छठी सदी ईसा पूर्व से तीसरी सदी ईसा पूर्व तक का इतिहास
छठी सदी ई. पू. से तीसरी सदी ई.पू. के मध्य घटित महत्वपूर्ण घटनाओं के अंतर्गत महाजनपद काल यूनानी आक्रमण एवं जैन व बौद्ध धर्म का अध्ययन किया जाता है ।
महाजनपद काल
लगभग छठी शताब्दी ई. पू. में गंगा यमुना दोआब एवं बिहार में 16 महाजनपदों का अस्तित्व दिखाई देता है इतिहासकार गार्डन चाइल्ड ने इसे भारत की द्वितीय नगरीय क्रांति कहा गया है। बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय एवं जैन ग्रंथ भगवती सूत्र में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है ।इसका वर्णन निम्नलिखित है-
1)अंग( वर्तमान में बिहार के भागलपुर व मुंगेर जिला)- अंग की राजधानी चंपा थी। मगध के राजा बिंबिसार ने अंग को मगध साम्राज्य में मिला लिया।
2) वजी( वर्तमान में बिहार राज्य)- वजी की राजधानी वैशाली थी, जिससे विश्व का प्रथम गणतंत्र भी माना जाता है। Period of mahajanapadas notes
3) मल( वर्तमान में उत्तर प्रदेश व बिहार राज्य)- उत्तरी मल की राजधानी कुशीनगर (उत्तर प्रदेश), जबकि दक्षिण मल की राजधानी पावा (बिहार) थी। कुशीनगर व पावा में क्रमश: महात्माबुध तथा महावीर की मृत्यु हुई थी।
4) मल( वर्तमान में उत्तर प्रदेश का बनारस जिला)- काशी की राजधानी वाराणसी थी आगे कौशल के राजा कंस ने काशी को अपने राज्य में मिला लिया।
5)कोसल( वर्तमान में उत्तर प्रदेश का श्रावस्ती जिला)- उत्तरी कौशल की राजधानी शरावती/ साकेत/ अयोध्या /सहेत /महेत थी, जबकि दक्षिणी कौशल की राजधानी कुशावती थी।
6) वत्स (वर्तमान में उत्तर प्रदेश का इलाहाबाद जिला)- वत्स की राजधानी कौशांबी थी यहां का सबसे प्रमुख राजा उद्यान था जिसकी शत्रुता अवंती के राजा प्रद्योत से थी।
7)पांचाल( वर्तमान में उत्तर प्रदेश के बरेली बदायूं व फर्रुखाबाद जिले)- उत्तरी पांचाल की राजधानी अहिंचछत्र, जबकि दक्षिणी पांचाल की राजधानी कामिपलय थी।
8) शूरसेन( वर्तमान में उत्तर प्रदेश का मथुरा जिला)- शूरसेन की राजधानी मथुरा थी।
9) कुरु( वर्तमान में मेरठ दिल्ली व थानेश्वर का क्षेत्र)- करूकी राजधानी इंद्रप्रस्थ थी।
10) अवंती( वर्तमान में मध्यप्रदेश के उज्जैन व खरगौन जिले)- उत्तरी अवनीत की राजधानी उज्जैन/ उज्जयिनी /अवंतिका, जबकि दक्षिणी अवंती की राजधानी महिष्मति/ महेश्वर थी बुद्ध कालीन अवंति का राजा चांडप्रद्योत था। चांडप्रद्योत को पीलिया नामक रोग हो गया था जिस के उपचार ,हेतु बिंबिसार ने अपने राज वैद्य जीवक को भेजा था। आगे मगध सम्राट शिशुनाग ने अवंती को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया। Period of mahajanapadas notes
11)चेदि( वर्तमान में मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र)- चेदि की राजधानी सोतिथवती/ शक्ति मति दे महाभारत काल में यहां का शासक शिशुपाल था, जिसका वध कृष्ण के द्वारा किया गया।
12) मत्स्य (वर्तमान में राजस्थान के जयपुर ,अलवर व भरतपुर जिले)- मस्त की राजधानी विराटनगर थी।
13( असमक वर्तमान में आंध्र प्रदेश राज्य )-अशम की राजधानी पोतना पाटिल थी। 16 महाजनपदों में केवल अशमक ही नर्मदा नदी के दक्षिण में गोदावरी के तट पर स्थित था।
14( गांधार वर्तमान में पाकिस्तान के पेशावर व रावलपिंडी का क्षेत्र )- गंधार की राजधानी तक्षशिला थी! इस जनपद का दूसरा प्रमुख नगर पुष्कलावती था।
15( कंबोज वर्तमान में पाकिस्तान व भारत का क्षेत्र)- कंबोज की राजधानी राजपुर/ हाटक थी।
16( मगध वर्तमान में बिहार के पटना गया व शाहाबाद जिले )- मगध की राजधानी अलग-अलग समय पर क्रमशः राजगृह,पाटलिपुत्र एवं वैशाली हुई, किंतु अंततः पाटलिपुत्र अस्थाई राजधानी बनी। मगध में छठी सदी ई. पू. मे क्रम स 3 वंश के राजाओं ने शासन किया हर्यंक वंश ( पित्तृहंता वंश), नाग वंश एवं नंद वंश। Period of mahajanapadas notes
महाजनपदों के प्रमुख शासक (Chief Rulers of Mahajanapadas)
महाजनपद | प्रमुख शासक |
मगध | बिंबिसार, अज्ञात शत्रु, शिशुनाग |
अवन्ति | चंडप्रद्योत |
काशी | बानर, अश्वसेन |
कोसल | प्रसेनजित |
अंग | ब्रहमदत्त |
चेदी | उपचार |
वत्स | उदयन |
कुरु | कोरव्य |
मत्स्य | विराट |
शूरसेन | अवन्तिपुत्र |
गंधार | चंद्र्वर्मन, सुदक्षिण |
- छठी शताब्दी ई० पू० के उत्तरार्द्ध में चार राज्य अत्यधिक शक्तिशाली थे–काशी, कोसल, मगध और वज्जि संघ लगभग सौ साल तक ये अपने राजनीतिक प्रभुत्व के लिए लड़ते रहे,अन्ततोगत्वा मगध को विजय मिली एवं यह उत्तर भारत में राजनीतिक गतिविधियों का केन्द्रिय स्थल हो गया। Period of mahajanapadas notes
Dear Readers अगले पोस्ट मे हम आप लोगो के लिए प्राचीन भारत के इतिहास से एक बहुत ही महत्वपूर्ण Topic लेकर आयेगे, जिसका नाम है “मगध राज्य का उत्कर्ष , हर्यक वंश ,शिशुनाग वंश, नन्द वंश और विदेशी आक्रमण”| इस Topic से हमेशा ही महत्त्वपूर्ण प्रश्न बनते है| तो बने रहिए यूपीएससी आईएएस गुरु के साथ 🙂
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