फिरोज शाह तुगलक की गृह-नीति : शासन-प्रबन्ध Notes

Hello दोस्तों, स्वागत है आपका फिर से हमारी इतिहास नोट्स की सीरीज में इस से पहले हमने आपको फिरोजशाह तुगलक के बारे में विस्तार से बताया था, इस पोस्ट से हम आपको फिरोज शाह तुगलक की गृह-नीति : शासन-प्रबन्ध के बारे में बतायेगे जिससे आपको  मध्यकालीन भारत के इतिहास की जानकारी मिल सके और आपकी तैयारी को और भी बल मिल सके तो चलिए शुरू करते है आज की पोस्ट 🙂

फिरोज शाह तुगलक की गृह-नीति : शासन-प्रबन्ध firuz shah tughlaqs domestic policy

फिरोज तुगलक शान्तिप्रिय व्यक्ति था। जनता की सहायता से उसने न्याय तथा व्यवस्था में सुधार किया, जिससे उसने शान्ति तथा सुरक्षा की स्थापना की। उसने जनता की भौतिक तथा आध्यात्मिक प्रगति करने का प्रयत्न किया। वह कट्टर मुसलमान था। इसलिए उसने मुस्लिम जनता को उठाने तथा इस्लाम की प्रतिष्ठा की स्थापना के लिए कार्य किया फिरोज का काल. शासन प्रबन्ध की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसने शासन की आत्मा को बदलने का प्रयत्न किया। यद्यपि उसने शासन के ढाँचे में कोई विशेष परिवर्तन नहीं किया। केवल कुछ अधिकारियों के कार्यों में थोड़ा-बहुत हेर-फेर अवश्य किया। गृह-नीति में उसने पर्याप्त सफलता प्राप्त की। उसने शासन कार्य के कुशल संचालन के लिए योग्य मन्त्रियों को नियुक्त कर दिया। सुल्तान को शासन सुधार में जो सफलताएँ प्राप्त हुई उसका श्रेय खाने-जहाँ मकबूल नामक योग्य मन्त्री को दिया जाता है।

  1. मुस्लिम कल्याणकारी राज्य की स्थापना-

फिरोज ने राजनीति तथा धर्म को एक-दुसरे से मिलकर एक शुद्ध – राज्य की स्थापना की। उसने मुसलमानों के हितों का ही सदैव ध्यान रखा। फिरोज के समय में शासन में फिर उलेमा का प्रभाव बढ़ गया। उसने शासन में उलेमा की राय लेना प्रारंभ कर दिया। सुल्तान उलेमा के विरुद्ध कुछ नहीं कर सकता था। उलेमा के प्रभाव के कारण फिरोज ने कट्टर मुस्लिम शासक की भाँति व्यवहार किया। अपने को वह इस्लाम का सेवक और कुफ्र का शत्रु समझता था। परिणाम यह हुआ कि उसने हिन्दुओं के साथ बुरा बर्ताव किया। उसने खुलेआम हिन्दु इस्लाम स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहन दिया। उसने ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगाया तथा मन्दिरों और मूर्तियों का ध्वंस किया। दूसरी ओर उसने मुसलमानों की भौतिक तथा आध्यात्मिक प्रगति के लिए विशेष प्रयत्न किया। शासन के सभी उच्च पदों पर सुन्नी मसलमानों को आरूढ किया। इससे सिद्ध होता है कि फिरोज ने मुसलमानों का कल्याणकारी राज्य का निर्माण किया इसलिए बरनी ने फिरोज के शासन को पृथ्वी का स्वर्ग कह। firuz shah tughlaqs domestic policy

