मौर्यकाल (322 ई. पू. – 185 ई. पू.) – संपूर्ण जानकारी के नोट्स

Hello दोस्तों, स्वागत है आपका फिर से Upsc Ias Guru .Com  पिछली पोस्ट में हमने भारतीय संस्कृति में जैन व बौद्ध धर्म का योगदान ||बुध एवं महावीर का तुलनात्मक विवेचन पढ़ा था अब इसके आगे हम इस पोस्ट से आपको मौर्यकाल (322 ई. पू. – 185 ई. पू.) पूरी जानकारी व मौर्य वंश के इतिहास के स्रोत तो चलिए शुरू करते है 

  मौर्यकाल (322 ई. पू. – 185 ई. पू.) Complete Information About Maurya Empire in Hindi

मौर्य शासकों की सूची
  • चंद्रगुप्त मौर्य – 322-298 ईसा पूर्व (24 वर्ष)
  • बिन्दुसार – 298-271 ईसा पूर्व (28 वर्ष)
  • अशोक – 269-232 ईसा पूर्व (37 वर्ष)
  • कुणाल – 232-228 ईसा पूर्व (4 वर्ष)
  • दशरथ –228-224 ईसा पूर्व (4 वर्ष)
  • सम्प्रति – 224-215 ईसा पूर्व (9 वर्ष)
  • शालिसुक –215-202 ईसा पूर्व (13 वर्ष)
  • देववर्मन– 202-195 ईसा पूर्व (7 वर्ष)
  • शतधन्वन् – 195-187 ईसा पूर्व (8 वर्ष)
  • बृहद्रथ 187-185 ईसा पूर्व (2 वर्ष)
मौर्यकाल की जानकारी के स्रोत
 मौर्यकालीन राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं धार्मिक व्यवस्था की जानकारी मुख्यतः 3 प्रकार के स्रोतों से प्राप्त होती है-
1) साहित्यक  स्रोत – इनमें प्रमुख हैं, कौटिल्य का अर्थशास्त्र, विशाखादत्त का मुद्राराक्षस, सोमदेव का कथासरित्सागर, बौद्ध ग्रंथ दिव्यावदाना, दीपवंश व महावंश, जैन ग्रंथ हेमचंद्र की  परिशिष्टपर्वम आदि।
2) विदेशी यात्रियों का विवरण – इनमें प्रमुख हैं, मेगास्थनीज की इंडिका, स्ट्रेबो,  एरियन, प्लनी, तालिमी, डायमेकस, डायोडोरस, प्लूटार्क, टॉलेमी आदि  लेखकों के यात्रा वृतांत।
3) पुरातात्विक स्रोत –  इनमें प्रमुख हैं –  अशोक के अभिलेख,रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख, चंद्रगुप्त मौर्य का राज प्रसाद, सिक्के, मुंहरें आदि। Complete Information About Maurya Empire in Hindi
   • कौटिल्य का अर्थशास्त्र
मौर्य का इतिहास जानने हेतु सर्वाधिक महत्वपूर्ण साहित्यिक स्रोत कौटिल्य का अर्थशास्त्र है। कौटिल्य के अन्य नाम विष्णुगुप्त चाणक्य है। अर्थशास्त्र, राजनीति व लोक – प्रशासन पर लिखी गई पहली प्रमाणिक पुस्तक है। इससे मौर्यकालीन शासन पद्धति की जानकारी प्राप्त होती है। कौटिल्य को भारत का मैकियावेली तथा अर्थशास्त्र को द प्रिंस भी कहा जाता है।
 अर्थशास्त्र  में कुल 15 अधिकरण, 180 प्रकरण तथा 6000  श्लोक हैं। यह ग्रंथ अन्य पुरुष की शैली में लिखी गई है। अर्थशास्त्र से मौर्य काल के संबंध में निम्नलिखित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है-
1) राज्य की सप्तांग अवधारणा –  कौटिल्य ने राज्य के सप्तांग सिद्धांत के अंतर्गत राज्य को सात तत्वों से निर्मित माना है, जो है – 
1) स्वामी (राजा) – राज्य रूपी शरीर के सिर के समान।
2) अमात्य(अधिकारी) – राज्य रूपी शरीर के आंख के समान।
3)  जनपद (भू -भाग) – राज्य रूपी शरीर की जांघ के समान ।
4) दुर्ग (किला) – राज्य रूपी शरीर की बाहों के समान।
