Hello, दोस्तों स्वागत है आपका Upsc Ias Guru .com पर पिछली पोस्ट में हमने आपको गुप्त काल के प्रारंभिक जानकारी दी थी जिसमें हमने आपको गुप्तकालीन आर्थिक और धार्मिक जीवन की संपूर्ण जानकारी के बारे में बताया था आज की पोस्ट में हम आपको गुप्तकालीन कला व साहित्य मंदिरों की विशेषताएं के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे तो चलिए शुरू करते हैं
गुप्तकालीन कला व साहित्य, मंदिरों की विशेषताएं Art and Culture of Gupta Era in Hindi guptakal mein sanskrtik vikas
गुप्तकालीन सांस्कृतिक जीवन
गुप्त शासक ना केवल साम्राज्य निर्माता थे,बल्कि कला एवं साहित्य के महान संरक्षक भी थे। गुप्तकालीन सांस्कृतिक जीवन की प्रमुख विशेषताओं को निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत देखा जा सकता है –
गुप्तकालीन कला
गुप्त काल में स्थापत्य कला का अभूतपूर्व विकास हुआ। इस काल में ही मंदिर निर्माण कला का जन्म हुआ। ये मंदिर नागर शैली के हैं। मंदिर निर्माण चबूतरे के ऊपर किया जाता था तथा ऊपर जाने के लिए चारों सीढ़ियां बनाई जाती थी। मंदिर की छत पर प्रायः सपाट होती थी, किंतु देवगढ़ के मंदिर में शिखर का निर्माण किया गया था। मंदिरों के निर्माण में प्रायः पत्थरों का प्रयोग किया जाता था, किंतु भीतरगांव, सिपुर तथा देवगढ़ स्थित मंदिरो के निर्माण में ईंटो का प्रयोग भी किया गया है। मंदिर का भीतरी भाग सादा होता था तथा गर्भगृह में देव मूर्ति की स्थापना की जाती थी। द्वारपाल के स्थान पर मकरवाहिनी गंगा एवं पूर्व वाहिनी यमुना की प्रतिमाए बनी होती थी। गुप्तकालीन प्रमुख मंदिर थे – देवगढ़ (उ. प्र.) का दशावतार मंदिर, भीतरगांव (उ. प्र.) का विष्णु व शिव मंदिर, सिरपुर (छ. ग.) का लक्ष्मण मंदिर, तिगवा (म. प्र.) का विष्णु मंदिर, नचनाकुठार (म. प्र.) का पार्वती मंदिर आदि। Art and Culture of Gupta Era in Hindi guptakal mein sanskrtik vikas
गुप्त काल में मूर्तिकला निर्माण में भी उन्नति हुई । इस काल में गांधार एवं मथुरा कला शैली के समन्वय से सारनाथ मूर्ति कला शैली का विकास हुआ। इस कला शैली में मूर्तियों का निर्माण प्रायः लाल बलुआ पत्थर से किया गया था। मूर्तियों में भौतिकता की बजाय आध्यात्मिकता को अधिक महत्व दिया गया था। सारनाथ शैली में निर्मित मूर्तियों में सुसज्जित प्रभामंडल बनाए गए थे। गुप्त कालीन मूर्तिकला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण देवगढ़ के दशावतार मंदिर में प्राप्त होता है, जिसमें विष्णु को शेषनाग की शय्या पर दर्शाया गया है।
गुप्त काल में चित्रकला के सर्वोत्कृष्ट उदाहरण अजंता एवं बाघ की गुफाओं से प्राप्त होते हैं। अजंता में 29 गुफाओं चित्र बने हैं, जिनमें से 16वीं, 17वीं भी एवं 19वीं गुफा के चित्र गुप्तकालीन हैं। 16व़ी गुफा के चित्रों में सरणासन्न राजकुमारी का चित्र अत्यंत सुंदर है। 17वीं गुफा के चित्रों को चित्रशाला कहा गया है, जिसके चित्र मुख्यतः बुद्ध के जन्म, जीवन, गृहत्याग एवं महापरिनिर्वाण की घटनाओं से संबंधित है। उसी प्रकार मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित बाघ की गुफाओं से भी गुप्तकालीन चित्र कला पर प्रकाश पड़ता है। अजंता के चित्रों के विपरीत भाग के बाघ के चित्र मनुष्य के लौकिक जीवन से ही संबंधित है।
गुप्तकालीन साहित्य
गुप्त काल में साहित्य की अभूतपूर्व प्रगति हुई। पुराणों, रामायण, एवं महाभारत को इसी काल में अंतिम रूप से लिखा गया। स्मृति-ग्रंथों, जैसे- नारद, बृहस्पति, कात्यायन एवं पाराशर स्मृति की रचना गुप्त काल में ही हुई।
गुप्त काल श्रेष्ठ कवियों का काल था, जिनमें हरिषेण, वत्सभटि्ट एवं वीरसेन प्रमुख थे। हरिषेण में प्रयाग- प्रशस्ति, वत्सभटि्ट ने मंदसौर- प्रशस्ति एवं वीरसेन ने उदयगिरि गुहालेख की रचना की थी। गुप्तकालीन सभी कवियों में सर्वश्रेष्ठ एवं कवि एवं नाटकार कालिदास थे, जिन्हें भारत का शेक्सपियर कहा जाता है कालिदास ने मालविकाग्निमित्र, अभिज्ञानशाकुन्तलम् विक्रमोवर्शीयम (तीनों नाटक), रघुवंश, कुमारसंभव (दोनों महाकाव्य) तथा मेघदूत, ऋतुसंहार (दोनों खंड काव्य) की रचना की। इस काल में शूद्रक ने मृच्छकटिकम, विशाखदत्त ने मुद्राराक्षस व देवीचंद्रगुप्तम, वात्सायन ने कामसूत्र, कामंदक ने नीतिसार तथा विष्णु शर्मा ने पंचतंत्र की रचना की थी। Art and Culture of Gupta Era in Hindi guptakal mein sanskrtik vikas
