हड़प्पा सभ्यता का पतन Notes

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका Upsc Ias Guru .Com वेबसाइट पर आज हम आपको हड़प्पा सभ्यता का पतन से संबंधित नोट्स इस पोस्ट में प्रस्तुत कर रहे हैं यह यूपीएससी, एमपीपीएससी, एसएससी और अन्य सभी महत्वपूर्ण प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए उपयोगी हैं

हड़प्पा सभ्यता का पतन

लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हड़प्पा सभ्यता 600 वर्षों तक ( 2350-1750 ईस्वी पूर्व) चलती रही, किंतु 1750 ईस्वी पूर्व के आसपास इस सभ्यता के नगरिया स्वरूप का पतन हो गया। हड़प्पा सभ्यता के पतन के पीछे उत्तरदाई कारणों को लेकर इतिहासकारों में विवाद है। इस विवाद के निम्नलिखत प्रमुख कारण है-

1) साहित्यिक स्त्रोत की अनुपलब्धता तथा पुरातात्विक स्रोतों की आपर्यप्ता ।

2) चैतिज खुदाई का अभाव आदिहड़प्पा सभ्यता के पतन के संदर्भ में इतिहासकारों ने कई कारण बताए हैं, जिन्हें दो वर्गों में बांट कर देखा जा सकता है।

1) आकस्मिक पतन का सिद्धांत

2) क्रमिक पतन का सिद्धांत

आकस्मिक पतन का सिद्धांत

हड़प्पा सभ्यता के आकस्मिक पतन संबंधी सिद्धांत में मुख्यतः आर्य – आक्रमण बार नदी का मार्ग परिवर्तन, जल प्लावन या विवर्तनिये विछोव , सुखा आदि कारणों को उत्तरदाई माना गया है। गार्डन चाइल्ड, मर्टिमार विहेलर जैसे इतिहासकारों ने हड़प्पा सभ्यता के पतन हेतु आर्य – आक्रमण को उत्तरदाई माना है। इस संदर्भ में माटी मर व्हीलर का यह कथन है कि परिस्थिति की जन साक्ष्यों के आधार पर इंद्र दोषी टहरता हैं। यहां इंद्र का प्रतीकात्मक अर्थ है – आर्यों की सेना। इन इतिहासकारों का यह मानना है की हड़प्पा सभ्यता के अंतिम चरण में आर्या के आक्रमण के कारण इस सभ्यता का आकस्मिक अंत हो गया। अपने इस मत के पक्ष में इन्होंने कुछ पुरातात्विक एवं साहित्यिक साक्ष्य भी प्रस्तुत किए हैं जैसे- 

1) मोहनजोदड़ो से 38  नर कंकाल मिले हैं , जिन पर धार धार अस्त्रों के घाव है।

2) हड़प्पा स्थित कब्रिस्तान – H से ऐसा नर कंकाल प्राप्त हुआ है, जो अपने आकार- प्रकार में हड़प्पा कालीन निवासियों से भिन्न है। इसे किसी आक्रमणकारी का कंकाल माना गया है।

3) ऋग्वेद में इंद्र को पुरंदर (दुर्गों को नष्ट करने वाला) कहा गया है।

4) ऋग्वेद में इंद्र को वृत्ता सुर हंता कहा गया है, जिसका अर्थ है वीरता सूर की हत्या कर जल को मुक्त कराने वाला  यहां इंद्र को बांधों को नष्ट कर जल को मुक्त कराने का श्रेय दिया गया है।

5) ऋग्वेद में हर यूपिया शब्द का उल्लेख है, जिसकी पहचान हड़प्पा के रूप में की गई है और इसी इंद्र द्वारा नष्ट माना गया है। यह समस्त तथ्यों के आधार पर यह प्रमाणित करने का प्रयास किया गया है कि आर्यों के द्वारा ही मोहनजोदड़ो एवं बांधों को नष्ट किया गया था चुकी हड़प्पा सभ्यता की समृद्धि में मोहनजोदड़ो एवं बांधव का विशेष महत्व था। अत इनके नष्ट होने के साथ ही संपूर्ण हड़प्पा सभ्यता का भी पतन हो गया किंतु विश्लेषण के उपरांत इस मत की सीमाएं स्पष्ट हो जाती है, जिन्हें निम्नलिखित बिंदुओं के अंतर्गत देखा जा सकता है- 

