औरंगजेब का इतिहास || मुगल साम्राज्य Notes

Hello दोस्तों, स्वागत है आपका फिर से हमारी इतिहास नोट्स की सीरीज में इससे पहले हमने आपको शाहजहां का काल मुगल काल का स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है? के बारे में विस्तार से बताया था, इस पोस्ट से हम आपको औरंगजेब का इतिहास के बारे में बतायेगे जिससे आपको  मध्यकालीन भारत के इतिहास की जानकारी मिल सके और आपकी तैयारी को और भी बल मिल सके तो चलिए शुरू करते है आज की पोस्ट 🙂

औरंगजेब का इतिहास (1658-1707 ई.) (Aurangzeb 1658-1707 AD)

औरंगजेब का जीवन-परिचय –

पूरा नामअब्दुल मुज्जफर मुहीउद्दीन मोह्हमद औरंगजेब आलमगीर
जन्म14 अक्टूबर 1618
जन्म स्थानदाहोद , गुजरात
माता-पितामुमताज , शाहजहाँ
पत्नीऔरंगाबादी महल, झैनाबादी महल, बेगम नबाव बाई व उदैपुरी महल
बेटेबहादुर शाह, आज़म शाह, मोह्हमद काम बख्श , मोह्हमद सुल्तान, सुल्तान मोह्हमद अकबर


औरंगजेब का जन्म 3 नवम्बर, 1618 ई. को उज्जैन के निकट दोहद में हुआ था। डॉ. यदुनाथ सरकार ने औरंगजेब का जन्म 24 अक्टूबर, 1618 ई. बताया है। इसके पिता शाहजहाँ के विद्रोह काल में औरंगजेब को नूरजहाँ के पास बन्धक के रूप में रहना पड़ा था। जब शाहजहाँ को क्षमा कर दिया था, तभी औरंगजेब की शिक्षा का प्रबन्ध योग्य शिक्षको द्वारा किया गया। वह बड़ा ही तीव्र बुद्धि का बालक था। इसलिए उसने अल्प आयु में ही कुरान तथा हदीस आदि धार्मिक पुस्तकों अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। अरबी, फारसी में उसने विशेष ज्ञान प्राप्त कर लिया था तथा तुर्की और हिन्दी भी उसने पढ़ी थी, किन्तु संगीत, चित्रकला आदि में उसकी रुचि नहीं थी। वास्तविकता यह थी कि वह संगीत और चित्रकला से घृणा करता था।

सैनिक शिक्षा उसे उचित ढंग से दी गयी थी, इसलिए वह आगे चलकर अच्छा सैनिक सिद्ध हुआ।
सन् 1636 से 1644 ई. तक उसने दक्षिण में सूबेदार के पद पर कार्य किया। 1645 ई. में उसे गुजरात का सूबेदार नियुक्त कर दिया गया। सूबेदार के पद कार्य करते हुए उसने कुशल सैनिक, कूटनीतिज्ञ तथा प्रबन्धक के रूप में ख्याति प्राप्त की। उसके अन्दर अपार उत्साह, धैर्य तथा उच्चकोटि की दृढ़ता थी। उसकी प्रतिभा और प्रभाव के कारण उसके अन्य भाई उससे जलने लगे थे। Aurangzeb History Jeevan Parichay in hindi


औरंगजेब की धार्मिक नीति –


औरंगजेब ने एक शुद्ध इस्लामी राज्य की स्थापना करने का प्रयत्न किया। वह कट्टर सुन्नी मुसलमान था। उसने अकबर तथा जहाँगीर की धार्मिक सहिष्णुता की नीति को त्याग दिया था और एक कट्टर सुन्नी मुसलमान की तरह धार्मिक सिद्धांतों के आधार पर शासन किया। इस्लाम धर्म उसकी शासन की नीतियों का आधार था। इसका प्रचार करना उसने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। औरंगजेब की धार्मिक कट्टरता शाहजहाँ की तरह क्षणिक आवेश का परिणाम नहीं थी, बल्कि बचपन से ही उसके अन्दर धार्मिक कट्टरता प्रवेश कर गयी थी। उसने जान-बूझकर तथा निर्भय होकर इस नीति का अनुसरण किया। वह गैर-मस्लिमों से घृणा करता था। यहाँ तक कि सूफी तथा शिया सम्प्रदाय के लोगों को भी उसकी धर्मान्धता का शिकार होना था।

