भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संभावनाएं

भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुप्रयोग में तेजी Artificial intelligence in India


– कृत्रिम मेधा (Artificial intelligence) ऐसे कंप्यूटर प्रोग्रामों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो उन समस्याओं को हल कर सकता है या निर्णय ले सकता है जैसे कि सामान्यता मनुष्य कर सकता है, जैसे – किसी फोटो को देखकर उसके बारे में बताना, इसी प्रकार एक अन्य कार्य जो सामान्यता मनुष्य द्वारा किया जाता है वह है – ‘उदाहरण के द्वारा सीखना’ और मशीन लर्निंग प्रोग्राम को इसी प्रकार के कार्यों के लिए उपयोग में लाया जाता है अर्थात कंप्यूटर को उदाहरण से सीखने की बारे में बताना, इसके लिए बहुत सारे ऍल्गोरिथम
(Algorithm) जुटाने पड़ते हैं (इसे हिंदी में कलन विधि भी कहते हैं) ताकि कंप्यूटर बेहतर अनुमान लगाना सीख सकें, लेकिन अब कम ऍल्गोरिथम से मशीनों को तेजी से सिखाने के लिए मशीनों को ज्यादा सामान्य बुद्धि (Common sense) देने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिन्हें तकनीकी भाषा में “regularization” कहा जाता है मशीन लर्निंग के द्वारा कंप्यूटर की पूर्वानुमान लगाने की क्षमता काफी बढ़ी है, क्योंकि मशीन लर्निंग उलेखनीय रूप से सटीक पूर्वानुमान लगा सकती है, यह डाटा द्वारा भारी मात्रा में पैटर्न तलाशने के सिद्धांत पर काम करता है, मशीन लर्निंग के द्वारा एक बार किसी कंप्यूटर को प्रशिक्षित करने के बाद भविष्य में वह कंप्यूटर स्वयं स्वायत्त रूप से कार्य करने लगता है । Artificial intelligence in India


आर्थर सैम्युअल‘ 1901- 1990 नामक अमेरिकी कंप्यूटर विज्ञानी ने सर्व प्रथम वर्ष 1959 में पहले पहल “मशीन लर्निंग” के बारे में बताया था, उन्होंने कहा था कि ‘कंप्यूटर को बिना किसी खास प्रोग्राम की आवश्यकता की मशीन लर्निंग के द्वारा इस प्रकार बनाया जा सकता है ताकि वे अपने आप ही निर्णय ले सके,’ दरअसल मशीन लर्निंग ने ऍल्गोरिथम के द्वारा कंप्यूटर उस में डाले गए डाटा को समझता है फिर उसके आधार पर फैसला लेता है, मसलन आप यूट्यूब पर कहीं वीडियो देखते हैं तो उस वीडियो जैसी कई अन्य वीडियो के लिए यूट्यूब द्वारा आपके पास सुझाव आते हैं, दरअसल यह सुझाव आपके द्वारा भेजे गए वीडियो के आधार पर आते हैं, जोकि मशीन लर्निंग का ही कमाल है

स्मार्टफोन, आईफोन तथा कंप्यूटर सिस्टम में कृत्रिम मेधा (Artificial intelligence) का बखूबी इस्तेमाल किया जा रहा है, इन पर लिखते समय कृत्रिम मेधा (Artificial intelligence) के माध्यम से की-बोर्ड हमारी गलतियों को सुधार और सही शब्दों का विकल्प भी देता है, GPS तकनीक, मशीन पर चेहरे की पहचान करना तथा सोशल मीडिया में दोस्तों को टैग करने जैसे कामों में कृत्रिम मेधा (Artificial intelligence) का बखूबी इस्तेमाल किया जा रहा है, और बैंकिंग संस्थानों द्वारा डाटा को व्यवस्थित और प्रबंधित करने और स्मार्ट कार्ड सिस्टम में मेधा तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, विंडोज 10 मे cortana या Siri हमें मदद पहुंचाने के लिए तैयार रहते हैं और GPS के माध्यम से लंबी यात्रा या ड्राइविंग के द्वारा सही जगह पर पहुंचते हैं, तो इसमें कृत्रिम मेधा तकनीक का ही कमाल है।

कुछ कार्य ऐसे हैं जो सिर्फ कृत्रिम मेधा द्वारा ही संपन्न किए जा सकते हैं, जैसे अंतरिक्ष स्टेशनों का निर्माण रखरखाव और मरम्मत, विषम परिस्थितियों वाले चंद्र, मंगल या अन्य मिशन का सफल संचालन गहरे समुद्री क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, खनिज तथा अन्य प्रकार के संसाधनों की खोज और उत्खनन तथा खुदाई का काम आदि, अधिकांश खतरनाक जोखिम भरे तथा दोहराए जाने वाले कार्यों में कृत्रिम मेधा मशीनों का ही सहारा लिया जाता है, क्योंकि यह मशीनें मनुष्य से अधिक तेज सोचती हैं, मल्टीटास्किंग होती है, मनुष्य से अधिक देर और कार्यक्षमता से काम कर सकती हैं और उनके मापदंड जरूरत के मुताबिक समायोजित किए जा सकते हैं, स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र में महत्वपूर्ण जांच, ऑपरेशन, सर्जरी पता लगाने जैसे अनेक कामों में कृत्रिम मेधा की मदद ली जा रही है, फैक्ट्री, लैब तथा अधिक जोखिम भरे कार्यों में कृत्रिम मेधा की तकनीक पर आधारित रोबोट का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है ।


