हेलो दोस्तों, स्वागत है आपका पिछले कुछ पोस्टो में हमने आप को हड़पा सभ्यता के बारे में बताया था, इस पोस्ट से हम आप को वैदिक काल के बारे में बतायेगे जिससे आपकी प्राचीन भारत के इतिहास की जानकारी मिल सके और आप की तैयारी को और भी बल मिल सके तो चलिए शुरू करते है आज की पोस्ट 🙂
वैदिक सभ्यता (1500-600 ई. पु.)
हड़प्पा सभ्यता के पतन के पश्चात भारत में जिस नवीन सभ्यता का विकास हुआ, उसे वैदिक अथवा आर्य सभ्यता के नाम से जाना जाता है। वैदिक सभ्यता की जानकारी हमें वैदिक साहित्य से प्राप्त होती है। वैदिक साहित्य से तात्पर्य चारों वेदों (ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अर्थ वेद) ब्राह्मण ग्रंथों , अर्णयक एवं उपनिषदों से है। 6 वेदांग ( शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद व ज्योतिषी) एवं चार उपवेद (अर्थ वेद, गंधर्व वेद, धनुर्वेद व आयुर्वेद) अत्यंत परिवर्ती होने के कारण वैदिक साहित्य के अंग नहीं माने जाते हैं।अतः वैदिक कोतर साहित्य के अंतर्गत रखा गया है।
आर्यों को लिपि का ज्ञान नहीं था इसलिए वैदिक ज्ञान जो ऋषि-मुनियों आत्मज्ञान के रूप में ईश्वर से मिला था को ऋषि यों ने वर्षों तक श्रुति के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाया।अतः वैदिक साहित्य को श्रुति साहित्य भी कहा जाता है। श्रुति का अर्थ है सुनकर लिखा हुआ साहित्य। वैदिक साहित्य को नित्य भी कहा जाता है।
वेदों का संकलन महर्षि कृष्ण कृष्ण द्वैपायन ने किया, इसलिए इनका एक नाम वेदव्यास भी है। प्रथम तीन वेदों को वेदत्रयी कहा जाता है। अर्थ वेद इसमें शामिल नहीं है,क्योंकि इसमें यज्ञ से भिन्न लौकिक विषयों का वर्णन है। vedic age rigvedic period notes
ऋग्वेद साहित्य
ऋग्वेदयह आर्यों का सबसे प्राचीन ग्रंथ है,जिसकी रचना संस्कृत भाषा तथा ब्राह्म लिपि में की गई थी। ऋक का अर्थ होता है छंदबद्ध रचना या श्लोक। ऋग्वेद के सूक्त देवी देवताओं को स्थितियों से संबंधित है अर्थात वेद में प्रार्थनाएं संकलित है। ऋग्वेद की रचना संभवत है सप्त सेंधव प्रदेश में सरस्वती नदी के किनारे हुई थी। ऋग्वेद एक संहिता है, जिसमें 3 पाठ, 10 मंडल तथा 1028 सूक्त शामिल है ऋग्वेद का पाठ होता अथवा होत नामक पुरोहित करता था।
ऋग्वेद के 2 से 7 तक के मंडल सबसे प्राचीन माने जाते हैं। ऋग्वेद 2 से 7 वें मंडल को गोत्र मंडल भी कहा जाता है, क्योंकि इन मंडलों की रचना किसी खास गोत्र से संबंधिक एक ही परिवार ने की थी। इस प्रकार गोत्र शब्द का प्रथम उल्लेख ऋग्वेद से प्राप्त होता है, जबकि गोत्र की अवधारणा उत्तर वैदिक काल में विकसित हुई। 1,8,9 तथा 10 वा मंडल परवर्ती काल के हैं। इनमें से उस मंडल की रचना ऋषि विश्वामित्र ने की थी जिसमें गायत्री मंत्र संकलित है। 9 मंडल पूर्णत: सोम देवता को समर्पित है।10 वां मंडल सबसे प्रवृत्ति है। इसी के एक भाग पुरुष सूक्त में सर्वप्रथम शूद्रों की चर्चा की गई है। इस प्रकार चतुर वर्ण व्यवस्था का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद के दसवे मंडल के पुरुष सूक्त ने मिलता है। ऋग्वेद के कुछ ऋचाओं की रचना लोपामुद्रा, घोषा, शची, कांक्षावृत्ति, पौलोमी नामक विदुषी स्त्रियां ने की थी। vedic age rigvedic period notes
सामवेद
यह एक पद ग्रंथ है शाम का अर्थ है गावन सामवेद भारतीय संगीत से संबंधित प्राचीनतम ग्रंथ है। सात स्वरों का सर्वप्रथम उल्लेख सामवेद में ही प्राप्त होता है। सामवेद के सुख अदाओं का गायन करने वाला पुरोहित उद्गाता कहलाता था।
यजुर्वेद
यह गद्य और पद्य दोनों में रचित है। यजुर्वेद में यज्ञ से संबंधित अनुष्ठानिक तथा कर्मकांडी विधियों का उल्लेख है। यजुर्वेद में उल्लेखित कर्मकांड ओं को संपन्न करने वाला पुरोहित अध्वर्यु कहलाता था।
अर्थवेद
यह गद्य और पद्य दोनों में रचित है। अर्थवेद में वशीकरण, जादू- टोना, भूत प्रेत तथा औषधियों का वर्णन है। शल्य क्रिया का सर्वप्रथम उल्लेख अर्थ वेद में ही मिलता है। अर्थवेद के सूक्तियां का उच्चारण करने वाला पुरोहित ब्रह्मा कहलाता था, अर्थात यज्ञों का निरीक्षण करने वाले पुरोहित को ब्रह्मा कहा जाता था। यज्ञ में कोई बाधा होने पर उसका निराकरण अर्थ वेद करता था। अतः इसे ब्रह्मा विद्या श्रेष्ठ वेद कहा गया है । vedic age rigvedic period notes
यह तो थी वैदिक काल के सामान्य जानकारी अगले पोस्ट में हम आपको आर्यों का मूल निवास स्थान, आर्यों के आगमन तिथि व क्षेत्र के बारे में जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