Hello दोस्तों, स्वागत है आपका फिर से हमारी इतिहास नोट्स की सीरीज में इस से पहले हमने आपको तुर्क विजय के बारे में विस्तार से बताया था, इस पोस्ट से हम आप को महमूद ग़ज़नवी और मुहम्मद गोरी (शहाबुद्दीन मुहम्मद) के बारे में बतायेगे जिससे आपको मध्यकालीन भारत के इतिहास की जानकारी मिल सके और आप की तैयारी को और भी बल मिल सके तो चलिए शुरू करते है आज की पोस्ट 🙂
महमूद ग़ज़नवी ग़ज़नी ( 971 से 1030 AD ) Mahmud Of Ghazni History In Hindi
महमूद ग़ज़नवी ग़ज़नी ने सन 1000-1026 के बीच भारत पर कुल मिलाकर 17 बार आक्रमण किया। महमूद ग़ज़नवी ग़ज़नी, सुबुक्तगीन का पुत्र, व गजनी वंश का संस्थापक तथा तुर्की गुलाम सेनापति था। Mahmud Of Ghazni History In Hindi
महमूद ग़ज़नवी ग़ज़नी ने भारत में प्रथम युद्ध 1001 ई. में हिन्दशाई शासक जयपाल के खिलाफ लड़ा। 1004 -1006 के दौरान गजनी ने मुल्तान के शासकों पर धावा बोला और शीघ्र ही पंजाब को भी अपने आधीन कर लिया। 1014-1019 के बीच महमूद ग़ज़नवी ने थानेसर, नगरकोट, कन्नौज तथा मथुरा के मंदिरों को लूटकर अपने खजाने को और भी सम्रद्ध बना लिया। सन 1008 में नगरकोट मंदिर पर किया गया आक्रमण उसकी सबसे बड़ी जीत के रूप में जाना जाता है। सन् 1025 में महमूद ग़ज़नवी ने सौराष्ट्र के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण कर अपने सबसे अधिक महत्वाकांशी अभियान की शुरुआत की। Mahmud Of Ghazni History In Hindi
एक भीषण संघर्ष के बाद महमूद ने महमूद ग़ज़नवी ने सौराष्ट्र पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया जिस में बचाव पक्ष के 50,000 से अधिक सैनिक हताहत हुए। और उसने ने शहर 15 दिनों बाद तब छोड़ा जब उसे गुजरात के शासक भीम प्रथम द्वारा अपने विरुद्ध की जा रही युद्ध की तैयारियों की जानकारी मिली। महमूद ग़ज़नवी के आक्रमणों का प्रमुख उद्देश्य मध्य एशिया की राजनीति में अपनी महत्ता स्थापित करना ही था। भारत पर किए गए सभी हमले सिर्फ भारत की दौलत को हथियाने के लिए किए थे। इस दौलत से उसे मध्य एशिया के विशा साम्राज्य को संगठित करने में मदद मिलनी थी, इसलिए उसने भारत में अपना साम्राज्य स्थापित करने का कोई प्रयत्न नहीं किया। गजनी वंश के कुछ शासकों का नियंत्रण पंजाब तथा सिंध के कुछ हिस्सों में था जो की 1135 तक चलता। इन आक्रमणों ने भारत की रक्षा नीति की दुर्बलताएं खुलकर उजागर हुई। और भविष्य में तुर्कों द्वारा भारत पर आक्रमणों के लिए भी रास्ते खोल दिए। आखिरी आक्रमण के दौरान मलेरिया के कारण महमूद गजनवी की 1030 AD में मृत्यु हो गई |
मुहम्मद गोरी (शहाबुद्दीन मुहम्मद) (1173-1206)
सन् 1173 में मुहम्मद गोरी उर्फ शहाबुद्दीन मुहम्मद (1173-1206) गजनी की गद्दी पर बैठा। ख्वारिज्मी की बढ़ती हुई शक्ति तथ बल के सामने गोरी वंश कमजोर था। अतः उन्होंने भाँप लिया था कि अब उन्हें मध्य एशिया से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है। इसलिए मुहम्मद गोरी (शहाबुद्दीन मुहम्मद) ने अपनी विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए भारत की ओर अग्रसर हुआ। Mahmud Of Ghazni History In Hindi
मुहम्मद गोरी भारत में लूटपाट करने के की जगह भारत्त पर स्थायी शासन के पक्ष में था। इसलिए उसने सुनियोजित तरीके से हर जीते हुए क्षेत्र में अपना एक सेनापति नियुक्त किया, जो उसकी अनुपस्थिति में वह पर शासन कर सके। मुहम्मद गोरी के आक्रमणों के कारण विध्यांचल पर्वत के उत्तर में स्थायी तुर्क साम्राज्य की स्थापना हुई। Mahmud Of Ghazni History In Hindi
यह तो थी महमूद ग़ज़नवी और मुहम्मद गोरी (शहाबुद्दीन मुहम्मद) की जानकारी के नोट्स अगली पोस्ट में हम आपको तराइन का युद्ध के बारे में जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