विजयलक्ष्मी पंडित जयंती 18 अगस्त

-विजयलक्ष्मी पंडित जयंती 18 अगस्त 

-देश की प्रथम महिला मंत्री और पहली महिला राजदूत श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित देश की अग्रिम पंक्ति की ऐसी महिला थी जिन्होंने एक साथ कई क्षेत्रों में पहल की उन्हें देश की प्रथम महिला मंत्री प्रथम महिला राजदूत और संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था की पहली भारतीय अध्यक्ष बनने की उपलब्धि प्राप्त है विजयलक्ष्मी पंडित स्वतंत्र भारत की पहली महिला राजदूत थी जिन्होंने मॉस्को लंदन और वाशिंगटन में भारत का प्रतिनिधित्व किया वे वर्ष 1952 और 1964 में लोकसभा की सदस्य भी चुनी गई साथ ही उन्होंने कुछ समय तक महाराष्ट्र के राज्यपाल का दायित्व भी संभाला विजयलक्ष्मी पंडित भारत की बहुमुखी प्रतिभा संपन्न महिलाओं में से एक थी उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया रूस और अमेरिका में भारतीय राजदूत की पद पर रहते हुए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा का अध्यक्ष बनने का गौरव भी हासिल किया था उन्होंने देश की स्वतंत्रता आंदोलन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था जिसे भुलाया नहीं जा सकता सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान भी कई माह जेल में भी रही । Biography of Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi

-जूझना पड़ा नारी विरोधी कानूनों से

विजयलक्ष्मी पंडित देश की एक प्रभावी राजनीतिक परिवार में जन्मी थी उनके भाई पंडित जवाहरलाल नेहरू को आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होने का सौभाग्य मिला था उनका जन्म 18 अगस्त 1900 में इलाहाबाद में हुआ उनके पिता प्रसिद्ध वकील और कांग्रेस नेता मोतीलाल नेहरू के पिता के साथ ही माता स्वरूपरानी देवी और भाई पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रभाव में विजय लक्ष्मी पंडित के व्यक्तित्व को बहुआयामी बना दिया था भाई की तरह उनका प्रारंभिक जीवन भी बहुत ही अच्छे वातावरण में व्यतीत हुआ विजय लक्ष्मी पंडित के बचपन का नाम स्वरूप कुमारी था स्वरूप कुमारी सुंदर होने के साथ-साथ चंचल भी थी उन्होंने अपनी सारी शिक्षा एक अंग्रेज अध्यापिका से घर पर ही प्राप्त की थी वह शिक्षा के साथ-साथ राजनीति साहित्य और घुड़सवारी में भी गहरी रूचि लेती थी उनका परिवार राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र था उन पर उसका प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही था बचपन में ही सन 1904 में उन्हें पहली बार अपने पिता के साथ यूरोप घूमने का मौका मिला था दोबारा 1926 में पति और भाई के साथ गई इसके बाद तो विजयलक्ष्मी ने कई बार विदेश यात्राएं की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई वर्ष 1919 में उनका विभाग रणजीत सीताराम पंडित जो कि एक सुप्रसिद्ध वकील इतिहासकार थे से हुआ ।

विवाह के बाद वे स्वरूप कुमारी नेहरू से विजय लक्ष्मी पंडित कहलाए उनकी तीन पुत्रियां चंद्रलेखा नयनतारा और रीता थी वह सक्रिय राजनीति महात्मा गांधीजी के असहयोग आंदोलन में शामिल होकर आई थी रणजीत सीताराम पंडित भी उनकी तरह आजादी की लड़ाई के समर्थक के सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के कुछ दिन पहले उनके पति का निधन हो गया इसके बाद तीन लड़कियों के पालन पोषण का भार विजयलक्ष्मी पंडित पर आ पड़ा अपने माता-पिता के घर पर राजकुमारी की तरह जीवन बिताने वाली विजयलक्ष्मी पंडित को पति के निधन के बाद कई विषम परिस्थितियों से जूझना पड़ा था रूढ़िवादी और नारी विरोधी कानूनों ने विजय लक्ष्मी पंडित को आक्रोश से भर दिया फिर तो उनके भीतर देशभक्त और विद्रोही नारी का भाव भर गया इसके बाद वे देश की आजादी के साथ भारतीय नारी को इन क्रूर कानूनों के चंगुल से बचाने के लिए कमर कसकर तैयार हो गए कांग्रेस के अलावा अनेक महिला संस्थानों और समाज कल्याण संस्थानों से जुड़कर पर भारतीय महिलाओं की स्थिति और सामाजिक नीतियों में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए निरंतर काम करती रही अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के साथ तो वे प्रारंभ से ही थी और सन 1940-42 में 2 वर्ष तक इस सर्वोच्च महिला संस्था की अध्यक्ष भी रह चुकी थी। Biography of Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi

– गांधीजी के विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय भूमिका

वर्ष 1919 में महात्मा गांधी आनंद भवन में आकर रुके तो विजयलक्ष्मी पंडित उनसे मिलकर बहुत प्रभावित हुई उनके मन में साधारण गृहणी बनकर कर अपना जीवन व्यतीत करने की अपेक्षा देश की सेवा में जीवन देने का ऐसा विचार आया कि सर्वप्रथम 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में गांधीजी के साथ जेल यात्रा पर गई इसके बाद उन्होंने गांधीजी के असहयोग आंदोलन में भी भाग लिया आंदोलन में भाग लेने के कारण विजयलक्ष्मी को 1932 में गिरफ्तार भी किया गया वह हर आंदोलन में आगे रहती जेल जाती रिहा होती और फिर से आंदोलन में जुट जाती वर्ष 1934 में भी इलाहाबाद म्युनिसिपल बोर्ड की सम्मानित सदस्य निर्वाचित हुई साथ ही शिक्षा समिति का अध्यक्ष पद भी उन्हें प्राप्त हुआ उन्होंने गांव की दशा सुधारने के लिए पंचायत राज व्यवस्था अधिनियम भी पारित करवाया द्वितीय विश्वयुद्ध आरंभ होने के बाद मंत्री पद छोड़ते ही विजयलक्ष्मी लक्ष्मी पंडित को फिर बंदी बना लिया गया जेल से बाहर आने पर वर्ष 1942 की भारत छोड़ो आंदोलन में भी फिर से गिरफ्तार की गई लेकिन बीमारी के कारण 9 महीने बाद ही उन्हें रिहा कर दिया गया रिहा होते ही उन्होंने अकाल पीड़ित भारतीयों की सेवा हेतु बंगाल राहत कोष गठित किया असहयोग आंदोलन के दिनों में पिता और भाई की जेल जाने पर आनंद भवन जो कांग्रेस का गढ़ था के संचालक का भार उनके कंधों पर पड़ा था वे अपनी छोटी बहन कृष्णा और पुत्रियों को साथ लेकर विदेशी माल की दुकानों पर धरने देने निकल पड़ती थी उन्होंने कई जुलूस का नेतृत्व किया। Biography of Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi

-बनी भारत की प्रथम महिला मंत्री और राजदूत

– वर्ष 1937 के चुनाव में विजय लक्ष्मी उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य चुनी गई इसके बाद उन्होंने मंत्री के रूप में शपथ ली मंत्री स्तर का दर्जा पाने वाले वह प्रथम महिला थी वर्ष 1945 में विजय लक्ष्मी पंडित अमेरिका गई और अपने भाषणों के द्वारा उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में जोरदार प्रचार किया सैन फ्रांसिस्को में हुए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में उन्होंने भारत वासियों के प्रति अमेरिकी लोगों की दुर्भावना को अपने प्रभावशाली व्यक्ति द्वारा दूर करने का प्रयास किया 1946 में उन्हें भारतीय शिष्टमंडल की अध्यक्ष और प्रतिनिधि के रूप में न्यूयॉर्क में संपन्न होने वाले संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में भेजा गया वहां उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी सरकार द्वारा भारतीयों पर होने वाले अत्याचारों का ऐसा मार्मिक वर्णन किया कि अमेरिका के समाचार पत्रों के मुख्य पृष्ठ पर साहसिक नारी के रूप में स्थान दिया गया वर्षों 1946 में भी दोबारा उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य और राज्य सरकार में मंत्री बनी स्वतंत्रता के बाद 1947 से 1952 तक रूस और अमेरिका के लिए राजदूत नियुक्त कर दी गई विजय लक्ष्मी पंडित ने संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष बनने वाली वे विश्व की पहली महिला थी उन्होंने रूस अमेरिका मैक्सिको आयरलैंड और स्पेन में भारत के राजदूत और इंग्लैंड में हाई कमिश्नर के पद के दायित्व का बखूबी पालन किया। Biography of Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi

सन 1952 और 1964 में वे लोकसभा की सदस्य चुनी गई सन 1952 की प्रथम आम चुनाव में लखनऊ लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई सन 1954 तक संसद सदस्य के रूप में काम करने के बाद फिर इंग्लैंड में उच्चायुक्त बनी और वहां से लौटकर महाराष्ट्र की राज्यपाल नियुक्त हुई महाराष्ट्र के राज्यपाल में रहते हुए एक बार फिर भारतीय प्रतिनिधिमंडल की नेत्री बनाकर उन्हें सयुक्त राष्ट्र भेज दिया गया इस दौरान अपने ओजस्वी भाषणों के जरिए भारत की छवि प्रस्तुत की विजयलक्ष्मी पंडित जीवन भर देश-विदेश के अनेक महिला संगठनों से जुड़ी रही श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित को  अनेक विश्वविद्यालयों द्वारा उपाधि से विभूषित किया गया वे एक कुशल राजनीतिज्ञ वक्ता मंत्री राजदूत देशभक्त होने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त महिला थी उन्होंने सो आई बीकेम मिनिस्टर प्रिजन डेज द स्कोप ऑफ हैप्पीनेस आदि पुस्तके लिखकर कुशल लेखकीय व्यक्तित्व का परिचय दिया था 1 दिसंबर 1990 को उनका निधन हो गया अपने अंतिम समय में वे प्रचार से दूर देहरादून के अपने घर में कुछ आत्मीय मित्र और बेटियों के साथ शांत जीवन गुजार रही थी पर उन्होंने सार्वजनिक जीवन पूरी तरह छोड़ा नहीं था कभी-कभी महत्वपूर्ण समारोह में शामिल होती थी । Biography of Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi

-उनकी आत्मकथा में है दुर्लभ किस्से

विजय लक्ष्मी पंडित ने अपनी आत्मकथा द स्कोप ऑफ हैप्पीनेस में राजनीति और अपनी व्यक्तिगत जीवन से जुड़े अनेक किस्सों को साझा किया है इसे दुनिया की उत्कृष्ट आत्मकथा में शुमार किया जा सकता है इस किताब में उन्होंने महात्मा गांधी से लेकर अपने बड़े भाई भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भतीजी इंदिरा गांधी सहित कई नेताओं के निजी और सार्वजनिक जीवन से जुड़े अनेक संस्मरण को अपनी विशिष्ट शैली में प्रस्तुत करके इतिहास का धरोहर बना दिया है इस आत्मकथा को पढ़कर इलाहाबाद की आनंद भवन में पली-बढ़ी विजय लक्ष्मी पंडित के बचपन के घर में बिताए दिनों से लेकर ब्रिटिश शासन के तहत भारत में लागू कठोर प्रतिबंध और नस्लीय कट्टरता के साथ जीवन की अभूतपूर्व तस्वीरों को जाना जा सकता है इस पुस्तक की एक सम्मोहक शक्ति यह है कि इसमें दुनिया भर की कई महान विभूतियों का चित्रण भी है ए माउंटबेटन चेस्टर बाउल्स डेग हेमेरकोल्ड  एलेनोर रूज़वेल्ट और प्रिंस चार्ल्स जैसी विश्व की प्रमुख हस्तियों से जुड़े प्रसंगों ने इस पुस्तक को एक दुर्लभ महत्व की पुस्तक के रूप में अमन बना दिया है जो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ऐतिहासिक दस्तावेज की तरह है। Biography of Vijaya Lakshmi Pandit in Hindi


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