भारतीय प्रेस परिषद् Press Council of India

-भारतीय प्रेस आयोग 

प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है मिशन की भावना से समाज और राष्ट्र को दिशा देने का उत्तरदायित्व प्रेस का है परंतु आजादी के बाद भारतीय प्रेस अपनी मूल भावना को भूलकर व्यवसाय की ओर अग्रसर होने लगा उस समय प्रेस में काम करने से संबंधित ना तो कोई नियम था और ना तो भविष्य सुरक्षित था जिससे पत्रकारों की हालत दिन-प्रतिदिन दयनीय हो रही थी समाचार पत्र समाज और राष्ट्र को दिशा देने की बजाय अपने मालिकों के हित में कार्यरत थे इस संकट पूर्ण स्थिति पर अध्ययन के लिए 2 प्रयास किए गए पहला जून 1951 में केंद्र सरकार ने संसद में पत्रकारों की भलाई के लिए प्रेस आयोग नियुक्त करने की इच्छा जाहिर की इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ब्रिटेन के रॉयल कमीशन की तरह प्रेस आयोग गठित करने का संकेत दिया दूसरा 12 से 13 अप्रैल 1952 को कोलकाता में आयोजित भारतीय श्रमजीवी पत्रकार संघ के अधिवेशन में पत्रकारों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई भारतीय समाचार पत्र की दशा का अध्ययन कर दिशा देने के उद्देश्य से प्रस्तावित करने की मांग की गई इसके बाद संसद में प्रेस अधिनियम 1952 पर बहस के दौरान सांसदों ने पत्रकारों की स्थिति प्रेस कानून में संशोधन तथा प्रेस की अवस्थाओं की विषय में कई सुझाव दिए अंत में 16 मई 1952 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने आयोग के गठन की घोषणा की। Press Council of India

-प्रथम प्रेस आयोग

16 मई 1952 को गठित आयोग के पदाधिकारी के रूप में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने निम्न को नामित किया था अध्यक्ष न्यायमूर्ति जी एस राजाध्यक्ष सचिव मुरारीलाल चावला सदस्य रामास्वामी अय्यर आचार्य नरेंद्र देव डॉक्टर जाकिर हुसैन डॉक्टर वीके आरवी राव डॉक्टर पटवर्धन त्रिभुवन नारायण सिंह जयपाल सिंह जय नटराजन ए आर भट्ट चल पति राव प्रथम प्रेस आयोग के गठन के समय एडी मणि विदेश यात्रा पर थे जहां से लौटने के बाद उन्हें भी सदस्य बनाया गया सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने प्रथम प्रेस आयोग का विचार क्षेत्र विस्तृत रखा तथा निम्न तथ्यों पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की अपेक्षा की थी समाचार पत्रों पत्रिकाओं समाचार एजेंसियों और फीचर सिंडीकेट के नियंत्रण प्रबंधन स्वामित्व और वित्तीय स्थिति के संदर्भ में तथ्यात्मक समाचार निष्पक्ष विचारों के प्रस्तुतीकरण के संदर्भ में प्रेस की मालिकाना कंपनियों विज्ञापनों अन्य बाहरी दबाव तथा प्रेस के विकास में बाधक तत्व के संदर्भ में पत्रकारों की नियुक्ति प्रशिक्षण वेतन सेवा नियमावली इत्यादि के संदर्भ में अखबारी कागज की आपूर्ति और वितरण मशीन छपाई तथा यांत्रिक संयोजन के विभिन्न पहलू के संदर्भ में समाचार पत्रों के लिए उच्च कोटि की आचार संहिता और सरकार के मध्य आपसी संबंध तथा प्रेस सलाहकार संपादकों और पत्रकारों के विभिन्न संगठनों के संदर्भ में प्रेस की स्वतंत्रता तथा उसकी स्वतंत्रता के लिए आवश्यक कानूनों में संशोधन के संदर्भ में उपर्युक्त तथ्यों पर अध्ययन के बाद प्रथम प्रेस आयोग को 1 मार्च 1953 को प्रतिवेदन प्रस्तुत करना था इसके लिए आयोग ने प्रश्नावली तैयार की तथा उसकी 1200 प्रतियों को विभिन्न क्षेत्रों के पत्रकारों संपादकों सांसदों विधायकों और विशेषज्ञों को भेजा परंतु अधिकांश ने प्रश्नावली का जवाब देने में रुचि नहीं दिखाई लिहाजा अध्ययन में 2 वर्ष से अधिक का समय लग गया अंत में आयोग के पास मात्र 379 प्रश्नावलीओ के जवाब मिले जिसके आधार पर विचार विमर्श कर 1294 पृष्ठों का प्रतिवेदन तैयार किया गया जो तीन प्रमुख भागों में विभाजित था पहले भाग में प्रेस की जांच रिपोर्ट और इससे संबंधित महत्वपूर्ण सुझाव दूसरे भाग में भारतीय पत्रकारिता का इतिहास इसे दैनिक ट्रिब्यून अंग्रेजी दैनिक अम्बाला के संपादक जी नटराजन ने लिखा था और तीसरे भाग में प्रश्नावली परिशिष्ट ज्ञापन सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था समाचार एजेंसियों और आकाशवाणी की स्थिति थी । Press Council of India

