एग्रीबिजनेस से किसानों का कायाकल्प

-एग्रीबिजनेस से किसानों का कायाकल्प Agriculture business details in hindi


-किसानों के आर्थिक सुदृढ़ीकरण और जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए कृषि का व्यवसायीकरण और औद्योगिकरण किया जाना आवश्यक है, इसके लिए कृषि क्षेत्र में अत्याधुनिक वैज्ञानिक, तकनीक और यांत्रिकी के प्रयोग सहित विषम और विपरीत स्थितियों में भी कृषि उत्पादन बढ़ाने, कृषि उत्पादों को सुरक्षित करने, परंपरागत कृषि के स्थान पर कृषि के विविधीकरण को बढ़ावा देने, खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन करने तथा कृषि का वर्गीकरण करने के साथ-साथ कृषि को ‘व्यवसाय‘ का दर्जा प्रदान करना होगा। उल्लेखनीय है कि देश की 60 से 65 फ़ीसदी आबादी कृषि अथवा कृषि आधारित उद्योग में शामिल है इसके बावजूद देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान मात्र 17% है।

-एग्रीकल्चर से एग्रीबिजनेस की ओर अग्रसर कृषि

कृषि में आधुनिक और व्यवसायिक तकनीकी का उपयोग कर इसे मुनाफे का सौदा बनाना है, जिसके लिए किसानों को प्रशिक्षित कर आधुनिक यांत्रिकी और तकनीकी के प्रयोग पर बल दिया जाना चाहिए ‘एग्रीबिजनेस‘ खेती के व्यवसाय को संदर्भित करता है।

इस शब्द का उपयोग सर्वप्रथम गोल्ड बर्ग और डेविस द्वारा वर्ष 1957 में किया गया था इसके अंतर्गत फसल का व्यवसायिक उत्पादन, कृषि उत्पाद संरक्षण, खाद्य-प्रसंस्करण, कृषि विपणन, आधुनिक मशीनों का प्रयोग, जैविक और ऑर्गेनिक फार्मिंग, आधुनिक प्रसंस्करण (Processing) बीजों की आपूर्ति, फलों की खेती तथा पुष्प उत्पादन, पशु पालन, मुर्गी पालन और मत्स्य इत्यादि शामिल है।

एग्रीबिजनेस द्वारा युवाओं को कृषि क्षेत्र की ओर आकर्षित कर बेरोजगारी की समस्या को काफी हद तक हल किया जा सकता है वर्तमान में अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियां एग्रीबिजनेस के क्षेत्र में कदम रखकर मोटा मुनाफा कमा रही है, निकट भविष्य में एग्रीबिजनेस के क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।


– औद्योगिक और सहकारी कृषि

कृषि क्षेत्र से युवाओं का पलायन रोकने और किसानों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने हेतु कृषि का व्यवसायीकरण किया जाना आवश्यक है। अन्य उत्पादों की तुलना में कृषि उत्पादों की मांग बाजार में सदैव बनी रहती है तेजी से बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकता की पूर्ति हेतु आने वाले समय में कृषि उत्पादों की मांग में तेजी के साथ बढ़नी तय हैं, परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र में रोजगार भी तेजी से ही बढ़ेगी इसलिए कृषि क्षेत्र में बढ़ती मांग का सर्वोत्तम लाभ प्राप्त करने के लिए कृषि का वाणिज्य करण जाना चाहिए।