  1. सुल्तान तथा वजीर – मध्य युग के अन्य सुल्तानों की भाँति शासन की सम्पूर्ण शक्ति सुल्तान में निहित थी। सुल्तान के ऊपर इस्लाम धर्म का नियन्त्रण था। फिरोज की सफलता का बहुत कुछ श्रेय उसके सुयोग्य स्वामिभक्त वजीर खान-ए-जहान को था। वह मुहम्मद तुगलक के समय में नायब वजीर (उप प्रधानमंत्री) के पद पर कार्य कर चुका था। उसकी कर्तव्यों से सुल्तान बहुत प्रभावित था। सुल्तान जब कभी दिल्ली से बाहर जाता था तो उप-प्रधानमंत्री ही शासन की पूर्ण देखभाल करता था।
  2. जागीर प्रथा – शासन की सुविधा के लिए सम्पूर्ण राज्य फीफों में और प्रत्येक फीफ जिले में विभक्त था जिनके शासन के लिए अफसर नियुक्त होते थे। इन अफसरों को सरकार की तरफ से जागीर मिली थी। फिरोज ने जागीर प्रथा को नियमित रूप से स्थापित किया। इसका परिणाम यह हुआ कि जागीरदार धीरे-धीरे जनता पर अत्याचार करने लगे। जब तुगलक वंश की स्थिति खराब हुई तो यह जागीरदार अपनी स्वतंत्रता का प्रयास करने लगे और इस प्रकार उन्होंने तुगलक वंश के पतन में योग दिया।
  3. आर्थिक व्यवस्था – फिरोज के गद्दी पर बैठने के समय राज्य की आर्थिक स्थिति अत्यन्त शोचनीय थी। मुहम्मद तुकलक के समय में प्रजा पर अनेक नये कर लगाये गये थे जिनके कारण वह अत्यन्त दु:खी थी। सुल्तान ने लगभग 24 कर, जिनसे प्रजा को बहुत कष्ट होता था, हटा दिये जिनमें मकान और चरागाह कर भी सम्मिलित थे। कर व्यवस्था को उसने कुरान के नियमों के आधार पर कायम किया। कुरान चार प्रकार के कर लगाने की आज्ञा देती है- खराज (भूमि कर), खाम (लूट के माल का 1/4 भाग), जजिया (धार्मिक कर), जकात जो 2 1/2 प्रतिशत के हिसाब से मुसलमानों से वसूल किया जाता था। जो लोग सरकारी नहरों का पानी प्रयोग करते थे उन पर सिंचाई कर भी लगाया जो कि उपज का 1/10 भाग होता था। firuz shah tughlaqs domestic policy
  4. सिंचाई – कृषि की उन्नति के लिए सुल्तान ने सिंचाई का प्रबन्ध किया। इसके लिए उसने कुएँ तथा नहरों का निर्माण करवाया। एक नहर का पानी हिसार तक ले जाती थी। यह नहर 250 किमी. लम्बी थी। सतलज से घग्घर तक। मण्डवी और सिरमर की पहाड़ियों से हाँसी तक। घाघरा से फिरोजाबाद तक। यमुना से फीरोजाबाद तक।

नहरों के निरीक्षण के लिए सुल्तान ने कुशल इन्जीनियर नियुक्त किये जो वर्षा ऋतु में उनकी विशेष देखभाल रखते। उसने लगभग 150 कुँए खुदवाये, सिंचाई के साधनों की सुविधा के कारण खेती की अधिक उन्नति हई और अकालों का भय कम हो गया। बहुत-सी बंजर भूमि को भी खेती योग्य बनाया गया। firuz shah tughlaqs domestic policy