-भारत में कृत्रिम मेधा की संभावनाएं

भारत में भावी आवश्यकता तथा चुनौतियों के मद्देनजर रोजमर्रा की जीवन शैली से लेकर रोजगार- व्यवसाय -उद्यम विज्ञान प्रौद्योगिकी तथा अभि-यांत्रिकी इत्यादि सभी क्षेत्रों में अति उन्नत कृत्रिम मेधा तकनीक के इस्तेमाल की बहुत अधिक आवश्यकता महसूस की जा रही है, विशेषकर चौथी औद्योगिक क्रांति तथा समग्र सामाजिक आर्थिक विकास के मद्देनजर इसकी उपयोगिता काफी बढ़ गई है

रोबोटिक्स, वर्चुअल रियलिटी, क्लॉउड टेक्नोलॉजी, बिग डाटा, सूचना संचार और परिवहन प्रौद्योगिकी तथा मशीन लर्निंग जैसी तमाम अन्य प्रौद्योगिकी के साथ मिलकर कृत्रिम मेधा भारत में चौथी औद्योगिक क्रांति के ऊंचे सोपानों को प्राप्त करने में सहयोगी और निर्णायक भूमिका निभा सकती है, भारत में चिकित्सा, स्वास्थ्य, शिक्षा, सूचना, संचार, परिवहन, कृषि, रोजगार व्यवसाय, उद्योग, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, रक्षा-प्रतिरक्षा, कृषि संबंधित क्षेत्र, आपदा प्रबंधन, विनिर्माण, इंजीनियरिंग आदि कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां कृत्रिम मेधा तकनीक का किसी न किसी रूप में उपयोग किया जा रहा है, मगर यह काफी नहीं है, बल्कि भारत को समग्र और समावेशी सामाजिक आर्थिक विकास तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धा के मद्देनजर और अधिक दक्षता गतिशीलता तथा गुणवत्ता के साथ काम करने के लिए सभी क्षेत्रों में अत्याधुनिक आर्टिफिशियल तकनीक का बेहतर ढंग से इस्तेमाल करना होगा। Artificial intelligence in India

बाढ़ प्रबंधन, आपदा प्रबंधन तथा मौसम पूर्वानुमान प्रणाली में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके जान-माल की क्षति को न्यूनतम किया जा सकता है, साथ ही सटीक मौसम पूर्वानुमान प्रणाली से कृषि क्षेत्र को विशेष लाभ पहुंचा जा सकता है, इसी प्रकार भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विशेष ताकत बनाना है, तो उसे इस क्षेत्र में भी अधिक समुन्नत कृत्रिम मेधा तकनीकों का इस्तेमाल करना होगा, यह तकनीक मानव सहित और मानव रहित दोनों ही प्रकार के अंतरिक्ष अभियान में विशेष रूप से उपयोगी है, रक्षा-प्रतिरक्षा तथा आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र सैन्य प्रौद्योगिकी तथा दक्षता का पूर्ण विकास करने में कृत्रिम मेधा तथा मशीन लर्निंग तकनीक विशेष उपयोगी साबित हो सकती है, शासन-प्रशासन तथा न्यायिक प्रणाली को और अधिक चुस्त-दुरुस्त, गतिशील, गुणवत्तापूर्ण, जिम्मेदार और जवाबदेह बनाने में तकनीक का बेहतर इस्तेमाल लाभकारी और निर्णायक साबित हो सकता है कहने का तात्पर्य है कि अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा मशीन लर्निंग तकनीक तकरीबन सभी क्षेत्रों में बहुआयामी तथा बहुउद्देशीय रूप से उपयोगी है ।


-सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास

भारत सरकार द्वारा कृत्रिम मेधा तथा मशीन लर्निंग के क्षेत्र अनुसंधान तथा विकास कार्यों को बढ़ावा देने के लिए ‘नीति आयोग‘ को मुख्य भूमिका के रूप में चुना गया है, नीति आयोग ‘राष्ट्रीय डाटा और एनालिटिक्स पोर्टल‘ के साथ कृत्रिम मेधा पर राष्ट्रीय कार्य नीति विकसित कर रहा है ताकि व्यापक और बहुउद्देशीय रूप से इसका उपयोग किया जा सके।

अपनी निर्धारित रणनीति के तहत नीति आयोग इंटेल तथा टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित शोध परियोजना के विकास तथा कार्यान्वयन के लिए ‘परिवर्तनीय कृत्रिम बुद्धिमता का अंतरराष्ट्रीय केंद्र’ International Centres for Transformational AI (ICTAI) की स्थापना करेंगे, यह पहल दरअसल नीति आयोग के कार्यक्रम ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए राष्ट्रीय कार्यनीति’ का एक हिस्सा है इसी केंद्र की स्थापना बेंगलुरु में की जाएगी ज्ञान कोशल तथा सर्वोत्तम अभ्यास का उपयोग नीति आयोग द्वारा पूरे देश में स्थापित होने वाले ICTAI  के निर्माण में किया जाएगा । Artificial intelligence in India


