-अंतरराष्ट्रीय मित्र दिवस फ्रेंडशिप डे 30 जुलाई
International Friendship Day
-दोस्ती एक ऐसा रिश्ता जिसे हम खुद चुनते हैं कृष्ण सुदामा की मित्रता की कहानी बहुत प्रचलित है सुदामा गरीब ब्राह्मण थे अपने बच्चों का पेट भर सके उतनी भी सुदामा के पास पैसे नहीं थे सुदामा की पत्नी ने कहा हम भले ही भूखे रहें लेकिन बच्चों का पेट भरना चाहिए ना इतना बोलते बोलते ही उसकी आंखों में आंसू आ गए सुदामा को बहुत दुख हुआ उन्होंने कहा क्या कर सकते हैं किसी के पास मांगने थोड़ी ही जा सकते हैं पत्नी ने सुदामा से कहा आप कई बार कृष्ण की बात करते हो आपको उनके साथ बहुत मित्रता है ऐसा कहते हो वह तो द्वारका के राजा हैं वहां क्यों नहीं जाते जाइए ना वहां कुछ भी मांगना नहीं पड़ेगा सुदामा को पत्नी की बात सही लगी सुदामा ने द्वारका जाने का तय किया पत्नी से कहा ठीक है मैं कृष्ण के पास जाऊंगा लेकिन उनके लिए क्या लेकर जाऊं सुदामा की पत्नी पड़ोस में से तीन मुट्ठी चावल ले आई उसे फटे हुए कपड़े में बांधकर उसकी पोटली बनाई सुदामा उसको लेकर द्वारका जाने के लिए निकल पड़े द्वारका देख कर सुदामा तो दंग रह गए पूरी नगरी सोने की थी लोग बहुत सुखी थे सुदामा पूछते पूछते कृष्ण के महल तक पहुंचे दरबान ने साधु से लगने वाले सुदामा से पूछा यहां क्या काम है सुदामा ने जवाब दिया मुझे कृष्ण से मिलना है वह मेरा मित्र है अंदर जाकर कहिए कि सुदामा आपसे मिलने आया है दरबान को सुदामा के वस्त्र देखकर हंसी आई उसने जाकर कृष्ण को बताया सुदामा का नाम सुनते ही कृष्ण खड़े हो गए और सुदामा से मिलने नंगे पैर दौड़े सभी आश्चर्य से देख रहे थे कहां राजा और कहां यह साधु कृष्ण सुदामा को महल में ले गए संदीपनी की गुरुकुल के दिनों की यादें ताजा की सुदामा कृष्ण की समृद्धि देखकर शरमा गए सुदामा चावल की पोटली छुपाने लगे लेकिन कृष्ण ने खींच ली है उसमें से चावल निकाले और खाते हुए बोले ऐसा अमृत जैसा स्वाद मुझे और किसी में नहीं मिला बाद में दोनों खाना खाने बैठे सोने की थाली में भोजन परोसा गया सुदामा का दिल भर आया उन्हें याद आया कि घर पर बच्चों को पूरा पेट भर खाना भी नहीं मिलता है सुदामा वहां 2 दिन रहे वे कृष्ण के पास से कुछ मांग नहीं सके तीसरे दिन वापस घर जाने के लिए निकले कृष्ण सुदामा के गले लगे और थोड़ी दूर तक छोड़ने गए घर जाते हुए सुदामा को विचार आया घर पर पत्नी पूछेगी कि क्या लाए तो क्या जवाब दूंगा सुदामा घर पहुंचे वहां उन्हें अपनी झोपड़ी नजर ही नहीं आए एक सुंदर घर में से उनकी पत्नी बाहर आई उसने सुंदर कपड़े पहने थे पत्नी ने सुदामा से कहा देखा कृष्ण का प्रताप हमारी गरीबी चली गई कृष्ण ने हमारे सारे दुख दूर कर दिए सुदामा को कृष्ण का प्रेम याद आया उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए मित्रता की यह पुरानी कथा बताती है कि दोस्त अमीरी गरीबी ऊंच-नीच हर भेद से ऊपर है लेकिन दोस्त वह है जिन्हें हम खुद चुनते हैं और जो हमारे हर सुख दुख में साथ होते हैं कई बार जब हमारे अपने भी हमारे खिलाफ होते हैं तब वह सच्चे दोस्त ही होते हैं जिन्हें हमारी काबिलियत पर भरोसा होता है और वह हमारे साथ हर कदम पर खड़े होते हैं वैसे तो दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसे हम हर पल हर दिन जीते हैं लेकिन इसके लिए एक दिवस तय किया गया जिसे अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है । International Friendship Day