कृषि जनित उत्पादों की मार्केटिंग बिज़नेस सिद्धांतों के आधार पर अच्छा लाभ कमाया जा सकता है इतना ही नहीं, कृषि उत्पाद का मूल्य संवर्धन कर किसानों की अच्छी कमाई हो सकती है। आने वाले समय में पेशेवर और व्यवसाय कृषि का एक नया ट्रेंड विकसित हो रहा है जिसे औद्योगिक कृषि प्रणाली के नाम से जाना जाता है। इस प्रणाली से अधिकतम लाभ लेने के लिए सहकारी कृषि पद्धति का भी विकास हो रहा है, जिसमें कई लोग संयुक्त रूप से मिलकर किसी एक फसल का व्यवसायिक उत्पादन करते हैं जिससे संयुक्त रूप से मानवीय श्रम शक्ति, आर्थिक सहयोग और वैज्ञानिकता और प्रबंधकीय मूल्यों का उपयोग कर, मोटा मुनाफा कमाया जा सकता है और जोखिम प्रबंधन किया जा सकता है ।


-कृषि व्यवसाय प्रबंधन Agribusiness-management

कृषि के आर्थिक उन्नयन हेतु परंपरागत विधा के स्थान पर आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग कर पैदावार में वृद्धि करने के साथ-साथ, कृषि उत्पादों को लंबे समय तक सुरक्षित किया जाना आवश्यक है जिससे किसानों को उनके उत्पादों का अच्छा मूल्य प्राप्त हो सके और कृषि क्षेत्र में रोजगार के विविध अवसर पैदा हो सके फसल उत्पादन में जैव उर्वरक और जैव प्रौद्योगिकी के बढ़ते अनुप्रयोग और बढ़ती निर्यात की संभावना, कृषि वस्तुओं का एक श्रृंखला में उत्पादन, कृषि उत्पादन में भारी वृद्धि, कृषि का आधुनिकीकरण, मृदा परीक्षण पर प्रसंस्कृत जींस का अनुप्रयोग, कृषि उत्पाद का भंडारण, विपणन, खुदरा बिक्री को बढ़ावा, कृषि क्षेत्र में भारी निवेश द्वारा एग्रीबिजनेस को बढ़ावा देकर किसानों को समृद्ध किया जा सकता है।


-एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस उद्यम Agri clinic and Agribusiness Centre Business

भारत सरकार की कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने नाबार्ड के सहयोग से किसानों को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने और कृषि कार्यों में आधुनिकतम तकनीक को अपनाने के लिए एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों के द्वारा फसल उत्पादन की आधुनिक तकनीक को अपनाने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना है इसके अंतर्गत युवाओं को कृषि तकनीक और मैनेजमेंट तकनीकी के लिए स्वयं के एग्री क्लीनिक एग्री बिजनेस सेंटर स्थापित करने के लिए सक्षम बनाना है कृषि स्नातकों को बागवानी, रेशम उत्पादन, चिकित्सा विज्ञान, डेयरी उत्पादन और मत्स्य पालन इत्यादि कृषि संबंधित विषय पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है सरकार ने कृषि उद्यमों की स्थापना हेतु विशेष स्टार्टअप ऋण सहायता योजना को भी प्रारंभ किया है

एग्री क्लीनिक और एग्री बिजनेस सेंटर स्थापित करने के लिए सरकार कृषि स्नातक को विशेष और नि:शुल्क प्रशिक्षण प्रदान कर रही है 2 माह का यह प्रशिक्षण देश के चुनिंदा संस्थानों के द्वारा ही प्रदान किया जा रहा है जिसमें उद्यमिता, व्यवसाय प्रबंधन तथा कौशल सुधार मॉड्यूल शामिल है प्रशिक्षण प्राप्त लाभार्थी द्वारा एग्री बिजनेस सेंटर स्थापित करने के लिए व्यक्तिगत परियोजना हेतु ₹  20 लाख, बेहद सफल व्यक्तिगत परियोजना के लिए 25 लाख और समूह परियोजना के लिए 1 करोड़ तक का ऋण आसान किस्तों पर उपलब्ध कराया जा रहा है एग्रीबिजनेस से संबंधित प्रशिक्षण का संचालन राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (MANAGE) द्वारा किया जाता है मैनेज की स्थापना वर्ष 1987 में कृषि और किसान मंत्रालय भारत सरकार की एक स्वायत्त संस्थान के रूप में हैदराबाद में की गई थी यह संस्थान कृषि स्नातकों को एग्रीबिजनेस में एमबीए एमएससी जैसे पाठ्यक्रम संचालित करता है मैनेज संस्थान कृषि विस्तार कार्यक्रम कृषि की चुनौतियों विकास और आधुनिकीकरण की दिशा में प्रयासशील है इस संस्थान द्वारा प्रशिक्षण, कंसलटेंसी, प्रबंधन शिक्षा, अनुसंधान और कृषि तकनीक के बारे में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।