5) कोष (धन) –  राज्य रूपी शरीर के मुख के समान।
6) दंड (सेना) – राज्य रूपी शरीर के मस्तिष्क के समान।
7) मित्र – राज्य रूपी शरीर के कान के समान।
2) तीर्थ – कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में राज्य के 18 तीर्थ या अधिकारियों का वर्णन किया है।
3) गुढ़ पुरुष – यह राज्य के गुप्तचर थे। इस प्रकार अर्थशास्त्र गुप्तचर प्रणाली का वर्णन करने वाला प्रथम ग्रंथ है। गुप्तचर विभाग का नाम अर्थशास्त्र में महामात्यपसर्व मिलता हैं। 
4) जहाजरानी – जहाजरानी का सर्वप्रथम उल्लेख अर्थशास्त्र में मिलता है। इसके अनुसार जहाजरानी पर राज्य का नियंत्रण था। स्ट्रेबो ने भी जहाजरानी पर राज्य के  नियंत्रण की बात कही है।
5) शुद्र – कौटिल्य ने पहली बार शूद्रों को भी आर्य कहा। इस प्रकार शुद्र को भी ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य के साथ सेना में भर्ती होने की छूट मिल गई।
6)  दास प्रथा – कौटिल्य ने 9 प्रकार के दोसों का वर्णन किया है, जिसमें से अहिंतक अस्थाई दास थे।
7) भू-  राजस्व – अर्थशास्त्र के अनुसार भू राजस्व 1/6 भाग लेना चाहिए। पूरे प्राचीन भारतीय धर्म ग्रंथों में भू – राजस्व की मात्रा यही मानी गई है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि कौटिल्य के अर्थशास्त्र से मौर्य काल की राजनीतिक व्यवस्था के साथ-साथ आर्थिक एवं सामाजिक जीवन  की भी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। यद्यपि अर्थशास्त्र में ना  तो किसी मौर्य शासक और न ही मौर्य की राजधानी पाटलिपुत्र का उल्लेख है, तथापि मौर्य काल की जानकारी हेतु अर्थशास्त्र सबसे महत्वपूर्ण साहित्यक स्रोत है।
•  मेगास्थनीज की इंडिका
विदेशी यात्रियों के विवरण में मौर्य काल की जानकारी हेतु सबसे महत्वपूर्ण स्रोत मेगास्थनीज द्वारा लिखित इंडिका है । मेगास्थनीज, सीरिया व बेबीलोन के शासक सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था, जो चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में 304 ई. पू. से 299 ई. पू. के बीच रहा। उसके ग्रंथ इंडिका से चंद्रगुप्त मौर्य के प्रशासन की जानकारी प्राप्त होती है। हालांकि इस ग्रंथ अपने मूल रूप में उपलब्ध नहीं है, फिर भी इसके उद्धरणोे अनेक यूनानी लेखकों एरियन, प्लनी, तालिमी, डायमेकस, डायोडोरस, प्लूटार्क, टॉलेमी आदि के उद्धरणों में प्राप्त होते हैं। Complete Information About Maurya Empire in Hindi
मेगास्थनीज की इंडिका से मौर्य काल के संबंध में निम्नलिखित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है –
1) मौर्य शासक का वर्णन – मेगास्थनीज ने तत्कालिक मौर्य शासक चंद्रगुप्त मौर्य को सैंड्रोकोट्स कहा था। उसके अनुसार शासक के चारों और सशास्त्र महिलाएं अंग रक्षकों के रूप में रहती थी।
