भारतीय संस्कृति में जैन व बौद्ध धर्म का योगदान || बुध एवं महावीर का तुलनात्मक विवेचन

Hello दोस्तों, स्वागत है आपका फिर से Upsc Ias Guru .Com  पिछली पोस्ट में हमने बौद्ध धर्म संक्षिप्त का विवरण, बौद्ध धर्म के सिद्धांत, अष्टांगिक मार्ग, बौद्ध संगीति/ सम्मेलन, हनीयान एवं महायान में अंतर तथा बौद्ध धर्म का पतन पढ़ा था अब इसके आगे हम इस पोस्ट से आपको भारतीय संस्कृति में जैन और बौद्ध धर्म का योगदान तथा बौद्ध एवं महावीर का तुलनात्मक विवेचन करेंगे।  तो चलिए शुरू करते है 

भारतीय संस्कृति में जैन व बौद्ध धर्म का योगदान || Bharatiya Sanskriti Mein Jain or Buddha dharma Ka Yogdan

प्राचीन काल से लेकर आज तक जैन व बौद्ध धर्म ने भारतीय संस्कृति को अनेक रूपों में प्रभावित किया है। इसे निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत देखा जा सकता है-
1) दोनों ही धर्मों ने वैदिक धर्म में प्रचलित यज्ञों, पशु बलि वह कर्मकांडो का विरोध किया। इससे वैदिक धर्म के अनुयायियों को अपने धर्म में सुधार करने की प्रेरणा मिली। जैन धर्म का सूत्र- वाक्य अहिंसा परमोधर्माः तथा बौद्ध धर्म का सूक्त वाक्य –  आत्मा दीपो भव, आज भी भारतीयों के आदर्श बने हुए हैं।
2) दोनों ही धर्मों ने भारतीय समाज में स्त्रियों एवं दासों के प्रति नरम व्यवहार अपनाया तथा उन्हें मोक्ष प्राप्ति का अधिकार दिया।
3) दोनों ही धर्मों ने परोपकार, करुणा, त्याग, सहनशीलता, सदाचार, आदि गुणों पर बल दिया।
4) दोनों ही धर्मों का प्रचार प्रसार भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी हुआ, जिससे विश्व बंधुत्व की भावना मजबूत हुई।
5) दोनों ही धर्मों में भारतीयों को एक सरल तथा आडंबर रहित धर्म प्रदान किए, जिसे सभी वर्गों के लोग अपना सकते थे।
6) दोनों ही धर्मों का सर्वाधिक प्रभाव भारतीय कला व साहित्य के क्षेत्र में पड़ा। हाथीगुफा अभिलेख, उदयगिरि व  एलोरा की गुफाएं, दिलवाड़ा का जैन मंदिर, श्रवणबेलगोला की गोमतेश्वर प्रतिमा, खजुराहो के मंदिर आदि जैन धर्म की तथा साँची स्तूप, नासिक व काले  के बौद्ध विहार, नालंदा विश्वविद्यालय आदि बौद्ध धर्म की प्रमुख देन है। प्राकृत एवं अर्धमागधी प्राकृत भाषा के विकास में जैन धर्म तथा पाली भाषा के विकास में बौद्ध धर्म का प्रमुख योगदान रहा। Bharatiya Sanskriti Mein Jain or Buddha dharma Ka Yogdan or Mahaatma buddh tatha Mahaaveer svaamee mein tulanaatmak adhyayan

बुध एवं महावीर का तुलनात्मक विवेचन || mahaatma buddh tatha mahaaveer svaamee mein tulanaatmak adhyayan

बुध एवं महावीर में समानता
1) दोनों छठी शताब्दी ई.पू. की धार्मिक क्रांति के अग्रदूत थे।
2) दोनों ने वैदिक कर्मकांड ओं का विरोध किया तथा वेदों की प्रमाणिकता को अस्वीकार किया।
3) दोनों ने कर्म,पुनर्जन्म एवं मोक्ष के सिद्धांत को स्वीकार किया।
4) दोनों ने अहिंसा तथा सदाचार पर बल दिया।
5) दोनों ने अपने विचारों के प्रचार प्रसार हेतु संघो की स्थापना की।
 • बुध एवं महावीर में असमानता
1) जैन एवं बौद्ध धर्म के कर्म एवं मोक्ष संबंधी सिद्धांत भिन्न है। जैन धर्म में कर्म को भौतिक तत्व के रूप में, जबकि बौद्ध धर्म में इच्छा द्वारा किए गए कार्य को ही कर्म माना गया है। इसी प्रकार जैन धर्म में केवल विदेह मुक्ति, जबकि बौद्ध धर्म संदेश मुक्ति को भी स्वीकार किया है। Bharatiya Sanskriti Mein Jain or Buddha dharma Ka Yogdan or Mahaatma buddh tatha Mahaaveer svaamee mein tulanaatmak adhyayan
2) जैन धर्म में मोक्ष प्राप्ति हेतु कठोर साधना व कायाक्लेश की मान्यता है, जबकि बौद्ध धर्म में इस हेतु मध्यम मार्ग का सुझाव दिया गया है।
3) जैन धर्म के अनुसार आत्माएं अनंत है तथा सृष्टि के कण-कण में जीवों का वास है, जबकि बौद्ध धर्म आत्मा की अमरता को स्वीकार नहीं करता है।
4) जैन धर्म में भिक्षुओं को निर्वस्त्र रहने का उपदेश दिया गया है, जबकि बुध नग्नता के घोर विरोधी थे।
5) जैन धर्म में बौद्ध धर्म की अपेक्षा अहिंसा तथा अपरिगृह पर अधिक जोर दिया  गया है।
6) बुध ने जाति व्यवस्था जैसी कुरीतियों का प्रबंध शब्दों में विरोध किया है, जबकि महावीर ने इतना प्रबल विरोध नहीं किया। इस प्रकार चूकिं ये दोनों ही धर्म ब्राह्मण वादी व्यवस्था के विरोध स्वरूप प्रायः एक ही समय एवं स्थान पर उपजे थे, अतः इनकी मान्यता एकसमान है, किंतु आत्मा एवं मोक्ष जैसी संकल्पनाओं पर मौलिक रूप से अंतर है।
दोस्तों यह तो थे बौद्ध और जैन धर्म की संपूर्ण जानकारी के नोट्स जो कि आपको यूपीएससी से लेकर सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस पोस्ट के साथ इस टॉपिक का अंत होता है, अगले पोस्ट से हम आपको मौर्य काल 322 ई. पू. से 185 ई. पू. की संपूर्ण जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂
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