-एग्री बिजनेस के प्रमुख चरण


– खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन

फल और सब्जियों के उत्पादन में विश्व में भारत का द्वितीय स्थान होने के बावजूद देश के जन सामान्य को पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जियां उपलब्ध नहीं हो पाती है सब्जियों और फलों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए शीतगृहों की व्यवस्था अपूर्ण होने के कारण बड़े पैमाने पर यह फल और सब्जियां नष्ट हो जाती है। जिससे किसानों को बड़े पैमाने पर आर्थिक क्षति होने के साथ-साथ जनसामान्य को भी यह समुचित मूल्य पर उपलब्ध नहीं हो पाती है एक अनुमान के अनुसार देश में प्रतिवर्ष 30 से 35% फल और सब्जियां नष्ट हो जाती है फल और सब्जियों के शीघ्रता से खराब अथवा नष्ट होने की प्रकृति के कारण मूल्यों में भी तीव्रता के साथ उतार-चढ़ाव जारी रहता है फल और सब्जियों को खाद्य प्रसंस्करण द्वारा लंबे समय तक सुरक्षित किया जा सकता है। खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन उद्योग की स्थापना द्वारा ग्रामीण और स्थानीय स्तर पर लाखों युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं की आर्थिक स्थिति में व्यापक सुधार लाया जा सकता है इसके अतिरिक्त किसानों को फसलों का समुचित मूल्य प्राप्त होगा और उपभोक्ताओं को भी उचित मूल्य पर खाद्य पदार्थ उपलब्ध होंगे।

खाद्य प्रसंस्करण तकनीकी सुविधाओं का उपयोग कर कृषि उत्पाद, वनोपज, मत्स्य, मीट और मुर्गा इत्यादि को मूल रूप से कैनिंग, श्रृंखला में पैकिंग टेट्रा पैक अथवा भौतिक और रासायनिक अवसंरचना का रूपांतरण कर मूल्य संवर्धन करने के साथ-साथ सामान्य तापक्रम पर लंबे समय तक संरक्षित किया जाता है इसमें अल्पकालिक और शीघ्रता से खराब होने तथा गलने सड़ने वाले कृषि उत्पाद डेयरी उत्पाद, मांस और मीट उत्पाद और फल सब्जियां इत्यादि को नष्ट करने वाले कारक प्रतिबंधित और नियंत्रित कर, इनकी shelf-life (अचल जीवन) बढ़ाकर दीर्घकाल तक सुरक्षित किया जाता है

प्रसंस्करण तकनीकी द्वारा कृषि उत्पादों के जीवन तथा कवक आदि को नष्ट कर, उनके प्रजनन और विकास को नियंत्रित करने की प्रक्रिया प्रयुक्त की जाती है कृषि उत्पाद में ऑक्सीकरण की गति को कम करने के साथ एंजाइम उपापचय की प्रक्रिया को नियंत्रित किया जाता है जीवाणु और कवक के जीवन के लिए अनुकूल वातावरण और परिस्थितियां नमी और पानी और ऑक्सीजन पर नियंत्रण कर कृषि उत्पाद को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

