार्य को पूरा किया’ के.के. दत्ता ने लिखा है प्लासी के युद्ध की अपेक्षा बक्सर का युद्ध परिणामों की दृष्टि से अधिक निर्णायक था। इस युद्ध से इलाहाबद तक का प्रदेश अंग्रेजों के नियंत्रण में आ गया तथा दिल्ली का मार्ग भी खुल गया। इलाहाबाद की संधि द्वारा बंगाल, बिहार और उड़ीसा के दीवानी अधिकार भी कम्पनी के पास चले गये। इस युद्ध ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी को अखिल भारतीय शक्ति बना दिया। अब वे समस्त भारत पर दावा करने लगे थे। Battle of Buxar in Hindi

यह तो थी 18 वीं शताब्दी में भारत की राजनीतिक स्थिति और उपनिवेशवाद आक्रमण- 4 (बक्सर का युद्ध) की जानकारी के नोट्स अगली पोस्ट में हम आपको प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध – कारण, महत्त्व और परिणाम के बारे में जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂

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