चचनामा ग्रंथ के वर्णन/वृतांत Notes

Hello दोस्तों, स्वागत है आपका फिर से हमारी इतिहास नोट्स की सीरीज में इस से पहले हमने आपको मुग़लकालीन इतिहास के स्रोत के बारे में विस्तार से बताया था, इस पोस्ट से हम आप को चचनामा ग्रंथ के बारे में बतायेगे जिससे आपको मध्यकालीन भारत के इतिहास की जानकारी मिल सके और आप की तैयारी को और भी बल मिल सके तो चलिए शुरू करते है आज की पोस्ट 🙂

चचनामा ग्रंथ के वर्णन/वृतांत

चचनामा एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसे सिंध पर अरब विजय की विस्तृत जानकारी प्रदान करने का श्रेय दिया जा सकता है। फारसी ग्रंथ चचनामा अली कूफी ने 1226 सी.ई. में लिखा था। यह एक विश्वसनीय ऐतिहासिक ग्रंथ है जिसके लिए यह दावा किया जाता है कि यह इस विजय से संबंधित इतिहास के लुप्त अरबी विवरण का अनुवाद है। चचनामा में 680-718 सी.ई. तक का सिंध के इतिहास का विवरण है। व्यत्पत्ति के रूप से चचनामा का अर्थ है “चच की कहानी”। वह सिंध के एक हिंदू ब्राह्मण शासक थे। यह पस्तक एक फारसी ग्रंथ है जिसे उच्च शहर में लिखा गया था, जो उस काल में सिंध की राजनीतिक राजधानी था। वर्तमान में, यह पाकिस्तान के करांची के बंदरगाह शहर से लगभग 70 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।

चचनामा के कछ भाग का अंग्रेजी में ‘इलियट और डॉसन’ द्वारा अनुवाद किया गया था और फारसी से अंग्रजी में पूर्ण अनुवाद 1900 में मिर्जा कालिशबेग द्वारा किया गया था जो पहले सिंधी उपन्यासकार थे। इस पुस्तक का प्रथम संस्करण 1939 में आया। जो इसका एकमात्र संस्करण भी था। Chachnama book notes in Hindi

चचनामा को एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत के रूप में पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया क्योंकि अधिकांश इतिहासकारों, जैसे कि औपनिवेशिक और राष्ट्रवादी इतिहासकारों, ने इसे भारतीय उपमहाद्वीप में आरंभिक रूप से इस्लाम के आने के सिर्फ एक वृत्तांत के रूप में देखा है। लेकिन अली कूफी का यह दावा है कि चचनामा 8वीं शताब्दी की एक अरबी पुस्तक का अनुवाद है जो वास्तव में, यह पुस्तक जिन्होंने इसे पढ़ा और दोनों को वर्गीकृत यह दर्शाता है कि इस्लाम के आने के अतिरिक्त यह अन्य प्रकार की जानकारी का भी भंडार हो सकता है। वास्तव में यह वाकई अधिक जानकारी प्रदान करती है। योहानन फ्रइडमैन. मनन अहमद आसिफ इत्यादि जैसे विद्वान जिन्होंने इसे पढ़ा और इसका विष्लेशण किया है, तर्क करते हैं कि इसमें विविध प्रकार की व्यापक जानकारी है और समस्त उपलब्ध ऑकड़ों को और विश्लेषित करने के लिए कोई क्रमबद्व प्रयास नहीं किए गए हैं। इसके विस्तृत परीक्षण के बाद उन्होंने प्रमाणित किया कि सिंध के इतिहास, उसकी सरकार और राजक्रांति की प्रासंगिक जानकारी है।

चचनामा का वर्णन/वृतांत

फ्राइडमैनर और अहमद आसिद जैसे इतिहासकार चचनामा को सिर्फ सिंध विजय के इतिहास के रूप में देखे जाने के मत का खंडन करते हैं। उनका विस्तृत अध्ययन अन्य पहलुओं पर भी प्रकाश डालता है। फ्राइडमैन सहक पुस्तक को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है। पैगंबर मोहम्मद की तारीफ में विविध वर्णन से आए हुए अरब योद्धाओं और अरबी पाण्डुलिपि जिसमें मोहम्मद बिन कासिम के सिंध में सैन्य कारनामों का वर्णन है। इसके अलावा, इसमें अरबों के सिंध पर हमले का भी उल्लेख किया गया है। Chachnama book notes in Hindi