-प्रथम प्रेस आयोग के सुझाव

प्रथम प्रेस आयोग ने अपने प्रतिवेदन में कहा कि समाचार पत्र का स्तर उसके उत्पादन से जुड़े लोगों तथा सिद्धांतों के प्रति उनकी निष्ठा पर निर्भर है आयोग का मत है कि पत्रकारों को एक आचार संहिता का पालन करना चाहिए पत्रकारिता के विभिन्न संगठनों द्वारा तैयार किए आचार संहिता का अवलोकन करने के बाद आयोग ने निम्न सुझाव दिए पत्रकारों के लिए आचार संहिता का होना जरूरी है इसके निर्धारण के लिए प्रेस परिषद का गठन आवश्यक है प्रेस की स्वतंत्रता और विकास के लिए भी प्रेस परिषद उत्तरदाई होगा जनमत निर्माण का प्राथमिक साधन है इसलिए इस व्यवसाय को ट्रस्ट समझकर जनमत की सेवा के लिए लोगों को सदैव तत्पर रहना चाहिए पत्रकारों को अपने कार्यों के संपादन में मानवीय सामाजिक मूल्यों तथा निष्पक्षता के भाव को ध्यान रखने की अनिवार्यता होनी चाहिए समाचार और तथ्यों के संकलन तथा उचित टिप्पणी और आलोचना प्रकाशित करने के प्रति संवाददाताओं में ईमानदारी का भाव चाहिए संवाददाताओं को अपनी रिपोर्ट और टिप्पणियों को प्रकाशित करने से पूर्व विचार करना चाहिए कि इससे तनाव या हिंसा को प्रोत्साहन ना मिले समाचार पत्रों का प्रबंधन उचित तरीके से करने के लिए रजिस्ट्रार की नियुक्ति होनी चाहिए। Press Council of India

जिसका उत्तरदायित्व प्रेस से संबंधित आंकड़ों को एकत्र कर प्रतिवर्ष प्रस्तुत करने तथा समाचार पत्रों की प्रसार पर सूक्ष्म नजर रखने की होगी समाचार पत्रों का पृष्ठ अनुसार मूल्य निर्धारित करना चाहिए मुद्रण के लिए निर्धारित स्थानों पर 40% से अधिक विज्ञापन प्रकाशित करने पर रोक लगनी चाहिए विज्ञापनों के लिए आचार संहिता बनाने के लिए विज्ञापन परिषद का गठन होना चाहिए प्रत्येक समाचार पत्र को लाभ हानि के विवरण को अलग अलग करना चाहिए यदि एक ही समाचारपत्र के कई संस्करण हो तो प्रत्येक संस्करण का विवरण अलग अलग होना चाहिए राज्य व्यापार निगम के माध्यम से अखबारी कागज को उपलब्ध कराना चाहिए समाचार एजेंसियों को सरकारी नियंत्रण से बाहर रखना होगा उनके विकास के लिए निगम की स्थापना जरूरी है समाचार पत्रों के एकाधिकार की प्रवृत्ति को रोका जाना चाहिए पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए उद्योगों पर लागू होने वाले नियमों का प्रभावी ढंग से लागू होना चाहिए तथा पत्रकारों के लिए वेतन और कार्य के घंटे को निर्धारित करना चाहिए केंद्र और राज्य की राजधानियों में प्रेस की सुविधाएं का बढ़ना आवश्यक है। Press Council of India

समाचार पत्रों को अपने पत्रकारों के लिए देश के विभिन्न भागों में भ्रमण की व्यवस्था करनी चाहिए प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन एक्ट विज्ञापन कानून और कानून में संशोधन जरूरी है समाचार पत्रों में ज्योतिषियों की राजनीतिक भविष्यवाणी अपराध और कामुकता को बढ़ावा देने वाली सामग्री का प्रकाशन देश के हित में नहीं है इसलिए इसके विरुद्ध सरकार को आवश्यक कदम उठाया जाना चाहिए कर्मचारियों पर प्रशासनिक नियंत्रण के अधिकार संपादक में हो तथा उसे विचार-विमर्श के बाद संपादकीय विभाग की नियुक्ति करनी चाहिए।

