राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी

राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी 

राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी सभी मतदाता बने सशक्त, सतर्क, सुरक्षित एवं जागरूक किसी भी लोकतांत्रिक देश में सरकार के निर्वाचन में मतदान एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है और जो इसे संपादित करता है उसे मतदाता कहा जाता है।

जब जनता की भागीदारी से सरकार का गठन होता है तो लोगों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है क्योंकि वह अपने मत से देश का भविष्य गढ़ते है। मतदान (वोट) हर नागरिक का अधिकार है, ऐसे में जरूरी है कि लोगों को अपने इस महत्वपूर्ण दायित्व के प्रति पूरी जानकारी और सजगता हो। इस दिन को देश के लोकतंत्र का त्यौहार भी कह सकते हैं, क्योंकि यह वोट देने की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जश्न का दिन होता है। National Voters Day january-25

हमारे देश में आजादी के बाद से लोकतांत्रिक तरीके से मतदान के जरिए सरकारों का निर्वाचन होता आ रहा है। इस दौरान देखा गया कि मताधिकार की उम्र वाले युवा पात्र होने के बावजूद अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने के प्रति सजग नहीं रहते है। ऐसे में वर्ष 2011 में तय किया गया कि हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाकर इसके लिए युवाओं में जागरूकता फैलाई जाएगी। यह दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन देश में सन 1950 में भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना की गई थी जो कि चुनाव प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता से कराने के लिए जिम्मेदार है।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2022 की थीम मजबूत लोकतंत्र के लिए चुनावी साक्षरता रखी गई थी।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2021 की थीम “सभी मतदाता बने सशक्त, सतर्क, सुरक्षित एवं जागरूक” रखी गई थी।

वर्ष (2020) मजबूत लोकतंत्र के लिए चुनावी साक्षरता थीम पर इस विषय की गतिविधियां संचालित रखी गई थी।National Voters Day january-25

हर साल जोड़े जाते हैं नए मतदाताओं के नाम

इस दिवस को मनाए जाने के पीछे निर्वाचन आयोग का उद्देश्य था कि देश भर के सभी मतदान केंद्र वाले क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष उन सभी पात्र मतदाताओं की पहचान की जाएगी, जिनकी उम्र 1 जनवरी को 18 वर्ष हो चुकी होगी। ताकि मतदान प्रक्रिया में नए मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाई जा सके।

यह दिवस मतदाताओं में मतदान प्रक्रिया में कारगर भागीदारी के बारे में जानकारी फैलाने के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। आयोग हर साल जनवरी में अपनी मतदाता सूची में नए मतदाताओं को जोड़ने की प्रक्रिया अपनाता है। इसके पहले चुनाव आयोग यह प्रक्रिया चुनाव के पास करता था जिससे कि मतदाता सूची से 18 साल के नए मतदाताओं का नाम आसानी से नहीं जुड़ पाते थे और चुनावों में उनकी भागीदारी कम रहती है। इस समस्या से प्रभावकारी तरीके से निपटने के लिए आयोग ने फैसला किया कि देश के 10 लाख से अधिक मतदान केंद्रों में हर वर्ष 1 जनवरी को 18 वर्ष के होने वाले होने वाले सभी मतदाताओं की पहचान की जाए। पंजीकरण के अलावा मतदाता सूची में शामिल किए गए इन मतदाताओं को शपथ भी दिलाई जाती है। आयोग का मानना था कि इस प्रक्रिया से युवाओं में नागरिकता सामर्थ्य गौरव और भागीदारी की भावना पैदा होगी और अवसर आने पर उन्हें अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने की प्रेरणा मिलेगी।

चुनाव प्रणाली में आए हैं कई बड़े परिवर्तन

देश में आजादी के बाद से अब तक चुनाव प्रणाली में कई ऐतिहासिक परिवर्तन आए हैं जिनके बारे में चुनाव आयोग समय-समय पर प्रशिक्षण देकर मतदाताओं को अवगत कराता रहता है गत 70 वर्षों के दौरान निर्वाचन आयोग ने लोकसभा के लिए 17 आम चुनाव आयोजित किए हैं। आयोग की यात्रा के दौरान उसके कार्य की गुणवत्ता और स्तर में भी परिवर्तन सबको नजर आया है। 1962 में जहां मतदान की प्रक्रिया पर्ची डालने की प्रणाली थी, वही 2004 से मतदान की इलेक्ट्रॉनिक मशीन पर आधारित वर्तमान प्रणाली शुरू की गई। छपी हुई मतदाता सूचियों का अब कंप्यूटरीकृत फोटो मतदाता  सूचियों ने ले लिया है। मतदाताओं का सचित्र पहचान पत्र अब सभी नागरिकों को प्राप्त हो रहा है। निर्वाचन आयोग प्रत्येक मतदाता को एक फोटो पहचान पत्र प्रदान करता है जिसे निर्वाचको का फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) कहा जाता है। आपके फोटो और पते साथ आपका चुनावी रोल नंबर होता है जिससे मतदान अधिकारी आसानी से आपकी पहचान कर सकते है।  National Voters Day january-25

