विश्व हिन्दी सम्मेलन : कब, कहां, कैसे

-विश्व हिंदी सम्मेलन 

– हिंदी और हिंदी भाषायो को दुनिया के भूगोल पर स्थापित किए जाने और भाषाई गौरव को बढ़ावा देने के क्रम में भारतीय विदेश मंत्रालय की अगुवाई में हर साल विश्व हिंदी सम्मेलन मनाया जाता है। हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित और प्रचारित करने हेतु यह आयोजन अपने स्वरूप और भाषागत प्रतिबद्धताओं के रूप में किया जाने वाला सबसे बड़ा सृजनात्मक कार्य है।

आज कोई भी भाषा महज संप्रेषण का माध्यम पर नहीं है बल्कि अपनी राजनीतिक और सांस्कृतिक दुनिया भी गढ़ती है मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में हिंदी और भारतीय संस्कृति को सम्मेलन का मुख्य विषय बनाए जाने को अगर हम एक व्यापक परिदृश्य में देखे तो स्पष्ट होता है कि इसके जरिए जहां हम दुनिया भर के हिंदी भाषी लोगों के साथ एक सहज संवाद स्थापित करने की और बढ़ना चाहते हैं तो वही हमारा उद्देश्य भाषाई बिरादरी में हिंदी के राजनीतिक दखल को और मजबूत करना भी है। vishwa hindi sammelan notes

औपचारिक दौर में अगर अन्य भाषाओं का दखल भारतीय उपमहाद्वीप पर हुआ तो हिंदी और इससे जुड़े अन्य बोली भाषा का प्रचार दुनिया के अन्य हिस्सों तक अप्रवासी भारतीयों के रूप में हुआ हिंदी के प्रचार प्रसार में भारतीय विद्वानों के साथ अप्रवासी भारतीय लोगों का बड़ा योगदान रहा है मॉरीशस सूरीनाम गुयाना त्रिनिदाद और फिजी आदि देशों में हिंदी और इसकी अन्य बोली भाषा के लोग आबादी के बहुसंख्यक हिस्से में शामिल है। सम्मेलन की स्मारिका में यह बात कही गई है कि हिंदी विश्व में प्रयोग की जाने वाली दूसरी सबसे बड़ी भाषा बन गई है पहले नंबर पर चीन की मदारीन भाषा आती है । vishwa hindi sammelan notes

– विश्व हिंदी सम्मेलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

विश्व हिंदी सम्मेलन की मौलिक संकल्पना राष्ट्र भाषा प्रचार समिति वर्धा जैसी हिंदी सेवी संस्था द्वारा वर्ष 1973 में की गई थी राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के तत्वाधान में पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 से 12 जनवरी 1975 में नागपुर में आयोजित किया गया वर्ष 1936 में महात्मा गांधी और राज राजश्री टंडन की प्रेरणा से स्थापित इन हिंदी सेवी संस्था देश दुनिया में हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर पूरे मनोयोग से संकल्प है इस समिति का गठन डॉ राजेंद्र प्रसाद जी की अध्यक्षता में किया गया था। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की हिंदी और गैर हिंदी प्रदेशों में कई प्रादेशिक इकाईया है जो वर्धा केंद्र के संपर्क में रहकर राष्ट्रभाषा के लिए कार्य कर रही है राष्ट्रभाषा प्रचार समिति और भारत सरकार के साझा प्रयासों से 1975 के पहले विश्व हिंदी सम्मेलन की अध्यक्षता मॉरीशस के प्रधानमंत्री शिवसागर रामगुलाम ने की थी।

इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था हिंदी के विचार संगम को बनाए रखने में वर्धा स्थित इस संस्था का महत्वपूर्ण योगदान रहा है जो अविराम जारी है वर्ष 1975 से लेकर अब तक 11 विश्व हिंदी सम्मेलन हो चुके हैं। vishwa hindi sammelan notes

– विश्व हिंदी सम्मेलनों के प्रमुख मुद्दे

विश्व हिंदी सम्मेलन का बोध वाक्य वासुदेव कुटुंबकम सनातन धर्म की मूल संस्कार और विचारधारा से निकला हुआ शब्द है जो पूरी धरती को एक परिवार के रूप में देखने समझने की दार्शनिकता का प्रतिपादन करता है विद्वानों के अनुसार हिंदी की बहुत उप बोलियां अथवा भाषाएं भारत सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में भारतीय मूल के लोगों के साथ गई है । vishwa hindi sammelan notes