– स्वीकृत सुझाव

भारत सरकार ने प्रथम आयोग को स्वीकृति प्रदान की जो इस प्रकार है समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार का कार्यालय जुलाई 1956 में स्थापित किया गया जो प्रेस सम्बन्धित आंकड़ो को एकत्र कर तथा अखबारी कागज के वितरण की पूर्ति करता है सन 1956 में संसद से अधिनियम पारित कर भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना की गई 20 दिसंबर 1955 को श्रमजीवी पत्रकार कानून लागू किया गया इसके अंतर्गत पत्रकारों के काम के घंटे वेतन तथा अन्य सेवा शर्तों का नियमन हुआ है सन 1962 में इस कानून के अंतर्गत कुछ संशोधन किए गए भारत सरकार ने सन 1956 में पृष्ठ अनुसार मूल्य नियंत्रण नियम जारी किया इसके विरुद्ध सन 1960 में पुणे के सकाल समूह ने पत्रों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की परिणाम में इसे निरस्त कर दिया गया था सरकार को मूल्य नियंत्रण नियम वापस लेना पड़ा प्रेस सलाहकार समिति का गठन 22 सितंबर 1962 को किया गया जो अपना 2 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद स्वयं ही समाप्त हो गई। Press Council of India

लघु समाचार पत्रों के विकास और उनकी स्थिति की जांच के लिए भारत सरकार ने आरआर दिवाकर की अध्यक्षता में एक जांच समिति नियुक्त की इस समिति ने मार्च 1966 में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसमें पृष्ठनुसार मूल्य निर्धारण की सिफारिश पुनः की थी साथ ही छोटे पत्रों को प्रोत्साहन देने के लिए वार्षिक पुरस्कार वितरण का सुझाव भी दिया इस समिति ने छोटे पत्रो को सजावटी विज्ञापन का 50% हिस्सा देने की सिफारिश की लघु और मध्यम समाचार पत्रों को मदद करने के लिए सरकार ने सितंबर 1970 को समाचार पत्र वित्त निगम की स्थापना का बिल संसद में पेश किया गया लेकिन पारित नहीं हो सका 14 अप्रैल 1972 को समाचार पत्रों और समाचार एजेंसियों की वित्तीय स्थिति की पड़ताल के लिए तथ्यनवेषन समिति की नियुक्ति की गई इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 14 जनवरी 1975 को प्रस्तुत की इस प्रकार प्रथम प्रेस आयोग ने पहली बार प्रेस की स्थिति का सूक्ष्म अध्ययन कर महत्वपूर्ण सुझाव दिए आयोग के सभी सुझाव प्रेस की विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण थे इनमें से उपयोग सुझाव को सरकार ने स्वीकृति प्रदान की तथा कई सुझावों पर ध्यान ही नहीं दिया कुछ सुझाव पर सरकार ने अतिरिक्त समिति का गठन किया इन समितियों के सुझाव पर भी ध्यान नहीं दिया गया परिणाम मैं जनता सरकार ने प्रेस के स्वस्थ विकास तथा उसके समूचे प्रवेश पर अध्ययन के लिए वित्तीय आयोग का गठन किया। Press Council of India

– द्वितीय प्रेस आयोग

भारत सरकार द्वारा 30 मई 1978 को अधिसूचना जारी वित्तीय आयोग का गठन किया गया इस आयोग में शामिल थे अध्यक्ष पीके गोस्वामी न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय सदस्य अबू अब्राहम इंडियन एक्सप्रेस नई दिल्ली प्रेम भाटिया ट्रिब्यून चंडीगढ़ एसएस वात्सायन नवभारत टाइम्स दिल्ली वी के नरसिंह डेक्कन हेराल्ड बेंगलुरु मोइनुद्दीन हरीश उर्दू पत्रकार एसएन द्विवेदी भूतपूर्व सांसद फाली नरीमन वरिष्ठ अधिवक्ता प्रोसेसर रवि जे मथाई भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद यशोधन एन मेहता अधिवक्ता और अरुण शोरी भारतीय समाज विज्ञान शोध संस्थान के वरिष्ठ सदस्य द्वितीय परिषद के सदस्य अरुण शौरी ने सितंबर 1978 को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया इनके स्थान पर दिसंबर 1978 में मेन स्ट्रीम नई दिल्ली के संपादक निखिल चक्रवर्ती को आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया सातवें लोकसभा चुनाव में नई सरकार गठित होने के बाद पीके गोस्वामी ने द्वितीय आयोग के अध्यक्ष के पद से त्यागपत्र दे दिया।