अजंता की चित्रकला
अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है। इन गुफाओं का निर्माण दूसरी शताब्दी ई. पू. से सातवीं शताब्दी ई. तक किया गया था। अजंता की खोज 1819 ई. में सर जेम्स अलेक्जेंडर ने की थी। अजंता में मुख्यतः ब्राह्मण व बौद्ध धर्म से संबंधित चित्र है। बौद्ध धर्म के चित्र महायान शाखा से संबंधित है। चित्रों में लाल, हरा, नीला, सफेद काला व भूरे रंग का प्रयोग हुआ है। अजंता में पहले 29 गुफाओं में चित्र बने थे, परंतु अब केवल 7 गुफाओं 1, 2, 9, 10, 16, 17 व 19 के चित्र अवशिष्ट हैं। इसमें 16, 17 व 19 गुप्तकालीन है, जबकि गुफा संख्या 9 व 10 के चित्र सर्वाधिक प्राचीन दूसरी शताब्दी ई. पू. के वाकाटक काल के हैं गुफा संख्या 1 व 2 पुलकेशिन द्वितीय के समय की है।
बाघ की चित्रकला
बाघ गुफाएं, मध्य प्रदेश में धार जिले से 17 किलोमीटर दूर विन्ध्य पर्वत के दक्षिणी ढलान पर हैं। ये इंदौर और वडोदरा के बीच में बाघिनी नदी के किनारे स्थित हैं।, जिनकी खोज 1818 ई. में डेन्जर फील्ड महोदय ने की । इन गुफाओं की संख्या 9 है। चौथी व पांचवीं गुफाओं को संयुक्त रूप से रंग महल कहा जाता है। अजंता के चित्रों के विपरीत बाघ के चित्र मनुष्य के लौकिक जीवन से भी संबंधित हैं। यहां का सबसे प्रसिद्ध चित्र संगीत और नृत्य का एक दृश्य है।
मंदिर | स्थान |
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1- विष्णुमंदिर | तिगवा (जबलपुर मध्य प्रदेश) |
2- शिव मंदिर | भूमरा (नागोद मध्य प्रदेश) |
3- पार्वती मंदिर | नचना-कुठार (मध्य प्रदेश) |
4- दशावतार मंदिर | देवगढ़ (झांसी, उत्तर प्रदेश) |
5- शिवमंदिर | खोह (नागौद, मध्य प्रदेश) |
6- भीतरगांव का मंदिर लक्ष्मण मंदिर (ईटों द्वारा निर्मित) | भितरगांव (कानपुर, उत्तर प्रदेश) |
गुप्तकालीन विज्ञान एवं तकनीक
गुप्त काल में चिकित्सा विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित एवं ज्योतिषीयों का भी अभूतपूर्व विकास हुआ। चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार में धनवंतरि नामक महान चिकित्सक को आश्रय प्राप्त था। इस काल में वागभट्ट ने आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ अष्टांगह्रदय की रचना की थी। उसी प्रकार पल्कप्य ने पशु चिकित्सा हेतु हस्तायुर्वेद नामक ग्रंथ लिखा था। इस काल में बौद्ध दर्शनिक नागार्जुन रसायन व धातु विज्ञान के महान विद्वान थे। गुप्त काल में ही आर्यभट्ट, भास्कर प्रथम, ब्रह्मगुप्त एवं वाराहमिहिर जैसे महान गणितज्ञ एवं ज्योतिषाचार्य हुए। आर्यभट्ट ने ही सर्वप्रथम यह बताया कि पृथ्वी गोल है और अपनी धुरी पर घूमती है, उन्होंने ही सूर्य ग्रहण व चंद्र ग्रहण की सही व्याख्या प्रस्तुत की थी। उसी प्रकार ब्रह्मगुप्त ने सर्वप्रथम बताया कि पृथ्वी सभी वस्तुओं अपनी और आकर्षित करती है इस प्रकार गुप्त काल सांस्कृति उपलब्धियों का काल था। इस काल में कला, साहित्य एवं विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ। इस काल में हुए सांस्कृतिक विकास को देखते हुए ही कुछ इतिहासकारों ने गुप्त काल को स्वर्ण युग की संज्ञा दी है। Art and Culture of Gupta Era in Hindi guptakal mein sanskrtik vikas
इस पोस्ट में हमने आपको गुप्तकालीन गुप्तकालीन कला व साहित्य मंदिरों की विशेषताएं के बारे में विस्तार से बताया, अगली पोस्ट में हम आपको गुप्त काल को स्वर्ण युग क्यों कहा गया ? के बारे में विस्तार से बताएंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .com के साथ 🙂
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