1) मोहनजोदड़ो से प्राप्त केवल 38 नरकंकालों से संपूर्ण मोहनजोदड़ो नगर के पतन को स्वीकार करना आतार्किक है। फिर आधुनिक शोधों से यह स्पष्ट हो गया है कि यह नर कंकाल अलग-अलग काल से संबंधित थे। fall of the indus valley civilization hindi notes

2) संपूर्ण हड़प्पा सभ्यता का पतन लगभग 1750 ईस्वी पूर्व तक हो चुका था , जबकि वैदिक आर्यों का आगमन 1500 ईस्वी पूर्व माना जाता है । इस प्रकार हड़प्पा सभ्यता के पतन तथा वैदिक आर्यों के आगमन में लगभग 250 वर्षों का अंतर था।

3) संभव है कि हड़प्पा सभ्यता के पतन  के उपरांत कुछ दुर्ग एवं बांध शेष रह गए होंगे, जिनका विनाश ही बाद में आए आर्यों के द्वारा किया गया होगा। यही कारण है कि आर्यों के देवता इंद्र को पुरंधर एवं वृत्रासुर हंता कहां गया है। उपयुक्त विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि संपूर्ण हरप्पा सभ्यता के पतन हेतु केवल आर्य आक्रमण को उत्तरदाई नहीं माना जा सकता है। वास्तव में आक्रमण की अवधारणा साम्राज्यवादी उद्देश्य से प्रेरित थी ,जो प्रकांतर से ब्रिटिश  – आक्रमण की अवधारणा  सम्राजयवादी उद्देश्य से प्रेरित थी, जो की प्रकांतार से ब्रिटिश आक्रमण का औचित्य सिद्ध करती है।आगे विभिन्न इतिहासकारों के द्वारा हड़प्पा सभ्यता के पतन हेतु कुछ पर्यावरणीय करको, जैसे बाढ, नदी का मार्ग परिवर्तन जलप्लावन या वर्तनिए बिचोव, सुखा आदि कारणों को उत्तरदाई माना गया है . fall of the indus valley civilization hindi notes

जॉन मार्शल , एसआर राव तथा मैके महोदय ने क्रमशः मोहनजोदड़ो, लॉथल तथा चाहुंडोड़ा से बाढ के साक्ष्य प्राप्त कर यह प्रतिपादित करने का प्रयास किया कि ये नदियां जिनकी गोद में हड़प्पा सभ्यता पनपी थी, उनमें आई बाढ ही इस सभ्यता के विनाश का कारण साबित हुई। उसी प्रकार मधोस्वरूप वत्स लैंब्रिक एवम् डेल्स के अनुसार रावी एवं घघर नदी के मार्ग बदलने से क्रमशः हड़प्पा एवं कालीबंगा का पतन हो गया। इन इतिहासकारों ने घग्घर नदी के जलस्तर में कमी होने को भी प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया है। इनके अनुसार पूर्व में सतलज एवं यमुना घग्गर नदी की सहायक नदियों थी, किंतु आगे यह दोनों ही नदियां क्रमशः सिंधु एवं गंगा नदी के प्रभाव में शामिल हो गई, जिससे घग्गर नदी सुख गई। नदियों के मार्ग परिवर्तन से नगरों की समृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ा जिससे वे नष्ट हो गए तथा संपूर्ण हड़प्पा सभ्यता का विनाश हो गया। उसी प्रकार अमलानंद घोष डीपी अग्रवाल जैसे इतिहासकारों ने हड़प्पा सभ्यता के पतन हेतु जल की अधिकता की बजाए जल की कमी को उत्तरदाई माना है। इस मत के अनुसार धीरे-धीरे हड़प्पा की नदियों में जल का स्तर कम हो रहा था। इससे कृषि एवं सामान्य जीवन के लिए जल की कमी हो गई थी। इस प्रकार जल की कमी के कारण संपूर्ण हड़प्पा सभ्यता का पतन हो गया। वही एमआर साहनी एवं राईबस ने हड़प्पा सभ्यता के पतन में जल प्लावन या बीबर्तनिए विच्छेद को उत्तरदाई माना है इस मत के अनुसार विवर्तन य हलचल ओं के कारण भूमि का स्तर ऊपर उठ जाने से मोहनजोदड़ो में सिंधु नदी का बांध नष्ट हो गया तथा जल एक खाश पर आकर रुक गया। fall of the indus valley civilization hindi notes