इस पुस्तक में राजा चच और उनके उत्तराधिकारियों के गूढ वर्णन दिए गए हैं। इसमें चच बिन सिलाइज नामक एक ब्राह्मण की सिंध के राजा के मुख्यमंत्री होने से लेकर राजा की मृत्यु के पश्चात रानी की सहायता से अपने सत्ता में आने की यात्रा के वर्णन हैं। एक राजा के रूप में चच ने किलों पर कब्जा करके, संधियों पर हस्ताक्षर करके और हिंदु तथा बौद्ध जनता दोनों के दिल जीतकर सिंध के एक सफल राज्य की स्थापना की थी। यह उनकी आक्रमक, रक्षात्कम और उदार नीतियों का मिश्रण था जिसके कारण। उनके लिए लंबे समय तक सिंध पर राज्य करना संभव हो पाय था। लेकिन एक अच्छे शासक के रूप में उनकी सफलता उनके दो पुत्रों दहर और दहरसिया के बीच उत्तराधिकार के युद्ध के कारण खत्म हो गई। जैसा कि पुस्तक में वर्णन है, दहर सत्ता में आ गया और वही था जिसने अरब बागियों, समुद्री डाकुओं और युद्ध सरदारों का स्वागत किया इसने 8वीं शताब्दी में ईराक के मुस्लिम राज्य के क्रोध को भड़का दिया। अहमद आसिफ के अनुसार, यह पुस्तक तीन भागों में विभाजित है। पहले भाग में तीन परस्पर जुड़े विषयों राजा के लिए वैधता की आवश्यकता, सलाहकारों की अच्छी परिशद और न्यायोचित रूप से शासित राज्य व्यवस्था के गठन की आवश्यकता की चर्चा की गई है। दूसरे भाग में, खलीफाओं से बालिद के इतिहास का वर्णन है।

इसमें खलीफा उमर के काल की बात की गई है (लगभग 634-644 सी.ई.) जब मुस्लिम सैन्य अभियान सिंध और हिंद की ओर बढ़ रहे थे। इसमें मकरान, जबलिस्तान और कंधार जैसे क्षेत्रों में भेजे गए शासकों के साथ ही विद्रोही मुस्लिम समूहों का भी विवरण है जो सीमांत क्षेत्रों की ओर बढ़ रहे थे। दमस्कस में राज्य के विरूद्ध षड्यंत्र करने वाली विद्रोही सेनाओं की भी चर्चा की गई है। यहाँ यह उल्लेख किया। गया है कि ऐसे समूहों के साथ करने और क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए इराक के शासक/नियंत्रक ने एक युवा सेनापति कासिम को 711 सी. ई. में सिंध भेजा था। यह तब था जब मकरान, दाबोल अथवा देवल देवल, नेरून के क्षेत्रों पर हमला कर के उन सभी पर कब्जा कर लिया था। राजा दहर की सेनाएँ सिंधु नदी के तटों पर हुए युद्ध में हार गई थी सिंध के राजा को हराने के बाद, कासिम ने आरोर, ब्राह्मनाबाद और मुलतान के क्षेत्रों पर भी अपना अधिकार कर लिया। Chachnama book notes in Hindi

चचनामा के अंतिम वृत्तांत में कासिम के पतन की विस्तार पूर्वक चर्चा की गई है। चचनामा में बताया गया है कि कासिम को बगदाद के खलीफा के आदेश अनुसार दहर की बेटियों द्वारा यौन शोषण के आरोप लगाए जाने पर मरवा दिया था। चचनामा के अंतिम भाग में अच्छे शासन, अच्छे सलाहकार मंडल और एक सफल राज्य-व्यवस्था के निर्माण के लिए आवश्यक राजनीतिक सिद्धांत के बारे में चर्चा की गई है। इस भाग में चच और कासिम दोनों के सैन्य अभियानों की चर्चा विस्तार से की गई है। अहमद आसिफ के अनुसार, पुस्तक में नीति और कराधान सेनाध्यक्षों के बीच निजी बातचीत और उनके उपदेशों और सपनों पर भाषण सम्मिलित हैं। इसके साथ समें राजनीतिक सिद्धांत और शासन पर महत्वपूर्ण जनो के वक्तव्यों का भी उल्लेख किया गया है। Chachnama book notes in Hindi

यह तो थी चचनामा ग्रंथ के वर्णन/वृतांत की जानकारी के नोट्स अगली पोस्ट में हम आपको सिंध विजय के बारे में जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂

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