अब पछताए होत क्या जब चिड़ियां चुग गई खेत essay

अब पछताए होत क्या जब चिड़ियां चुग गई खेत

संसार में समय को सबसे अमूल्य वस्तु माना गया है और किसी तरह की धन-सम्पत्ति जाने या नष्ट हो जाने पर परिश्रम करके उसे पुनः प्राप्त किया जा सकता है पर समय वह संपत्ति है जो खो जाने या नष्ट हो जाने पर दुबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता चाहे उसके लिए बड़े-से-बदा मूल्य भी चुकाने की कल्पना भी की जाए। तब समझ आने पर व्यक्ति के पास हाथ मलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता है। इस तथ्य की ओर इंगित करते हुए कहा भी कहा गया है

“अब पछताए होत क्या जब चिड़ियां चुग गई खेत।”

इस प्रकार सूक्तिकार चिन्तक ने ‘अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत’ कह कर समय के महत्व को उजागर किया है। समय का सदुपयोग करने का महत्व बताया है। साथ ही सावधान भी किया है कि यदि समय पर कर्म करने से चूक जाओगे, समय का सदुपयोग नहीं कर सकोगे, तो बाद में जीवन एक जीवन्त अभिशाप बन जाएगा। Ab pachtaye hot kya hindi essay

वह रात-दिन की कुढ़न एवं क्रन्दन बनकर अपने आप को ही कचोटता रहेगा। इस बात का हमेशा ध्यान रखो कि इस आधा पल की देर कर देने वाला समय पर छूट जाने वाली रेलगाड़ी को कभी भी नहीं पकड़ पाता। देखते-ही-देखते ट्रेन तो मीलों आगे निकल जाया करती है और उस पर यात्रा करने का इच्छुक व्यक्ति वहीं प्लेटफार्म पर खड़ा-खड़ा बस सोचता हुआ, अपनी गफलत पर पछताता हुआ खड़ा रह जाता है। तब उसे अगली ट्रेन की प्रतीक्षा करनी पड़ती है और हो सकता है कि तब तक यात्रा का उद्देश्य भी समाप्त हो जाए। जो पाने के लिए जाना है, तब तक वह सुलभ ही न रह जाए। Ab pachtaye hot kya hindi essay

समय का पंछी एक बार हाथ से छूट जाने पर दुबारा कतई कभी भी पकड़ में नहीं आया करता। समय का हर पल क्षण, प्रत्येक सांस ही जीवन है. समय का साकार सजीव स्वरूप जन्म लेते ही उस (समय) का क्षण आरम्भ हो जाता है। हम देखते और सोचते ही रह जाता। कब बचपन हाथ से खिसक गया। फिर चौकन्ने होने को होते हैं तो कभी न लौट पाने वाल चुपचाप फिसल जाता है। फिर प्रौढ़ता और बढ़ापे का भी यही हाल होता है। कब मृत्यु सब समाप्त कर देती है, व्यक्ति को पता तक नहीं चल पाता। स्पष्ट है कि समय ही वास्तव में जीवन और उसका क्रम है। जो कहने को तो आगे बढ़ता है, लेकिन वास्तव में निरन्तर घटता हो जाया करता है। उसके एक-एक पल को मजबूती से पकड़ जो उसका उपयोग कर लेता है, जाते समय उसके मन-मस्तिष्क में किसी पश्चाताप का भाव नहीं रहता। वह आगमन के बन्धन से भी छटकारा पा जाया करता है। जो नहीं पकड़ पाता, वह एक पश्चाताप से भर कर फिर-फिर आने के लिए चला जाया करता है। यही जीवन और समय का चरम सत्य है।

समय ही सत्य है। उसका सदुपयोग ही सफलता और समृद्धि का प्रतीक एवं परिचायक है। यही सोच कर समझदार व्यक्ति समय का एक पल भी बेकार की बातों या कामों में नहीं गंवाया करते। कभी यह भी नहीं सोचा करते कि आज नहीं, कल कर लेंगे’ वे तो बस आज और अभी अपना काम शुरू कर देते हैं क्योंकि वे अच्छी तरह जानते हैं कि कल कभी आया नहीं करता।

सो समय के महत्व एवं उसके सदुपयोग पर प्रकाश डालने वाली यह सूक्ति ‘अब पछताए होत क्या जब चिड़ियां चुग गई खेत’ वास्तव में सूक्तिकार के व्यापक जीवनानुभावों का निचोड़ है। जीवन को सफल बनाने, पथ-प्रदर्शित करने वाला सत्य-स्थिर आलोक स्तम्भ’ है, इस बात में तनिक भी संशय नहीं। Ab pach;taye hot kya hindi essay

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