मगध साम्राज्य के राजवंश | हर्यक वंश,नागवंश,नंद वंश की सम्पूर्ण जानकारी

Hello दोस्तों , मुझे उम्मीद है आपको हमारे प्राचीन भारत के नोट्स बहुत ही पसंद आ रहे होंगे। जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है| पिछली पोस्ट में हमने आपको 16 महाजनपद के बारे में सामान्य जानकारी प्रदान की थी इस पोस्ट में हम आपको हर्यक वंश, नागवंश , नंद वंश की सम्पूर्ण जानकारी देंगे तो चलिए शुरू करते है

हर्यक वंश (पितृहन्ता वंश) -544  ई.पू. से 412 ई.पू.

हर्यक वंश का संस्थापक बिंबिसार था। जैन साहित्य में बिंबिसार को श्रेणिक क्यों कहा गया है। बिंबिसार ने राजगृह (गिरिब्रज) नामक नगर की स्थापना की तथा इसे अपनी राजधानी बनाई ।राजगृह तीनों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ था।  बिंबिसार ने विजयों व वैवाहिक संबंधों के द्वारा अपने वंश का विस्तार किया। इसने 3 राजवंशों मैं वैवाहित संबंध स्थापित किए प्रथम लिच्छवी गणराज्य के शासक चेटक की पाँचवी पुत्री चेलना के साथ विवाह किया। द्वितीय, कौशल राज्य प्रसनजीत की बहन महाकौशला से विवाह किया जिससे दहेज में काशी का प्रांत प्राप्त हुआ। तृतीय, मद्र देश (कुरू के समीप) की राजकुमारी से विवाह किया। Dynasties of Magadha Empire In Hindi

 बिंबिसार की हत्या उसके पुत्र अजातशत्रु ने कर दी । आजाद शत्रु को कुणिक भी कहा जाता है। अजातशत्रु का कौशल नरेश प्रसनजीत से युद्ध हुआ जिससे पहले तो प्रसनजीत की हार हुई परंतु बाद में दोनों में समझौता हो गया प्रसनजीत ने अपनी पुत्री वाजिरा का विवाह अजातशत्रु से कर दिया। अजातशत्रु का वज्जि संघ के साथ भी युद्ध हुआ, जिसमें उसने अपने कूटनीतिज्ञ मंत्री वत्सकार की सहायता से लिच्छवियों की शक्ति पर विजय प्राप्त की। इस प्रकार काशी और वैशाली को मिला लेने के बाद मगध का साम्राज्य और विस्तृत हो गया। अजातशत्रु के शासनकाल के 8वें वर्ष में गौतम बुद्ध की मृत्यु हुई थी। अजातशत्रु के काल में राजगृह की सप्तपर्णी गुफा (या सत्तपर्णगुहा) में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया। Dynasties of Magadha Empire In Hindi            

अजातशत्रु की हत्या इसके पुत्र उदयिन ने कर दी। उदिय ने गंगा और सोनू नदियों के संगम पर पाटलिपुत्र/ कुसुमपुर नामक नगर की स्थापना की तथा राजगृह से अपनी राजधानी वही स्थानांतरित की। अवन्ति के शासक “पालक” की शह पर “उदायिन” की हत्या की गई थी, एक व्यक्ति ने छुरा घोंप कर की। उदयिन  के  बाद उसके तीन पुत्रों अनिरुद्ध, मुंडक और नागदशक (दर्शक) ने बारी-बारी से किसने राज किया। बाद में जनता ने इन  पितृहन्ताओं को शासन से हटाकर शिशुनाग नामक एक योग्य अमात्य को राजा बनाया। Dynasties of Magadha Empire In Hindi

हर्यक राजवंश के शासक एवं शासन अवधि:

  • बिम्बिसार (544 ई. पू. से 493 ई. पू.)
  • अजातशत्रु (493 ई.पू. से 461 ई.पू.)
  • उदायिन (461 ई.पू. से 445 ई.पू.)
  • अनिरुद्ध
  • मंडक
  • नागदशक

नागवंश – 412 ई. पू. से 344 ई. पू.