-निस्वार्थ रिश्ते के जश्न की शुरुआत की पीछे था स्वार्थ
दोस्ती के प्रतीक के रूप में मनाए जाने वाले इस दिन की शुरुआत सन 1919 में हुई जिसका श्रेय हॉल मार्क कार्ड्स के संस्थापक जॉयस हॉल को जाता है लोगों को इस दिवस को मनाने के लिए अपने दोस्तों को फ्रेंडशिप डे कार्ड पर कार्ड भेजने के लिए प्रेरित किया गया उन दिनों शुरू हुआ यह सिलसिला आज भी जारी है हां लेकिन समय के साथ अब कार्ड्स की जगह व्हाट्सएप मैसेज डिजिटल कार्ड वीडियो इंस्टाग्राम और एफ बी पोस्ट ने ले ली है अगस्त के पहले रविवार को यह खास दिन मनाने के पीछे वजह यह थी कि अमेरिकी देशों में यह समय ऐसा होता है जब दूर-दूर तक किसी पर्व त्यौहार की छुट्टी नहीं होती हालांकि कुछ समय बाद लोगों को यह समझ आ गया कि इसके पीछे जायस हॉल का उद्देश्य कार्ड को बेचना था। International Friendship Day
– पराग्वे से हुई शुरुआत
सन 1958 के 30 जुलाई को औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडशिप दिवस की घोषणा की गई थी डॉक्टर आर्टिमियो ने अपने दोस्त ब्रांचो के साथ पैराग्वे नदी के पास रात्रि भोजन किया था पहली बार पैराग्वे में ही इस दिन को मनाया गया था दक्षिण अमेरिकी देशों में सबसे पहले इस दिन को उत्सव के रूप में मनाने की शुरुआत हुई थी वर्ल्ड फ्रेंडशिप डे का विचार पहली बार 20 जुलाई 1958 को डॉ रोमन आर्टिमियो के द्वारा पेश किया गया था दोस्तों की इस बैठक में से वर्ल्ड मैत्री क्रूसेट का जन्म हुआ था द वर्ल्ड मैत्री क्रूसेट एक ऐसी नीव है जो जाति रंग या धर्म के बावजूद सभी मनुष्यों के बीच दोस्ती और फैलोशिप को बढ़ावा देती है तब से 30 जुलाई को हर साल पैराग्वे में मैत्री दिवस इमानदारी से मनाया जाता है और इसे कई अन्य देशों द्वारा भी अपना है क्या है आजकल व्हाट्सएप फेसबुक टि्वटर इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया की वजह से यह और प्रसिद्ध हो रहा है । International Friendship Day
-भारत में मनाते हैं अगस्त के पहले रविवार को
दक्षिण अमरीकी देशों में जुलाई महीने को काफी पावन माना जाता है इसलिए जुलाई के अंत में ही इस दिन को मनाते हैं यूनाइटेड नेशन ने भी इस दिन पर अपनी मुहर लगा दी थी अंतरराष्ट्रीय मैत्री दिवस प्रत्येक वर्ष विश्व के कई देशों में मनाया जाता है हालांकि दोस्ती का यह त्यौहार दुनिया भर में अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है लेकिन इसके पीछे की भावना हर जगह एक ही है दोस्ती का सम्मान दक्षिण अमरीकी देशों से शुरू हुआ यह त्योहार उरूग्वे अर्जेंटीना ब्राजील में 20 जुलाई को पराग्वे में 30 जुलाई को जबकि भारत मलेशिया बांग्लादेश और दक्षिण एशियाई देशों सहित दुनियाभर के देशों में अगस्त महीने के पहले रविवार को मनाया जाता है । International Friendship Day
-संचार ने बनाया लोकप्रिय विश्व मित्रता दिवस या वर्ल्ड फ्रेंडशिप डे