2) मौर्य की राजधानी पाटलिपुत्र का वर्णन – मेगास्थनीज के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य की राजधानी पोलीब्रोधा ( पाटलिपुत्र) गंगा तथा सोन नदी के संगम पर स्थित पूर्वी भारत का सबसे बड़ा नगर था। यह 80 स्टेडिया 16 ( किमी ) लंबा तथा 15 स्टेडिया (3 किमी ) चौड़ा था। इसके चारों ओर 185 मील चौड़ी तथा 30 हाथ गहरी खाई थी। नगर चारों ओर से एक ऊंची दीवार से घिरा था, जिसमें 64 तोरण द्वार तथा 570 बुर्ज थे। मेगास्थनीज के अनुसार भव्यता और शान – शौकत तक में सूसा तथा एकबतना के राजमहल भी उसकी तुलना नहीं कर सकते थे।
3) पाटलिपुत्र नगर के प्रशासन का वर्णन – मेगास्थनीज ने इंडिका में पाटलिपुत्र के नगर प्रशासन का उल्लेख किया है। उसके अनुसार पाटलिपुत्र का प्रशासन 6 रागितियों द्वारा होता है था।
4)  सैन्य प्रशासन का वर्णन – मेगास्थनीज ने सैन्य प्रशासन का भी वर्णन किया है। उसके अनुसार सैन्य प्रशासन 6 समितियों द्वारा किया जाता था।
5) राजस्व प्रशासन का वर्णन – मेगास्थनीज के अनुसार राजा भू -राजस्व का 1/4 भाग लेता था।
6)  उत्तरापथ का वर्णन – मेगास्थनीज ने उतरापथ का वर्णन किया है। यह सड़क सिंध को बंगाल के सोनार गांव से जोड़ती थी। इस सड़क का निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा करवाया गया था।
इस प्रकार मेगास्थनीज की इंडिका से मौर्य काल के संबंध में अत्यंत ही महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। यद्यपि मेगास्थनीज के विवरण की अपनी कुछ सीमाएं भी है तथा यदा-कदा इंडिका में भ्रामक तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं, जैसे- मेगास्थनीज के अनुसार भारत में 07 जातियां थी, भारत में दास प्रथा का प्रचलन नहीं था, अकाल नहीं पड़ते थे, लोगों को खेलन कला का ज्ञान नहीं था आदि। आतः मेगास्थनीज की इंडिका से प्राप्त जानकारी को सत्य रूप में स्वीकार करने से पहले उसे अन्य समकालीन स्रोतों से प्राप्त जानकारी से स्थापित किया जाना चाहिए। Complete Information About Maurya Empire in Hindi
   • रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख
शक शासक रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख (150ई.) संस्कृत भाषा का सबसे बड़ा उल्लेख है। इस अभिलेख में उल्लेखित है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने सम्राट प्रांत में सुदर्शन झील का निर्माण कराया था, उस समय यहां का प्रशासक पुष्यगुप्त वैश्य था। आगे अशोक के समय में सुदर्शन झील का पूर्णनिर्माण करवाया गया, उस समय यहां का राज्यपाल तुशाष्प (यवन) था। रुद्रदामन के समय में भी इस झील का पुल निर्माण कराया गया, उस समय वहां का राज्यपाल सुविशाख था। स्कंदगुप्त के समय यहां के राज्यपाल परर्नदत्त के पुत्र एवं गिरनार नगर के प्रशासक चक्रपालित ने भी इस झील के बांध का पुल निर्माण करवाया।
दोस्तों यह तो थी मौर्यकाल (322 ई. पू. – 185 ई. पू.) मौर्य वंश के इतिहास के स्रोत संपूर्ण जानकारी के नोट्स जो कि आपको यूपीएससी से लेकर सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अगले पोस्ट से हम आपको Edicts of Ashoka (अशोक के अभिलेख) की संपूर्ण जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂
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