मध्यकालीन इतिहास के स्रोत Notes

मध्यकालीन इतिहास के स्रोत Sources of medieval Indian history notes in Hindi

Hello दोस्तों, स्वागत है आपका फिर से हमारी इतिहास नोट्स की सीरीज में इस से पहले हमने आपको प्राचीन इतिहास के बारे में विस्तार से बताया था, इस पोस्ट से हम आप को मध्यकालीन इतिहास के स्रोत के बारे में बतायेगे जिससे आपको मध्यकालीन भारत के इतिहास की जानकारी मिल सके और आप की तैयारी को और भी बल मिल सके तो चलिए शुरू करते है आज की पोस्ट 🙂

1. तारीख-उल-हिन्द – इस ग्रन्थ का लेखक अलबरूनी था। वह महमूद गजनवी के आक्रमण के समय भारत आया था। उसने महमूद गजनवी के यहाँ नौकरी कर ली थी। वह अरबी तथा फारसी भाषा का विद्वान था। उसको चिकित्मा गणित दर्शन तथा धर्मशास्त्र में भी विशेष रुचि थी। उसने अनेक ग्रन्थों की रचना की, जिसमें तारीख उल-हिन्द विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इस ग्रन्थ में उसने 11 वीं शताब्दी के प्रारम्भ के हिन्दओं के साहित्य, विज्ञान तथा धर्म का आँखों देखा सजीव वर्णन किया है। इस ग्रन्थ के अध्ययन से तत्कालीन सामाजिक दशा का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त होता है। यह ग्रन्थ अरबी भाषा में लिखा गया था। साचऊ ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया था।

2. चचनामा – यह ग्रन्थ अरबी भाषा में लिखा गया है। बाद में इसका अनुवाद फारसी भाषा में किया गया था। इस ग्रन्थ में मुहम्मद-बिन-कासिम के आक्रमण से पहले तथा बाद के सिन्ध के इतिहास का वर्णन किया गया है। इसके साथ ही इस ग्रन्थ का इसलिए भी महत्व है क्योंकि इसमें अरब आक्रम के समय की भारत की दशा का वर्णन किया गया है, इससे उस समय के इतिहास की अच्छी जानकारी प्राप्त होती है। Sources of medieval indian history notes in hindi

3. ताजल मासिर – इस ग्रन्थ का लेखक हसन निजामी था। इस ग्रन्थ में 1192 ई. से 1228 ई. तक की भारत की घटनाओंका विवरण दिया गया है। इसमें राजनीतिक घटनाओं के साथ-साथ सामाजिक तथा धार्मिक जीवन का भी उल्लेख किया गया। पुस्तक में विभिन्न स्थानों, मेलों तथा मनोरंजन के साधनों का भी उल्लेख किया गया है। इस ग्रन्थ के विषय में यू. एन. डे. ने लिखा है, “यद्यपि पुस्तक की शैली अत्यधिक कलात्मक और अलंकृत है, किन्तु इसमें वर्णित सामान्य तथ्य साधारणतः सत्य हैं। दिल्ली सल्तनत के प्रारम्भिक दिनों का प्रमाणिक इतिहास इस ग्रन्थ से पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है।

4. तारीख-ए-फिरोजशाही – इस ग्रन्थ का लेखक जिआउद्दीन बरनी था। वह तुगलक वंश के शासकों का समकालीन था।इस ग्रन्थ में लम्बे-लम्बे आख्यान दिये गये हैं। इनमें उस काल के सामाजिक, आर्थिक तथा न्याय सुधारों का बड़े सुन्दर ढंग से वर्णन किया है। उसने अपने ग्रन्थ में तत्कालीन सन्तों, दार्शनिकों, इतिहासकारों, कवियों, चिकित्सकों आदि के विषय मेंभी अपने ग्रन्थ में लिखा है।  Sources of medieval indian history notes in hindi

5. फतुहात-ए-फिरोजशाही – इस ग्रन्थ में फिरोज तुगलक के शासन-प्रबन्ध का बहुत अच्छा वर्णन किया गया है, किन्तुइस ग्रन्थ का लेखक कौन था यह पूर्णतया स्पष्ट नहीं है। इसके विषय में यही कहा जा सकता है कि इसका लेखक स्वयं फिरोज तुगलक या उसका कोई दरबारी व्यक्ति हो सकता है। इतिहास के लेखकों ने इसी आधार पर फिरोज तगलक के शासन की बड़ी प्रशंसा की है, किन्तु यह शासन केवल मुस्लिम बन्धुओं के लिए था। इसका लाभ अन्य वर्ग के लोगों कोनहीं मिल पाया। 