  1. जन-निर्माण का कार्य – फिरोजशाह की निर्माण कार्यों में विशेष रुचि थी. वह दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान जिसने भवन निर्माण की ओर बहुत अधिक ध्यान दिया। उसने विभिन्न नमूनों की इमारतों का निर्माण कराया: जिनमें असं नगर, कोट, राजप्रसाद, बाँध, मस्जिदें सम्मिलित हैं। उसने फीरोजाबाद, फतेहाबाद, हिसार, जौनपुर, फिरोजपुर (बदायूँ । पास) आदि नगर बसाये. उसने 4 मस्जिदें, 30 महल, 200 सराएँ, 5 जलाशय. 5 अस्पताल, 101 कने, 10 सार्वजनिक स्नानागार तथा लगभग 100 पुल बनवाये। वह अशोक के दो स्तम्भों को दिल्ली ले गया एक ख्रिज्राबाद से और दुसरा मेर उक्त सभी इमारतें पत्थर की बनी हुई हैं। उनमें लकड़ी का प्रयोग बहुत कम किया गया है, केवल दरवाजे ही लकड़ी के लगा गये हैं। भवन निर्माण कार्यों की देखरेख करने के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति कर दी थी जिसे ‘मलिक गाजी शहना मीर इमारत कहते थे।
  2. न्याय-व्यवस्था – फिरोज ने प्रचलित दण्ड-व्यवस्था तथा न्याय-व्यवस्था को सुधारने का प्रयत्न किया। उसका सूर्य – दण्ड विधान अत्यन्त कठोर था। छोटे-छोटे अपराधों के लिए बहुत बर्बरतापूर्ण दण्ड दिये जाते थे। अपराधियों के हाथ-पैर और नाक-कान काट लिए जाते थे, हथौड़े से उनकी हड्डियों को कुचला जाता था. उन्हें जलाया जाता था, उनकी जीवित खाल खींची जाती थी, हाथ-पैर में कीले ठोकी जाती थीं, इत्यादि फिरोज ने इन यातनाओं को बन्द करवा दिया। उसकी न्याय व्यवस्था कुरान के नियमों पर आधारित थी। वह अपराधियों को साधारण दण्ड देता था, कभी-कभी अपराधियों को क्षमा कर दिया करता था। न्याय के लिए राजधानी में एक मुख्य काजी रहता था और प्रान्तों तथा महत्वपूर्ण नगरों में अन्य काजी रहते थे। उसकी उदार न्याय-व्यवस्था शासन के लिए घातक सिद्ध हुई। firuz shah tughlaqs domestic policy
  3. बेकारी की समस्या का समाधान – फिरोज के सिंहासनारोहण के समय बेकारी की समस्या बड़ी विकट थी। अधिकांशत मध्यम श्रेणी के लोगों में बेरोजगारी की समस्या थी। बेकारों को काम दिलाने के लिए सुल्तान ने रोजगार का दफ्तर खोल जिसमें बेकारों के नाम लिखे जाते थे और उन्हें योग्यता के अनुसार काम दिया जाता था। जो लोग पढ़े-लिखे होते थे उनक दरबार में काम दिया जाता था और जो व्यक्ति अमीरों के गुलाम बनकर कार्य करना चाहते थे उनको गुलाम बना दिया जा था, किन्तु उन्हें गुलाम बनने के लिए बाध्य नहीं किया जाता था। firuz shah tughlaqs domestic policy
  4. छान तथा औषधालय की व्यवस्था – जो मुसलमान गरीब थे और अपनी लड़कियों की शादी का प्रबन्ध नहीं कर सका थे, उनकी सहायता करने के लिए सुल्तान ने “दीवान-ए-खैरात’ नामक विभाग की स्थापना की। उसने यह आदेश दिया। जिसकी लड़की वयस्क हो जाये, वह दीवान-ए-खैरात के अधिकारियों को तुरन्त सूचना दे। कन्याओं के विवाह के लिये प्रथम श्रेणी के लोगों को 50 टंके (चाँदी के), द्वितीय श्रेणी के लोगों को 25 टंके दिये जाते थे। इसके अतिरिक्त विधवात अनाथों को भी इस विभाग से सहायता मिलती थी। उसने अनेक औशधालयों की स्थापना की, जहाँ पर रोगियों का तथा भोजन मुफ्त मिलता था। firuz shah tughlaqs domestic policy
  5. शिक्षा का प्रचार – शिक्षा के प्रचार के लिए सुल्तान ने अनेक स्कूल तथा काँलेज (मदरसे) खोले, जिनमें विद्वान शिक्षक रखे जाते थे। शिक्षा संस्थाओं का सम्बंध मस्जिदों से हुआ करता था। उसने तीन महाविद्यालयो की स्थापना करवायी। वह विद्यानों का बड़ा आदर करता था, इतिहास से भी उसे विशेष प्रेम था। बर्नी तथा सम्मे सिराज अफीफ ने अपने ग्रन्थ फिरोज के संरक्षण में ही लिखे थे। सुल्तान ने स्वयं अपनी आत्मकथा फतहाते-फिरोजशाह लिखी। कांगड़ा से प्राप्त अनेक संस्कृत ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद कराया।