वर्ष 1975 से शुरू हुआ हिंदी भाषा का वैश्विक सम्मेलन मात्र बोलचाल कार्य व्यवहार के स्तर पर ही नहीं बल्कि हिंदी की दुनिया को विश्व भाषा मंच पर सम्मानजनक ओहदे तक ले जाने के प्रयास का अहम हिस्सा रहा है अभी तक हुए इन सम्मेलनों के महत्वपूर्ण मुद्दे और भूमिकाएं निम्न है –

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पहला सम्मेलन- पहले सम्मेलन का मुख्य विषय हिंदी की अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर केंद्रित रहा विश्व मानव चेतना में भाषाओं की महती भूमिकाओं को ज्ञान विज्ञान के विस्तार में तथा सता सरंचनाओं  के वर्चस्वकारी कार्यक्रमों में हम देख सकते हैं इसके अलावा भाषा एक सामुदायिक दुनिया भी रखती है अगर देखा जाए तो हिंदी भाषा को इसी सामुदायिकता का माध्यम बनाए जाने का प्रयास पहले सम्मेलन का प्रकट उद्देश्य रहा पहले सम्मेलन में विनोवा भावे ने देश की भाषा गत विडंबना ओं का उल्लेख किया यूएनओ में स्पेनिश को स्थान है जबकि स्पेनिश बोलने वाले 15 16 करोड़ ही है हिंदी का यूएनओ में स्थान नहीं है यद्यपि उसके बोलने वालों की संख्या लगभग 26 करोड़ है ।भाषा और साहित्य की प्रगति तथा प्रसार की दीर्घकालीन बुनियाद तैयार करने में पहले विश्व हिंदी सम्मेलन का योगदान अतुलनीय है पहले विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन स्थल का नाम विश्व हिंदी नगर रखा गया है पहले सम्मेलन की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के केंद्रीय कार्यालय वर्धा के प्रांगण में विश्व हिंदी विद्यापीठ की नींव रखी गई। vishwa hindi sammelan notes

दूसरा सम्मेलन- पोर्ट लुइ के महात्मा गांधी संस्थान में संपन्न हुए द्वितीय विश्व हिंदी सम्मेलन के प्रमुख चार विषय इस प्रकार रहे जिन्हें केंद्र में रखकर विचार-विमर्श किया गया सम्मेलन में शैक्षिक स्तर के विषय हिंदी की अंतरराष्ट्रीय स्थिति शैली और स्वरूप जनसंचार के साधन और हिंदी । हिंदी के प्रचार में बौद्धिक संस्थाओं की भूमिका विश्व हिंदी के पठन-पाठन की समस्या रहे दूसरे विश्व हिंदी सम्मेलन की उपलब्धियों के रूप में सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह माना जाता है कि इसमें हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित होने का अवसर उपलब्ध कराया। आगामी विश्व से हिंदी की अपेक्षाएं बढ़ी। इस सम्मेलन के दौरान यह अहम प्रस्ताव भी पारित किया गया कि मॉरीशस में एक हिंदी केंद्र की स्थापना की जाए जो पूरे विश्व की हिंदी गतिविधियों का समन्वय कर सके ।

तीसरा सम्मेलन- तीसरे विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन इंद्रप्रस्थ स्टेडियम नई दिल्ली में किया गया जिसमें 3 व्यापक विषयों पर चर्चा को आगे बढ़ाया गया जो इस प्रकार हैं अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी प्रसार की संभावनाएं और प्रयास भारत की सांस्कृतिक संबंध और हिंदी मानव मूल्यों की स्थापना और हिंदी इस सम्मेलन के आयोजन समिति की अध्यक्षता तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष श्री बलराम जाखड़ ने की हिंदी के अंतर भारती स्वरूप पर गहन विचार-विमर्श होना इसकी सार्थकता और हिंदी प्रेमियों की जमीनी रुझान को भी प्रदर्शित करता हुआ जान पड़ता है कैंब्रिज विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ आर एस मैकग्रेगर उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा जो भी देश या व्यक्ति भारत को समझना चाहता है तो उसे सर्वप्रथम हिंदी सीखनी होगी हिंदी की उपयोगिता और विशेषता को सीखना होगा जब उन्होंने यह कहा होगा तब उनका मतलब महज इसके तकनीकी पहलू पर नहीं बल्कि हिंदी भाषा जनता और उसकी सांस्कृतिक सरंचना तक पहुंचने की इच्छा रखने वालों की विस्तृत समाज समझ के आलोक में कहा गया होगा क्योंकि हम जब किसी समाज अथवा किसी जीवन पद्धति को नजदीक से नहीं समझ पाते तब तक हम उसकी भाषा को नहीं समझ सकते । vishwa hindi sammelan notes

