Hello दोस्तों, स्वागत है आपका फिर से हमारी इतिहास नोट्स की सीरीज में इससे पहले हमने आपको औरंगजेब की दक्षिण नीति, उद्देश्य, परिणाम के बारे में विस्तार से बताया था, इस पोस्ट से हम आपको मुगल साम्राज्य के पतन के कारण के बारे में बतायेगे जिससे आपको मध्यकालीन भारत के इतिहास की जानकारी मिल सके और आपकी तैयारी को और भी बल मिल सके तो चलिए शुरू करते है आज की पोस्ट 🙂
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण (Reasons of Decline of Mughal Empire)
मुगल साम्राज्य की स्थापना सन् 1526 ई. में बाबर ने की थी। लगभग 200 वर्ष तक भारत पर मुगलों का शासन रहा। औरंगजेब के बाद कोई भी ऐसा मुगल सम्राट नहीं हुआ जो इस विशाल साम्राज्यों को संगठित रख सकता। अतः इसका पतन हो गया। इसके पतन के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
1. औरंगजेब की नीतियाँ
औरंगजेब धार्मिक नीति – औरंगजेब की धार्मिक नीति मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बनी। औरंगजेब ने बहुसंख्यक हिन्दओं पर अत्याचार किये। उसने हिन्दुओं पर जजिया कर लगा दिया, उसने अनेक मन्दिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण कराया, हिन्दुओं को बलात् मुसलमान बनाया। उसने राजपूतों का कभी विश्वास नहीं किया। औरंगजेब ने मारवाड़ की गद्दी के उत्तराधिकारी को मुसलमान बनाने का प्रयत्न किया था। अतः राजपूत लोग उसके व्यवहार से क्रुद्ध हो गये और उन्होंने मुगलों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। सम्राट को राजपूतों से भयंकर युद्ध करने पड़े। राजपूतों का सबसे पहला विद्रोह बुन्देलों का था, जिन्होंने अपने राजा चम्पतराय के नेतृत्व में विद्रोह किया। इसके अलावा मेवाड़ तथा मारवाड़ के राजपूतों ने भी विद्रोह किया। औरंगजेब की धार्मिक नीति के विरुद्ध मथुरा में जाटों ने, नारनौल तथा मेवात के सतनामियों ने और
सिक्खों ने भी भयंकर विद्रोह किये। इन विद्रोहों ने मुगल साम्राज्य की जड़ों को हिला दिया।
सहधर्मियों पर अत्याचार – औरंगजेब ने शिया मुसलमानों के साथ भी अत्याचार किये। उसने हिन्दओं के समान उनकी शिक्षण संस्थाओं, धार्मिक प्रणालियों आदि को नष्ट किया। उनको सरकारी नौकरी में लेने में भेदभाव किया जाने लगा। अतः शियाओं ने भारत में नौकरी के लिए मुगलों के यहाँ जाना बन्द कर दिया। शिया युद्ध और नागरिक प्रशासन में अत्यन्त कुशल थे, औरंगजेब इसका लाभ न उठा सका। औरंगजेब द्वारा दक्षिण के बीजापुर तथा गोलकुण्डा के दो शिया राज्यों को नष्ट करना मूर्खता थी। उसकी इस नीति के कारण हिन्दुओं के समान शिया भी मुगल साम्राज्य के शत्रु बन गये।
औरंगजेब की दक्षिण नीति –
औरंगजेब की दक्षिण नीति के कारण उसके सबसे अच्छे सिपाही और सेनापति युद्ध में मारे गये और मुगल अपनी खोयी हुई प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त न कर सके। यह प्रतिष्ठा की हानि औरंगजेब के पतन का एक प्रमुख कारण बन गयी।
औरंगजेब ने शियाओं के बीजापुर और गोलकण्डा के राज्यों को नष्ट कर दिया और मराठों से उस विनाशकारी लड़ाई को मोल लिया जो उसके जीवन में कभी भी समाप्त नहीं हो सकी। औरंगजेब की इस नीति के कारण साहसी मराठों को आत्मरक्षा के लिए युद्ध करना पड़ा और जब उन्हें उसमें सफलता मिलती गयी तो उन्होंने हमला करना भी आरम्भ कर दिया। उन्होंने नर्मदा पार कर उत्तरी भारत में अनेक मुगल प्रान्तों पर हमले आरम्भ कर दिये।
