भारतीय वायु सेना दिवस 8 अक्टूबर

-भारतीय वायु सेना दिवस 8 अक्टूबर

Indian air force day

– हमारी आसमानी सीमाओं की पहरेदार हैं भारतीय वायुसेना

– नभ स्पृशम दीप्तम अर्थात आसमान को छूकर उसे उजाले से भर देना और उजाला भी ऐसा की दुश्मन की आंखें चोन्धिया जाए और वह हमारी सरहदों की ओर आंख उठाकर देखने की हिमाकत भी ना कर सके फिर चाहे सरहद खुले अनंत आसमान में ही क्यों ना हो दरअसल नभः स्पृशम दीप्तम भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य यानी कि मोटो है जिसे भगवत गीता से लिया गया है और हमारी वायुसेना 8 दशक से ज्यादा के सफर में आज तक इस पर शत-प्रतिशत खरी उतरी है आज हमारे देश की सरहदों को कोई खतरा नहीं है इसका बड़ा श्रेय हमारी हवाई सेना के जांबाजो को जाता है ।

-वायु सेना का उद्भव

भारतीय वायुसेना का जन्म 8 अक्टूबर 1932 को हुआ था और उस समय भारत पर राज कर रहे अंग्रेजों ने इसे अपनी सेनाओं की मदद से इस क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए किया था यही कारण है कि हर साल 8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस मनाया जाता है शायद अब आपको यह जानकर हैरानी होगी आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी हवाई सेना ने अपनी शुरुआत सिर्फ 25 अधिकारियों से की थी उस समय हवाई सेना में सिर्फ 6 पायलट और 19 वायुसैनिक थे इसी तरह गठन के 6 माह बाद इसे उड़ान का पहला मौका मिला जब 1 अप्रैल 1933 को तत्कालीन वायुसेना के पहले जहाज ने अपनी पहली आधिकारिक उड़ान भरी ।

Indian air force संक्षिप्त इतिहास

भारतीय वायु सेना का गठन ब्रिटिश सरकार ने भारत में रॉयल एयरफोर्स की एक सहायक इकाई के रूप में किया था जिसके तहत तत्कालीन वायुसेना ने रॉयल एयरफोर्स की वर्दी और प्रतीक चिन्ह अपना लिए आजादी के बाद भारत के विभाजन के साथ ही वायुसेना और उसके संसाधनों का भी विभाजन हो गया भारत की वायु सेना का नाम रॉयल इंडियन एयर फोर्स ही रहा पर 10 में से 3 स्क्वॉड्रन और कई कार्यालय जो पाकिस्तान में चले गए थे और रॉयल पाकिस्तान एयरफोर्स में शामिल कर लिए गए जैसा कि हमने पहले भी जाना है कि भारत को 1950 में गणतंत्र घोषित करते ही रॉयल शब्द हटकर सिर्फ इंडियन एयरफोर्स कब किया गया।

– वायु सेना का भारतीयकरण स्वतंत्रता हासिल हो जाने के 3 साल बाद भी नाम के मामले में वायु सेना का भारतीयकरण नहीं हो पाया था और इसे 1950 तक रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम से ही जाना जाता था लेकिन इस साल के भारत गणतंत्र बनते ही इसके नाम से ब्रिटिश कालीन रॉयल हटा दिया गया और अब इसे भारतीय वायुसेना यानी इंडियन एयर फोर्स के नाम से जाना जाने लगा।