  6. दास प्रथा – फिरोज ने गुलामों की दयनीय दशा से द्रवित होकर उनकी दशा सुधारने का प्रयत्न किया। प्रान्तीय सूबेदारों तथा अधिकारियों को सुल्तान के पास भेजने का आदेश दिया। धीरे-धीरे गुलामों की संख्या महल में 40 हजार गुलाम थे। समस्त राज्यों में गलामों की संख्या 1 लाख 80 हजार थी। सुल्तान ने उनका उचित प्रबंध करने के लिए एक नया विभाग (दीवान-ए-बन्दगान) खोल दिया। किन्तु यह प्रथा राज्य के लिए बड़ी हानिकारक सिद्ध हुई। गुलामों ने शासन में हस्तछेप करना शुरू क्र दिया। परिणाम यह हुआ कि तुगलक वंश का पतन हो गया। firuz shah tughlaqs domestic policy
  7. सैनिक संगठन – फिरोज के समय तक स्थायी सेना की व्यवस्था समाप्त हो गयी थी। उस समय तक स्थायी सेना की व्यवस्था समाप्त हो गयी थी। उसकी सेना का संगठन सामन्ती आधार पर किया गया था। सुल्तान अमीरों और प्रान्तीय सूबेदारों की सेनाओं पर निर्भर रहता था। उसने प्रथा का अनुसरण करते हुए स्थायी सैनिकों को जागीरें दे दी और अस्थायी सैनिकों को नकद वेतन दिया सिपाहियों के लाभ के लिए सुल्तान ने एक और भी नियम जारी किया। यदि कोई सैनिक बुढ़ापे में योग्य न रहता तो उसके लड़के, दामाद तथा गुलाम का स्थान दे दिया जाता था। इस प्रकार सैनिक सेवा का फिरोज ने राज्य की शक्ति कमजोर बना दिया इससे सैनिक अनुशासन को बहुत धक्का लगा। firuz shah tughlaqs domestic policy
  8. मुद्रा – फिरोज ने कई छोटे-छोटे मूल्य के सिक्के चलाये। उसने शाशगानी नाम का एक सिक्का चलाया जिसका मूल्य 6 जीतल था। उसने आधे तथा चौथाई जीतल के सिक्के चलाये जो आपात या वीख कहलाते थे। उसने धातु की शुद्धता पर विशेष जोर दिया परन्तु अफसरों की बेईमानी के कारण उसे सफलता नहीं मिली। firuz shah tughlaqs domestic policy
  9. मुहम्मद के पापों का प्रायश्चित – फिरोज ने उन व्यक्तियों के उत्तराधिकारियों से जिन्हें मुहम्मद ने प्राणदण्ड अथवा अंग-भग का दण्ड दिया था धन देकर क्षमा-पत्र प्राप्त किये। यह क्षमा-पत्र एक सन्दूक में बाँधकर मुहम्मद की कब्र के सिरहाने रख दिये जिससे उसकी आत्मा को सन्तोष प्राप्त हो सके।
  10. धार्मिक नीति – फिरोज एक कट्टर मुसलमान था। उसका राज्य धर्म प्रभावित राज्य था। वह राज्य के सभी कार्य उलेमा लोगों की सलाह से करता था। वह हिन्दुओं को मुसलमान बनने के लिए प्रोत्साहित करता था। एक ब्राह्मण पर यह आरोप लगाकर कि वह मुसलमानों को इस्लाम धर्म त्यागने के लिए उकसाता है, उसे राजमहल के सामने जिन्दा जलवा दिया था। उसने ब्राह्मणों के ऊपर जजिया लगा दिया था जो अभी तक इस कर से मुक्त थे। उसने अन्य सम्प्रदाय वालों के साथ भी अच्छा व्यवहार नहीं किया। सुल्तान ने खलीफा से दो बार मान्यता पत्र तथा मान सूचक वस्त्र प्राप्त किये। दिल्ली सल्तनत में पहली बार उसने अपने को खलीफा का नायब घोषित किया। खलीफा का नाम सिक्कों में उत्कीर्ण करवाया आर उनका खुतवा में सुल्तान के नाम के साथ उल्लेख किया गया। फिरोज तुगलक के उपर्यक्त सुधारों से स्पष्ट है कि उसमें मानवतावादी प्रवृत्ति थी, वह प्रजा के हितों को ध्यान में रखकर काम करता था, चाहे वह कार्य शासन के अहित में क्यों न हो। firuz shah tughlaqs domestic policy

यह तो थी फिरोज शाह तुगलक की गृह-नीति : शासन-प्रबन्ध की जानकारी के नोट्स अगली पोस्ट में हम आपको नासिरुद्दीन महमूद तुगलक का इतिहास के बारे में जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂

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