सशस्त्र सेना झंडा दिवस 7 दिसंबर

सशस्त्र सेना झंडा दिवस 7 दिसंबर Armed forces flag day 7 December details in Hindi

भारतीय सशस्त्र सेना के लिए 7 दिसंबर एक महत्वपूर्ण तिथि होती है। प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है। झंडा दिवस पर देश सेना के प्रति सम्मान प्रकट करता है और उन जांबाज़ सैनिकों के प्रति एकजुटता दिखाता है, जो देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देते हैं।

यह दिन उन सैनिकों और सैन्य अधिकारियों की याद में मनाया जाता है, जो सेना में रहकर ना केवल सीमाओं की रक्षा करते हैं, बल्कि आतंकवादियों और उग्रवादियों से मुकाबला कर शांति स्थापित करने में अपनी जान तक न्यौछावर कर देते है। सशस्त्र झंडा दिवस इन्हीं जांबाज़ सैनिकों तथा उनके परिजन के प्रति नागरिकों द्वारा एकजुटता प्रदर्शित करने का दिन होता है, अतः हर एक नागरिक का कर्तव्य है कि वह 7 दिसंबर को सैनिकों के सम्मान तथा उनके कल्याण में अपना योगदान दें। Armed forces flag day 7 December details in Hindi

इस दिन सैनिकों के लिए धनराशि का भी संग्रह किया जाता है। यह धन लोगों को झंडे का एक स्टीकर देखकर एकत्रित किया जाता है। गहरी लाल और नीले रंग के झंडे के स्टीकर की राशि निर्धारित होती है। लोग इस राशि को देखकर स्टीकर खरीदते हैं और उसे पिन से अपने सीने पर लगाते हैं। इस तरह वे शहीद अथवा घायल हुए सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। इस दिन संग्रह अभियान से जो राशि एकत्रित होती है, वह झंडा दिवस कोष में जमा कर दी जाती है। इस संगठित राशि का उपयोग युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के परिवार या घायल हुए सैनिकों के कल्याण व पुनर्वास के कार्यों में किया जाता है।

यह राशि सैनिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से खर्च की जाती है। देश के हर नागरिक को चाहिए कि वह झंडा दिवस कोष में अपना योगदान दें, ताकि हमारे देश का झंडा आसमान की ऊंचाइयों को छूता रहे।

सशस्त्र सेना झंडा दिवस का उद्देश्य और इसका इतिहास 

सशस्त्र सेना झंडा दिवस हमें इस बात का भी अहसास दिलाता है कि सीमा पर मुश्किल हालातों में डटे जवानों के परिजन के लिए हम भी दूसरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। इस दिन को मनाने के पीछे तीन प्रमुख उद्देश्य है इनमें

पहला उद्देश्य युद्ध के दौरान होने वाली हानि में सहयोग करना, दूसरा उद्देश्य सेनाओं के जवानों और उनके परिवारों की मुश्किल हालात में मदद करना, तीसरा उद्देश्य रिटायर हो चुके जवानों और उनके परिवार का कल्याण करना है। 1949 को युद्ध दिग्गजों और उनके परिजन के कल्याण के लिए 7 दिसंबर को झंडा दिवस मनाने की शुरुआत हुई। रक्षा समिति ने तय किया था कि यह दिन सैनिकों को चाहे वह पैदल सेना के जांबाज हो या फिर नेवी और एयरफोर्स के, यह उनके प्रति सम्मान प्रदर्शित करने का दिन होगा। Armed forces flag day 7 December details in Hindi

बस तभी से सात दिसंबर को हम अपने सैनिकों की सेवा को याद करते हुए इस दिन को मनाते हैं।आजादी के बाद सरकार को लगा कि सैनिकों के परिवार वालों की जरूरतों का ख्याल रखना सरकार की जवाबदारी है। इसी उद्देश्य से सात दिसंबर 1949 को झंडा दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया। शुरुआत में इस दिन को झंडा दिवस के रूप में मनाया गया, लेकिन वर्ष 1993 में इस दिन को सशस्त्र सेना झंडा दिवस का नाम दे दिया गया। इसके बाद से यह दिन सशस्त्र सेना द्वारा मनाया जाने लगा। सशस्त्र सेना झंडा दिवस के द्वारा जमा हुई राशि युद्ध वीरांगनाओं सैनिकों की विधवाओं, दिव्यांग सैनिकों और उनके परिवार वालों के कल्याण पर खर्च की जाती है।

 अपनी सैन्य अधिकारी बेटी की स्मृति में मां झंडा दिवस पर प्रदर्शनी लगाती है। सेना में कैप्टन रहे देवाशीष शर्मा 10 दिसंबर 1994 को ऑपरेशन रक्षक के दौरान आतंकवादियों की गोलीबारी के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे और मरणोपरांत उन्हें कीर्ति चक्र और वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इन्हीं शहीद की मां 76 वर्षीय श्रीमती निर्मला शर्मा वर्ष 2007 से प्रतिवर्ष झंडा दिवस से 10 दिसंबर तक अपने बेटे की याद में चार दिवसीय सिरेमिक एग्जिबिशन के आयोजन के कारण चर्चित है। इस प्रदर्शनी में अपने हाथों से बनाए सिरेमिक के पार्ट्स प्रदर्शित करती है और उनकी बिक्री भी करती है। बिक्री से प्राप्त राशि सशस्त्र सेना झंडा निधि में जमा करवाती है।

सरकार की संस्था केंद्रीय सैनिक बोर्ड पूर्व सैनिक कर्मियों और उन पर आश्रितों के कल्याण के लिए नीतियां बनाता है। 1949 से यह झंडा दिवस शहीदों के साथ-साथ सैनिकों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। सैनिकों के कल्याण और पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष का गठन किया गया है। देश में 32 लाख से अधिक पूर्व सैनिक है और हर साल 60000 सैनिक सेवानिवृत्ति के बाद इसमें जुड़ जाते हैं। हमारी सेनाएं हमेशा देश की संप्रभुता की रक्षा करने के लिए बहादुरी से लड़ती रही है। इस प्रक्रिया में कई बार उन्होंने अपने जीवन को भी दांव पर लगाया और अपने परिवार को पीछे छोड़ दिया। हमारे पूर्व सैनिकों के पुनर्वास और कल्याण हमारे शहीदों और हमारे दिव्यांग सैनिकों के परिजन की देखभाल की जिम्मेदारी हम सब नागरिकों की है। झंडा दिवस हमें इस कोष में योगदान करके इस जिम्मेदारी को पूरा करने का एक अवसर प्रदान करता है। Armed forces flag day 7 December details in Hindi

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