– वायुसेना की ताकत वर्तमान में हमारी सेना में तकरीबन डेढ़ लाख से ज्यादा सैनिक और डेढ़ हजार से ज्यादा विमान है इसलिए इसे विश्व की चौथी सबसे बड़ी हवाई सेना माना जाता है सैनिकों और विमानों की संख्या के लिहाज से अमेरिका चीन और रूस की वायु सेना ही भारतीय वायुसेना से आगे है भारतीय सेना में कुल 7 कमांड है और कुल मिलाकर साठ से अधिक एयरबेस है भारतीय वायुसेना विशिष्ट लड़ाकू विमानों से सुसज्जित हैं और ताकत और तकनीकी के मामले में किसी से भी कम नहीं है जगुआर से लेकर सुखोई तक मिग से लेकर मिराज लड़ाकू विमान है अब तक भारतीय सेना ने विभिन्न देशों द्वारा निर्मित 73 विभिन्न प्रकार के वायुयानों को उड़ाया है हमारी अन्य सेनाओं की तरह वायुसेना में भी यह परंपरा है कि जिस भी विदेशी विमान में शामिल किया जाता है उसका नाम बदलकर भारतीय रख दिया जाता है उदाहरण के लिए मिग 29 को बाज mig-27 को बहादुर तथा और जगुआर को शमशेर के नाम से जाना जाता है इसी तरह मिराज को वज्र कहा जाता है

भारतीय वायुसेना के खजाने में दुनिया के 3 सबसे बड़े और भारी भरकम परिवहन विमान c130j सुपर हरक्यूलिस सी-17 ग्लोबमास्टर -3 और आईएल 76 क्षेत्र भी शामिल है इनके आकार पहुंच और गति के कारण अब भारतीय वायुसेना दुनिया के किसी भी कोने में जरूरत पड़ने पर रसद और अपने सैनिकों को हवा की गति से या पलक झपकते ही पहुंचा सकती है अगस्त 2013 में भारतीय वायुसेना ने c-130j को विश्व की सबसे ऊंची हवाई पट्टी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी में उतार कर न केवल रिकॉर्ड बनाया बल्कि दुनिया भर की सेनाओं को अपनी क्षमता का परिचय दिया था सियाचिन ग्लेशियर पर मौजूद वायु सेना का सबसे ऊंचाई पर मौजूद  एयर बेस है जो की जमीन से लगभग 22000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है इसके अलावा भारतीय वायुसेना ने कजाकिस्तान के पास फरखोर एयरवेज स्टेशन भी स्थापित किया है जो विदेशी जमीन पर मौजूद भारत का पहला एयरफोर्स स्टेशन है।

– प्रशासनिक संरचना

भारतीय वायु सेना  में 5 ऑपरेशनल कमान है नई दिल्ली में पश्चिमी कमान इलाहाबाद में केंद्रीय कमान शिलांग में पूर्वी कमान जोधपुर में दक्षिण पश्चिमी कमान और तिरुवंतपुरम में दक्षिणी कमान है जो देश के हर कोने में हमारी हवाई सीमाओं की रखवाली के लिए पूरी तरह से चौकस है यह 5 कमाने अपने प्रशासनिक विभागों की सहायता से हेलीकॉप्टर इकाइयां स्थाई विंग स्क्वॉड्रन और मिसाइल की गतिविधियों का संचालन करती है इसके अलावा अनुरक्षण और प्रशिक्षण कमान जैसी दो अन्य कमान भी है जिनका दायित्व वायुसेना के तमाम युद्धक संसाधनों और सैनिकों को हमेशा किसी मुकाबले के लिए तैयार रखना है हमारी सेना और नौसेना की तर्ज पर भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ भारत के राष्ट्रपति होते हैं 1965 तक भारतीय सेना के सर्वोच्च अधिकारी का रैंक एयर मार्शल था 1965 में इसे बदलकर एयर चीफ मार्शल कर दिया गया मौजूदा समय में एयर चीफ मार्शल बिरेंदर सिंह धनोआ हवाई सेना प्रमुख है हाल ही में दिवंगत हुए श्री अर्जन सिंह भारतीय वायु सेना के पहले एयर चीफ मार्शल थे वह पहले मार्शल मार्शल ऑफ द एयर फोर्स भी बने यह हवाई सेना का सबसे बड़ा सम्मानजनक पद है जो किन्हीं खास परिस्थितियों में किसी सर्वश्रेष्ठ अधिकारी को ही दिया जाता है यह सम्मान पाने वाले मार्शल अर्जन सिंह हवाई सेना के इकलौते अधिकारी हैं इसी तरह फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह इकलौते वायुसेना अधिकारी है जिन्हें सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्हें वीरता और साहस के लिए मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया शायद यह बात कम ही लोग जानते होंगे कि 1984 अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा भी वायु सेना अधिकारी थे।