औरंगजेब का अविश्वास तथा सन्देहशीलता –
इस स्वभाव के कारण उसके सेनापतियों तथा पुत्रों को अपनी प्रतिभा और विकास के प्रदर्शन का मौका ही न मिला। वह साधारण कोटि के व्यक्ति बनकर रह गये और उन्हें किसी भी दायित्व का मौका न मिला। Mughal samrajya ke patan ke karan
साम्राज्य की विशालता –
बीजापुर और गोलकण्डा को समाप्त कर देने के कारण मुगल साम्राज्य की सीमाएं बहुत अधिक बढ़ गयी थीं तथा राज्य में आवागमन के साधनों का अभाव था। इसलिए वह स्वयं भी विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्ति को न रोक सका।
2. अयोग्य उत्तराधिकारी –
मुगल साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण औरंगजेब के उत्तराधिकारियों का निर्बल, निकम्मा तथा विलासी होना था। औरंगजेब के बाद छः सम्राट योग्य तथा चरित्रवान थे किन्तु वे विशाल साम्राज्य को एक नहीं रख सके और विद्रोहों को नहीं दबा सके। अनेक प्रान्तीय शासक स्वतन्त्र हो गये। बहादुरशाह प्रथम से लेकर बहादरशाह द्वितीय तक जितने भी सम्राट हुए वे निकम्मे निकले। उनमें न योग्यता थी और न दृढ़ इच्छा शक्ति। Mughal samrajya ke patan ke karan
3. सैनिक कारण : मनसबदारी प्रथा –
मुगल साम्राज्य के पतन का एक प्रमुख कारण सैनिक शक्ति का ह्रास था। इसका प्रमुख कारण, सेना का मौलिक संगठन दोषपूर्ण होना था। सैनिक शक्ति का मुख्य आधार मनसबदारी प्रथा थी। मनसबदार सरकार को धोखा देकर निरीक्षण के लिए बाजार से साधारण आदमियों को पकड़ लाते थे और उन्हें फौजी वर्दी पहनाकर खड़ा कर देते थे। वे अच्छे घोड़ों के स्थान पर मरियल रट्ट ले आते थे। मनसबदारों में आपस में प्रतिस्पर्धा होती थी, जिसके कारण वे एक साथ मिलकर युद्ध का संचालन नहीं कर पाते थे। मनसबदारी प्रणाली में कोई संगठित केन्द्र नहीं था जो एक राष्ट्रीय सेना के लिए होना आवश्यक है। इससे सैनिक शक्ति का हास हुआ। औरंगजेब के बाद तो मनसबदारी के पद नाममात्र के रह गये और सात हजारी मनसबदारों के लिए सात घोडे रखना भी
आवश्यक नहीं रहा। Mughal samrajya ke patan ke karan
4. आर्थिक कारण : आर्थिक दिवालिया होना –
मुगल सरकार आर्थिक रूप से दिवालिया हो गयी थी, सैनिक तथा प्रशासन का खर्च चलाना तो दूर की बात थी बल्कि खाने के भी लाले पड़ गये थे। अकबर के समय में मुगल साम्राज्य आर्थिक रूप से समृद्ध था, किन्तु उसके उत्तराधिकारियों के शासन काल में आर्थिक ढाँचा लड़खड़ाने लगा था। सरकार ने उत्पादकों पर इतना अधिक कर का बोझ लाद दिया था कि उसको वे भुगतान करने की स्थिति में भी नहीं थे। अत: उत्पादकों में उत्पादन वृद्धि का कोई साधन बाकी नहीं रह गया था। शाहजहाँ ने भवन निर्माण तथा राजसी ठाट-बाट में अनाप-शनाप धन व्यय किया और दूसरी ओर आय कम हो गयी थी। Mughal samrajya ke patan ke karan
यह तो थी मुगल साम्राज्य के पतन के कारण की जानकारी के नोट्स अगली पोस्ट में हम आपको मुगल प्रशासन के बारे में जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂
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