प्रसंस्करण तकनीक द्वारा खाद्य उत्पाद का विविधीकरण और व्यवसायीकरण कर उनका मूल्य संवर्धन किया जाता है, प्रसंस्करण में किण्वन, स्प्रेडिंग, प्रशीतन, थर्मल प्रसंस्करण, निर्जलीकरण, धूप में सुखाना, नमक में परिरक्षण, शुगर में परिरक्षण, विभिन्न प्रकार से पकाना, सिरका, साइट्रिक एसिड, तेल, कृत्रिम मिठास तथा सोडियम बेंजोएट जैसे परिरक्षकों के द्वारा कवक और जीवाणुओं को नष्ट कर फल और सब्जियों को सरंक्षित किया जाता है कृषि उत्पादों की भौतिक और रासायनिक संरचना में परिवर्तन कर अचार और मुरब्बा, जेम, जैली, वेजिटेबल सॉस, सब्जियों और फलों के मूल रूप में नमक मीठे पानी से कैनिंग प्रणाली के द्वारा अथवा इनका जूस/रस निकालकर वेक्यूम पैकिंग द्वारा इन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

प्रसंस्करण के द्वारा प्राकृतिक परिपक्वन को भी नियंत्रित किया जाता है संरक्षण के लिए खाद्य पदार्थ को उपचार के पश्चात सीलबंद पैकिंग की आवश्यकता पड़ती है, जिससे सुरक्षित खाद्य पदार्थों को जीवाणु द्वारा पुनः दूषित करने से बचाया जा सके।

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाओं को देखते हुए सरकार इस के तीव्र विकास के लिए अनेक प्रयास कर रही है सरकार ‘मेक इन इंडिया’ योजना के अंतर्गत ‘मेगा फूड पार्क‘ की स्थापना, ‘शीत श्रृंखला’ का निर्माण युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए ‘कौशल विकास‘ योजना ‘प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना‘ आदि योजनाओं के माध्यम से सरकारी अनुदान और सहायता, नाबार्ड और मुद्रा योजना के द्वारा आसान शर्त और सस्ते ब्याज की दर पर ऋण उपलब्ध करा रही है खाद्य प्रसंस्कृत एग्रीबिजनेस का एक महत्वपूर्ण है वर्तमान में अनेक एफएमसीजी कंपनियां इसके माध्यम से मोटा मुनाफा कमा रही है प्रसंस्कृत और मूल्य संवर्द्धित खाद्य पदार्थों का निर्यात कर बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा का भी अर्जन किया जा रहा है।


– डेयरी उद्योग

दुग्ध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में प्रथम पायदान पर स्थित है दुग्ध उत्पादन तथा प्रसंस्करण के क्षेत्र में भी रोजगार की अपार संभावनाएं विद्यमान है इसके लिए दुग्ध का व्यवसायिक उत्पादन और दुग्ध उत्पादों के माध्यम से मूल्य संवर्धन करना होगा दूध एक अत्यंत शीघ्र ही खराब होने वाला पदार्थ है, इसलिए दुग्ध को सुरक्षित करने के लिए इसे पाश्चुरीकरण (Pasteurization) किया जाता है दूध को पाश्चुरीकरण (Pasteurization) करने करने के लिए 63 डिग्री सेंटीग्रेड पर 15 सेकंड तक गर्म किया जाता है इसके बाद से अचानक ही तेजी से ठंडा कर दिया जाता है जिससे इसकी समस्त जीवाणु नष्ट हो जाते हैं, पाश्चुरीकरण (Pasteurization) दूध को नियंत्रित अवस्था में पैकिंग कर श्रृंखला मे उपभोक्ताओं तक ले जाता है पाश्चुरीकरण से दूध की औसत आयु में वृद्धि हो जाती है पाश्चुरीकरण दूध को टेट्रा पैकिंग द्वारा महीनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