-वायु सेना के दायित्व और उपलब्धियां

– भारतीय वायुसेना के दायित्व और उसके मिशन को सशस्त्र बल अधिनियम 1947 के द्वारा परिभाषित किया गया है भारतीय वायुसेना की प्राथमिक जिम्मेदारियों में सभी संभावित खतरों से भारतीय हवाई क्षेत्र की रक्षा करना सशस्त्र बलों की अन्य शाखाओं के साथ सामंजस्य स्थापित करना और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा प्रमुख है भारतीय वायु सेना युद्ध के मैदान में भारतीय सेना के सैनिकों को हवाई समर्थन तथा सामरिक और रणनीतिक एअरलिफ्ट करने में भी सहयोग देती है स्थापना के बाद से ही भारतीय वायु सेना की उपलब्धियों का उल्लेखनिय इतिहास रहा है भारतीय वायुसेना को अब तक पाकिस्तान के के साथ चार बार और चीन के साथ एक बार दो-दो हाथ करने पड़े हैं हवाई सेना ने द्वितीय विश्व युद्ध में भी जापानी सेना को बर्मा में रोककर सक्रिय भूमिका निभाई थी वायुसेना के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में ऑपरेशन विजय ऑपरेशन मेघदूत ऑपरेशन कैक्टस ऑपरेशन पोमलाई और उत्तराखंड में बाढ़ से पीड़ित लोगों के लिए बचाव और राहत के लिए चलाए गए ऑपरेशन सूर्य होप शामिल है इसके अलावा भारतीय वायुसेना संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भी शामिल होती है 2015 में भारतीय वायुसेना ने यमन में फंसे भारतीयों को सही सलामत देश वापस लाने के लिए ऑपरेशन राहत को अंजाम दिया जिसमें 4500 से ज्यादा भारतीय और करीब 1000 विदेशी नागरिकों को सही सलामत से निकाला गया था ।

-वायु सेना में नया इतिहास लिखती महिलाएं

भारतीय वायुसेना में महिलाएं दो दशक से भी ज्यादा समय से सक्रिय हैं और आज भी भारतीय वायुसेना में तकरीबन 1500 से ज्यादा मिलाए हैं अन्य सेनाओ से तुलनात्मक विश्लेषण करें तो कुल क्षमता में महिलाओं की संख्या के लिहाज से शायद सबसे ज्यादा मिलाएं वायु सेना में ही होगी वायु सेना में महिलाओं को चिकित्सा विधि इंजीनियरिंग लड़ाकू क्षेत्रो में रखा जाता है लेकिन अब वायुसेना लड़ाकू भूमिका में भी महिलाओं ने साबित कर दिया है कि शारीरिक दमखम के मामले में किसी भी तरह से कम नहीं है लगभग 2 साल पहले तीन महिलाओं अवनी चतुर्वेदी भावना कांत और मोहना सिंह ने फाइटर पायलट बनकर अब तक महिलाओं के लिए अबूझ रहे इस क्षेत्र को भी अपनी क्षमताओं का एहसास करा दिया है अब यह तीनों सुखोई से लेकर तेजस तक को अपनी उंगलियों पर नचा रही है, इन तीनों ने अपने लड़ाकू पायलट बनने का सपना देख रही सैकड़ों लड़कियों की उम्मीदों को पंख लगा दिए हैं हालांकि ऐसा भी नहीं है कि इसके पहले कभी महिलाओं ने वायुसेना में युद्ध जैसी परिस्थितियों में अपनी मौजूदगी नहीं दर्शाई गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन ने कारगिल युद्ध के दौरान हेलीकॉप्टर पायलट के तौर पर घायलों को सुरक्षित निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी भारतीय वायु सेना में महिला अधिकारी के तौर पर अब तक सबसे ऊंची रैंक तक पहुंचने का श्रेय पद्मावती बंदोपाध्याय को जाता है वह 2002 में एयर मार्शल के पद पर पहुंचने वाली पहली महिला अधिकारी बनी थी।


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