उनके स्थान पर 21 अप्रैल 1980 को सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के के मैथ्यू को अध्यक्ष नियुक्त कर द्वितीय प्रेस आयोग का गठन किया गया जिसमें निम्न सदस्य थे शिशिर कुमार मुखर्जी सेवानिवृत्त न्यायाधीश उच्च न्यायालय में कोलकाता पी वी गॉड गिल पत्रकार इशारत अली सिद्दीकी संपादक कौमी आवाज लखनऊ राजेंद्र माथुर संपादक नईदुनिया इंदौर गिरी लाल जैन संपादक टाइम्स ऑफ इंडिया मुंबई रणवीर जैन संपादक मिलाप दिल्ली केआर गणेश भूतपूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री मदन भाटिया अधिवक्ता सर्वोच्च न्यायालय अमृता प्रीतम साहित्यकार और एचके परांजपे अर्थशास्त्री प्रेस के विकास और स्तर में सुधार के लिए द्वितीय प्रेस आयोग से निम्न तथ्यों पर अध्ययन कर सुझाव देने की अपेक्षा की गई थी विकासशील और लोकतांत्रिक समाज में प्रेस की भूमिका वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संदर्भ में वर्तमान संवैधानिक संरक्षण की उपयोगिता और कमियां नागरिकों के व्यक्तिगतता के अधिकार को संवैधानिक तथा कानूनी संरक्षण प्रेस की स्वतंत्रता की आर्थिक राजनीतिक तथा मालिकों और प्रबंधकों के दबाव से संरक्षण के उपाय विकासशील नीतियों में प्रेस की भूमिका और दायित्व प्रेस उद्योग के रूप में सामाजिक संस्था के रूप में तथा सार्वजनिक कार्यों की तथ्य पूर्ण बहस के मंच के रूप में संपादकीय स्वतंत्रता व्यवसायिक ईमानदारी और वस्तुनिष्ठ समाचार पाने के पाठकों के अधिकार को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रेस के घटकों के स्वामित्व का स्वरूप तथा उनका वित्तीय ढांचा समाचार पत्रों की निरंतरता उद्योग से संबंध प्रतियोगिता तथा पाठक का प्रमाणिक समाचार पाने तथा स्वतंत्र टिप्पणियों के अधिकार पर उनका प्रभाव समाचार पत्र उद्योग की आर्थिक व्यवस्था अखबारी कागज मुद्रण मशीन तथा समाचार पत्र में अन्य निवेश विज्ञापन सरकारी और निजी शैक्षणिक और व्यवसायिक सरकार और प्रशासन तथा राजकीय संस्थानों की भूमिका प्रेस के विभिन्न घटक प्रकाशको प्रबंधकों संपादकों तथा व्यावसायिक पत्रकार और अन्य के आपसी संबंध छोटे और मध्यम भाषा पत्रों का विकास नियत कालीन तथा विषय विशेष पत्रिकाओं के संदर्भ में समाचार समितियों समितियों की सरंचना समाचार सीमा क्षेत्र के आदान-प्रदान के संदर्भ में व्यवसायिक कर्मियों को प्रशिक्षण व्यवसायिक स्तर पर निष्पादन के विकास के उपाय पत्रकारिता और जनसंचार के क्षेत्र में अनुसंधान पत्रकारिता की नई अंतर्राष्ट्रीय सूचना व्यवस्था और समाचार पत्रों के विकास के नए परिदृश्य के संदर्भ में । Press Council of India

-द्वितीय प्रेस आयोग के महत्वपूर्ण सुझाव

द्वितीय प्रेस आयोग ने उपर्युक्त तथ्यो के अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट में  सरकार के समक्ष प्रेस की स्वतंत्रता और विकास के संदर्भ में 278 सिफारिशों को प्रस्तुत किया उनमें निम्न महत्वपूर्ण है प्रेस का दायित्व अपने रचनात्मक लेखन के माध्यम से देश और राष्ट्र को तरक्की के रास्ते पर ले जाना है उसे ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर की तर्ज पर काम करना चाहिए प्रेस की नजर में समाज और सरकार दोनों बराबर है इनमें से किसी का ना तो अंध समर्थन करना चाहिए और ना तो किसी का बगैर ठोस कारण के विरोध समाचार पत्र विकास आयोग का गठन होना चाहिए जो लघु और मध्यम वर्ग के समाज पत्रों के विकास के लिए सस्ती दरों पर मुद्रण तकनीकी अखबारी कागज और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराएं द्वितीय प्रेस आयोग का मानना था कि समाचार पत्र विकास आयोग लघु और मध्यम समाचार पत्रों को आत्मनिर्भर करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है प्रेस संकटकालीन परिस्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जनता इसकी बातों और सुझाव पर ध्यान देती है इसलिए सरकार की विदेश नीति का प्रेस को समर्थन करना चाहिए किंतु विदेश नीति की खामियों को उजागर करना भी प्रेस का धर्म है यदि प्रेस ऐसा करता है तो उसे अराष्ट्रीय नहीं कहा जा सकता है साथ ही आयोग ने प्रेस से यह भी अपेक्षा की है कि वह अपने समाचार पत्र में ऐसा कोई समाचार प्रकाशित ना करें। Press Council of India