चौथा सम्मेलन – एक बार दोबारा पोर्ट लुइ में आयोजित चौथे विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन समिति की अध्यक्षता श्री मुकेशवर चुनी जी ने जो की मॉरीशस सरकार में तत्कालीन मंत्री थे हिंदी संचार और विज्ञान भुफलकीय हिंदी और इस सम्मेलन का सबसे महत्वपूर्ण विषय हिंदी भारतीय संस्कृति और लोक संस्कृति रहा ।जिस पर देश दुनिया से आए विद्वानों ने चर्चा की।

पांचवा  सम्मेलन – हिंदी निधि संस्था द्वारा वेस्टइंडीज विश्वविद्यालय के सहयोग से 5 वा विश्व हिंदी सम्मेलन पोर्ट ऑफ स्पेन में संपन्न हुआ सम्मेलन के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता त्रिनिदाद और टुबैगो के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री वासुदेव पांडे द्वारा कि गए तथा इस सम्मेलन के संयोजक हिंदी निधि संस्था के अध्यक्ष श्री सीताराम थे पांचवी विश्व हिंदी सम्मेलन का मुख्य विषय अप्रवासी भारतीय और हिंदी रहा जो अब तक के सम्मेलनों से थोड़ा अलग और तुलनात्मक रूप से परिपक्व होते विश्व हिंदी सम्मेलन की धारा का परिचायक लगता है।कैरेबियन द्वीपों में हिंदी की स्थिति तथा कंप्यूटर में हिंदी की उपयोगिता के अंतर्गत चले समानांतर सत्र में हिंदी की व्यापकता को आधुनिक विश्व की गतिशीलताओं से तालमेल बिठाने की कोशिश जरूरी कही जा सकती है।

छठा सम्मेलन – लंदन ब्रिटेन में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन का केंद्रीय विषय हिंदी और भावी पीढ़ी रखा गया था। आयोजक समिति द्वारा बीसवीं सदी के आखिरी वर्ष में आयोजित इस सम्मेलन के केंद्रीय विषय का चयन निश्चित तौर पर नई सदी और नई पीढ़ी से हिंदी के प्रति बहुत सारी उम्मीद का भान कराने के साथ हिंदी सेवी विद्वानों कीदूर दृष्टि से भी परिचित कराता है vishwa hindi sammelan notes

 हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने के 50 वर्ष में आयोजित होने वाला विश्व हिंदी सम्मेलन इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण हो जाता है इस सम्मेलन में दुनिया के 21 देशों के प्रतिनिधियों का शामिल होना हिंदी की विस्तृत होती दुनिया का भी द्योतक़ रहा ।

सातवा सम्मेलन – 21वी सदी का पहला और विश्व हिंदी का 7वां सम्मेलन सूरीनाम की राजधानी पारामारीओ में आयोजित किया गया सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजक समिति के अध्यक्ष श्री जानकी प्रसाद सिंह रहे और उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता सूरीनाम के राष्ट्रपति रोनाल्डो रोनाल्डो ने की। विश्व हिंदी नई शताब्दी की चुनौतियां यह इस सम्मेलन का केंद्रीय विषय रहा कैरीबियन एशियाई अफ्रीकी मध्य पूर्व एशियाई और संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी की स्थितियों का जायजा लेने के साथ हिंदी की बोलियों में नए सृजन हिंदी की आर्थिक संदर्भ में स्थिति और चुनौतियों को इस सम्मेलन में बहस का मुद्दा बनाए जाने से निसंदेह इस सम्मेलन की सार्थकता सिद्ध हुई।

आठवां सम्मेलन- संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय न्यूयॉर्क अमेरिका के सभागार में आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया जाना हिंदी की अविराम यात्रा का ऐतिहासिक पड़ाव जरूर कहा जा सकता है इसका हासिल क्या हुआ यह अलग बात है परंतु हिंदी को इस मंच पर जगह मिलना जरूर सकारात्मक रहा इस सम्मेलन का मुख्य विषय बहुत सटीकता से चुना गया था विश्व मंच पर हिंदी संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने की जद्दोजहद हिंदी और हिंदी प्रेमियों के सामने अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है यहां पहली बार सम्मेलन की आधिकारिक वेबसाइट को पूरी तरह से यूनिकोड में तैयार किया गया था। विश्व मंच पर हिंदी और बाल साहित्य को भी शैक्षिक सत्र का हिस्सा बनाया गया था । vishwa hindi sammelan notes