1. इस्लाम के नियमों के अनुसार आचरण – सबसे पहले औरंगजेब ने इस्लाम को दरबार तथा देश के मूल रूप से प्रतिष्ठित किया। औरंगजेब ने राज्य में ऐसे कानून बनाये जिससे लोग कुरान में बताये हुए मार्ग का कट्टरतापूर्वक अनुसरण करें। उसने सिक्कों पर कलमा खुदवाया जाना और फारस के नववर्ष दिवस का मनाया जाना बन्द करवा दिया, क्योंकि इस्लाम धर्म दमका निषेध करता है। उसने भाँग की खेती पर तथा इसके प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया। मद्यपान, जुआ तथा वेश्यागमन पर भी रोक लगा दी, क्योंकि औरंगजेब इननको इस्लाम धर्म के नियमों के विरुद्ध समझता था। Aurangzeb History Jeevan Parichay in hindi

2. हिन्दओं के मन्दिरों को ध्वस्त करना – औरंगजेब ने गैर-मुस्लिम प्रजा अनेक प्रकार से अत्याचार किये। उसने हिन्दुओं के नवनिर्मित अनेक मन्दिरों को तोड़ा। उनके स्थान पर मस्जिदों का निर्माण कराया। नये मन्दिर बनाने पर तथा पुराने मन्दिरों का जीर्णोद्धार कराने पर रोक लगा दी। यह कार्य उसने अपने पिता के शासनकाल से ही प्रारम्भ कर दिया था। 1645 ई. में जब वह गुजरात का सूबेदार था तब उसने गुजरात के प्रसिद्ध चिन्तामणि मन्दिर को तुड़वाकर उसके स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण कराया। उसने शासन में आते ही यह आदेश दिया कि दस-बारह वर्ष में बनाये गये सभी मन्दिरों को गिरा दिया जाये। 20 नवम्बर 1665 ई. को उसने यह आदेश दिया कि मेरे राज्यारोहण से पहले अहमदाबाद तथा गुजरात के मेरी आज्ञा से अनेक मन्दिर तोड़े गये थे अब उनका जीर्णोद्धार हो गया है और मूर्ति पूजा पुनः होने लगी है अतः इन मन्दिरों को पुनः ध्वस्त किय जाये। औरंगजेब ने जिन प्रसिद्ध मन्दिरों को ध्वस्त किया उनमें काठियावाड़ का सोमनाथ, बनारस का विश्वनाथ, मथुरा का केशवराय का मन्दिर प्रमुख थे। इसके अतिरिक्त कूच बिहार, देहरा का मन्दिर, उज्जैन, उदयपुर, जोधपुर, गोकण्डा, बीजारपुर तथा महाराष्ट्र के लगभग सभी मन्दिर तोड़ डाले गये। Aurangzeb History Jeevan Parichay in hindi

3. हिन्दू पाठशालाओं का विध्वंस – औरंगजेब ने हिंदू पाठशालाओं के शिक्षण कार्य पर प्रतिबंध लगाया। उसने थट्टा, मुल्तान तथा बनारस में स्थित सभी शिक्षण संस्थाओं को नष्ट कर दिया। कोई भी मुसलमान हिन्दू पाठशालाओं में नही पढ़ सकता था और हिन्दू धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती थीं।

4. जजिया कर लगाना – 12 अप्रैल, 1679 ई. को औरंगजेब ने हिन्दुओं पर पुनः जजिया कर लगा दिया। इस कर को अकबर ने समाप्त कर दिया था, लेकिन औरंगजेब ने जजिया कर को वसूल करना इस्लाम धर्म के अनुकूल समझा।

5. बलात् धर्म परिवर्तन – औरंगजेब ने जितने भी हिन्दू विरोधी कानून बनाये उनका प्रमुख उद्देश्य हिन्दुओं पर दबाव डालकर उन्हें मुसलमान बनने के लिए बाध्य करना था। औरंगजेब ने लोगों मुसलमान बनाने के लिए हर तरीके से काम लिया। वह हिन्दुओं को मुसलमान बनाना अपना धार्मिक कर्तव्य समझता था। उसने इस्लाम धर्म स्वीकार करने वालों को पुरस्कार तथा सरकारी नौकरियाँ दीं। जो भी हिन्दू कैदी मुसलमान बन जाता था उसे कैद से मुक्त कर दिया जाता था।

6. हिन्दुओं पर सामाजिक प्रतिबन्ध – 1665 ई. के शाही आदेश के अनुसार राजपूतों को छोड़कर अन्य कोई हिन्दू, हाथी, घोड़ा और पालकी पर सवारी नहीं कर सकता और न ही अन्य शस्त्र धारण कर सकता। उसने हिन्दू त्यौहारों तथा मेलों पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया। होली, दीपावली के लिए आदेश था कि उन्हें सीमित रूप में बाजार से बाहर मनाया जाये। Aurangzeb History Jeevan Parichay in hindi

यह तो थी औरंगजेब का इतिहास की जानकारी के नोट्स अगली पोस्ट में हम आपको औरंगजेब की दक्षिण नीति, उद्देश्य, परिणाम के बारे में जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂

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