 शिशुनाग ने अवंती राज्य को जीत कर उसे मगध साम्राज्य में मिला लिया। शिशुनाग ने अपनी नई राजधानी वैशाली में स्थापित की थी। शिशुनाग का उत्तराधिकारी कालाशोक हुआ, जिसने अपनी राजधानी पुनः पाटलिपुत्र में स्थानांतरित की तथा इसके बाद पाटलिपुत्र में ही मगध की राजधानी रही। कालाशोक के शासनकाल में वैशाली में द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ। कालाशोक का उत्तराधिकारी महानन्दिन हुआ, जिसका वध बाणभट्ट रचित हर्षचरित के अनुसार काकवर्ण की राजधानी पाटलिपुत्र में घूमते समय एक शूद्र दासी पुत्र महापद्मननद नामक व्यक्‍ति ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी। इस प्रकार नागवंश की जगह मगध का राज्य नंद वंश के हाथों में आ गया। Dynasties of Magadha Empire In Hindi

 नंद वंश-344 ई. पू.से 324 ई. पू.

मगध साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली शासक था पुराणों में इसे एकछत्र एकराट कहा गया है इसके अतिरिक्त महापद्यनन्द की अन्य उपाधियां उग्रसेन, आपरोपरशुराम, सर्व क्षत्रान्तक आदि थी महापद्यनन्द ने कलिंग की विजय तथा वहां तिन सुलिया नामक नहर भी खुदवाई। इसका उल्लेख बाद में कलिंग के शासक खारवेल ने अपनी हाथीगुम्फा अभिलेख में किया है इसी अभिलेख से पता चला है कि महापद्मनंद कलिंग से जिनसेन की जैन प्रतिमा उठा लाया था।

नंद वंश का अंतिम शासक धनानंद हुआ घर आनंद के समय ही 326 ईसा पूर्व में सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया था घनानंद के पुरोहित चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य की सहायता से पराजित किया इस प्रकार मगध में मौर्य वंश की स्थापना हुई

नंद वंश का अंतिम शासक घनानंद हुआ धनानंद के समय में ही 326ई. पू. में सिकंदर ने भारत में आक्रमण किया था। धनानंद के पुरोहित चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य की सहायता से धनानंद को पराजित किया। इस प्रकार मगध में मौर्य वंश की स्थापना हुई। Dynasties of Magadha Empire In Hindi

छठी सदी ई.पू. के दौरान भारत के राजनीतिक ,आर्थिक, सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। आगे इन परिवर्तनों ने भारत के इतिहास को एक नवीन दिशा प्रदान की। वस्तुतः यह समस्त परिवर्तन तत्कालीन जीवन की नवीन आवश्यकताएं के ही परिणाम थे। इन्हीं परिवर्तनों के कारण छठी सदी ई.पू. के इतिहास को प्राचीन भारतीय इतिहास में विशेष स्थान प्राप्त है।

छठी सदी ई.पू. की महत्वपूर्ण घटनाएं /परिवर्तन

> राजनीतिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण घटनाएं /परिवर्तन– गणतंत्रों की स्थापना ,16 महाजनपदों/ द्वितीय नगरीकरण का उदय ,मगध का उत्कर्ष आदि।

> आर्थिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण घटनाएं/ परिवर्तन– कृषि उत्पादन में वृद्धि ,नवीन शिल्प -उद्योगों का विकास, वाणिज्य- व्यापार में विस्तार, नियमित मुद्रा का प्रचलन, द्वितीय नगरीकरण का उदय आदि।

> सामाजिक क्षेत्र का महत्वपूर्ण घटनाएं /परिवर्तन– वर्ण व्यवस्था में परिवर्तन ,जाति व्यवस्था एवं अस्पृश्यता का उद्भव, स्त्रियों की स्थिति में गिरावट आदि।

> धार्मिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण घटनाएं /परिवर्तन– आश्रम व्यवस्था पुरुषार्थ, 16 संस्कार ,आठ प्रकार के विवाह का प्रचलन ,जैन व बौद्ध धर्म का उद्भव आदि।

यह तो थी हर्यक वंश, नागवंश,नंद वंश की सम्पूर्ण जानकारी अगली पोस्ट में हम आपको मगध साम्राज्य का उत्कर्ष/ उदय की जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂

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