नौवां वा सम्मेलन – सेंडटन सेंटर के नेलसन मंडेला सभागार जोहानसनबर्ग में संपन्न हुआ 9 वा विश्व हिंदी सम्मेलन हिंदी की भविष्यमुखी दृष्टि का परिचायक रहा इस सम्मेलन का मुख्य विषय भाषा की अस्मिता और हिंदी का वैश्विक संदर्भ रहा हिंदी को लेकर कोई विश्व सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका में हो और उसमें गांधी ना शामिल हो ऐसा संभव नहीं इस सम्मेलन में जिन प्रमुख शैक्षिक सत्र को शामिल किया गया था उसके कुछ प्रमुख विषयों में महात्मा गांधी की भाषा दृष्टि और वर्तमान का संदर्भ लोकतंत्र और मीडिया की भाषा के रूप में हिंदी हिंदी के विकास में विदेशी प्रवासी लेखकों की भूमिका हिंदी फिल्म रंगमंच और मंच की भाषा आदि थी ।अफ्रीका में हिंदी शिक्षण युवाओं का योगदान विषय पर वक्तव्य देते हुए शुभ श्री रामबाली ने कहा था की भाषा रेत की तरह होती है अगर मुट्ठी में पकड़कर इसका प्रयोग नहीं करेंगे तो उंगलियों से फिसल जाएगी गौरतलब है कि संपर्क भाषा के रूप में हिंदी का प्रभावी प्रचार अधिकतर हिंदी सिनेमा और रंगमंच से संभव हुआ है और संभव है इसके बातों को ध्यान में रखते हुए इसे भी शैक्षिक सत्र का हिस्सा बनाया गया। vishwa hindi sammelan notes

दसवाँ  सम्मेलन – भोपाल में संपन्न हुए 10 वे विश्व हिंदी सम्मेलन का मुख्य विषय रखा गया था हिंदी जागरण विस्तार और संभावनाएं जिस के शैक्षिक सत्रों के कुछ उपाय गिरमिटिया देशों में हिंदी विदेशो में हिंदी शिक्षण समस्याएं और समाधान संचार और सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी अन्य भाषा भाषीय राज्यों में हिंदी आदि रहे ।दसवे विश्व हिंदी सम्मेलन में विद्वानों ने माना कि विदेशों में हिंदी को बढ़ावा देने और इसकी प्रभावी प्रसार के लिए कुशल और प्रशिक्षित शिक्षक की उपलब्धता पर भी ध्यान देना होगा इसी क्रम में एक प्रस्ताव रखा गया कि भारत में विदेशी भाषाओं को हिंदी माध्यम से सिखाने के लिए एक नए विश्वविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए साथ ही डिजिटल इंडिया के तहत प्राचीन भारत के वैज्ञानिक ज्ञान पर आधारित दुर्लभ ग्रंथों जैसे भारत की संपदा आदि साहित्य को निशुल्क वेबसाइट पर उपलब्ध कराना हिंदी के प्रसार के लिहाज से हितकर होगा । यह इसलिए है क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से दुनिया की भौगोलिक दूरियों को मिटाते हुए विश्वग्राम की संकल्पना को लगातार मजबूती प्रदान कर रहे हैं साथ ही इस सम्मेलन में हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाए जाने पर समयबद्ध तरीके की  कोशिशों पर भी जोर दिया गया।

11वां विश्व हिंदी सम्मेलन और शुभंकर –

मॉरीशस की धरती पर 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के रूप में यह तीसरा हिंदी का आयोजन जो कि स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय सभा केंद्र में अगस्त 2018 में संपन्न हुआ विश्व हिंदी सम्मेलन का मुख्य विषय हिंदी और भारतीय संस्कृति रखा गया। भाषा की आदान-प्रदान के साथ इस सम्मेलन को दुनिया के साथ सांस्कृतिक समन्वय स्थापित करने और राजनीतिक मौजूदगी का भी परचम बुलंद कराने का श्रेय जाता है 11वां विश्व हिंदी सम्मेलन का शुभंकर भारत और मॉरीशस की साझी जिम्मेदारियों और प्रतिबद्धताओं की तरफ इशारा करता है लोगों में यह दिखाया गया है कि भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर और मॉरीशस का राष्ट्रीय पक्षी डोडो एक साथ हिंद महासागर में लहरों के रूप में अपने अपने राष्ट्रीय झंडे के साथ खड़े हैं । vishwa hindi sammelan notes

-संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा और हिंदी

संयुक्त राष्ट्र में किसी भी भाषा को आधिकारिक भाषा के तौर पर शामिल किए जाने का कोई विशेष नियम नहीं है संयुक्त राष्ट्र में अभी तक कुल 6 भाषाएं अरेबिक चाइनीस इंग्लिश स्पेनिश फ्रेंच और रशियन को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह मिली हुई है हिंदी को भी संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने का प्रयास जारी है। पर अभी तक इसे कामयाबी नहीं मिल पाई है देखा जाए तो किसी भी भाषा को संयुक्त राष्ट्र संघ में आधिकारिक भाषा के तौर पर मान्यता दिए जाने हेतु महासंघ में एक संकल्प को अंगीकार करना होता है जिस पर संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों की दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है इसके आर्थिक और राजनीतिक पेंच भी है जिसकी तरफ माननीय विदेश मंत्री ने सम्मेलन के दौरान इशारा किया था।हिंदी के रूप में विश्व की दूसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा का सयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में जगह ना मिल पाना भाषा में राजनीतिक की विडंबना को दर्शाता है विश्व हिंदी सम्मेलनों के साथ साथ अन्य मंचों से भी इस दिशा में प्रयास जारी है ।

-टिप्पणी भाषागत पहचान की राजनीति देश के भीतर और बाहर अलग-अलग रूपों में परिलक्षित होती है जैसा कि पहले भी जिक्र हुआ है कि भाषा महज आम बोलचाल और संपर्क का साधन नहीं बल्कि राजनीतिक घड़ीबंदी भी है जिसका सीधा असर राजनीतिक और आर्थिक सरंचना पर भी पड़ता है हिंदी को भारतीय संस्कृति से जोड़ते हुए पिछले कई वर्षों से जिस तरह से सरकारी और गैर सरकारी मदद मिल रही है उसके दो पहलू सामने आते हैं एक तरफ तो ऐसे प्रयास काबिले गौर है तो दूसरी तरफ इसके अलग अलग आलोचनाएं भी होती रही है अगर हम भारतीय संदर्भ में ही देखे तो बहुत सारी क्षेत्रीय और प्रदेशिक भाषाएं हैं जो अहिंदी पहचान रखती हैं ऐसे में कुछ लोगों का मानना है कि केवल हिंदी को इतनी प्रतिष्ठा क्यों चलो मान लेते हैं कि यह अलग-अलग बहस का मसला है अगर हम अपनी बात विश्व हिंदी सम्मेलन की ही तरफ केंद्रित करते हुए करें तो इस पर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं मसलन की आखिर इससे क्या हासिल होता है क्या ऐसे आयोजन में एक समारोह की शक्ल तक ही सीमित होकर रह जाते हैं अथवा उनकी उपलब्धियां और शामिल होने वालों की स्थितियों भी हिंदी के लिए व्यवहारिक धरातल पर तैयार होती है एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की हिंदी भाषा में पिछले 5 वर्षों में अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में बच्चों के नामांकन में 2 गुना बढ़ोतरी हुई है । 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन से भी इस बात की चर्चा आती रही है कि हिंदी के सम्मेलन में भी कुछ कथित वक्ताओं ने अपने व्याख्यान में अंग्रेजी को शामिल किया जबकि ऐसा नहीं कि हिंदी में नहीं बोल सकते थे ऐसे बातें जरूर बाहरी दुनिया में हिंदी के प्रति हिंदी सेवीओं की निष्ठा पर प्रश्न उठाती है । बरहाल हिंदी को लेकर ऐसे वैश्विक सम्मेलनों की प्रासंगिकता इस लिहाज से भी बनती है क्योंकि यह ज्ञान उत्पादन की परंपरा को हिंदी की विशाल बिरादरी तक ले जाने का प्रयास का महत्वपूर्ण हिस्सा है बशर्ते लोगों की इच्छा इसे उस मुकाम तक ले जाने की बनी रहे। vishwa hindi sammelan notes


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