Hello दोस्तों, एक बार फिर से स्वागत है आपका Upsc Ias Guru .Com वेबसाइट पर पिछली पोस्ट में हमने आपको रैयतवाड़ी प्रथा (Ryotwari System) के बारे में बताया था, आज की पोस्ट में हम आपको महालवाड़ी बन्दोबस्त (Mahalwari Setlement) के बारे में बताएंगे, तो चलिए शुरू करते हैं आज की पोस्ट
महालवाड़ी बन्दोबस्त (Mahalwari Setlement)
ब्रिटिश सरकार ने महालवाड़ी बन्दोबस्त को उत्तर-पश्चिमी प्रान्त, मध्य भारत तथा पंजाब में लागू किया। इस बन्दोबस्त के अन्तर्गत एक क्षेत्र को एक इकाई मानकर भूमि की व्यवस्था की गयी। इस क्षेत्र को महाल माना गया। महाल का लगान वसूल करने का काम जमींदारों को सौंपा गया।महालवाड़ी बन्दोबस्त का आदेश जारी करते समय सरकार ने यह तर्क दिया कि हम लगान वसूल करने का उत्तरदायित्व महाल के सबसे बड़े व्यक्ति को देकर पुराने ग्राम समाजों की स्थापना कर रहें हैं, किन्तु सरकार का यह तर्क थोथा साबित हआ, क्योंकि लगान वसूल करने का अधिकार जमींदारों को ही मिल गया और उस क्षेत्र की भूमि जमींदारों के हाथ में चली गयी परिणामस्वरूप कृषक जमींदारों के शोषण का शिकार हो गया। जमींदारों ने कृषकों से ऊँची दर पर लगान वसूल किया, इससे किसानों की दशा दयनीय हो गयी। ब्रिटिश सरकार ने कषकों की दशा सधारने की ओर ध्यान नहीं दिया। उसका उद्देश्य अधिक से अधिक लगान वसूल करना था। mahalwari vyavastha
इस संदर्भ में सरकार जमींदारों को प्रसन्न रखना चाहती थी इसलिए कृषकों की समस्याओं के समाधान की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। इससे कृषि पैदावार कम हो गयी। बहुत से कृषकों ने अपनी जमीनें छोड़ दीं, लगान न देने पर जमींदारों ने कृषकों को बेदखल कर दिया। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि बहुत से कृषक मजदूर की श्रेणी में आ गए और छोटे-छोटे किसानों तथा खेतिहर काष्तकारों की संख्या में वृद्धि हो गयी। भारत की ग्रामीण व्यवस्था में जो भाई-चारे तथा सद्भावना इससे स्पष्ट है कि पुरानी जमीदारी व्यवस्था मजबूत हो गयी, कृषि पैदावार में गिरावट आयी, कृषकों का शोषण बढ़ा तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गयी। mahalwari vyavastha
यह तो थी महालवाड़ी बन्दोबस्त (Mahalwari Setlement) की जानकारी के नोट्स अगली पोस्ट में हम आपको ब्रिटिश शासनकाल में कृषकों की स्थिति के बारे में जानकारी देंगे तो बने रहिए Upsc Ias Guru .Com के साथ 🙂
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