दोस्ती मनाने के लिए एक दिन है शुरुआत में ग्रीटिंग कार्ड द्वारा इसे काफी प्रमोट किया गया बाद में सोशल नेटवर्किंग साइट्स के द्वारा और इंटरनेट के प्रसार के साथ-साथ इसका प्रचलन विशेष रूप से भारत बांग्लादेश और मलेशिया में फैल गया इंटरनेट और सेलफोन जैसे डिजिटल संचार के साधनों में लोकप्रिय बनाया वर्ल्ड फ्रेंडशिप क्रूसेड ने यूनाइटेड नेशन को 30 जुलाई को मित्रता दिवस के रूप में मनाने का आग्रह किया तब 1997 में तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान ने winnie-the-pooh को मित्रता का ब्रांड अम्बेसडर बना दिया संयुक्त राष्ट्र ने 27 अप्रैल 2011 को प्रतिवर्ष 30 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस मनाने की घोषणा की थी संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा इस अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस पर चलिए हम सौहार्द का माहौल बनाएं जो हमारी मानवता को मजबूत करें और मानव जाति के कल्याण को प्रोत्साहित करें इसका अंतर्निहित विचार देशों में लोगों में और भिन्न-भिन्न मूल की संस्कृतियों में मित्रता को प्रोत्साहित करना है जिससे कि उनकी बीच शांति और मैत्री का संबंध और मजबूत हो सयुक्त राष्ट्र विभिन्न समुदाय और संस्कृति वाले देश और लोगों के बीच स्वस्थ संवाद को बढ़ावा देने हेतु अंतरराष्ट्रीय संगठनों सरकारों और सामान्य लोगों को इवेंट और अन्य गतिविधियां आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। International Friendship Day
– एक किस्सा यह भी हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध कवयित्री और स्वाधीनता सेनानी सुभद्रा कुमारी चौहान और छायावाद के चार स्तंभ में से एक महादेवी वर्मा भी एक दूसरे की अभिन्न सखी थी अपनी किताब पथ के साथी में महादेवी वर्मा ने अपनी और अपनी प्रिय सखी सुभद्रा की किस्सागोई की है महादेवी वर्मा गणित की कॉपी में कविता लिखकर रखती थी यह सच भी पूरे स्कूल के सामने सुभद्रा कुमारी चौहान ने उजागर किया था अपनी सखी सुभद्रा के बारे में वे लिखती हैं कि घर और कारागार के बीच में जीवन का जो क्रम विवाह के साथ आरंभ हुआ था वह अंत तक चलता ही रहा छोटे बच्चों को जेल के भीतर और बड़ों को बाहर रखकर वह अपने मन को कैसे संयम रख पाती थी यह सोचकर विस्मय होता है कारागार में संपन्न परिवार की सत्याग्रही माताएं थी उनकी बच्चों के लिए बाहर से ना जाने कितना मेवा मिष्ठान आता रहता था सुभद्रा जी की आर्थिक परिस्थितियों में जेल जीवन का ए और सी क्लास समान ही था एक बार जब भूख से रोती बालिका को बहलाने के लिए कुछ नहीं मिल सका तब उन्होंने अरहर दल ने वाली महिला कैदियों से थोड़ी सी अरहर की दाल ली और उसे तवे पर भून कर बालिका को खिलाया घर आने पर भी उनकी दशा द्रोणाचार्य जैसी होती थी जिन्हें दूध के लिए मचलते हुए बालक अश्वथामा को चावल के घोल से सफेद पानी देकर बहलाना पड़ा था पर इन परीक्षाओं से उसका मन ना कभी हारा ना उसने परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए कोई समझौता स्वीकार किया इसी तरह प्रमुख कहानीकार सहादत हसन मंटो और अभिनेता श्यामसुंदर चड्डा की मित्रता भी बहुत अजीब थी अपने अजीज मित्र के बारे में मंटो ने स्टार फ्रॉम एन अदर स्काई नामक किताब में लिखा है। International Friendship Day
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