प्रत्येक युवा को  मतदाता बनाना है लक्ष्य 

भारत निर्वाचन आयोग पूरे देश में इस बार 11 वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी 2021 को मनाएगा। वर्ष 1950 से स्थापित चुनाव आयोग के 61वें स्थापना वर्ष पर 25 जनवरी 2011 को तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस का शुभारंभ किया था। इस आयोजन के दो प्रमुख विषय थे समावेशी और गुणात्मक भागीदारी तथा कोई भी मतदाता पीछे ना छूटे।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए नए योग्य मतदाताओं तक पहुंचने और हर साल 1 जनवरी से नए मतदाताओं को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को आयोग की ओर से निर्देश दिए जाते हैं कि 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाली प्रत्येक युवा को मतदाता बनाया जाए राष्ट्रीय मतदाता दिवस के सिलसिले में निर्वाचन आयोग समूचे देश में शिक्षित मतदाताओं विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं को आकर्षित करने के लिए व्यापक और सुव्यवस्थित मतदाता शिक्षा और मतदान भागीदारी अभियान चलाता रहा है। विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियां समय-समय पर इस अभियान का हिस्सा बनकर अधिकाधिक लोगों में मतदाता सूची में अपना नाम जोड़ने के लिए जागरूकता फैलाती रही है। निस्संदेह आयोग का संदेश उच्च और स्पष्ट है और यह जब तक विश्वास नहीं करेगा जब तक प्रत्येक योग्य मतदाता स्वेच्छा से मतदान करने ना लग जाए।

इस बार होगा ई इपिक का शुभारंभ 

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा 11 वे राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी 2021 के आयोजन करने के संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। इस बार मतदाता दिवस 2021 के अवसर पर ई एपिक कार्ड  का शुभारंभ किया जाएगा जिससे कि मतदाताओं को जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सके  ईएपिक को मोबाइल पर डाउनलोड किया जा सकेगा तथा उसे के माध्यम से स्वयं प्रिंट भी किया जा सकेगा। ई एपिक पर 02 क्यू आर कोड होंगे।  एक पर फोटो का स्थाई डाटा दूसरे पर सरल क्रमांक, भाग संख्या, विधानसभा का नाम पता इत्यादि की जानकारी उपलब्ध होगी।

इसके अलावा इस दिन देश में सरकारों और अनेक सामाजिक संस्थाओं द्वारा लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिससे कि देश की राजनीतिक प्रक्रियाओं में लोगों की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित की जा सके राष्ट्रीय मतदाता दिवस भारत के नागरिकों को अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्य की याद दिलाता है कि प्रत्येक नागरिक की मतदान प्रक्रिया में भागीदारी जरूरी है। क्योंकि लोकतंत्र में एक-एक वोट मायने रखता है।

मतदाताओं से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य 

1 हमारे देश में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदाताओं की एक सूची होती है, जिसे निर्वाचक नामावली कहते है। इसमें नाम लिखवाने के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष है संविधान के अनुच्छेद 326 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 19 के अनुसार यह उम्र तय की गई है।

2  पहले मतदाता के रजिस्ट्रीकरण के लिए आयु 21 साल थी बाद में मतदाता के पंजीकरण की न्यूनतम आयु को कम कर 18 साल कर दिया गया है। इसे 28 मार्च 1989 से लागू कर दिया गया है। 

3 – 18 साल की आयु योग्यता को निश्चित करने के लिए प्रसांगिक तारीख उस साल के जनवरी माह का पहला दिन है जिस साल में निर्वाचक नामावली अंतिम रूप से प्रकाशित की जाती है।

4 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 17 और 18 के प्रावधानों के अनुसार कोई व्यक्ति उसी निर्वाचन क्षेत्र में एक से अधिक स्थानों में अथवा एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में रजिस्ट्री कृत नहीं हो सकता। निर्वाचक नामावली  में संशोधन सम्मिलित करने के लिए आपको फर्म 8 भरकर अपने विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण ऑफिसर के पास दाखिल करना होता है।

5 संसदीय अथवा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली तैयार करने का दायित्व निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण ऑफिसर का होता है। इसके अतिरिक्त भारत निर्वाचन आयोग निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण ऑफिसर की निर्वाचक नामावली यों की तैयारी पुनरीक्षण के कार्यों में सहायता देने के लिए एक या अधिक सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण ऑफिसर नियुक्त करता है।

6 दुनिया के ज्यादातर देशों में रविवार को मतदान होता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अवकाश होने की वजह से मतदान में हिस्सा ले सकें।

7 भारत में एक व्यक्ति केवल तभी वोट दे सकता है, जब उसका नाम चुनावी लिस्ट में हो। यदि किसी भी कारण से मतदाता सूची से नाम हटा दिया गया है तो उसके पास भले ही वोटर आईडी हो वोट डालने का अधिकार नहीं होगा। अगर कोई भारतीय दूसरे देश का नागरिक बन जाए तो वह भारत में वोटिंग के सारे अधिकार खो देता है।

8 मतदाताओं के रजिस्ट्रेशन की हर देश में अलग-अलग प्रक्रिया है। भारत में मतदाता अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जब चाहे करा सकते हैं। इसके अलावा चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची में लोगों का नाम जोड़ने और हटाने का अभियान चलाया जाता है ।लेकिन अलग-अलग देशों में मतदाताओं के पंजीकरण की अपनी अपनी व्यवस्था है। National Voters Day january-25

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