इससे अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा तथा सभ्यता का विनाश हो गया।इस प्रकार हड़प्पा सभ्यता के पतन हेतु विभिन्न इतिहासकारों ने अलग-अलग कारणों को उत्तरदाई माना है तथा यह प्रमाणित करने का प्रयास किया है कि संपूर्ण अप्पा सभ्यता का आकस्मिक एवं त्रिव  गति से विनाश हुआ। क्रमिक पतन का सिद्धांतइतिहासकारों का एक वर्ग हड़प्पा सभ्यता का आकस्मिक पतन नहीं बल्कि कर्मिक पतन के सिद्धांत को स्वीकार करता है। इस चंद्र विकेट हेयर सर्विस ने परिस्थिति की और संतुलन हड़प्पा सभ्यता के पतन का कारण माना है। उनके अनुसार वन संसाधनों के दोहन से परिस्थिति की असंतुलन उत्पन्न हुआ। इस परिस्थिति की असंतुलन अर्थात वर्षा जल तापमान आदि में परिवर्तन के कारण हड़प्पा सभ्यता के कोर क्षेत्र से जनसंख्या का प्रबंधन अन्य क्षेत्रों की ओर होने लगा। इस प्रकार हड़प्पा सभ्यता के नगरीय क्षेत्रों का पतन हो गया। उपयुक्त दोनों ही मतों के विश्लेषण के उपरांत हड़प्पा सभ्यता के पतन हेतु क्रमिक पतन का सिद्धांत ही तार्किक प्रतीत होता है।पुरातात्विक साक्ष्यों से भी यह सिद्ध होता है कि हड़प्पा सभ्यता से संबंधित विभिन्न नगरों जैसे मोहनजोदड़ो एवं धौलावीरा का क्रमिक रूप से पतन हुआ था। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हड़प्पा सभ्यता का अस्तित्व कुछ आधारभूत तत्वों के सूक्ष्म संतुलन पर आधारित था कैसे उत्पादन अधिशेष एवं विकसित वाणिज्य व्यापार ऊपर उल्लेखित किसी भी कारण जैसे आक्रमण बार नदियों का मार्ग परिवर्तन जल प्लावन सूखा जलवायु परिवर्तन आदि में से किसी भी वजह से यह सूक्ष्म संतुलन बिगड़ गया होगा। इससे उत्पादन अधिशेष एवं वाणिज्य व्यापार में गिरावट आ गई होगी जिससे क्रमिक रूप से इस नगरी किस सभ्यता का पतन परवर्ती हड़प्पा कालीन ग्रामीण संस्कृतियों के रूप में ही  हो गया होगा .

मतइतिहासकार
1- प्रशासनिक शिथिलता के कारण इस सभ्यता का विनाश हुआ।जॉन मार्शल
2- जलवायु में हुए परिवर्तन के कारण यह सभ्यता नष्ट हुई।ऑरेल स्टाइन
3- सिंधु सभ्यता बाढ़ के कारण नष्ट हुई।अर्नेस्ट मैके एवं जॉन मार्शल
4- भू तात्विक परिवर्तन के कारण सभ्यता नष्ट हुई।एम.आर.साहनी, आर.एल.राइक्स, जॉर्ज एफ.डेल्स, एच.टी.लैम्ब्रिक
5- मोहनजोदाड़ो के लोगों की आग लगाकर हत्या कर दी गयी।डी.डी. कोसाम्बी
6- सैंधव सभ्यता विदेशी आक्रमण व आर्यों के आक्रमण से नष्ट हुई।गार्डन चाइल्ड, मार्टीमर ह्वीलर, डी.एच.गार्डन, स्टुअर्ड पिग्ग्ट

इस पोस्ट के साथ दोस्तों हमारी हड़प्पा सभ्यता का नोट्स का अंत होता है और अगले पोस्ट से हम आपको वैदिक सभ्यता के बारे में बताएंगे जो कि आपको सभी कॉम्पिटेटिव एग्जाम्स के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होगी तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂

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