गुप्तकाल : गुप्तकालीन सामाजिक जीवन Notes

Hello, दोस्तों स्वागत है आपका Upsc Ias Guru .com पर पिछली पोस्ट में हमने आपको गुप्त काल के प्रारंभिक जानकारी दी थी जिसमें हमने आपको गुप्तकालीन राजनीतिक व्यवस्था की संपूर्ण जानकारी के बारे में बताया था आज की पोस्ट में हम आपको गुप्तकालीन सामाजिक जीवन व्यवस्था के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे तो चलिए शुरू करते हैं

गुप्तकालीन सामाजिक जीवन Gupton ka Saamaajik Jeeva Social Life During Gupta Empire

गुप्तकालीन सामाजिक जीवन को निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत समझा जा सकता है। 

•  वर्णाश्रम व्यवस्था   

गुप्त काल में वर्णाश्रम व्यवस्था प्रचलित थी। समाज का विभाजन चार वर्णो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, एवं शूद्र में था। इस काल में सामंतवाद के उद्भव एवं हुण आक्रमण के कारण वाणिज्य व्यापार में गिरावट आई, जिससे वैश्यों की स्थिति शुद्रों के समकक्ष हो गई। वही शुद्रों की स्थिति में कुछ सुधार हुआ। याज्ञवल्क्य स्मृति में कहा गया है कि शूद्र ओंकार के बदले नमः शब्द का प्रयोग कर पंचमहायज्ञ कर सकते थे। फिर भी शुद्रों की स्थिति समाज में सबसे दयनीय थी। चीनी यात्री फाह्यान के विवरण से ज्ञात होता है कि शहर में चाण्डालों (शूद्र) को प्रवेश करने के दौरान जमीन में लकड़ी ठोकते हुए आना होता था, ताकि लोग उसके स्पर्श से बचें तथा मार्ग से हट जाएं।       

गुप्त काल में आपदधर्म के अंतर्गत किसी वर्ण को किसी अन्य वर्ण के कार्यों को अपनाने की छूट थी। शुद्रक कृत मृच्छकटिकम्  के अनुसार चारुदत्त नामक ब्राह्मण वैश्य वर्ण का कार्य (वाणिज्य – व्यापार) करता था । इसके पीछे प्रमुख कारण यह था कि गुप्त काल के अंतिम चरण में जब वाणिज्य – व्यापार में गिरावट आई, तो उच्च वर्ण के लोगों को निम्न वर्ण का पैशा अपनाने की छूट दे दी गई थी।   

•  जाति व्यवस्था       

गुप्त काल में अनुलोम एवं प्रतिलोम विवाह के फलस्वरूप अनेक मिश्रित जातियों का उदय हुआ, जैसे – निषाद (ब्राह्मण पिता व शूद्र माता से उत्पन्न संतान), चांडाल (शुद्र पिता व माता से उत्पन्न संतान) आदि। Gupton ka Saamaajik Jeeva Social Life During Gupta Empire 

•  अस्पृश्यता     

गुप्त काल में अस्पृश्यता प्रचलित थी। फाह्यान के अनुसार गुप्त काल में एक अस्पृश्य वर्ग था, जिसे अत्यंज या चाण्डाल या प्रतिलोम विवाह से उत्पन्न भी कहा जाता था। यह प्रायः बस्ती के बाहर रहते थे तथा सबसे घृणित कार्य, जैसे – सड़कों व गलियों की सफाई करना, शमशान का काम करना, अपराधियों को फांसी पर लटकाना आदि करते थे।   

•  स्त्रियों की स्थिति   

गुप्त काल में स्त्रियों की सामाजिक दशा में गिरावट आई। इसी काल में सर्वप्रथम बाल – विवाह, पर्दा प्रथा, सती प्रथा के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। समाज में वैश्यावृत्ति एवं देवदासी प्रथा भी प्रचलित थी । गुप्तकालीन समाज में विधवाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। उन्हें श्वेत वस्त्र धारण कर जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन करना होता था ।       

हालांकि इस काल में स्त्रियों के संबंध में कुछ सकारात्मक बातें भी पता चलती है। प्रथम, गुप्त काल में स्त्रियों के संपत्ति संबंधी अधिकारों की घोषणा की गई थी । याज्ञवल्क्य स्मृति के अनुसार पुत्र के अभाव में पुरुष की संपत्ति पर उसकी पत्नी का और उसके बाद उसकी कन्याओं का अधिकार होना चाहिए। द्वितीय, इस काल में कुछ  सुशिक्षित स्त्रियों की भी जानकारी प्राप्त होती है। कालिदास कृत अभिज्ञान शाकुंतलम् में अनसूया को इतिहास का ज्ञाता कहा गया है, परंतु स्त्रियों में जुड़ी ये सकारात्मक बातें केवल उच्च वर्ण की स्त्रियों से संबंध में ही सही थी, जबकि निम्न वर्ण का स्त्रियों की दशा दयनीय ही बनी रही। Gupton ka Saamaajik Jeeva Social Life During Gupta Empire

•  दासों की  स्थिति

गुप्त काल में दास प्रथा प्रचलित थी । नारद स्मृति एवं विज्ञानेश्वर स्मृति में 15 प्रकार के दांसों का उल्लेख है। परंतु इस काल में दास प्रथा में शिथिलता आई। नारद स्मृति में दास मुक्ति के अनुष्ठान का उल्लेख मिलता है। आर.एस. शर्मा के अनुसार दासों की स्थिति में सुधार का कारण सामंतवाद के फलस्वरूप भूमि का छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित होना था। छोटे-छोटे कृषि क्षेत्रों में अधिक दास रखने की आवश्यकता नहीं थी। इससे दासों को कृषि कार्यों से मुक्त कर दिया गया। 

• शिक्षा ,वेश – भूषा, खान – पान एवं मनोरंजन   

गुप्त काल में लौकिक  एवं अलौकिक दोनों विषयों की शिक्षा दी जाती थी। नालंदा, बनारस, उज्जैन, बल्लभी आदि शिक्षा के प्रमुख केंद्र थे। गुप्त समाज में लोगों की वेश – भूषा, खान – पान, एवं मनोरंजन के साधन वर्तमान के ग्रामीण जीवन के अनुरूप थे।       

इस प्रकार गुप्तकालीन समाज में शूद्रों की स्थिति पहले के समान दयनीय बनी रही। स्त्रियों की स्थिति में गिरावट आई। मिश्रित जातियों की संख्या में वृद्धि होने से सामाजिक असंतोष में वृद्धि हुई। यही कारण है कि कुछ इतिहासकार उपयुक्त सामाजिक बुराइयों को देखते हुए गुप्त काल के संदर्भ में स्वर्णयुग जैसी अवधारणा पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। Gupton ka Saamaajik Jeeva Social Life During Gupta Empire

इस पोस्ट में हमने आपको गुप्त काल के सामाजिक जीवन के बारे में विस्तार से बताया, अगली पोस्ट में हम आपको आर्थिक और धार्मिक जीवन के बारे में विस्तार से बताएंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .com के साथ 🙂

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