प्रसंस्करण तकनीक द्वारा दूध की अवस्था, स्वरूप और प्रकृति में परिवर्तन कर दुग्ध उत्पाद- जैसे पनीर, खोया, दही, छाछ, मक्खन, मिल्क पाउडर इत्यादि का निर्माण किया जाता है दुग्ध उत्पादों का व्यवसायिक स्तर पर निर्माण कर इन्हें टेट्रा पैकिंग और वेक्यूम पैकिंग के जरिए दीर्घकाल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। सर्द मौसम में दूध का उत्पादन अधिक होने तथा मांग कम होने के कारण दूध की कीमतों में भी गिरावट आती है इस समय में दुग्ध का वाष्पीकरण कर शुष्क रूप से स्किम्ड मिल्क पाउडर(Skimmed Milk Powder) का निर्माण किया जाता है जिसका गर्मी के मौसम में, जब दूध की कमी होती है, प्रयोग किया जाता है स्किम्ड मिल्क पाउडर (Skimmed Milk Powder) में गर्म पानी मिलाकर दोबारा दूध बनाया जा सकता है दूध निर्मित पदार्थों का औद्योगिक उत्पादन और इसकी मार्केटिंग कर, देश के अन्य भागों में भेजकर इसका निर्यात कर पैसा कमाया जा सकता है सरकार डेयरी उद्योग के विकास के लिए प्रशिक्षण, और अनुदान सहायता योजनाओं का संचालन कर रही है।


 -सुगंधित और शुभ कारी पादप और पुष्प उद्योग

मानव दैनिक जीवन में पुष्पों का आध्यात्मिक और औषधीय महत्व और सौंदर्यकरण तथा साज सजावट में पुष्प की उपयोगिता और महत्व के कारण, देश-विदेश में पुष्पों की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है परिणाम स्वरूप पुष्पों का व्यवसाय आर्थिक रूप से लाभदायक बनता जा रहा है फ्लोरीकल्चर के अंतर्गत पुष्पों का व्यवसायिक स्तर पर उत्पादन, मार्केटिंग, कॉस्मेटिक और परफ्यूम उद्योग की अतिरिक्त मेडिकल इंडस्ट्री में भी सप्लाई की जाती है हाल ही के दिनों में लेमन ग्रास, सिट्रोनेला, पामारोजा, जामारोजा, तुलसी, मिंट, कैमोमाइल, गेंदा, जिरेनियम, तेजपात, गुलाब, थाइम आदि पुष्पो का उत्पादन एग्रीबिजनेस द्वारा किया जा रहा है।

गुलाब के तेल का समर्थन मूल्य 5 लाख प्रति लीटर निर्धारित किया गया है जबकि खुले बाजार में इसकी कीमत 6 से 7 लाख प्रति लीटर तक है जिला चमोली के जोशीमठ क्षेत्र के 12 गांव में गुलाब की सफल खेती की जा रही है तथा गुलाब जल और गुलाब का तेल उत्पादित किया जा रहा है एग्री बिजनेस फर्म के द्वारा पुष्प का बड़े स्तर पर उत्पादन करने से न केवल किसानों की किस्मत चमक रही है बल्कि बंजर खेती में फिर से हरियाली लहलहा रही है, एग्री बिजनेस के अंतर्गत सरकार फ्लोरीकल्चर को भी बढ़ावा दे रही है ।


-पशुपालन मांस और पोल्ट्री उद्योग

देश में दूध और दुग्ध उत्पाद उत्पाद के लिए बड़े पैमाने पर पशुपालन किया जाता है, किसान फसल उत्पादन के अतिरिक्त गाय, भैंस, बकरी, भेड़, मुर्गी इत्यादि जानवरों को अपनी आवश्यकतानुसार पालते हैं दूध और दुग्ध उत्पाद, मांस तथा मांस उत्पाद के संक्रमण खराब होने का अधिक खतरा रहता है इसलिए इन्हें सुरक्षित रखने के लिए प्रसंस्करण तकनीक का उपयोग, डीप फ्रीज़र आदि में रखकर शीत-श्रृंखला में परिवहन किया जाना चाहिए जिससे प्रसंस्करण स्थल से उपभोक्ता तक पहुंचने में सूक्ष्म जीवाणुओं के संक्रमण से इन्हें सुरक्षा प्रदान की जा सके इसकी कैनिंग और वेक्यूम पैकिंग कर की निर्यात किया जाता है ।