6. जैनुल अखबार – इस ग्रन्थ के लेखक अबू सईद थे। इस ग्रन्थ में ईरान के इतिहास का वर्णन किया गया है। किन्तु इस ग्रन्थमें महमूद गजनवी के जीवन तथा क्रियाकलापों का वर्णन किया गया है। इससे उस काल की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक सामग्री उपलब्ध होती है।


7. तबकात-ए-नासिरी – इस ग्रन्थ में मुहम्मद गोरी की भारत विजय से लेकर 1260 ई. तक का वर्णन किया गया है। इसग्रन्थ का लेखक मिनहाज-उस-सिराज (मिनहाजुद्दीन सिराज) था। यह लेखक वह व्यक्ति था, जिसने उस समय की घटनाओं में स्वयं भाग लिया था। किन्तु उसने जो वर्णन किया है वह पक्षपात से रहित नहीं है। अत: इसे निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता। इस ग्रन्थ में मुहम्मद गोरी तथा इल्तुतमिश तक के इतिहास का वर्णन उसने जो किया है, वह निष्पक्ष नहीं है। इस ग्रन्थ में उसने बलवन का जो प्रशंसा की है इससे इस बात की पुष्टि होती है कि यह निष्पक्ष नहीं है। फिर भी अनेक विद्वानों ने इस ग्रन्थ की प्रशंसा की है। साम्राज्य को सुदृढ़बनाया, किन्तु उन्होंने हिन्दओं के साथ क्या अत्याचार किये इसके विषय में कुछ नहीं लिखा इसलिए इसको हम निष्पक्ष नहीं कह सकते। Sources of medieval indian history notes in hindi

8. सीरत-ए-फिरोजशाही – इस ग्रन्थ के लेखक के विषय में कुछ विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता। यह ग्रन्थ फिरोज तुगलक के समय में लिखा गया था। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि इस ग्रन्थ की रचना फिरोज तुगलक ने करायी थी। इस ग्रन्थ से फिरोज तुगलक के शासन काल की जानकारी मिलती है। Sources of medieval indian history notes in hindi

9. तारीख-ए-मसूदी – इस ग्रन्थ का लेखक अबुल फसल मुहम्मद बिन हसैन-अल-बहरी था। इस ग्रन्थ में दरबारी षडयन्त्रतथा राजनीतिक चालों का सुन्दर वर्णन किया गया है।

10. किताब-उल-रहला – इस ग्रन्थ लेखक मारक्को का प्रसिद्ध यात्री इब्नबतूता था। वह 1313 ई. में भारत आया और वहयहाँ 1342 ई. तक रुका। इसने मुहम्मद तुगलक के दरबार में न्यायिक पद पर कार्य किया। उसने इस ग्रन्थ की रचना अरबी भाषा में की थी। उसने इस ग्रन्थ में मुहम्मद तुगलक के शासन काल की राजनीतिक तथा सामाजिक स्थिति का अच्छाचित्रण किया है। किन्तु उसके चित्रण में अतिशयोक्ति अधिक है। 

11. तारीख-ए-सलातीन-ए-अफगान – इस ग्रन्थ में अफगानों के इतिहास का वर्णन किया गया है। इसमें लोदी वंश केशासन काल के इतिहास का पर्याप्त वर्णन मिलता है। यद्यपि इस ग्रन्थ की रचना अकबर के शासन काल में की गयी थी। तारीख-ए-मबारकशाही – इसकी रचना याह्या बिन अहमद सरहिंदी  ने सैय्यद वंश के शासक मुबारक शाह के संरक्षक में की थी। यह ग्रन्थ सैय्यद वंश का एकमात्र समकालीन स्त्रोत है। याह्या बिन अहमद सरहिंदी, मुबारक शाह का समकालीन था। उसने यह ग्रंथ मुबारकशाह को समर्पित किया है।


12. रेहला – इसकी रचना अफ्रीकी यात्री इब्नबतूता ने अरबी भाषा में की थी जो उसकी वृतान्त है। इस ग्रन्थ में भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें सुल्तान जगयासुद्दीन तुगलक की गुप्तचर व्यवस्था, डाक व्यवस्था और उसकी मृत्यु की परिस्थितियों का वर्णन है। सल्तनत काल में डाक व्यवस्था का विस्तृत विवरण इब्नबतूता ने ही दिया है। इसके अतिरिक्त रेहला में मोहम्मद बिन तुगलक के व्यक्तिगत जीवन, उसके विचार और प्रशासनिक योजनाएं, राजदरबार की स्थिति तथा सामाजिक एवं आर्थिक जीवन की झलकियाँ मिलती हैं जो अत्यन्त मनोरंजक और मूल्यवान हैं।

यह तो थी मध्यकालीन इतिहास के स्रोत की जानकारी के नोट्स अगली पोस्ट में हम आपको मुगल कालीन स्रोत के बारे में जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂

Related Post :-

Leave a Reply

error: Content is protected !!
Don`t copy text!