मुग़ल कालीन इतिहास के स्रोत Notes

मुग़ल कालीन इतिहास के स्रोत Sources of Mughal period history

Hello दोस्तों, स्वागत है आपका फिर से हमारी इतिहास नोट्स की सीरीज में इस से पहले हमने आपको मध्यकालीन इतिहास के स्रोत के बारे में विस्तार से बताया था, इस पोस्ट में हम आपको मुग़ल कालीन इतिहास के स्रोत के बारे में बतायेगे जिससे आपको मध्यकालीन भारत के इतिहास की जानकारी मिल सके और आप की तैयारी को और भी बल मिल सके तो चलिए शुरू करते है आज की पोस्ट 🙂

1. तुजुक-ए-बाबरी – तुजुक-ए-बाबरी का लेखक बाबर था। बाबर स्वयं शिक्षित तथा विद्वान था। वह अरबी, फ़ारसी तथा तुर्की भाषा का अच्छा ज्ञाता था। वह इन भाषाओं में कविता भी कर लिया करता था। उसका प्रसिद्ध ग्रन्थ तुजुक-ए-बाबरी था। यह फारसी भाषा में लिखा गया है। इस ग्रन्थ के और भी भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं। इस ग्रन्थ में बाबर ने भारत के राजनीतिक दशा का अच्छा चित्रण किया है। उसने प्रकति प्रेमी होने के कारण इस देश की वनस्पति, पशु-पक्षियों का बड़ा सुन्दर वर्णन किया है। उसने अपने ग्रन्थ में भारत की सामाजिक दशा की भी चर्चा यथास्थान पर की है। इस ग्रन्थ के विषय में लेनपूल ने लिखा है, “उसकी आत्मकथा उन बहमूल्य लेखों में से एक है जो समस्त युगों में बहुमूल्य रही है।” इस ग्रन्थ बाबर क राजनीतिक तथा धार्मिक क्रिया-कलापों तथा विचारों की अच्छी जानकारी प्राप्त होती है। यद्यपि इस ग्रन्थ को निष्पक्ष नहीं मानते।

2. हुमायूँनामा – इस ग्रन्थ की रचना गलबदन बेगम ने की थी। खाबन्द मीर ने भी हुमायूँनामा की रचना की थी। इसमें हुमायूँ के शासनकाल की जानकारी मिलती है। Mugal Kalin Itihas ke srot

3. तारीख-ए-शेरशाही तथा तारीख-ए-दौदी – इन दो ग्रन्थों से शेरशाह के शासनकाल की सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है।

4. तबकात-ए-बाबरी – इस ग्रन्थ का लेखक शेख जैतुद्दीन था। तबकात-ए-बाबरी ग्रन्थ में तत्कालीन राजनीतिक घटनाओं का सटीक चित्रण किया गया है।

5. तारीख-ए-फरिश्ता – इस ग्रन्थ में बाबर की आत्मकथा की कमियों को दूर किया गया है। इस ग्रन्थ में बाबर तथा हुमायूँ के शासनकाल की अच्छी जानकारी प्राप्त होती है। इतिहासकार रशबुक ने इस ग्रन्थ के विषय में लिखा है कि इस ग्रन्थ में दिया हुआ विवरण सन्तुलित तथा सही है।

6. तबकात-ए-अकबरी – इस ग्रन्थ का लेखक निजामुद्दीन अहमद था। इस ग्रन्थ में हुमायूँ तथा अकबर से सम्बन्धित विषयों की चर्चा की गयी है। फरिश्ता इस ग्रन्थ के विषय में लिखता है, “मैंने बहुत इतिहास ग्रन्थ पढ़े हैं, किन्तु मैं इसी ग्रन्थ को पूर्ण मानता हूँ।”

7. अकबरनामा – इस ग्रन्थ का लेखक अबुल फजल था। इस ग्रन्थ में अबुल फजल ने अकबर की प्रशंसा के पुल बाँधे हैं, जो अतिशयोक्ति की सीमाओं को भी पार कर गये हैं। फिर भी तत्कालीन घटनाओं के लिए यह प्रामाणिक ग्रन्थ है। Mugal Kalin Itihas ke srot

8. आइन-ए-अकबरी – इस ग्रन्थ का लेखक अबुल फजल था। यह ग्रन्थ मुगलकालीन भारत का सबसे महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें तत्कालीन परिस्थितियों का सुन्दर चित्रण किया गया है। इसमें तत्कालीन समय के मनोरंजन के साधनों, रहन-सहन के साधनों, रहन-सहन, वेश-भूशा, खान-पान, धर्म आदि का वर्णन मिलता है।

9. तुजक-ए-जहाँगीरी – तुजुक-ए-जहाँगीरी (जहाँगीर की आत्मकथा) इस काल का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था का अच्छा चित्रण किया गया है। इससे हिन्दु समाज की दशा का अच्छा ज्ञान प्राप्त हो जाता है। इसके अधिकांश भाग की रचना स्वयं जहाँगीर ने की थी। इसमें जहाँगीर के शासन के अठारह वर्षों का वृतान्त है। इससे इस काल की ललित कलाओं, साहित्य तथा चित्रकला की प्रगति का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त होता है। इसमें जहाँगीर ने अपनी बुराईयों को भी स्वीकार किया है। Mugal Kalin Itihas ke srot

यह तो थी मुग़ल कालीन इतिहास के स्रोत की जानकारी के नोट्स अगली पोस्ट में हम आपको चचनामा ग्रन्थ के बारे में जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂

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