-कृषि बाजार तंत्र

केंद्र सरकार ने विपणन प्रक्रिया की जटिलता को सरल बनाने और कृषि विपणन प्रणाली में सुधार करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक ‘राष्ट्रीय कृषि बाजार’, (ई- नाम) प्रणाली और स्थानीय स्तर पर ‘ग्रामीण कृषि बाजार’ की स्थापना की है ई- नाम के एक  पैन इंडिया (अखिल भारतीय) इलेक्ट्रॉनिक व्यापार पोर्टल है जो कृषि संबंधी उपज के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार का निर्माण करने के लिए उपलब्ध एपीएमसी मंडी का विस्तार है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर मांग तथा आपूर्ति के आधार पर खाद्य पदार्थों की कीमत का निर्धारण हो सकेगा और किसानों की पहुंच राष्ट्रीय बाजार – व्यवस्था तक हो सकेगी किसानों को खाद्य – उत्पाद की गुणवत्ता के अनुसार समुचित कीमत तथा उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर बेहतरीन खाद्य उत्पाद भी प्राप्त हो सकेंगे।

ई नाम के द्वारा किसान अपने उत्पादों को ई नाम बाजार में प्रदर्शित करेगा तथा खरीददार देश के किसी भी स्थान से इस उत्पाद पर ऑनलाइन बोली लगा सकेगा, खुली बोली और प्रतिस्पर्धा के कारण किसानों को अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य प्राप्त हो सकेगा पोर्टल हिंदी और अंग्रेजी के अतिरिक्त स्थानीय भाषाओं गुजराती, तेलुगू ,मराठी भाषा में भी उपलब्ध है।

गूगल प्ले स्टोर पर भी मोबाइल एप लांच किया गया है किसान भाई इस मोबाइल ऐप की सहायता से ई नाम मे  पंजीकरण और राज्यस्तरीय एकल लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं तथा विभिन्न कृषि उत्पाद की खरीद और बिक्री कर सकते हैं पेमेंट गेटवे को अब राष्ट्रीय कृषि बाजार मंच से एकीकृत किया गया है इसमें 90 उपज को व्यापार मानक के अनुरूप विकसित किया जा रहा है। सरकार किसानों को ई नाम के अंतर्गत व्यापारिक हिस्सेदारी सरल बनाने के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रही है, ई नाम द्वारा किसानों को स्थानीय मंडी के अतिरिक्त फसल बेचने के अन्य विकल्प प्रदान कर रही है जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य प्राप्त हो सकेगा।

वित्त मंत्री ने वर्ष 2018-19 के बजट में उपलब्ध 22,000 ग्रामीण हाटो को ग्रामीण कृषि बाजार के रूप में विकसित और उन्नत किए जाने का प्रस्ताव भी रखा है। इलेक्ट्रॉनिक रूप से ई नाम से जुड़े तथा एपीएमसी के विनिमय से छूट प्राप्त किए ग्रामीण कृषि किसानों को उपभोक्ता और थोक व्यापारियों से सीधा जुड़ेंगे, जिससे किसानों को अपने उत्पाद को बेचने से सुविधा हो सकेगी। 22,000 ग्रामीण कृषि बाजार और 580 एपीएमसी में कृषि विपणन असरंचना के विकास और उन्नयन के लिए बजट में स्थानीय निधि के साथ एक कोष की स्थापना का प्रस्ताव भी किया है साथ ही किसानों को खेत से ही कंपनियों को उनकी उपज बेचने की छूट भी प्रदान की जा रही है, जिसके लिए कानूनी जटिलताओं को दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

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