Hello, दोस्तों स्वागत है आपका Upsc Ias Guru .com पर पिछली पोस्ट में हमने आपको आपको क्या गुप्त काल को स्वर्ण युग की संज्ञा दी जा सकती है के बारे में बताया था आज की पोस्ट में हम आपको गुप्त साम्राज्य का पतन क्यों हुआ के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे तो चलिए शुरू करते हैं
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गुप्त काल को स्वर्ण युग क्यों कहा गया ?
गुप्त साम्राज्य का पतन Downfall of Gupta Empire gupt saamraajy ka patan
समुद्रगुप्त से लेकर स्कंद गुप्त तक गुप्त साम्राज्य अक्षुण्ण रहा, किंतु इसके पश्चात साम्राज्य का विभाजन प्रारंभ हो गया। गुप्त साम्राज्य के पतन के पीछे निम्नलिखित कारकों को उत्तरदायी माना जाता है –
हूण आक्रमण
भारत में प्रथम हूण आक्रमण कुमारगुप्त प्रथम के शासनकाल में हुआ था, किंतु उसके पुत्र स्कंद गुप्त ने हूणों को पराजित कर पीछे धकेल दिया था। आगे हूण सरदार तोरमाण एवं मिहिरकुल ने उत्तर – पश्चिम भारत के अधिकांश भागों में अधिपत्य स्थापित कर लिया। इस प्रकार हूणों के निरंतर आक्रमण से गुप्तों की शक्ति का ह्रास हुआ, परिणाम स्वरूप विघटन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई।
• गुप्तकालीन प्रशासन में निहित दोष
गुप्तकालीन प्रशासन में कई अंतर्निहित खामियां थी। उदाहरणार्थ – उच्च प्रशासनिक पद वंशानुगत होते थे तथा एक ही व्यक्ति के पास कई पद भी होते थे। इसके कारण प्रशासन में अयोग्य व्यक्ति नियुक्त होते गए, जिससे शासन तंत्र में शिथिला आ गई।
• सामंतवाद
मौर्योत्तर काल से प्रारंभ हुई भूमि अनुदान की पद्धति एवं समुद्रगुप्त की दक्षिण राज्यों के प्रति अपनाई गई ग्रहणमोक्षानुग्रह की नीति ने सामंतवाद के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह सामंत महाराज की उपाधि धारण करते थे, सेना रखते थे तथा अपने भू – क्षेत्र में कर की वसूली करते थे। इससे जहां एक और केंद्र को प्राप्त होने वाले राजस्व की कमी आई, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय सेना की कार्यकुशलता भी प्रभावित हुई। आगे केंद्रीय शक्ति के कमजोर होने के साथ ही इन सामंतों द्वारा अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी गई, परिणाम स्वरूप गुप्त साम्राज्य का पतन हो गया।
• वाणिज्य व्यापार में गिरावट
गुप्त शासन के अंतिम चरण में सामंतवाद के उद्भव के कारण आंतरिक व्यापार एवं मध्य एशिया में हुणों के अधिकार के कारण बाह्य व्यापार में गिरावट आई। आर्थिक संकट ने गुप्त शासकों की सैन्य शक्ति को कमजोर कर दिया था, जिससे विघटनाकारी तत्वों को प्रोत्साहन मिला।
• सामाजिक असंतोष
प्रशासनिक बुराइयों एवं वर्णाश्रम व्यवस्था की कठोरता ने निम्न वर्ग के लोगों में और संतोष को जन्म दिया। इससे जनता में राज्य के प्रति निष्ठा में कमी आई तथा विघटनकारी शक्तियों को प्रोत्साहन मिला।
• धार्मिक असंतोष
यद्यपि गुप्त शासक वैष्णव धर्म के अनुयायी थे, किंतु कुमारगुप्त एवं भानुगुप्त शासकों के द्वारा बौद्ध धर्म की उन्नति हेतु भी कई प्रयास किए गए। उदाहरणार्थ – कुमारगुप्त प्रथम में नालंदा में बौद्ध विहार का निर्माण करवाया। राज्य द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार – प्रसार में प्रभावी भूमिका निभाने के कारण जहां राज्य का खजाना खाली होता गया, वही ब्राह्मण धर्म की बहुसंख्यक जनता में भी असंतोष उत्पन्न हुआ। इस प्रकार गुप्त शासकों द्वारा बौद्ध धर्म को दिए गए संरक्षण में भी गुप्त साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया को शुरू कर दिया।
• अयोग्य उत्तराधिकारी
परिवर्ती गुप्त शासक निर्बल एवं अयोग्य थे। इससे वे राज्य का आर्थिक एवं सैनिक आधार कमजोर कर सके और न ही सामंतों हुणों द्वारा प्रारंभ की गई राज्य के विघटन की प्रक्रिया को रोक सके।
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि हुण आक्रमण एवं सामंतवाद के कारण राज्य की विघटन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी, जिसे आर्थिक संकट एवं सामाजिक व धार्मिक और संतोष ने और अधिक बढ़ा दिया था। विघटन की इस प्रक्रिया को कमजोर एवं निर्बल परिवर्ती गुप्त शासक रोकने में असफल रहे। परिणाम स्वरूप उत्तर भारत में अनेक क्षेत्रीय राज्यों, जैसे -बल्लभी में मैत्रक वंश, मालवा व मगध में उत्तर गुप्त वंश ,कन्नौज में मौखरि वंश, धनेश्वर में पुष्पभूति वंश के राजाओं ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली। Downfall of Gupta Empire gupt saamraajy ka patan
इस पोस्ट में हमने आपको गुप्त साम्राज्य के पतन के कारण के बारे में विस्तार से बताया, अगली पोस्ट से हम आपको गुप्तोत्तर काल नोट्स नई की सीरीज बारे में विस्तार से बताएंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .com के साथ 🙂