– ICTAI के प्रमुख लक्ष्य है

एप्लीकेशन आधारित शोध कार्यों को प्रोत्साहित देने के लिए तकनीक का विकास करना तथा विश्व स्तरीय कृत्रिम मेधा दक्षता के लिए प्रतिभाओं का विकास करना तथा उन्हें कुशल प्रशिक्षण में सहयोग प्रदान करना, इस केंद्र के प्रमुख कार्य उद्देश्य है।

चिकित्सा, स्वास्थ्य, कृषि, स्मार्ट सिटी तथा गतिशीलता की क्षेत्र में कृत्रिम मेधा आधारित समाधान के अनुसंधान का संचालन करना।

पूरे देश में कृत्रिम मेधा के आधारभूत फ्रेमवर्क को विकसित करना।

सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित नीतियों का विकास करना तथा प्रशासन, मूलभूत अनुसंधान, अवसंरचना विकास तथा प्रतिभाओं को आकर्षित करने जैसे क्षेत्रों में परीक्षण और खोजबीन करना तथा सर्वोत्तम अभ्यास की स्थापना करना

इसरो द्वारा उपग्रह की निर्माण, परीक्षण से लेकर आंकड़ों के विश्लेषण में कृत्रिम मेधा का इस्तेमाल बढ़ाए जाने की प्रक्रिया चल रही है (चंद्रयान-२) तथा ‘गगनयान’ जैसे भावी मिशन में कृत्रिम मेघा तकनीक वाले रोवर रोबोट का उपयोग किया जाएगा, इसके अलावा डाटा केंद्रों में रोबोटिक्स का प्रयोग बढ़ाने की योजना है, कृत्रिम मेधा तकनीक का विशेष फायदा रिमोट सेंसिंग उपग्रह से मिलने वाले आंकड़ों के विश्लेषण में भी मिलेगा क्योंकि कृत्रिम मेघा से इनका विश्लेषण कर सही समय पर इसका इस्तेमाल संभव हो सकेगा, जिससे प्राकृतिक आपदाओं की सूचनाएं, फसलों की निगरानी तथा संसाधनों की सूचना एकत्र करने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य बेहतर ढंग से किए जा सकेंगे

केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अधीन ‘केंद्रीय जल आयोग’ (NCW) द्वारा बाढ़ प्रबंधन को लेकर एक समझौता भी किया गया है, इसके द्वारा बाढ़ प्रबंधन तथा अनुमान से जुड़ी प्रणालियों को बेहतर किया जाएगा ताकि समय पर और नियमित रूप से संबंधित आवश्यक सूचना लोगों तक पहुंचाई जा सके, इसके अंतर्गत केंद्रीय जल आयोग कृत्रिम मेधा तकनीक, मिशन लर्निंग तथा भू स्थानिक मानचित्रण के क्षेत्र में गूगल की अत्याधुनिक क्षमताओं का इस्तेमाल करेगा। Artificial intelligence in India

अक्टूबर 2018 में केंद्र सरकार द्वारा इस संदर्भ में एक सात सूत्री रणनीति भी तैयार की गई है, जो कृत्रिम मेधा का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए भारत की सामरिक योजना का मुख्य आधार तय करेगी इस रणनीति के मुख्य कार्य है

  1. मानव मशीन की बातचीत के लिए विकासशील विधियां बनाना
  2. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा शोध और विकास तंत्र के साथ मिलकर एक सक्षम कार्य बल का निर्माण करना
  3. कृत्रिम मेधा सिस्टम की संवेदनशील और आधुनिक प्रणाली की सुरक्षा सुनिश्चित करना
  4. कृत्रिम मेधा के  नैतिक कानूनी और सामाजिक हितार्थ को समझना तथा उन पर कार्य करना
  5. कृत्रिम मेधा तकनीक को मानक मानकर और बेंचमार्क के माध्यम से मापन का मूल्यांकन करना

राष्ट्रीय स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता वाली एक समिति का गठन भी किया गया है, जिसमें वैज्ञानिकों शिक्षाविद् तथा उद्योग वाणिज्य जगत के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है बजट में सरकार द्वारा 5th जनरेशन टेक्नोलॉजी-स्टार्टअप के लिए तकरीबन 480 मिलीयन डॉलर (3360 करोड़) प्रावधान किया गया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग Internet of things, 3D प्रिंटिंग तथा ब्लॉकचेन शामिल है, इसके अलावा सरकार द्वारा कृत्रिम मेधा तकनीक पर आधारित रोबोटिक्स, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग डिजिटल मार्केटिंग, Big data (बिग डेटा) इंटेलिजेंस, रियल टाइम डाटा तथा क्वांटम कम्युनिकेशन के क्षेत्र में अनुसंधान विकास शिक्षण प्रशिक्षण मानव संसाधन तथा कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है।

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