जिससे शत्रु राष्ट्रों को युद्ध के समय लाभ मिलने की संभावना हो द्वितीय प्रेस आयोग ने समाचार पत्रों के मध्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करने के लिए पृष्ठों की संख्या और मूल्य निर्धारण के लिए संविधान में संशोधन का सुझाव दिया साथ ही समाचार और विज्ञापन के मध्य अनुपात निर्धारित करने का सुझाव भी दिया बड़े पत्रों के लिए 60 अनुपात 40 मध्यम पत्रों के लिए 50 अनुपात 50 तथा लघु पदों के लिए 40 अनुपात 60 का अनुपात निर्धारित किया द्वितीय प्रेस आयोग का मानना है कि अपराध और जासूसी पर आधारित चित्र कथाएं भारतीय चिंतन और परंपराओं के लिए हानिकारक है इसलिए इनका स्वरूप इस प्रकार से निर्धारित किया जाए कि वह समाज को स्वस्थ मनोरंजन के अतिरिक्त और कुछ नहीं दे सके आयोग ने सेक्स और सिनेमा को प्रमुखता से प्रकाशित करने वाले पत्र-पत्रिकाओं को रियायती दर पर कागज का आवंटन ना करने की सिफारिश की तथा विज्ञापनों में महिलाओं की छवि का दुरुपयोग होने की कड़े शब्दों में निंदा की द्वितीय प्रेस आयोग ने पत्र सूचना कार्यालय के पुनर्गठन करने की सिफारिश के साथ ही इसका स्वरूप सूचना समाचार कार्यालय के रूप में परिवर्तित करने का सुझाव दिया जिसकी सेवाएं लघु और मध्यम समाचार पत्रों के लिए 24 घंटे उपलब्ध होनी चाहिए आयोग ने भारतीय समाचार पत्रों में विदेशी धन के प्रभाव को कम करने के लिए कानून में आवश्यक संशोधन करने का सुझाव दिया।

समाचार पत्रों को समाचार फीचर लेख और फोटो पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराने के लिए आयोग ने अधिक से अधिक समाचार एजेंसियों के गठन का सुझाव दिया साथ ही अंतरराष्ट्रीय समाचारों को एकत्र करने तथा भारत के समाचारों को विदेशों में प्रसारित करने और यू एन आई को पड़ोसी राष्ट्रों तक सीमित करने की सिफारिश की द्वितीय प्रेस आयोग ने श्रमजीवी पत्रकारों को सरकारी आवास की सुविधा समाप्त करने की सिफारिश की साथ ही यह भी कहा कि जिन पत्रकारों को सरकारी आवास उपलब्ध है उनका किराया बिना रियायती दर पर वसूल करना चाहिए आयोग ने भारतीय प्रेस परिषद द्वारा संवैधानिक सीमा में रहकर किए गए कार्यों की प्रशंसा की तथा इस संस्था को प्रेस की स्वतंत्रता और विकास के लिए उपयोगी बताया सरकारी गोपनीयता कानून व्यक्तिगत गोपनीयता न्यायालय की अवमानना संसद के विशेषाधिकार कानून में संशोधन की सिफारिश की । Press Council of India

-स्वीकृत सुझाव 14 मई 1986 को तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री बीएन गॉड गिल ने राज्यसभा में बताया कि द्वितीय प्रेस आयोग ने जिन 278 सिफारिशों को प्रस्तुत किया उनमें से 91वे सिफारिशों को सरकार ने स्वीकार कर लिया है 77 सिफारिशें राज्य सरकारों और प्रेस के संगठनों से संबंधित है जिसे अनुपालन और उपयुक्त कार्यवाही के लिए भेज दिया गया है द्वितीय प्रेस आयोग की 26 सिफारिशें ऐसी हैं जिनकी गहराई से अध्ययन के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया इसके अलावा 48 सिफारिशों को सरकार ने नामंजूर कर दिया है। Press Council of India


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